tonsils holes in hindi

टॉन्सिल गले के पीछे पाया जाने वाला एक ग्रंथि है जो शरीर के लसीका तंत्र का हिस्सा है। यह शरीर के रोग प्रतिरोधक प्रणाली का एक हिस्सा  है। यह एक प्रकार का टिश्यू है जो बाहरी बैक्टीरिया को रोककर इन्फेक्शन के खतरे को कम करता है। 

यह ग्रंथि उन बैक्टीरिया और वायरस को जकड़ लेता है जो गले के मार्ग से शरीर के भीतर जाने का प्रयास करते हैं।

क्या टॉन्सिल में छेद होना आम बात है?

जिसे हम टॉन्सिल का छेद समझते हैं वो वास्तव में छेद नहीं है। यह नैचुरली बना होता है और इसे पॉकेट्स (pockets) या फोल्ड (folds) कहते हैं। इन्हें टॉन्सिलर क्रिप्ट (tonsillar crypts) भी कहा जाता है। जब दो पॉकेट या फोल्ड के किनारे आपस मे मिलते हैं तब टॉन्सिलर क्रिप्ट का निर्माण होता है। एक एडल्ट टॉन्सिल में आमतौर पर 10 से 20 क्रिप्ट मौजूद हो सकते हैं। 

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यह क्रिप्ट नैचुरली तरीके से पाए जाते हैं और इन्फेक्शन से लड़ने में सहायक हैं। यह शरीर में आ रहे बाहरी जीवाणु को रोककर अपने छेद में जकड़ लेते हैं। ये होल शरीर को इन्फेक्शन से दूर रखने के लिए कई सारे कार्य करते हैं।

लेकिन कभी-कभी यह होल (क्रिप्ट) ब्लॉक हो जाते हैं जिसकी वजह से इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है।

टॉन्सिल होल्स में इन्फेक्शन के क्या कारण हैं?- What are Causes of Tonsillitis Holes in Hindi? 

टॉन्सिलाइटिस (tonsillitis)

यह समस्या ज्यादातर बच्चों में देखी जाती है। अगर आप पहले से ही किसी वायरल या बैक्टीरियल इंफेक्शन से जूझ रहे हैं तो आपको टॉन्सिलाइटिस होने का खतरा अधिक है। टॉन्सिलाइटिस में टॉन्सिल्स सूज जाते हैं। टॉन्सिलाइटिस से एक से दो हफ्ते में खुद ही छुटकारा मिल जाता है। लेकिन बार-बार टॉन्सिलाइटिस होता है तो डॉक्टर सर्जरी (टॉन्सिलेक्टॉमी) कराने की सलाह देते हैं।

टॉन्सिलाइटिस के लक्षण इस प्रकार से हैं-

  • भोजन निगलने में कठिनाई
  • टॉन्सिल्स का सूज जाना
  • टॉन्सिलाइटिस होने पर टॉन्सिल्स का रंग लाल हो जाता है
  • टॉन्सिल्स में पीले या सफेद रंग की कोटिंग आ जाना
  • सांस की बदबू
  • सिर या पेट दर्द की समस्या

स्ट्रेप थ्रोट (strep throat)

स्ट्रेप थ्रोट एक ऐसी स्थिति है जिसके होने पर गले में खराश का अनुभव होता है। यह टॉन्सिलाइटिस का ही एक प्रकार है। यह स्ट्रेप्टोकोकस पायोजींस (Streptococcus pyogenes) नाम के बैक्टीरिया के कारण होता है। इसे ग्रूप ए स्ट्रेप्टोकोकस (group A streptococcus) भी कहते हैं।

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यह बैक्टीरिया कम्युनिकेबल है। मतलब यह हवा के माध्यम से फैल सकता है। किसी संक्रमित व्यक्ति के छींकते या खांसते वक्त उसके नजदीक रहने से ड्रॉपलेट्स आप तक पंहुच जाते हैं। बच्चों में स्ट्रेप थ्रोट की समस्या अधिक देखी जाती है। इसका इलाज न किया जाए तो यह साइनस इन्फेक्शन का कारण बन सकता है। इसके कुछ खास लक्षण हैं जो इस प्रकार हैं-

  • गले मे दर्द 
  • गले मे खुजली
  • भोजन निगलते समय दर्द
  • बुखार
  • जी मिचलाना
  • टॉन्सिल्स सूज जाते हैं और मवाद निकलता है
  • पेट या सिर में दर्द
  • मुंह के अंदर लाल धब्बे बनना

स्ट्रेप थ्रोट का लंबे समय से इलाज न करना किडनी और हार्ट के लिए खतरा हो सकता है। आमतौर पर स्ट्रेप थ्रोट की समस्या अपने आप दूर हो जाती है।  बार-बार इससे पीड़ित होते हैं तो डॉक्टर को दिखाएं।

खराब ओरल हाइजीन (Bad oral hygiene)

ओरल हाइजीन मतलब मुंह की स्वच्छता। मुंह में गंदगी कई प्रकार के इन्फेक्शन का कारण बनती हैं। मुंह मे गंदगी की वजह से टॉन्सिलर पॉकेट्स ब्लॉक हो सकते हैं और टॉन्सिलाइटिस की समस्या हो सकती है। दांतों और मुंह को साफ रखना ही एक बेहतर ओरल हाइजीन है। आपका ओरल हाइजीन सही नही है तो निम्नलिखित लक्षण नजर आ सकते हैं जो इस प्रकार हैं:-

  • बदबूदार सांस
  • कैविटी (दांत खराब हो जाते हैं)
  • दांतों में प्लाक (plaque) बनना- एक चिपचिपा बैक्टीरियल पदार्थ जो दांतो के ऊपर जम जाता है।
  • जीभ में सफेद रंग की परत बनना

मोनोन्यूक्लिओसिस (Mononucleosis)

मोनोन्यूक्लिओसिस  एक प्रकार का वायरल इन्फेक्शन है जो एप्सटीन बर्र वायरस (Epstein-Barr virus- EBV) के कारण होता है। इसे किसिंग डिजीज भी कहा जाता है। यह संक्रमित व्यक्ति के सलाइवा के संपर्क में आने से होता है। जरूरी नहीं है कि यह रोग केवल चुम्बन के जरिये ही फैले, बल्कि संक्रमित व्यक्ति के कपड़े, बर्तन आदि इस्तेमाल में लाने से भी यह बीमारी हो सकती है। यह बीमारी जवान पुरुष या महिला में अधिक देखी जाती है। इसका इन्फेक्शन कुछ दिनों बाद अपने आप ठीक हो जाता है। हालांकि, कुछ नाजुक स्थितियों में यह संक्रमण लिवर के लिए खतरा बन सकता है। मोनोन्यूक्लिओसिस  के वजह से भी टॉन्सिलर क्रिप्ट ब्लॉक हो सकते हैं। इस संक्रमण के होने पर नीचे दिए गए लक्षण नजर आ सकते हैं-

  • गले मे खराश
  • गले मे दर्द
  • बुखार
  • सिर दर्द
  • थकान
  • टॉन्सिल में सूजन और मवाद का बनना
  • शरीर मे दर्द
  • कुछ दुर्लभ मामलों में लिवर रोग हो जाता है

टॉन्सिल स्टोन (Tonsilloliths)

जब डेड सेल, बैक्टीरिया या खाद्य पदार्थ के कण टॉन्सिल होल में जाकर सख्त हो जाते हैं तो इन्हें टॉन्सिल स्टोन (Tonsil stone) कहा जाता है। इन पत्थरों का आकार बढ़ सकता है जिसके कारण छेद और गहरा हो जाता है। टॉन्सिल स्टोन के निम्न लक्षण नजर आ सकते हैं-

  • गले में खराश
  • खराब सांस
  • निगलने में कठिनाई
  • खाँसी

धूम्रपान (Smoking)

धूम्रपान सीधा हमारे प्रतोरोधक क्षमता पर प्रभाव डालता है। बहुत अधिक धूम्रपान करने से टॉन्सिल होल्स बड़े हो सकते हैं। नतीजन संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।

टॉन्सिल कैंसर या मुंह का कैंसर

मुंह का कैंसर या टॉन्सिल कैंसर होने पर भी टॉन्सिल्स के होल्स में सूजन एवं संक्रमण को देखा जा सकता है। इसके लक्षण इस प्रकार से हैं-

  • लार में खून आना
  • गले मे खराश
  • मुंह मे दर्द
  • गले मे दर्द
  • निगलने में कठिनाई
  • टॉन्सिल्स के आकार में बढ़ोतरी

टॉन्सिल के छेद में संक्रमण का घरेलू इलाज – Tonsil Holes Infection Home remedies in Hindi

यदि लक्षण सामान्य हैं और इन्फेक्शन की शुरुआत है तो आप निम्नलिखित घरेलू उपचार आजमा सकते हैं-

  • नमक और गुनगुने पानी के मिश्रण से गरारा करें।
  • धूम्रपान न करें।
  •  मुंह में इन्फेक्शन है तो माउथवाश (Mouthwash) से कुल्ला करें।
  • दांतों को साफ रखें और ओरल हाइजीन पर ध्यान दें।

कई बार यह इन्फेक्शन किसी गंभीर परिस्थिति का संकेत हो सकता है, इसलिए यदि उपरोक्त घरेलू नुस्खे के उपयोग के पश्चात कोई लाभ दिखाई नहीं देता है तो एक अच्छे ईएनटी विशेषज्ञ से अपने गले एवं टॉन्सिल्स की जांच कराएं।

 डॉक्टर आपको एन्टी बैक्टीरिया दवा दे सकते हैं जो इन्फेक्शन से लड़ने में मददगार होगी। इसके अलावा स्वच्छता पर विशेष ध्यान रखें। टॉन्सिल इन्फेक्शन है तो अधिक से अधिक समय घर पर ही बिताएं। आराम करें और भरपूर पानी पिएं।

डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है| अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें|