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वैरिकोज वेन्स (Varicose Veins in Hindi) क्या है? कारण, लक्षण और इलाज
मोहन की नसों का रंग अचानक से गाढ़े नीले रंग में बदलने लगा। मोहन कहते हैं, “मेरे पैरों की नसें अचानक से कड़ी होने लगी और धीरे-धीरे इनके रंग में बदलाव आने लगा। यह बदलाव बहुत भयानक लग रहा था। तभी मैंने किसी अच्छे वस्कुलर डिजीज (Vascular disease) के एक्सपर्ट से इसकी जांच कराने का निर्णय लिया और मैं ‘Pristyn Care’ के वरिष्ठ डॉक्टर, सुनील से मिला”
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डॉक्टर सुनील ने मोहन की परिस्थिति देखकर तुरंत ही वैरिकोज वेंस का जांच किया और लेजर के जरिये उसका इलाज करवाने की सलाह दी।
इसके बाद मोहन ने डॉक्टर से वैरिकोज वेंस के बारे में कई प्रश्न किये। जैसे- वैरिकोज वेंस क्या है? इसके लक्षण क्या है? इसकी जांच कैसे की जाती है। आइये इसी तरह के कई प्रश्नों के उत्तर जानते हैं।
Table of Contents
वेरीकोज वेंस क्या है? – what are varicose veins
डॉक्टर सुनील बताते हैं, “वैरिकोज वेंस (Varicose veins) की समस्या होने पर नसें एक ही जगह इकट्ठा होकर त्वचा के बाहर से साफ झलकती हैं। वैरिकोज वेन्स मतलब नसों का बढ़ जाना। यह समस्या आपके शरीर के किसी भी नस के साथ हो सकती है। ज्यादातर ‘वैरिकोज वेन्स’ पैरों की नसों में ही होता है। क्योंकि ज्यादा देर तक पैर के पंजों के बल खड़े रहने के कारण नीचे की नसों में दबाव पड़ता है।
वैरिकोज वेन्स त्वचा के बाहर से नीले रंग की नजर आती हैं। अधिक दबाव पड़ने के कारण पैर की नसें सूज जाती हैं।
कुछ लोग वैरिकोज वेन्स और स्पाइडर वेन्स (Spider veins) को सामान्य समझते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है, कभी-कभी स्पाइडर वेन्स अधिक दर्दनाक हो सकती हैं। स्पाइडर वेंस वैरिकोज वेन्स की तरह सूजी हुई नसें हैं। सूजी और मुड़ी हुई नसों को स्पाइडर वेन्स कहा जाता है।
यह शरीर में रक्त संचार से संबंधित अन्य परेशानियां खड़ी कर सकती हैं। इलाज के दौरान इस तरह की नसों को डॉक्टर काट देते हैं या फिर बंद कर देते हैं। वैरिकोज वेन्स से छुटकारा पाने के लिए आप खुद से भी उपचार कर सकते हैं।”
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वैरिकोज वेन्स कितने प्रकार की होती हैं (Types of varicose veins in Hindi)
डॉक्टर सुनील बताते हैं कि वैरिकोज वेन्स 4 प्रकार की हो सकती हैं जो इस प्रकार हैं:
1. मध्यम प्रकार (Medium type)
मध्यम प्रकार की वैरिकोज वेन्स को आम माना जाता है। त्वचा को देखने पर यह नीले रंग की दिखाई पड़ती है। ये नसें दिखने में खूबसूरत होती हैं लेकिन इनका इलाज नहीं किया गया तो गंभीर परिणाम भुगतना पड़ सकता है। इस प्रकार की नसों में रक्त संचार नहीं होता है। रक्त दिल में न जाकर वेन्स (Veins) में इकट्ठा होने लगता है। इससे हार्ट डिजीज (Heart disease) हो सकती है।
2. गंभीर प्रकार (complicated veins)
वैरिकोज वेन्स (Varicose veins) की समस्या जब जटिल हो जाती है तब इसे गंभीर प्रकार की कैटेगरी में रखा जाता है। यह तब होता है जब हम मध्यम प्रकार की वैरिकोज वेंस के लक्षणों को लगातार नजरंदाज करते हैं और इन्हें बिना इलाज के छोड़ देते हैं।
3. स्पाइडर वेंस (spider veins)
स्पाइडर वेंस केवल कॉस्मेटिक (Cosmetic) समस्या है। इसमें नसें मकड़ी के जाले की तरह दिखाई देती हैं। नसें पेड़ की शाखाओं का भी आकार ले सकती हैं। यह कोई बड़ी समस्या नहीं है, इसका इलाज आसानी से किया जा सकता है।
4.प्रेग्नेंसी से रिलेटेड वैरिकोज वेन्स (pregnancy related varicose veins)
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के शरीर में खून का निर्माण अधिक मात्रा में होने लगता है। इससे नसों में दबाव हो सकता है। परिणाम स्वरूप पैरों या पेल्विक क्षेत्र (Pelvic area) के आस-पास वैरिकोज वेन्स की समस्या हो जाती है।
वैरिकोज वेंस के कारण (Causes of varicose veins in Hindi)
लिंग (gender)
वैरिकोज वेंस का एक कारण महिला होना भी हो सकता है। महिलाओं में यह समस्या अधिक देखने को मिलती है। गर्भावस्था के दौरान सिर्फ रक्त संचार बढ़ने से ही नहीं बल्कि हार्मोनल बदलाव के कारण भी वैरिकोज वेंस की समस्या हो सकती है। मेनोपॉज के दौरान यह समस्या अधिक देखने को मिलती है। मासिक धर्म के दौरान होने वाले हार्मोनल बदलाव की वजह से वेन्स की दीवारें ढ़ीली हो जाती हैं। इसके अलावा हॉरमोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (Hormone replacement therapy) या प्रेगनेंसी रोकने वाली दवाओं का सेवन भी वैरिकोज वेंस की समस्या को बढ़ाता है।
मोटापा (Obesity)
वजन अधिक है तो वैरिकोज वेन्स का खतरा ज्यादा रहता है। अधिक वजन से शरीर की नसों में दबाव उत्पन्न होता है।
उम्र (Age)
जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, वैसे-वैसे वैरिकोज वेन्स का खतरा भी बढ़ने लगता है। उम्र बढ़ने के साथ नसें कमजोर होने लगती हैं और लचीलापन खो जाता हैं। इससे नस के वाल्व (Valve) भी खराब हो जाते है। इस वजह से खून उल्टी दिशा में बहने लग जाता है और हार्ट में ना जाकर नसों में इकट्ठा होता है जिससे वैरिकोज वेंस की समस्या होती है।
गर्भावस्था (pregnancy)
‘गर्भावस्था’ भी वैरिकोज वेन्स का खतरा बढ़ा देता है। इस दौरान खून ज्यादा बनने लगता है लेकिन पैर से ऊपर की ओर रक्त संचार कम हो जाता है। गर्भाशय में पल रहे भ्रूण के विकास के लिए यह संचार लाभदायक होता है लेकिन इससे वैरिकोज वेन्स का खतरा भी रहता है।
आनुवंशिकता (genetics)
अगर आपके परिवार में कोई वैरिकोज वेन्स से पीड़ित था तो यह समस्या आप में भी हो सकती है। यह बीमारी आनुवंशिक है।
शरीर की स्थिति (Body position)
वैरिकोज वेंस की समस्या इस बात पर भी निर्भर करती है कि आपका शरीर ज्यादा से ज्यादा समय किस स्थिति में रहता है। लंबे समय तक एक ही पोजीशन में खड़े रहने या बैठे रहने से रक्त प्रवाह में असहजता होती है और फिर वैरिकोज वेंस का सिलसिला शुरू हो जाता है।
वैरिकोज वेन्स के लक्षण (Symptoms of varicose veins in Hindi)
वैरिकोज वेंस होने पर नीचे बताए गए लक्षण नजर आते हैं:
- जिस जगह यह समस्या होती है, वहां की नस में उभार आता है जो बाहर से दिखाई देता है। जिसके बाद रंग बैंगनी या फिर नीला हो जाता है।
- तलवे में दर्द होता है। पूरे पैर में भारीपन महसूस हो सकता है।
- काफी देर तक बैठने या उठने के बाद बैठने से दर्द होना।
- टखनों में त्वचा का अल्सर हो सकता है। ऐसी समस्या में तुरंत इलाज की जरूरत होती है, नहीं तो नसों को बहुत नुकसान हो सकता है।
- प्रभावित नसों में खुजली और जलन।
- तलवे में सूजन और दर्द की समस्या। मांसपेशियों में ऐंठन भी हो सकती है।
वैरिकोज वेन्स से कैसे बचें (Precautions of Varicose veins in Hindi)
वैरिकोज वेन्स की समस्या से बचना नामुमकिन है। रक्त संचार (Blood circulation) में गड़बड़ी होने पर या मांसपेशियों में दबाव होने पर यह कभी भी हो सकता है। लेकिन अपनी जीवनशैली में सुधार लाकर इसके खतरे को कम कर सकते है। मांसपेशियों के टोन (tone) का ख्याल रखें और रक्त संचार से संबंधित समस्याओं का इलाज कराए।
- वजन नियंत्रण में रखें।
- ज्यादा समय तक खड़े न रहें। पैरो में दर्द हो तो बैठ जाएं।
- महिलाएं हाई हील्स वाली जूतियां न पहने। टाइट पैंट भी न पहने।
- नियमित रूप से व्यायाम करें। इससे रक्त संचार बेहतर होगा।
- फाइबर का सेवन करें। नमक कम खाएं।
वैरिकोज वेंस की जांच (Diagnosis of varicose veins in Hindi)
वैरिकोज वेन्स की जांच डॉक्टर कई तरह से कर सकते हैं। डॉक्टर बार-बार खड़े होने और बैठने के लिए बोलेंगे। इससे आपके पैरों की नसों में दबाव होगा और नसें बाहर आएंगी। इन्हीं लक्षणों को देखकर डॉक्टर इलाज करेंगे।
इसके अलावा आपको अल्ट्रासाउंड (Ultrasound) करवाना पड़ सकता है। अल्ट्रासाउंड में High sound waves के माध्यम से रक्त प्रवाह (Blood circulation) का पता चलेगा।
वेनोग्राम टेस्ट (venogram test)
वैरिकोज वेन्स किस जगह हुआ है? उस स्थान के अनुसार नसों का आकलन किया जाता है। यह आकलन वेनोग्राम टेस्ट (Venogram test) से होता है। इस टेस्ट में विशेष प्रकार के रंगों को इंजेक्शन के माध्यम से प्रभावित क्षेत्र में डाला जाता है। फिर उस जगह का एक्स-रे लिया जाता है और डॉक्टर रिपोर्ट की जांच करते हैं।
अल्ट्रासाउंड टेस्ट या वेनोग्राम टेस्ट से नसों में खून का थक्का मौजूद है या नहीं इसका पता लगाया जाता है। हो सकता है कि खून में थक्के बनने के कारण पैरो में सूजन और दर्द हो।
वैरिकोज वेन्स का इलाज (Treatment of varicose veins)
वैरिकोज वेन्स का इलाज करने के लिए सबसे पहले डॉक्टर आपको नीचे दी गई सलाह देते हैं:
- सोने से पहले लेट कर पैरों को ऊपर-नीचे उठाएं।
- थोड़े देर के लिए दबाव वाले मोजे पहने। इससे दर्द कम होगा।
- ढीले-ढाले कपड़े पहनकर सोएं।
- वजन को इस प्रकार नियंत्रित करें कि न कम हो न ज्यादा।
कम्प्रेशन थेरेपी (Compression therapy)
पैर में हल्का-हल्का दबाव डालना ही कम्प्रेशन थेरेपी है। डॉक्टर आपको विशेष तरह के मोजे पहनने को दे सकते हैं। ये मोजे तलवों में दबाव डालते हैं जिससे खून आसानी से हृदय तक पहुंचने लगता है। इससे हार्ट अटैक का खतरा कम होता है और सूजन से राहत मिलती है।
सर्जरी (surgery)
जीवन में बदलाव लाने के बावजूद अगर दर्द और सूजन कम नहीं हो रहा है और वैरिकोज वेन्स की समस्या लगातार बनी हुई है तो इसे सर्जरी से ठीक किया जा सकता है। सर्जरी करके वैरिकोज वेंस को काट किया जाता है और टिश्यू (Tissue) चीरकर इन्हें शरीर से बाहर निकाल जाता है।
स्क्लेरोथेरेपी (sclerotherapy)
वैरिकोज वेंस के इलाज के लिए यह एक आसान प्रक्रिया है। इसमें इंजेक्शन के माध्यम से कुछ खास केमिकल या तरल फोम (Foam) को नसों में डाल जाता है। यह पदार्थ नस के रास्ते को ब्लॉक कर देते है और फिर इन नसों का इलाज किया जाता है।
माइक्रो स्क्लेरोथेरेपी (micro sclerotherapy)
यह थेरेपी छोटी नसों में वैरिकोज वेंस की समस्या का इलाज करती है। इस प्रक्रिया में छोटी नस में इंजेक्शन के जरिये केमिकल डाला जाता है जो नसों को ब्लाक कर देते हैं।
लेजर थेरेपी (laser therapy)
लेजर लाइट्स (Laser lights) का प्रयोग कर नसों में ब्लॉकेज (Blockage) किया जाता है और फिर डॉक्टर वैरिकोज वेंस का इलाज करते हैं। वेरीकोज वेंस का इलाज करने के लिए यह सबसे उत्तम प्रक्रिया है जिसमें लगभग 30 मिनट का समय लगता है।
एंडोस्कोपिक वेन सर्जरी (endoscopic vein surgery)
इस सर्जरी में प्रभावित नसों में चीरा लगाकर छेद किया जाता है और नस ब्लॉक करने के लिए इंस्ट्रूमेंट (Instrument) डाला जाता है। बाद में डॉक्टर डाले गए instrument को बाहर निकाल देते हैं।
इंडोवीनस एब्लेशन थेरेपी (endovenous ablation therapy)
‘गर्म रेडियो वेव्स’ की सहायता लेकर प्रभावित नसों को ब्लॉक किया जाता है और फिर इलाज की प्रक्रिया शुरू की जाती है।
ऊपर बताए गए सभी उपचार और थेरेपीज को चुनने से पहले डॉक्टर से अच्छी तरह से बात करें। इनके साइड इफेक्ट्स का पता करें। किस विधि से आपका इलाज होना चाहिए, यह वैरिकोज वेंस (varicose veins) के आकार और लक्षण पर निर्भर करेगा।
अन्य बीमारियां जो वैरिकोज वेन्स से हो सकती हैं (Other diseases that can result from varicose veins)
अल्सर (Ulcer)
अगर वैरिकोज वेन्स की समस्या ज्यादा दिनों तक रहती है तो अल्सर हो सकता है। अल्सर अधिकतर टखनों के आस-पास होता है। वैरिकोज वेन्स होने पर टिश्यू में बहुत दिनों तक एक ही द्रव (Liquid) इकट्ठा रहता है। रक्त संचार (Blood Circulation) ठीक से नहीं होता है। अल्सर के कारण त्वचा में हल्के सफेद रंग के धब्बे दिखाई देने लगते हैं। यदि अल्सर के लक्षण नजर आते हैं तो डॉक्टर से संपर्क करें।
खून के थक्के (Blood clots)
वेरिकोज वेन्स में पैरों की नसें लंबी हो जाती हैं। नसें सूजकर मोटी भी हो जाती हैं। हो सकता है कि खून के थक्के की वजह से नस सूज गयी हो क्योंकि वैरिकोज वेन्स में खून के थक्के बनने के खतरे अधिक हो जाते हैं।
वैरिकोज वेन्स का घरेलू इलाज (Home remedies for varicose veins in Hindi)
लहसुन
नसों में मौजूद अपशिष्ट पदार्थों (Waste materials) को बाहर निकालने के लिए लहसुन उपयोगी है। यह नसों में सूजन और दर्द को भी कम करता है। इसे इस्तेमाल करने के लिए आपको एक मिश्रण (Mixture) तैयार करना पड़ेगा। मिश्रण के लिए लहसुन की 10-12 कली, 2 संतरे का जूस और एक चम्मच जैतून का तेल लें।
लहसुन की कलियों को पीस लें। संतरे के जूस और जैतून के तेल के साथ मिलाकर इसका पेस्ट बनाएं। अब सोने से पहले इस पेस्ट से प्रभावित क्षेत्र की मालिश करें। मालिश करने के बाद किसी साफ सूती कपड़े से प्रभावित क्षेत्र को बांधे। रात भर इसे बंधा रहने दे। ऐसा करने से सूजन और दर्द में लाभ मिलेगा।
रोजाना नियमित रूप से इस उपचार को महीने के लिए करें। इससे आपको जरूर फायदा होगा| इसके अलावा आप रात में सोने से पहले गर्म दूध के साथ भूनी हुई लहसुन भी खा सकते हैं। एक गिलास गर्म दूध के साथ दो भूनी हुई लहसुन का सेवन करें।
अजमोद
अजमोद में विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट (Anti-oxidant) की भरपूर मात्रा पाई जाती है जो मर चुकी कोशिकाओं को नया करती है। यह उन नसों को भी दुरुस्त करता है जिन्हें भारी नुकसान हो चुका है।
ऐसे करें इस्तेमाल
