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    Abortion

    गर्भपात क्या है?

    गर्भपात या अबॉर्शन एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें अनचाहे गर्भ का समापन किया जाता है। भारत में यह प्रक्रिया एक वैध प्रक्रिया है, जिसमें वैवाहिक और गैर-वैवाहिक दोनों ही महिलाएं इस प्रक्रिया को करवा सकती हैं, लेकिन गर्भावस्था को 20 सप्ताह से अधिक का समय नहीं होना चाहिए। निम्नलिखित स्थिति में एक स्त्री रोग विशेषज्ञ गर्भपात करने का निर्णय लेती हैं –

    • मां के शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य पर इस भ्रूण का नकारात्मक प्रभाव पड़े। 
    • भ्रूण में कोई अनुवांशिक रोग हो।
    • गर्भनिरोधक दवाओं का कारगर साबित न होना।
    • यदि महिला की गर्भावस्था की स्थिति किसी यौन यौन शोषण के कारण हो, तो 24 सप्ताह तक के गर्भ का समापन ऑपरेशन से संभव और वैध होता है।

    वर्तमान समय में गर्भपात प्रक्रिया में आधुनिक तकनीक का प्रयोग होता है, जिसमें सुरक्षा अधिक और जोखिम कम होता है। इस प्रक्रिया से आपके भविष्य में गर्भधारण करने की संभावना पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। लेकिन इस प्रक्रिया को एक प्रशिक्षित विशेषज्ञ के द्वारा लाइसेंस प्राप्त क्लीनिकों में किया जाना चाहिए। यह सभी बातें एमटीपी एक्ट 1971 के तहत आती है।

    यदि आप गर्भपात जैसी संवेदनशील प्रक्रिया को असुरक्षित जगह पर किसी ऐसे चिकित्सक से करवाते हैं, जो इसके लिए प्रशिक्षित नहीं है, तो अबॉर्शन के दौरान बहुत सारी जटिलताएं उत्पन्न हो सकती है। इसके कारण अधूरा गर्भपात, संक्रमण और कुछ मामलों में मृत्यु की भी संभावना बन जाती है।

    Types of Abortion

    जल्द निर्णय लेने का महत्व

    यदि आपने गर्भधारण कर लिया है और आप इस संतान को जन्म नहीं देना चाहती हैं, तो हम आपको अबॉर्शन प्रक्रिया में देरी करने की सलाह बिल्कुल नहीं देते हैं। जितनी जल्दी आप अबॉर्शन की प्रक्रिया को करवाती हैं, उतना ही लाभ आपको होगा। 

    इसके साथ साथ यदि निर्णय लेने में ज्यादा देर हो जाती है, तो कुछ कानूनी दांव पेंच भी आपको परेशान कर सकते हैं। भारतीय दंड संहिता 1860 के अनुसार, गर्भपात तब किया जाता है, जब गर्भ धारण किए हुए 20 सप्ताह से कम का समय व्यतीत होता है। कुछ विशेष मामले में यह समय अवधि 24 सप्ताह तक बढ़ सकती है जैसे – महिला के साथ यौन शोषण, महिला को किसी भी प्रकार शारीरिक समस्या होना या फिर महिला की उम्र 18 वर्ष से कम होना।

    यदि आप गर्भपात से संबंधित कानूनी दांवपेच समझना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें।

    गर्भपात प्रक्रिया के प्रकार

    Abortion by medicine

    दवा से गर्भपात

    Abortion by surgery

    ऑपरेशन से गर्भपात

    सर्जिकल अबॉर्शन से पहले नैदानिक परीक्षण

    अल्ट्रासाउंड: अल्ट्रासाउंड एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें आवाज-आधारित तकनीक का प्रयोग होता है। इस आधुनिक तकनीक के माध्यम से शरीर के अंदरूनी अंगों के चित्र को बनाया जाता है। गर्भ धारण करने की अवधि के आधार पर डॉक्टर अलग अलग प्रकार के अल्ट्रासाउंड का सुझाव दे सकते हैं जैसे – 

