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भारत में आईवीएफ के लिए सर्वश्रेष्ठ डॉक्टर

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      Dr. Anagha Nawal (NDCfqDlnsY)

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      Dr. Darshna Amol Wahane (wjj8mecBES)

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      Dr. Vaishali Vinod Giri (GoGWoOlNqN)

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    आईवीएफ क्या है?

    इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) को आम बोलचाल की भाषा में आईवीएफ कहते हैं। आईवीएफ को हिंदी में भ्रूण प्रत्यारोपण कहा जाता है। आईवीएफ एक प्रजजन उपचार यानी फर्टिलिटी ट्रीटमेंट  है। यह बांझपन से पीड़ित महिला और पुरुष दोनों के लिए एक वरदान है।आईवीएफ के दौरान, स्त्री के अंडे और पुरुष के स्पर्म को लैब में फर्टिलाइज करके भ्रूण का निर्माण किया जाता है। भ्रूण तैयार करने के बाद, उसे महिला के गर्भाशय में रख दिया जाता है। 

    दुनिया भर में हर वर्ष आईवीएफ के जरिए लगभग 80 लाख शिशु जन्म लेते हैं और वहीं भारत एक वर्ष में 2 से 2.5 लाख लोग आईवीएफ फर्टिलिटी ट्रीटमेंट की मदद से माता-पिता बनने का सपना साकार होता है| आईवीएफ इलाज से जन्मे शिशु को टेस्ट ट्यूब बेबी कहते हैं।

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    प्रिस्टीन केयर - आईवीएफ की उच्च सफलता दर के साथ भारत का सबसे भरोसेमंद फर्टिलिटी ट्रीटमेंट सेंटर

    प्रिस्टीन केयरव्यापक रूप से विश्वसनीय है और भारत में टेस्ट-ट्यूब शिशुओं (Test Tube Baby) के आईवीएफ ट्रीटमेंट के लिए सबसे भरोसेमंद सेंटर है। प्रिस्टीन केयर में कस्टमाइज्ड फर्टिलिटी ट्रीटमेंट ने फर्टिलिटी की समस्या से जूझ रहे सैकड़ों दम्पतियों की मदद की है। प्रिस्टीन केयरमें, यहाँ किफ़ायती दर पर सबसे अच्छा और विश्व स्तरीय आईवीएफ ट्रीटमेंट प्रदान करते हैं। हमारा प्रत्येक प्रजनन उपचार केंद्र (fertility treatment center) विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचे से व्यवस्थित किया गया है| ताकि एक दंपति को गर्भधारण करने के लिए स्वाभाविक रूप से सबसे अनुकूल परिणाम  प्राप्त करने में मदद मिल सके| इसके अलावा,  हम आईवीएफ ट्रीटमेंट के दौरान  प्रत्येक चरण में अत्यधिक पारदर्शिता बनाए रखते हैं।

    प्रिस्टीन केयरको भारत में सबसे बेहतरीन आईवीएफ ट्रीटमेंट सेंटर होने पर गर्व है। हमारे प्रत्येक फर्टिलिटी डॉक्टरों की टीम पुरुष बांझपन, महिला बांझपन, अस्पष्टीकृत बांझपन, कम डिम्बग्रंथि रिजर्व, आदि के मामलों के लिए सफल आईवीएफ ट्रीटमेंट करने में वर्षों का अनुभव रखते  हैं।

    प्रिस्टीन केयरआईवीएफ ट्रीटमेंट टीम उन सभी रोगियों को एक अद्भुत अनुभव प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है जो एक आशा और विश्वास के साथ हमसे संपर्क करते हैं। हमारा उपचार आपको अभिभावक बनने की सुंदर यात्रा शुरू करने में मदद करने के लिए तैयार किए गए हैं। हमारे पास अनुभवी डॉक्टरों की टीम है और हमारे हेल्थ कोऑर्डिनेटर की  टीम को भावनात्मक समर्थन प्रदान करने के लिए भी प्रशिक्षित किया जाता है ताकि प्रत्येक दंपति(पति-पत्नी) को तनाव मुक्त और परेशानी मुक्त अनुभव प्राप्त हो।

    आईवीएफ से पहले पुरुष की जांच

    पुरुषों में, आईवीएफ डॉक्टर उनके समग्र स्वास्थ्य की सामान्य शारीरिक जांच करेगा और फिर जननांगों की जांच करेगा। आईवीएफ से पहले पुरुषों के मामले में विशिष्ट परीक्षणों में शामिल हो सकते हैं:

    वीर्य विश्लेषण (Semen analysis) वीर्य को आमतौर पर प्रयोगशाला में हस्तमैथुन करके एक साफ कंटेनर में एकत्र किया जाता है। वीर्य के नमूने को विश्लेषण के लिए लैब में भेजा जाता है।

    हार्मोन परीक्षण (Hormone testing)- एक आदमी को रक्त परीक्षण के लिए भी कहा जा सकता है जिसके माध्यम से डॉक्टर उसके शरीर में टेस्टोस्टेरोन और अन्य पुरुष हार्मोन के स्तर का मूल्यांकन कर सकता है।

    इमेजिंग परीक्षण (Imaging tests) – कुछ मामलों में, पुरुष को किसी असामान्यता की उपस्थिति की पुष्टि करने के लिए अपने जननांगों के अल्ट्रासाउंड या एमआरआई जैसे इमेजिंग परीक्षणों से गुजरने का सुझाव दिया जाता है।

    वासोग्राफी (Vasography) – यह इमेजिंग टेस्ट वास डिफेरेंस में किसी क्षति या रुकावट की जांच के लिए किया जाता है, जो पुरुषों में एक लंबी ट्यूब होती है जो पेल्विक कैविटी को एपिडीडिमिस से जोड़ती है। वास डिफेरेंस परिपक्व शुक्राणु को मूत्रमार्ग में ले जाने के लिए जिम्मेदार होते हैं।

    वृषण बायोप्सी (Testicular biopsy) – पुरुष प्रजनन प्रणाली में किसी भी असामान्यता की पहचान करने के लिए एक वृषण बायोप्सी की सिफारिश की जाती है जो बांझपन में योगदान कर सकती है।

    आनुवंशिक परीक्षण (Genetic testing ) – यह परीक्षण निर्धारित करता है कि क्या एक आनुवंशिक दोष पुरुष में बांझपन से संबंधित समस्याओं में योगदान कर सकता है।

    आईवीएफ (IVF) से पहले महिला की जांच

    पुरुषों की तरह, महिलाओं को भी विभिन्न परीक्षणों से गुजरना पड़ता है, जो आईवीएफ विशेषज्ञ को यह निर्धारित करने में मदद कर सकता है कि आईवीएफ या अन्य सहायक प्रजनन तकनीक जोड़े के लिए सबसे अच्छा कैसे काम कर सकती है। आईवीएफ से पहले महिलाओं के लिए आमतौर पर अनुशंसित परीक्षण हैं:

    ओव्यूलेशन परीक्षण (Ovulation testing) यह एक रक्त परीक्षण के माध्यम से किया जाता है जो यह निर्धारित करने में मदद कर सकता है कि आप ओवुलेट कर रहे हैं या नहीं।

    ओवेरियन रिजर्व के लिए परीक्षण (Test for ovarian reserve) यह परीक्षण ओवुलेशन के लिए आपके अंडाशय में उपलब्ध अंडों की संख्या निर्धारित करने में डॉक्टर की मदद कर सकता है। आपके डिम्बग्रंथि रिजर्व का मूल्यांकन करने के लिए, आईवीएफ विशेषज्ञ को आपके मासिक धर्म की शुरुआत में आपके हार्मोन का परीक्षण करने की आवश्यकता हो सकती है।

    इमेजिंग परीक्षण (Imaging tests) अक्सर, अंडाशय और गर्भाशय से जुड़ी समस्याएं उन समस्याओं में योगदान कर सकती हैं जिनके लिए एक जोड़ा गर्भ धारण करने में विफल रहता है। इसलिए, पैल्विक अल्ट्रासाउंड जैसे इमेजिंग परीक्षणों की सिफारिश ज्यादातर यह पहचानने के लिए की जाती है कि क्या महिलाओं के गर्भाशय या अंडाशय में कोई असामान्यता है।

    हिस्टेरोस्कोपी (Hysteroscopy) – कुछ मामलों में, स्त्री रोग विशेषज्ञ या बांझपन विशेषज्ञ को भी आपको हिस्टेरोस्कोपी से गुजरना पड़ सकता है। हिस्टेरोस्कोपी में, डॉक्टर महिला के गर्भाशय ग्रीवा के माध्यम से एक लचीला, पतला, हल्का चिकित्सा उपकरण डालेगा ताकि उसके गर्भाशय के अंदर देखा जा सके और जांच की जा सके कि कोई असामान्यता मौजूद है या नहीं।

    आईवीएफ ट्रीटमेंट की प्रक्रिया को चरणबद्ध तरीके से समझें

    आईवीएफ ट्रीटमेंट एक लंबी प्रक्रिया है जिसे पूरा होने में लगभग 6-8 सप्ताह का समय लगता है। हम आपको नीचे आईवीएफ की प्रक्रिया (During IVF) के बारे में शुरू से लेकर अंत तक बताया गया हैं:- 

    डॉक्टर के साथ परामर्श (Consultation With Doctor For IVF Treatment)

    प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करने की कोशिश फेल होने के बाद जब आप प्रजनन विशेषज्ञ यानी फर्टिलिटी डॉक्टर से मिलते हैं तो डॉक्टर आपकी मेडिकल हिस्ट्री के बारे में जानते हैं, आपके लक्षणों से संबंधित कुछ प्रश्न पूछते हैं और फिर विशिष्ट परीक्षण करने का सुझाव देते हैं।

    परीक्षण के बाद, आवश्यकता अनुसार डॉक्टर आईवीएफ ट्रीटमेंट की सलाह देते हैं। यहाँ से आईवीएफ ट्रीटमेंट की प्रक्रिया (fertilization process) शुरू होती है। 

    ओवेरियन स्टिमुलेशन (Ovarian Stimulation For IVF Treatment)

    आमतौर पर हर महीना एक महिला के अंडाशय से एक अंडा उत्पन्न होता है। हालांकि, आईवीएफ ट्रीटमेंट के लिए एक से अधिक अंडे की आवश्यकता होती है, क्योंकि इससे आईवीएफ सफल होने की संभावना बढ़ती है।

    अंडाशय में अंडे की संख्या बढ़ाने के लिए डॉक्टर महिला को कुछ हार्मोनल दवाइयां और इंजेक्शन देते हैं। ये दवाइयां और इंजेक्शन महिला के गर्भाशय को उत्तेजित करती हैं जिससे गर्भाशय में अंडों की संख्या बढ़ती है।

    अंडाशय को उत्तेजित करने के लिए डॉक्टर महिला को 4-6 या 6-12 दिनों तक हार्मोनल दवाएं और इंजेक्शन देते हैं। यह समय महिला की उम्र और ओवरऑल स्वास्थ्य पर निर्भर करता है।

    ट्रिगर इंजेक्शन (Trigger Injection For IVF Treatment)

    यह इंजेक्शन अंडों को मैच्योर बनाता है। इस प्रक्रिया के 33-36 घंटों के बाद डॉक्टर एग रिट्रीवल यानी अंडाशय से अंडे निकालने की प्रक्रिया को शुरू करते हैं।

    अंडे निकालना (Egg Retrieval For IVF Treatment)

    इस प्रक्रिया के दौरान डॉक्टर महिला के अंडाशय से मैच्योर एग को निकालते हैं। इसे पूरा होने में लगभग 20-30 मिनट का समय लगता है। इस प्रक्रिया के दौरान लगभग 8-16 अंडो को निकाला जाता है।

    स्पर्म लेना (Sperm Selection For IVF Treatment)

    अंडे निकालने के बाद, उसी दिन डॉक्टर पुरुष साथी से स्पर्म भी कलेक्ट करते हैं। हर आईवीएफ सेंटर में एक समर्पित कमरा होता है जहां पुरुष हस्तमैथुन करके अपने स्पर्म को एक छोटे से डब्बे में डालकर क्लिनिक में जमा करते हैं।

    दाता स्पर्म या फ्रोजेन स्पर्म की स्थिति में डॉक्टर पहले से ही लैब में स्पर्म को तैयार कर लेते हैं। स्पर्म लेने के बाद, डॉक्टर उसे वाश करके उसका शुद्धिकरण करते हैं।

    फर्टिलाइजेशन (Fertilization For IVF Treatment)

    अंडा लेने और स्पर्म का शुद्धिकरण करने के बाद, डॉक्टर एक इनक्यूबेटर (अंडे सेने वाली मशीन) में अंडा और स्पर्म को फर्टिलाइजेशन के लिए रखते हैं।

    भ्रूण का विकास (Embryo Development For IVF Treatment)

    फर्टिलाइजेशन के बाद अंडा एक भ्रूण में विकसित होता है। उसके बाद, डॉक्टर उस भ्रूण को एक अलग इन्क्यूबेटर में रखकर 5-6 दिनों तक उसके विकास को मॉनिटर करते हैं।

    भ्रूण स्थानांतरण (Embryo Implantation During IVF Treatment)

    इस प्रक्रिया के दौरान, डॉक्टर विकसित भ्रूण को इन्क्यूबेटर से बाहर निकालकर यूटेराइन वॉल पर इम्प्लांट करते हैं। यह एक छोटी प्रक्रिया है जिसे पूरा होने में अधिक से अधिक 15-20 मिनट का समय लगता है। एम्ब्र्यो ट्रांसफर (Embryo transfer in Hindi) करने के कुछ घंटों के बाद महिला अपने घर जा सकती है।

    गर्भावस्था की जांच (Pregnancy Test After IVF Treatment)

    आईवीएफ ट्रीटमेंट के 2 सप्ताह बाद, डॉक्टर महिला को क्लिनिक बुलाकर खून की जांच करते हैं। इस जांच के दौरान खून में एचसीजी (HCG) की मौजूदगी की पुष्टि की जाती है।

    आईवीएफ गर्भधारण (IVF pregnancy) सफल होने पर जांच का रिजल्ट पॉजिटिव आता है और खून में एचसीजी की मौजूदगी पाई जाती है। आईवीएफ ट्रीटमेंट के बाद गर्भधारण होने पर डॉक्टर मरीज को प्रेगनेंसी टिप्स देते हैं।

    आईवीएफ के लिए खुद को कैसे तैयार करें?

    आईवीएफ ट्रीटमेंट के लिए खुद को तैयार करने से पहले आपको कुछ बातों का खास ध्यान रखना चाहिए। क्योंकि इससे आईवीएफ के सफल होने की संभावना अधिक से अधिक और जटिलताओं या साइड इफेक्ट्स का खतरा कम से कम होता है।

    • स्वस्थ आहार लें|
    • तनाव से दूर रहें।
    • वजन को संतुलित रखें|
    • रोजाना समय पर सोएं और जगें|
    • रोजाना सुबह हल्का व्यायाम करें|
    • सिगरेट, शराब या दूसरी नशीली चीजों से दूर रहें|
    • सबसे पहले अपने आप को मानसिक रूप से तैयार करें।

    आईवीएफ ट्रीटमेंट की सिफारिश कब की जाती है?

    अगर आप निःसन्तान हैं तो आप अपने डॉक्टर से विचार विमर्श करके, किसी भी फर्टिलिटी इलाज को चुन सकते हैं। यदि  डॉक्टर आपको IVF कराने की सलाह देता है तो उसके लिए निम्न कारण हो सकते हैं:

    • स्पर्म कम होने की स्थति में
    • एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित महिलाएं
    • PCOD जैसी स्थितियों के कारण ओव्यूलेशन में समस्या
    • फैलोपियन ट्यूब में समस्याएं
    • यदि दम्पति में से किसी ने नसबंदी कराई है
    • अन्य फर्टिलिटी इलाजों के असफल हो जाने पर
    • जिन महिलाओं ने अपनी प्रजनन आयु पार कर ली है, जहां स्वाभाविक रूप से गर्भधारण करना कठिन हो जाता है।

    आईवीएफ के जोखिम क्या हैं?

    आईवीएफ एक सुरक्षित प्रजनन तकनीक है, और जब एक विशेषज्ञ प्रजनन विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में किया जाता है, तो प्रक्रिया में शामिल जटिलताओं की संभावना बहुत कम होती है। हालाँकि, पूरी प्रक्रिया के दौरान, उपचार के विभिन्न चरणों में कुछ जटिलताएँ शामिल हो सकती हैं, जैसे:

    चोट लगना – ओवेरियन उत्तेजना के दौरान इंजेक्शन वाली जगह पर हल्की चोट लगना और दर्द होना आईवीएफ से जुड़ी एक सामान्य जटिलता है।

    दवाइयाँ सूट न होना – आईवीएफ की शुरुआत में, रोगी को कई हफ्तों तक दवाओं की उच्च खुराक दी जाती है। इससे कई महिलाओं में मतली और उल्टी हो सकती है।

    एलर्जी – कई महिलाओं को इंजेक्शन वाली जगह पर और उसके आसपास एलर्जी, खुजली और लालिमा की शिकायत होती है।

    हार्मोनल असंतुलन की प्रतिक्रिया – दवाओं के कारण, महिला स्तन कोमलता, योनि स्राव और असामान्य मिजाज से पीड़ित हो सकती है।

    ओवेरियन हाइपरस्टिम्यूलेशन सिंड्रोम (ओएचएस) – ओएचएस अतिरिक्त हार्मोन के लिए एक असामान्य प्रतिक्रिया है। यह स्थिति हार्मोनल दवाओं की प्रतिक्रिया के रूप में होती है जो अंडाशय में अंडे के विकास को उत्तेजित करती है। इस स्थिति में अंडाशय में दर्द होने लगता है और उनमें सूजन आने लगती है। दुर्लभ परिस्थितियों में, ओएचएस गुर्दे की विफलता और अंडाशय में रक्त के थक्के का कारण बन सकता है।

    एक से अधिक भ्रूण का जन्म – आईवीएफ के मामले में, कई भ्रूणों के गर्भाशय में स्थानांतरित होने का जोखिम होता है। कई भ्रूणों के स्थानांतरण से प्रारंभिक श्रम का खतरा बढ़ जाता है।

    गर्भपात – आईवीएफ के मामले में गर्भपात की दर सामान्य गर्भधारण की तुलना में काफी अधिक है।

    आईवीआई की सफलता गाथा ( Case Study)

    “अब हमारा बेटा, आरव, एक साल का हो गया है और हम बहुत खुश हैं|”

    अंजलि ( बदला हुआ नाम  37 वर्षीय) और सुरेश कुमार(बदलाव हुआ नाम 38 वर्षीय) के लिए आईवीएफ उनकी आखिरी उम्मीद बन गए थी। तीन बार IUI करवाने के बाद, उनको प्रिस्टीन केयर के डॉक्टर ने IVF का सुझाव दिया।

    “हमने तो उम्मीद छोड़ दी थी, फिर प्रिस्टीन केयर के डॉक्टर ने IVF का सुझाव दिया,” अंजलि याद करते हुए बताती हैं|

    “हम दोनों को आशा नहीं थी लेकिन IVF ट्रेटमेंट हमारे लिए एक चमत्कार साबित हुआ।”

    सुरेश कहता, “जब हमें पता चला की रेखा ने IVF से गर्भधारण कर लिया है, हमारी खुशी का ठिकाना नहीं था।”

    अंजलि बताती हैं, “ प्रिस्टीन केयर की क्लीनिक में हमारा आईवीएफ ट्रीटमेंट हुआ, उसके अलावा हमने अपनी प्रेगनेंसी और डिलीवरी के लिए भी यहाँ के डॉक्टर्स से परामर्श लिया। एक पूरी टीम थी हमारे साथ, हमारी प्रेगनेंसी से पहले भी और बाद में भी – जिससे हम दोनों को बहुत आत्मविश्वास और संतुष्टि मिली।”

    दंपति कहते हैं कि “प्रिस्टीन केयरमें आईवीएफ फर्टिलिटी ट्रीटमेंट हमारे लिए एक बड़ी राहत थी। डॉक्टर ने हमें किसी प्रकार का झूठा आश्वासन नहीं दिया,  उन्होने केवल अपने सर्वश्रेष्ठ पेशेवर अनुभव के साथ हमारा मार्गदर्शन किया। इसके साथ ही हमारे अंदर आशा की किरण जगाई। और चीजें इतनी आश्चर्यजनक रूप से एक वास्तविकता में बदल गईं, जिसकी हमने कभी उम्मीद भी नहीं की थी। हमारे वैवाहिक जीवन को एक नया अर्थ मिला है। इसकी हमें बहुत खुशी है इसके लिए हम हमेशा प्रिस्टीन केयर के आभारी रहेंगे”…………

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    सबसे अधिक पूछे जाने वाले सवाल (FAQ’S)

    आईवीएफ फेल क्यों होता है?

    पहला सवाल जो दिमाग में आता है – आईवीएफ असफल क्यों होता है ? भ्रूण की गुणवत्ता में कमी – आईवीएफ साइकिल असफल होने का सामान्य कारण भ्रूण की गुणवत्ता में खराबी है। कई भ्रूण गर्भाशय में स्थानांतरण के बाद प्रत्यारोपित होने में सक्षम नहीं होते हैं क्योंकि उन भ्रूणों में आगे विकसित होने की क्षमता नहीं होती है।

    प्रेगनेंसी में आईवीएफ का मतलब क्या होता है?

    इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) प्रक्रियाओं की एक जटिल श्रृंखला है जिसका उपयोग प्रजनन क्षमता में मदद करने या आनुवंशिक समस्याओं को रोकने और बच्चे के गर्भाधान में सहायता के लिए किया जाता है। आईवीएफ के दौरान, अंडाशय से परिपक्व अंडे एकत्र (पुनर्प्राप्त) किए जाते हैं और एक प्रयोगशाला में शुक्राणु द्वारा निषेचित किए जाते हैं।

    आईवीएफ के लिए सबसे अच्छी उम्र क्या है?

    आईवीएफ महिलाओं के लिए उनके 20 और 30 के दशक की शुरुआत में सबसे सफल है। उसके 30 के दशक के मध्य तक पहुँचने के बाद सफलता दर लगातार कम होने लगती है।

    महिला कितनी उम्र तक मां बन सकती है?

    क्योंकि इस उम्र में स्पर्म सबसे ज्यादा फ्रेश और मैच्योर होता है. मां बनने के लिए अब उम्र की कोई सीमा नहीं रही| तकनीक और लाइफ स्टाइल में आए बदलावों ने अब कुछ देर से मां बनने के सपने को भी साकार करना शुरू कर दिया है, यही वजह है कि 34-36 साल की उम्र में भी महिलाएं अब स्वस्थ बच्चे को जन्म दे रही हैं|

    टेस्ट ट्यूब बेबी और आईवीएफ में क्या अंतर होता है?

    आईवीएफ में शरीर के बाहर वीर्य के जरिए डिंब का गर्भाधान होता है. इसके बाद भ्रूण को गर्भाश्य में डाला जाता है| क्योंकि यह शरीर के बाहर होता है इसलिए इसे ‘टेस्ट ट्यूब बेबी‘ के नाम से भी जाना जाता है| आईवीएफ का सहारा ज्यादातर 35 साल से अधिक उम्र की महिलाएं लेती हैं, क्योंकि वे कुदरती तरीके से गर्भ धारण नहीं कर पातीं|

    IVF प्रेगनेंसी के लक्षण कितने दिन में दिखते है?

    आईवीएफ ट्रीटमेंट के बाद इंप्‍लांट के लगभग दो हफ्ते बाद भी महिलाओं को अक्‍सर ब्‍ल‍ीडिंग या स्‍पॉटिंग होती है। इसके अलावा हार्मोंस में उतार-चढ़ाव की वजह से प्रेग्‍नेंसी में सिरदर्द होना भी आम बात है। अगर आपको आईवीएफ के दो सप्‍ताह के बाद सिरदर्द की शिकायत होने लगी है, तो यह प्रेग्‍नेंसी का शुरुआती लक्षण हो सकता है।

    क्या आईवीएफ का पहली बार फेल होना आम बात है?

    आईवीएफ की सफलता दर कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे उम्र और बांझपन के कारण। कुल मिलाकर, अधिकांश इच्छित माता-पिता के लिए पहली बार आईवीएफ सफलता दर अक्सर 25-30% के बीच गिरती है । हालांकि, कई आईवीएफ चक्रों के बाद यह संभावना बढ़ जाती है।

    क्या आईवीएफ पहली बार काम करता है?

    35 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं के लिए पहली कोशिश में इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) द्वारा गर्भवती होने में सक्षम होने का राष्ट्रीय औसत (अर्थात, पहला अंडा पुनर्प्राप्ति) 55% है।

    आईवीएफ कैसे किया जाता है?

    आईवीएफ (In vitro fertilization) के अंतर्गत महिला के 10 से 15 अंडे बनाए जाते हैं और फिर उसे बाहर निकालकर पुरुष के वीर्य के साथ मिलाकर उनका फर्टिलाइजेशन किया जाता है| जिसके बाद एक सही समय पर उसे महिला के यूटरस में ट्रांसफर कर दिया जाता है|

    आईवीएफ में खर्च कितना होता है?

    भारत में सामान्यतः आईवीएफ खर्च में  65,000 से 95,000 रुपए तक लागत आती है जबकि अफोर्डेबल आईवीएफ तकनीक से प्रजनन की कीमत 40,000 रुपए तक होती है। आमतौर पर सामान्य आईवीएफ में 10 से 12 अंडों का निर्माण किया जाता है जबकि अफोर्डेबल आईवीएफ में तीन से चार अंडों का निर्माण करते हैं।

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