बवासीर का इलाज के लिए पतंजलि दवा

हमारे गुदा क्षेत्र में कई तरह की दर्द भरी बीमारियां हो सकती हैं जिनमें पाइल्स भी एक है। पाइल्स गुदा क्षेत्र की नसों का सूजन है। बवासीर से पीड़ित व्यक्ति को उठने-बैठने में बहुत परेशानी होती है।

बवासीर का इलाज इसकी अवस्था पर निर्भर करता है| बाहरी बवासीर के इलाज की प्रक्रिया भीतरी बवासीर से भिन्न हो सकती है| बवासीर के लक्षणों को कम करने के लिए आप आयुर्वेदिक उपचार ले सकते हैं|

पढ़ें- बवासीर में आसानी से बिना समस्या के कैसे सोएं?

बवासीर में रोगी गुदा में जलन और दर्द का अनुभव कर सकता है। रोगी के गुदा की नस सूज जाती है जिससे स्टूल पास करने में तेज दर्द होता है। कई बार गुदा के बाहर एक गांठ नजर आ सकती है जो सूजी हुई रहती है और उससे खून स्रावित होता है।

पाइल्स के कई कारण हो सकते हैं लेकिन, ये कुछ मुख्य हैं-

  • प्रेगनेंसी
  • मल त्याग करते वक्त जोर लगाना
  • लम्बे समय से कब्ज होना
  • मोटापा
  • धूम्रपान और शराब का सेवन

मांस का सेवन करने वालों में बवासीर की समस्या अधिक देखने को मिलती है क्योंकि सामान्य भोजन की तुलना में मांस को पचने में ज्यादा समय लगता है जिससे कारण मांस आंतों में सड़न पैदा कर सकता है जो स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हो सकता है|

पढ़ेंबवासीर में सेक्स करना चाहिए या नहीं?

बवासीर की आयुर्वेदिक दवा

आयुर्वेदिक दवाई बवासीर के इलाज के लिए रामबाण माना जाता है|  बवासीर को चार ग्रेड में बांटा गया है| ग्रेड 1 और ग्रेड 2 के बवासीर को आयुर्वेदिक उपचार से आसानी से खत्म किया जा सकता है लेकिन बवासीर का तीसरा और चौथा ग्रेड खतरनाक होता है और इसलिए बवासीर के तीसरे और चौथे चरण में एलोपैथिक दवाइयाँ के साथ ही सर्जरी की आवश्यकता भी पड़ सकती है|

अगर आप बवासीर के  शुरूआती चरण से गुजर रहे हैं तो आप इससे छुटकारा पाने के लिए आयुर्वेदिक दवाइयों का सेवन कर सकते है| इन दवाइयों के कोई बड़े साइड इफ़ेक्ट भी नहीं होते हैं।

पढ़ेंसिर्फ तीन दिनों में बवासीर का जड़ से इलाज

अर्शकल्प वटी (Arshkalp Vati)

अर्शकल्प वटी एक आयुर्वेदिक दवा है जो बवासीर और फिस्टुला का इलाज करने में सक्षम है। यह दवा खास आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों से मिलाकर बनाई गई है जो बवासीर के सूजन और दर्द को कम करती है। इसके अलावा यह पाचन को भी बेहतर बनाती है। अर्शकल्प वटी बवासीर के दौरान कब्ज और मल त्याग करते वक्त हो रही परेशानी से छुटकारा दिलाने में भी समर्थ है।

पढ़ेंबवासीर के लिए जात्यादी का तेल

अर्शकल्प वटी के एक पैक में 60 गोलियां होती हैं और रोगी को दिन में दो बार इसका सेवन करना चाहिए।

इसबगोल भूसी (Isabgol husk)

बवासीर रोगी को  फाइबर युक्त खादय पदार्थ लेने की सलाह दी जाती है| ऐसे में इसबगोल भूसी आयुर्वेदिक दवा लेना बहुत ही फायदेमंद होता है क्योंकि इसे फाइबर का खजाना कहा जाता  है। बहुत से लोग रोजाना इसका सेवन करते हैं क्योंकि, उन्हें भरपूर मात्रा में फाइबर मिल जाता है। बवासीर के अलावा कोलन कैंसर और फिशर की समस्या में भी इसका सेवन फायदेमंद है।

यह एक लैक्सेटिव की तरह कार्य करता है जिससे मल त्याग करते वक्त आसानी होती है और बिलकुल भी जोर नहीं लगाना पड़ता है।

5 से 10 ग्राम इसबगोल भूसी का पाउडर एक गिलास गर्म दूध के साथ मिलाएं और सेवन करें। इसका सीधा सेवन नहीं करना चाहिए।

पढ़ेंहल्दी से बवासीर का इलाज

अगर आप किसी दवा के दुष्प्रभाव के कारण कब्ज, आंतों में रुकावट  या पेट दर्द की समस्या से जूझ रहे हैं तो इसका सेवन न करें।

बवासीर में आयुर्वेदिक उपचार कितना फायदेमंद है?

आयुर्वेदिक उपचार में दी जाने वाली दवाइयों  की सबसे अच्छी खासियत है कि, इसे महिला और पुरुष दोनों उपयोग कर सकते हैं। आयुर्वेदिक अर्शकल्प वटी पाइल्स से राहत दिलाने के अलावा सर्जरी के खतरे को भी कम करती है। इन दवाइयों का सेवन फिशर और फिस्टुला से राहत पाने के लिए भी किया जा सकता है।

पढ़ेंबवासीर में बैठने के सरल उपाय

बवासीर की आयुर्वेदिक दवा का सेवन करने से आपको ये फायदे हो सकते हैं-

  • अपच में फायदेमंद- कब्ज की समस्या है या अपच है तो ऊपर बताई गई आयुर्वेदिक दवा का सेवन कर सकते हैं।
  • शरीर को डिटॉक्स करती है- पेट में टॉक्सिक पदार्थों की भरमार बवासीर का कारण बन सकता है। इसबगोल की भूसी या अर्शकल्प वटी का सेवन करने से पेट साफ़ रहता है और सारे टॉक्सिक पदार्थ बाहर निकल जाते हैं। इससे बवासीर या पेट की बीमारियों का खतरा कम रहता है।

पढ़ें- बवासीर में कौन सा फल खाएं

  • आंत के कीड़े मर जाते हैं- बवासीर की यह दवाइयां आंत के स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद हैं। बवासीर के साथ-साथ अगर आंत में कीड़े हैं तो आप इनका सेवन कर सकते हैं।
  • सूजन रोधी गुण- इस दवा में काकामाची जड़ी-बूटी मिली हुई है जिसमें सूजन दूर करने के गुण पाए जाते हैं। यह दर्द से छुटकारा दिलाने में भी सहायक है।

बवासीर की आयुर्वेदिक दवा के साइड इफ़ेक्ट

बवासीर की आयुर्वेदिक दवाइयाँ बिल्कुल सुरक्षित है और दर्द से राहत भी देती है। लेकिन, बवासीर को पूरी तरह से खत्म कर पाने में यह पूरी तरह से सक्षम नहीं है।

पढ़ेंप्रेगनेंसी में बवासीर का इलाज

पाइल्स की जो आयुर्वेदिक दवाएं मौजूद हैं उनमे कई प्रकार की जड़ी-बूटियाँ मिश्रित होती हैं। कुछ लोगों को इन जड़ी-बूटियों की वजह से निम्न साइड इफ़ेक्ट भी हो सकते हैं जैसे:-

  • डायरिया
  • उलटी
  • पेट दर्द

बच्चों में पाइल्स का इलाज के लिए आयुर्वेदिक उपचार  ठीक नहीं है। अगर आपके बच्चे को बवासीर है तो तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं क्योंकि, बच्चे बवासीर के दर्द को सहन नहीं कर सकते हैं।

पढ़ेंबवासीर के घरेलू नुस्खे और इलाज

बवासीर का परमानेंट इलाज क्या है?

आयुर्वेदिक दवाइयां बवासीर के लक्षणों को कम कर सकती हैं और सफल इलाज भी प्रदान करती हैं। लेकिन, दोबारा से पाइल्स होने की संभावना बनी रहती है। अगर आयुर्वेदिक दवा आपके बवासीर का इलाज सही से नहीं कर पा रही है तो आप एडवांस लेजर सर्जरी करा सकते हैं। बवासीर के लिए एडवांस लेजर सर्जरी लगभग आधा घंटा की दर्द रहित प्रक्रिया है। आप सर्जरी के बाद उसी दिन से अपनी सामान्य जिंदगी जी सकते हैं क्योंकि, लेजर सर्जरी में किसी प्रकार का कट या टांका नहीं लगाया जाता है।

बवासीर एक ऐसी बीमारी है जिसका इलाज न किया जाए तो यह गुदा कैंसर के जोखिम बढ़ा देता है। यही वजह है कि शुरुआती लक्षण दिखते ही बवासीर का इलाज कराने की सलाह दी जाती है। बवासीर का इलाज उसकी ग्रेड के आधार पर निर्भर करता है। बवासीर की कुल चार ग्रेड में से पहले और दूसरे ग्रेड के बवासीर का इलाज आयुर्वेदिक तरीके से जबकि बाकी बचे दो ग्रेड का इलाज सर्जिकल तरीके से किया जा सकता है। यदि आप बवासीर का इलाज कराने चाहते हैं तो इस लिंक पर क्लिक करें

डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है| अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें|

Pristyn Care Provides Best Piles Treatment in:
आगराचेन्नईइंदौरलुधियाना
बैंगलोरदिल्लीजयपुरमुंबई
भोपालगुड़गांवकानपुरनागपुर
भुवनेश्वरग्वालियरकोलकातापटना
चंडीगढ़हैदराबादलखनऊपुणे