    • गर्भावस्था के 6-8 सप्ताह में अल्ट्रासाउंड स्कैन – इस स्थिति में ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाउंड (Transvaginal Ultrasound) का सुझाव दिया जाता है। परीक्षण में भ्रूण की प्रगति के बारे पता चल सकता है। यह गर्भाशय और उसके आस-पास की जगह के आंतरिक अंगों को बेहतर ढंग से देखने में मदद करता है।
    • गर्भावस्था के 2 माह के बाद अल्ट्रासाउंड स्कैन (Abdominal Ultrasound) – इस परीक्षण में श्रोणि और पेट की जांच की जाती है। परीक्षण के दौरान डॉक्टर उपकरण पर एक जेल लगाते हैं, जिससे परिणाम सटीक आता है। 
    Ultrasound

    सर्जिकल अबॉर्शन के जोखिम और जटिलताएं

    यदि गर्भपात लाइसेंस प्राप्त क्लीनिकों में नहीं होती है या फिर इसे अप्रशिक्षित चिकित्सक करते हैं, तो यह एक अवैध अबॉर्शन कहलाता है। 

    भारत में हर वर्ष लगभग 64 लाख महिलाएं अबॉर्शन कराती हैं, लेकिन वैध तरीके और लाइसेंस प्राप्त क्लीनिकों में यह संख्या बहुत ज्यादा कम हो जाती है। यहां आपको एक बात का खास ख्याल रखना होगा कि अवैध गर्भपात के बहुत सारे जोखिम और जटिलताएं होती हैं जैसे – 

    • संक्रमण
    • अधूरा गर्भपात
    • गंभीर मामलों में गर्भ धारण करने की क्षमता को नुकसान 
    • अबॉर्शन के दौरान मृत्यु

    मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार रोजाना 10 लाख से भी ज्यादा महिलाओं की मृत्यु अवैध एवं असुरक्षित गर्भपात से होती है। यह संख्या इतनी विशाल है कि विवाह के बाद मृत्यु का यह तीसरा प्रमुख कारण है। इसी कारणवश हम प्रशिक्षित, अनुभवी और योग्य चिकित्सक से लाइसेंस प्राप्त क्लीनिक में गर्भ समाप्त करने का सुझाव देते हैं।

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      गर्भपात के प्रकार

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      गर्भपात के प्रकार का चुनाव दो मुख्य कारकों के आधार पर किया जाता है – 

      • गर्भावस्था का प्रकार – साधारण गर्भधारण/ एक्टोपिक गर्भावस्था / मोलर गर्भावस्था
      • गर्भावस्था का समय – गर्भावस्था को कितना समय व्यतीत हुआ है। 

      इसके साथ साथ कुछ अन्य कारक भी हैं, जो गर्भावस्था के प्रकार पर निर्णय लेने में आपकी सहायता कर सकते हैं जैसे – अबॉर्शन की आवश्यकता, रोगी का स्वास्थ्य, जोखिम कारक, और व्यक्तिगत पसंद। इन सभी कारकों के आधार पर गर्भपात के लिए उपयुक्त प्रक्रिया का चुनाव किया जाता है। 

      • साधारण गर्भावस्था के शुरुआती चरण: मेडिकल गर्भपात
      • 9 सप्ताह से अधिक समय के बाद साधारण गर्भावस्था: डाइलेशन और क्यूरेटेज (सर्जिकल गर्भपात)
      • एक्टोपिक गर्भावस्था: दूरबीन से अबॉर्शन (लेप्रोस्कोपिक ऑपरेशन)
      • मोलर गर्भावस्था:डाइलेशन और क्यूरेटेज(सर्जिकल गर्भपात)
    • Abortion and Mental Health

      गर्भपात का मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव

      Abortion and Mental Health

      कई मेडिकल संस्थानों के अनुसार अबॉर्शन के कारण कई मानसिक समस्याएं उत्पन्न हो सकते हैं जैसे – तनाव, घबराहट, अवसाद, क्रोध, शर्म, अकेलापन, आत्मसम्मान को ठेस, इत्यादि। 

      गर्भपात के बाद अनिद्रा या अन्य नींद संबंधी विकार, खाने के विकार या आत्महत्या के विचार भी आ सकते हैं। कुछ महिलाएं, जिन्हें गर्भपात कराने के लिए मजबूर किया गया हो, उनका मानसिक स्वास्थ्य सबसे ज्यादा प्रभावित होता है। अबॉर्शन का कारण कोई भी हो, इस प्रक्रिया से गुजरने वाले हर महिला को मानसिक समस्या का सामना करना पड़ता है। 

      कारण कोई भी हो हमें उन लोगों को अकेला नहीं छोड़ना चाहिए। इस स्थिति का सबसे अच्छा इलाज है – समय। यदि वह सभी महिलाएं स्वयं को समय दें, तो वह इस स्थिति से स्वयं बाहर निकल सकती हैं। इस स्थिति के बेहतर निवारण के लिए परिवार के साथ समय व्यतीत करना लाभकारी साबित हो सकता है। कुछ गंभीर मामलों में काउंसलर की आवश्यकता पड़ सकती है। इस स्थिति में मित्रों और परिवार का सहयोग भी एक बहुत महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।

    • Myths and Facts about Abortion

      मिथक और तथ्य

      Myths and Facts about Abortion

      मिथक – भारत में गर्भपात अवैध है। 

      तथ्य – नहीं, भारत में गर्भपात अवैध नहीं है। 4 दशक पहले तक गर्भपात को अपराध की श्रेणी में रखा जाता था। MTP Act, 1971 के तहत अब 20 सप्ताह तक के गर्भ का समापन संभव है।

      मिथक – भारत में गर्भपात सिर्फ शादीशुदा महिलाओं के लिए वैध है।

      तथ्य – MTP Act, 1971 में 2021 में संशोधन हुआ है, जिसके तहत वैवाहिक एवं गैर-वैवाहिक दोनों महिलाएं गर्भपात करवा सकती हैं। 

      मिथक – गर्भपात के लिए पति की सहमति की आवश्यकता होती है। 

      तथ्य – नहीं, जिसका गर्भपात होना है, सिर्फ उसकी सहमति से अबॉर्शन हो सकता है। पहले 20 सप्ताह तक आप गर्भपात अपनी मर्जी से करवा सकती हैं। आपके पति की सहमति किसी भी स्थिति में मायने नहीं रखती है। लेकिन आपकी उम्र 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।

      मिथक – भारत में सिर्फ 20 सप्ताह तक के गर्भ का समापन होता है। 

      तथ्य – सामान्य तौर पर यह मिथक नहीं है। कुछ मामलों में यह समय अवधि बढ़ जाती है। कानून के अनुसार, यदि महिलाएं किसी दुष्कर्म या यौन शोषण जैसे बालात्कार के कारण गर्भ धारण करती हैं, तो महिलाएं 24 सप्ताह तक के गर्भ का समापन करवा सकती हैं। 

      मिथक – अबॉर्शन सुरक्षित नहीं है। 

      तथ्य – यह पूर्ण रूप से मिथक है। यदि सुरक्षित एवं लाइसेंस प्राप्त क्लीनिकों में लाइसेंस प्राप्त विशेषज्ञ से गर्भपात की प्रक्रिया करवाई जाती है, तो यह एक सुरक्षित प्रक्रिया बन जाती है। अबॉर्शन सुरक्षित तब नहीं होता है, जब इस प्रक्रिया को घर में या फिर किसी असुरक्षित स्थान पर किया जाता है। 

      मिथक – गर्भपात की प्रक्रिया एक लंबी प्रक्रिया है।

      तथ्य – नहीं, गर्भपात की प्रक्रिया में अधिकतम 60 मिनट लगते हैं। कई मामलों में देखा गया है कि गर्भपात के बाद आप उसी दिन अपने घर जा सकते हैं। 

      मिथक – अबॉर्शन के कारण निशान बन जाते हैं।

      तथ्य – नहीं, गर्भपात के कारण किसी भी प्रकार के निशान नहीं बनते हैं। इस प्रक्रिया में कोई भी चीरा नहीं लगाया जाता है और न ही इसमें कोई निशान रहता है। 

      मिथक – गर्भपात के बाद भविष्य में गर्भधारण करने में समस्या होती है। 

      तथ्य – यदि प्रक्रिया को प्रशिक्षित स्त्री रोग विशेषज्ञ करती हैं, तो इससे महिला को अन्य जटिलताएं नहीं होती है। आप अगले ही माह गर्भ धारण करने के लिए तैयार हो सकती हैं। 

      मिथक – कोई भी स्त्री रोग विशेषज्ञ अबॉर्शन कर सकती है।

      तथ्य – नहीं, लाइसेंस प्राप्त ओबी-स्त्री रोग विशेषज्ञ गर्भपात प्रक्रिया को कर सकती हैं।

    गर्भपात के लिए डॉक्टर से कब मिलें?

    यदि आप अनचाहे गर्भ से डरते हैं और आपको ऐसे लक्षण दिखते हैं, जिससे गर्भावस्था का संकेत मिलता है, तो तुरंत अपने डॉक्टर से मिलें। कुछ ऐसे लक्षण है, जिनका आप सामना कर सकते जैसे – मासिक धर्म का न आना, स्तन में कोमलता, जी मिचलाना, एचसीजी स्ट्रिप टेस्ट में पॉजिटिव परिणाम आना इत्यादि।

    अपने डॉक्टर से पूछें यह प्रश्न

    मेरे लिए गर्भपात का सबसे अच्छा विकल्प है?
    गर्भपात के बाद रिकवरी कैसे होगी?
    गर्भपात के बाद रिकवरी में कितना समय लगेगा?
    गर्भपात के बाद रक्त हानि और दर्द को कैसे कम किया जा सकता है?
    अबॉर्शन के बाद रोजाना का काम कब से शुरू कर सकते हैं?
    गर्भपात के बाद हार्मोन को संतुलित होने में कितना समय लगता है?
    अबॉर्शन के बाद यौन जीवन कब से शुरू कर सकते हैं?
    मेरे लिए सबसे अच्छा जन्म नियंत्रण विकल्प क्या है?
    मुझे अपनी अगली गर्भावस्था की योजना कैसे और कब से बनानी चाहिए?

    अबॉर्शन के विकल्प और उनकी तैयारी

    यदि अनचाहा गर्भधारण किए हुए 8 से 9 सप्ताह या उससे कम का समय व्यतीत हुआ है, तो दो दवाओं के माध्यम से गर्भपात संभव है। इस प्रक्रिया को मेडिकल अबॉर्शन भी कहा जाता है। इस प्रकार के अबॉर्शन में भारी रक्त हानि होती है। रक्त हानि के साथ साथ पेट में दर्द और गंभीर ऐंठन भी हो सकती है। प्रक्रिया में सफलता मिली है या नहीं इस बात की पुष्टि अल्ट्रासाउंड से होती है। कई बार 5 सप्ताह के गर्भ को समाप्त करने के लिए डॉक्टर सर्जिकल अबॉर्शन का सुझाव देते हैं। इससे महिलाओं को दर्द और असहजता बहुत कम होती है। 

    मेडिकल अबॉर्शन में मिफेप्रिस्टोन और मिसोप्रोस्टोल नाम की दो दवाओं का प्रयोग होता है। इन दवाओं को डॉक्टर की देखरेख में लेने की सलाह दी जाती है। पहली गोली खाने के लिए आपको डॉक्टर के क्लीनिक में आना होता है, लेकिन दूसरी दवा आप अपने घर में ही खा सकते हैं। मिफेप्रिस्टोन कुछ आवश्यक हार्मोन को बनने से रोक देता है जिससे एम्ब्र्यो बच्चेदानी के दीवार से अलग हो जाता है। वहीं मिसोप्रोस्टोल दवा गर्भाशय ग्रीवा को सिकोड़ता है और अनचाहे गर्भ को रक्त के माध्यम से शरीर से बाहर निकालता है। 

    जब यह प्रक्रिया हो रही होती है, तो महिला को बहुत ज्यादा दर्द और असहजता का अनुभव होता है। दवा खाने के बाद भी गर्भ को समाप्त होने में कम से कम 7-10 दिन का समय लग सकता है। दोनों दवा देने के 15 दिन के भीतर ही डॉक्टर अल्ट्रासाउंड का सुझाव दे सकते हैं, जिससे गर्भावस्था की स्थिति का सटीक विवरण मिल पाता है।

    स्वास्थ्य बीमा कवरेज

    स्वास्थ्य बीमा कवरेज

    स्वास्थ्य बीमा का कवरेज अबॉर्शन के कारण पर निर्भर करता है। यदि डॉक्टर ने किसी भी स्वास्थ्य समस्या को दूर करने के लिए गर्भपात का सुझाव दिया है, तो बीमा कंपनी प्रक्रिया को करवाने के लिए कवरेज प्रदान करती है। लेकिन यदि आपने गर्भपात का निर्णय स्वयं लिया है, तो स्वास्थ्य बीमा कवरेज आपको नहीं मिलेगा। 

    कुछ स्वास्थ्य समस्याएं हैं, जिनके कारण डॉक्टर गर्भपात जैसे संवेदनशील प्रक्रिया का सुझाव देते हैं जैसे – 

    • मां के स्वास्थ्य को हानि। 
    • बार-बार रक्तचाप और शुगर के स्तर का बढ़ना।
    • भ्रूण में समस्या (दिल की समस्या या कोई अन्य गंभीर समस्या)
    • कुछ प्रकार की गर्भावस्था जैसे – एक्टोपिक और मोलर गर्भावस्था
    • अनपेक्षित गर्भपात
    स्वास्थ्य बीमा कवरेज
    अबॉर्शन के बाद रिकवरी

    अबॉर्शन के बाद रिकवरी

    • मेडिकल गर्भपात में ज्यादा समय लगता है और बहुत ज्यादा दर्द हो सकता है। इस प्रक्रिया के दौरान पेट में ऐंठन और दर्द के साथ रक्त हानि होती है। गर्भपात की प्रक्रिया को पूर्ण होने में 7 से 10 दिन का समय लगता है। प्रक्रिया के बाद 15 दिनों के अंदर डॉक्टर अल्ट्रासाउंड का सुझाव देते हैं। इससे गर्भावस्था सुरक्षित रूप से समाप्त होने की पुष्टि हो जाती है। 
    • वहीं दूसरी तरफ सर्जिकल गर्भपात में कम समय लगता है और दर्द भी कम होता है। इस प्रक्रिया में डॉक्टर ऑपरेशन के द्वारा गर्भाशय से भ्रूण को निकाल देते हैं। इस प्रक्रिया में रक्त हानि 3 से 4 दिनों के भीतर समाप्त हो जाती है। अबॉर्शन के पहले सप्ताह के बीत जाने के बाद आप अपना काम फिर से शुरू कर सकते हैं। 

    इस बात में पूर्ण सत्यता है कि हर व्यक्ति का शरीर अलग अलग होता है और हर स्थिति में अलग अलग प्रतिक्रिया करता है। रिकवरी का समय आपके काम करने के ऊपर भी निर्भर करता है। यदि आप डेस्क जॉब करते हैं, तो रिकवर होने में 1 से दो सप्ताह का समय लग सकता है और यदि आप ऐसा कोई कार्य करते हैं, जिसमें ज्यादा जोर लगाना पड़े, तो रिकवरी में थोड़ा अधिक समय लग सकता है। अलग अलग गर्भावस्था की स्थिति में भी रिकवरी के समय में भिन्नता हो सकती है।

    अबॉर्शन के बाद रिकवरी

    Experts on Termination of Pregnancy

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    गर्भपात से संबंधित अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न

    क्या गर्भपात के दौरान मेरे बच्चे को भी दर्द होगा?

    मेडिकल इतिहास में इस बात का पूर्ण प्रमाण है कि भ्रूण न ही कोई दर्द महसूस कर सकता है और न ही किसी प्रकार की झनझनाहट महसूस कर सकता है। यदि भ्रूण को बने हुए 20 सप्ताह या उससे कम का समय नहीं हुआ है, तो बच्चे की तंत्रिका तंत्र विकसित नहीं होती है। इसलिए 20 सप्ताह से पहले के गर्भपात के दौरान बच्चे को दर्द नहीं होता है।

    मेरी उम्र 18 वर्ष से कम है, क्या मैं अबॉर्शन करा सकती हूं?

    यदि आप स्वस्थ हैं और गर्भ धारण किए हुए 20 सप्ताह से कम का समय व्यतीत हुआ है, तो आप गर्भपात करवा सकती हैं। भारत में गर्भपात के लिए लाइसेंस प्राप्त क्लीनिक है जहां से आप अबॉर्शन करवा सकती हैं।

    क्या गर्भपात के लिए माता-पिता की अनुमति चाहिए?

    यदि आपकी उम्र 18 वर्ष से कम है, तो आपको माता पिता या फिर घर परिवार में से किसी भी व्यक्ति की अनुमति की आवश्यकता पड़ती है। हम समझते हैं कि ऐसा करना हर व्यक्ति के लिए आसान नहीं होता है, लेकिन यदि आप ऐसा करते हैं तो इसका लाभ आपको ही मिलेगा। हम आपको सलाह देंगे कि आप अपने घर में किसी बड़े को इस स्थिति की सूचना दें। वह भी आपकी उम्र से निकले हैं और वह आपकी स्थिति को समझेंगे और आपकी सहायता करेंगे। लेकिन यहां आपको एक बात का खास ख्याल रखना होगा कि गर्भपात एक बहुत ही गंभीर निर्णय है और किसी भी स्थिति में आपको घरेलु नुस्खों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए।

    क्या अबॉर्शन के लिए पति की सहमति की आवश्यकता होती है?

    नहीं, MTP Act 1971 के तहत अबॉर्शन का हक हर महिला को है। हर महिला अपनी स्वयं की सहमति से गर्भपात का निर्णय ले सकती हैं और लाइसेंस प्राप्त क्लीनिकों से अपना अबॉर्शन करवा सकती हैं। यहां पर 2 शर्तें पूरी होनी चाहिए। पहली कि आपकी उम्र 18 से कम न हो और न ही गर्भ धारण किए हुए 20 सप्ताह से अधिक का समय व्यतीत हुआ हो।

    क्या पपीते के बीज खाने और भारी व्यायाम करने से अनचाहे गर्भ को समाप्त किया जा सकता है?

    यदि आप अनचाहे गर्भ के कारण चिंतित है, तो हम आपको सलाह देंगे कि जल्द से जल्द मेडिकल सहायता लें। घरेलू उपचार और असुरक्षित गर्भपात के कारण कई सारी जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं जैसे – 

    • अधूरी गर्भपात
    • अधूरे गर्भपात के कारण अनचाही गर्भावस्था
    • संक्रमण
    • लंबे समय तक रक्त हानि
    • स्वास्थ्य को अन्य जटिलताएं

    मैंने पिछले सप्ताह बिना निरोध के शारीरिक संबंध स्थापित किया था। अनचाही गर्भावस्था के निदान के लिए डॉक्टर से कब सलाह लें?

    जितनी जल्द इस स्थिति का निदान होगा, उतनी ही जल्दी आप इस स्थिति से बच पाएंगे। यदि मासिक धर्म चक्र को बीते हुए एक सप्ताह से अधिक का समय हो गया है, तो आप डॉक्टर से परामर्श कर सकते हैं। गर्भावस्था के कुछ लक्षण होते हैं जैसे – उल्टी आना, चक्कर, स्तन में कोमलता, श्रोणि में दर्द, शरीर का तापमान बढ़ना, लगातार थकावट, इत्यादि। शारीरिक संबंध स्थापित करने के एक या दो सप्ताह के बाद यह लक्षण दिखे और साथ साथ मासिक धर्म चक्र का समय भी निकल जाए तो तुरंत घर पर स्वयं प्रेगनेंसी टेस्ट करें या स्त्री रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें।

    प्रेगनेंसी टेस्ट में गर्भावस्था की पुष्टि नहीं हुई, लेकिन लक्षण महसूस हो रहे हैं। क्या डॉक्टर से संपर्क करें?

    घर पर प्रेगनेंसी टेस्ट का परिणाम 99 प्रतिशत सटीक होता है। लेकिन कुछ एक दो मामलों में इसके परिणाम सही नहीं आते हैं। गर्भावस्था की पुष्टि होने या किसी भी लक्षण दिखने पर तुरंत अपने डॉक्टर से मदद लें।

    क्या सर्जिकल गर्भपात दर्दनाक है?

    नहीं, सर्जिकल अबॉर्शन को बेहोशी की दवा के प्रभाव में किया जाता है, जिसके कारण इस प्रक्रिया में दर्द नहीं होता है। लेकिन प्रक्रिया के बाद अगले कुछ दिनों तक दर्द और रक्त हानि जैसी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। आपको इस स्थिति से डरने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि यह एक सामान्य स्थिति है और इसे दवा के माध्यम से ठीक किया जा सकता है।

    सर्जिकल अबॉर्शन के बाद अपना दैनिक कार्य फिर से कब शुरु कर सकते हैं?

    अबॉर्शन एक ऐसी स्थिति है जिसमें दर्द का अनुमान लगा पाना बहुत मुश्किल है। अबॉर्शन के बाद दर्द और रक्त हानि होती है। यहां पर हर महिला के लिए उसके शरीर को जानना आवश्यक है। यदि आप पूर्ण आराम करते हैं और डॉक्टर के दिशा निर्देशों का पालन करते हैं, तो आप जल्द से जल्द रिकवर हो जाएंगे अन्यथा फिर से दैनिक गतिविधियों को शुरू करने में आपको थोड़ा ज्यादा समय लग सकता है।

    सर्जिकल गर्भपात में कितना समय लगता है?

    सामान्य तौर पर सर्जिकल गर्भपात में 30 से 40 मिनट का समय लग सकता है। इस विधि का समय कई कारकों पर निर्भर करता है जैसे महिला की स्वास्थ्य स्थिति और अन्य जटिलताएं।

    गर्भपात के बाद कितने दिन तक आराम करना चाहिए?

    गर्भपात के बाद महिला एक सप्ताह के भीतर ही अपना दैनिक कार्य करने लगती है। लेकिन इस स्थिति से पूर्ण रूप से दुरुस्त होने में 15 से 30 दिन तक का समय लग सकता है। एक माह तक शारीरिक संबंध बनाने से रोक लगानी होगी।

    सर्जिकल अबॉर्शन के बाद क्या अपेक्षा करें?

    गर्भपात वाले दिन किसी भी प्रकार की चिंता न करें। प्रक्रिया के कुछ ही दिनों के भीतर आप अपने दैनिक गतिविधियों को कर पाने में सक्षम हो पाएंगे। गर्भपात के पश्चात आपको पेट में गंभीर दर्द और ऐंठन का सामना करना पड़ सकता है। गर्भपात के बाद आप निम्नलिखित स्थिति का अनुभव कर सकती हैं – 

    • कुछ महिलाएं गर्भपात के बाद रक्त हानि का अनुभव कर सकती है। इस स्थिति में अपने डॉक्टर को इस स्थिति की सूचना तुरंत दें। 
    • अपने डॉक्टर के दिए हुए दिशा निर्देश का पालन करें। ऐसा करने से संक्रमण के जोखिम को कम से कम किया जा सकता है। 
    • दर्द से बचने के लिए आपको दर्द निवारक और संक्रमण से बचने के लिए एंटीबायोटिक दवाओं का सुझाव दिया जा सकता है। 
    • आपकी स्थिति के आधार पर डॉक्टर आपको परामर्श के लिए बुला सकते हैं। किसी भी स्थिति परामर्श से दूरी न बनाएं। 

    भारत में गर्भपात के लिए प्रिस्टीन केयर को क्यों चुनें?

    हम समझते हैं कि यह एक गंभीर स्थिति और प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया को करने के लिए एक सुरक्षित स्थान की आवश्यकता होती है, जो प्रिस्टीन केयर प्रदान कर सकता है। यदि आप प्रिस्टीन केयर का चुनाव करते हैं तो आप सुरक्षित और जोखिम रहित इलाज पाते हैं। सुरक्षित सर्जिकल गर्भपात के लिए प्रिस्टीन केयर को चुनने के कई लाभ होते हैं जैसे – 

    • गर्भपात के लिए सबसे सुरक्षित स्थान
    • अनुभवी और सर्वश्रेष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ का साथ
    • पूर्ण गोपनीयता का वादा
    • वित्तीय सहायता
    • प्रक्रिया के लिए अस्पताल आने जाने के लिए निःशुल्क वाहन सुविधा
    • प्रक्रिया के बाद निःशुल्क परामर्श का विकल्प
    • ऑनलाइन परामर्श का विकल्प
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