आवश्यक सामग्री: एक मुट्ठी अजमोद की पत्तियां, 2-3 बूंद गुलाब का तेल, 3 बूंद गेंदे के फूल का तेल और साथ मे 2 कप पानी।
अजमोद की पत्तियों को 2 कप पानी में डालकर उबालें। अच्छी तरह से उबल जाने के बाद इसे ठंडा होने के लिए रख दें। ठंडा होने के बाद इसमें गुलाब और गेंदे के फूल के तेल की बूंदें डालें। अब इस मिश्रण को किसी ठंडे स्थान में रख दें। रात को सोने से पहले इस मिश्रण को प्रभावित क्षेत्र में लगाएं। रोजाना एक माह तक इस नुस्खे को आजमाने से वैरिकोज वेन्स में लाभ मिलता है।
इन सभी उत्तरों को जानने के बाद मोहन ने लेजर के जरिये वेरीकोज वेंस की सर्जरी कराई और अब वे कहते हैं, “मैं इस समस्या से परेशान हो गया था। जिसके बाद pristyn care में मैंने डॉक्टर सुनील से लेजर सर्जरी के बारे में जाना और लेजर के जरिये इसका इलाज करवाना उचित समझा और अब इलाज के बाद मैं पूरी तरह से स्वस्थ हूं।”
क्या वैरिकोज वेन्स का परमानेंट इलाज संभव है?
हां. लेजर सर्जरी से वैरिकोज वेन्स का परमानेंट इलाज संभव है। वैसे तो वैरिकोज वेन्स का इलाज कई तरह से किया जाता है, लेकिन लेजर सर्जरी को इसका बेस्ट इलाज माना जाता है। लेजर सर्जरी एक मॉडर्न और एडवांस सर्जिकल प्रक्रिया है जिससे किसी भी प्रकार के वैरिकोज वेन्स का परमानेंट इलाज कम से कम समय में बहुत ही आसानी से किया जा सकता है। अगर आप वैरिकोज वेन्स से परेशान हैं और कम से कम समय में इससे हमेशा के लिए छुटकारा पाना चाहते हैं तो आपको लेजर सर्जरी का चुनाव करना चाहिए। वैरिकोज वेन्स की लेजर सर्जरी को एक अनुभवी और कुशल वैस्कुलर सर्जन की देखरेख में पूरा किया जाता है।
वैरिकोज वेन्स की लेजर सर्जरी को शुरू करने से पहले सर्जन मरीज को लोकल या जनरल एनेस्थीसिया देते हैं जिसके कारण सर्जरी के दौरान मरीज को जरा भी दर्द या दूसरी किसी प्रकार की समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता है। एनेस्थीसिया देने के बाद, सर्जन लेजर बीम की मदद से खराब नसों को काटकर बाहर निकाल देते हैं या उनसे खून के प्रवाह को बंद करके दूसरी स्वस्थ नसों से जोड़ देते हैं। वैरिकोज वेन्स की लेजर सर्जरी को पूरा होने में मात्र आधे से एक घंटे का समय लगता है। यह एक दिन की सर्जिकल प्रक्रिया है, इसलिए सर्जरी खत्म होने के बाद मरीज को हॉस्पिटलाइजेशन की आवश्यकता भी नहीं पड़ती है।
वैरिकोज वेन्स की लेजर सर्जरी खत्म होने के कुछ ही घंटों के बाद मरीज को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया जाता है। इस सर्जरी के दौरान मरीज को कट या टांके नहीं आते हैं और ब्लीडिंग तथा दर्द भी नहीं होता है। लेजर सर्जरी के दौरान या बाद में इंफेक्शन या दूसरे साइड इफेक्ट्स का खतरा भी लगभग न के बराबर होता है। वैरिकोज वेन्स की लेजर सर्जरी के दौरान कट या टांके नहीं लगने के कारण सर्जरी के बाद मरीज की रिकवरी बहुत तेजी से होती है। इतना ही नहीं, वैरिकोज वेन्स की लेजर सर्जरी के मात्र दो दिन बाद से मरीज अपने दैनिक जीवन के कामों को फिर से शुरू भी कर सकते हैं। लेजर सर्जरी के बाद दोबारा वैरिकोज वेन्स होने का खतरा लगभग शून्य होता है। लेजर सर्जरी वैरिकोज वेन्स का बेस्ट और परमानेंट इलाज माना जाता है।
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डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है| अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें|