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मोतियाबिंद आंखों को प्रभावित करने वाली एक सामान्य बीमारी है। इससे पीड़ित मरीज की आंख में धुंधलापन छा जाता है जिसके कारण कारण उसे वस्तुएं धुंधली दिखाई पड़ती हैं। मोतियाबिंद को पूरी दुनिया में अंधेपन का सबसे बड़ा कारण माना जाता है। आमतौर पर यह बीमारी बूढ़े लोगों को होती है, लेकिन आंख में चोट लगने या दूसरे कारणों से यह किसी भी उम्र के इंसान को हो सकती है।

 

मोतियाबिंद का इलाज करने के लिए बाजार में दवा या आई ड्रॉप उपलब्ध नहीं हैं। इस बीमारी का एकमात्र इलाज सर्जरी है। मोतियाबिंद की सर्जरी को कई तरह से किया जाता है। लेकिन लेजर सर्जरी को इसका सबसे सटीक इलाज माना जाता है।

 

लेजर सर्जरी एक एडवांस प्रक्रिया है जिसके दौरान नेत्र सर्जन की मानवीय भूमिका कम हो जाती है। इसलिए इस सर्जरी के सफल होने की संभावना 100% और सर्जरी के दौरान या बाद में जटिलताओं का खतरा लगभग शून्य होता है। लेजर सर्जरी से हर प्रकार के मोतियाबिंद का परमानेंट इलाज किया जा सकता है। 

 

निम्नलिखित गुणों के कारण लेजर सर्जरी को मोतियाबिंद का बेस्ट इलाज कहा जाता है:-

01. लेजर एनर्जी का इस्तेमाल होता है

लेजर सर्जरी के दौरान नेत्र सर्जन लेजर एनर्जी का इस्तेमाल करते हैं। इस प्रक्रिया के दौरान खराब लेंस को तोड़ने के लिए लेजर को अल्ट्रासाउंड की तुलना में कम एनर्जी यानी ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इसलिए कॉर्नियल सूजन का जोखिम कम हो जाता है जो दृष्टि को बुरी तरह से प्रभावित कर सकता है। अगर सर्जन कम ऊर्जा का उपयोग करते हैं तो कॉर्नियल सूजन कम होती है जिसके कारण आंख काफी तेजी से ठीक हो जाती है।

02. सर्जरी के तुरंत बाद तेज और साफ दृष्टि 

लेजर सर्जरी के दौरान नेत्र सर्जन खराब लेंस को बाहर निकालकर उसकी जगह एक नया कृत्रिम लेंस लगा देते हैं। सर्जरी खत्म होने के तुरंत बाद ही मरीज की आंख का धुंधलापन दूर हो जाता है और वस्तुएं साफ-साफ दिखाई देने लगती हैं। हालांकि, कुछ दुर्लभ मामलों में मोतियाबिंद की लेजर सर्जरी के बाद मरीज को तेज और साफ दृष्टि आने में 1-2 दिन का समय लग सकता है।

03. एक दिन की प्रक्रिया

मोतियाबिंद की लेजर सर्जरी एक दिन की प्रक्रिया है जिसे पूरा होने में मात्र 15-20 मिनट का समय लगता है। इस सर्जरी के बाद मरीज को हॉस्पिटलाइजेशन की जरूरत नहीं पड़ती है। सर्जरी खत्म होने के कुछ ही घंटों के बाद डॉक्टर आवश्यक दवाएं देकर मरीज को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर देते हैं।

 

04. कट नहीं लगता हैं और टांके नहीं आते हैं

मोतियाबिंद की लेजर सर्जरी के दौरान मरीज को कट यानी चीरा या टांके नहीं आते हैं। इस सर्जरी के दौरान डॉक्टर अल्ट्रासाउंड वेव्स से खराब लेंस को तोड़कर आंख से बाहर निकाल देते हैं। उसके बाद, एक नए कृत्रिम लेंस को फिट कर देते हैं। कट और टांके नहीं आने के कारण आंख में इंफेक्शन या दूसरी जटिलताओं का खतरा भी खत्म हो जाता है।

05. ब्लीडिंग और दर्द नहीं होता है

इस सर्जरी के दौरान मरीज को ब्लीडिंग और दर्द का सामना नहीं करना पड़ता है। मोतियाबिंद की लेजर सर्जरी को एनेस्थीसिया के प्रभाव में पूरा किया जाता है। इसलिए इस सर्जरी के दौरान मरीज को जरा भी दर्द या दूसरी किसी तरह की परेशानियां नहीं होती है। अगर आप दर्द या ब्लीडिंग का सामना किए बिना मोतियाबिंद का बेस्ट इलाज पाना चाहते हैं तो लेजर सर्जरी आपके लिए परफेक्ट विकल्प है।

06. जटिलताओं का खतरा शून्य होता है

मोतियाबिंद की पारंपरिक सर्जरी के दौरान कट लगते हैं, टांके आते हैं, रिकवरी में लंबा समय लगता सकता है और इंफेक्शन एवं दूसरी जटिलताओं का खतरा भी होता है। लेकिन लेजर सर्जरी के साथ ऐसी कोई बात नहीं है। यह एक एडवांस सर्जिकल प्रक्रिया है जिसके दौरान मरीज को कट और टांके नहीं आते हैं। साथ ही, सर्जरी के दौरान या बाद में जटिलताओं का खतरा भी लगभग न के बराबर होता है।

07. रिकवरी जल्दी होती है

इस मॉडर्न और एडवांस सर्जरी के मात्र एक सप्ताह के बाद से मरीज अपने दैनिक जीवन के कामों को दोबारा शुरू कर सकते हैं। हालांकि, सर्जरी के बाद पूरी तरह से ठीक होने में लगभग 3-4 सप्ताह का समय लग सकता है। मोतियाबिंद की लेजर सर्जरी के दौरान कम एनर्जी का इस्तेमाल करने , कट नहीं लगने और टांके नहीं आने के कारण मरीज की रिकवरी बहुत जल्दी हो जाती है।

 

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08. बेस्ट रिजल्ट आता है

मोतियाबिंद की दूसरी सर्जिकल प्रक्रियाओं की तुलना में लेजर सर्जरी का रिजल्ट बेस्ट और परफेक्ट आता है। इस सर्जरी की सफलता दर लगभग 100% होती है। मोतियाबिंद की लेजर सर्जरी से पहले आपको बीएस इतना ध्यान रखना है कि आप सर्जरी कराने के लिए एक अनुभवी और कुशल नेत्र रोग विशेषज्ञ का चयन करें।

 

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डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है| अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें|