homeopathic ayurvedic allopathic medicine for piles

बवासीर से पीड़ित रमेश बहुत परेशान थे और उन्होंने Pristyn Care के अनुभवी पाइल्स के सर्जन डॉक्टर पंकज सरीन से इस बात का जिक्र किया। रमेश ने डॉक्टर सरीन से बवासीर की दवाइयों के बारे में प्रश्न किया। डॉक्टर सरीन पहले रमेश को बवासीर के प्रकार और कारण के बारे में समझाते हैं। फिर वे रमेश को बवासीर की दवाइयों की जानकारी देते हैं।

डॉक्टर सरीन कहते हैं “गुदा एवं मलाशय के आसपास पाए जाने वाली रक्त वाहिकाओं में सूजन की समस्या होने पर इसे बवासीर कहते हैं।  बवासीर दो तरह की होती है। यह मलाशय के भीतरी या फिर गुदा के बाहरी ओर हो सकती है। इसके लक्षणों के तौर पर दर्द और मलाशय से खून निकलने की समस्या हो सकती है।

अगर बवासीर अपनी शुरूआती स्टेज में है तो होम्योपैथिक, आयुर्वेदिक और एलोपैथिक दवाओं से इसका इलाज संभव है। लेकिन बवासीर की स्थिति गंभीर होने पर सर्जरी ही इसका एकमात्र इलाज बचता है। बवासीर एक गंभीर बीमारी है जिसका समय पर उचित इलाज नहीं कराने पर एनल फिशर, एनल बैक्टीरियल इंफेक्शन, एनल सिस्ट और कुछ दुर्लभ मामलों में एनल कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। हमारी क्लिनिक में लेजर सर्जरी से बवासीर का परमानेंट इलाज किया जाता है। बवासीर का उचित इलाज पाने के लिए आप इस ब्लॉग के ऊपर दायीं तरफ दिए गए मोबाइल नंबर या बुक अप्वाइनमेंट बटन का उपयोग कर हमारे एक्सपर्ट से मुफ्त परामर्श कर सकते हैं।

बवासीर होने के कई कारण हैं। यह अनुवांशिकी के कारण भी होती है इसलिए परिवार के किसी सदस्य को बवासीर होने के बाद आपको भी यह बीमारी होने का खतरा रहता है। ज्यादातर मामलों में कब्ज की वजह से ही बवासीर की समस्या होती है। जब मलाशय में तेज दबाव होता है तो रक्त वाहिकाओं में जोर पड़ने से यह समस्या होती है। कब्ज के कारण मलाशय में अधिक दबाव उत्पन्न होता है।(और पढ़े: खूनी बवासीर के लक्षण, कारण, इलाज और सर्जरी)

बवासीर को चार स्टेज में बांटा गया है। शुरुआती बवासीर का इलाज करने के लिए पेन किलर तथा अन्य दवाइयों का इस्तेमाल किया जाता है। तेज दर्द और अधिक मात्रा में ब्लीडिंग होने पर सर्जरी की जा सकती है। बवासीर का इलाज होम्योपैथी, आयुर्वेदिक तथा अंग्रेजी (Allopathic Medicine For Piles in Hindi) दवाइयों से किया जा सकता है।”

बवासीर की दवा – Hemorrhoids medicine in Hindi

बवासीर की होम्योपैथिक दवाएं – Homeopathic Medicines For Piles in Hindi

होम्योपैथिक दवाओं के माध्यम से बवासीर का इलाज आसानी से किया जा सकता है। इन दवाओं की मात्रा व खुराक आपके पूरे शरीर की जांच करने के बाद तय की जाती है। एक अध्ययन में बताया गया है कि बीमारी के लक्षण, शारीरिक परीक्षण और रोगी के अन्य समस्याओं को ध्यान में रखते हुए उचित होम्योपैथिक मेडिसिन देने पर बवासीर के लक्षणों को आसानी से ठीक किया जा सकता है। होम्योपैथिक दवाइयां खुद शरीर को रोगों से लड़ने के लिए मजबूत बनाती हैं।

सल्फर – (Sulfur)

जनरल नाम – ब्रिमस्टोन (brimstone)

सल्फर का इस्तेमाल अंदरूनी और बाहरी दोनों तरह की बवासीर के इलाज के लिए किया जाता है। यह दवा उन लोगों में ज्यादा असर दिखाती है जो दुबले-पतले तथा चिड़चिड़े स्वभाव के होते हैं। यह गुदा मार्ग के आसपास की नसों में जमे खून को साफ करती है। कई तरह के लक्षणों में इसका उपयोग किया जा सकता है:-

  • गुदा के आसपास मौजूद रक्त वाहिकाओं में दर्द और ब्लीडिंग की समस्या होंने पर
  • गुदा के आसपास होने वाली खुजली को दूर करने के लिए
  • बार-बार बवासीर होने की समस्या से छुटकारा पाने के लिए

नक्स वोमिका – (Nux Vomica)

जनरल नाम पाइजन नट (poison nut)

यह दवा चिड़चिड़े, आलसी और बुद्धिमान प्रवृत्ति वाले लोगों पर अधिक असर करती है। मुख्यतः यह कब्ज से होने वाली बवासीर को दूर करती है। जिन्हें बवासीर है और शराब पीने की आदत है उनके लिए यह दवा उपयोग की जा सकती है। इस होम्योपैथिक दवा का उपयोग बवासीर के निम्नलिखित लक्षणों पर किया जा सकता है-

  • मल के साथ खून आने पर
  • खूनी बवासीर में जलन होने पर
  • रात के समय गुदा क्षेत्र में खुजली बढ़ने पर

ऐस्क्यूल्स हिप्पोकैस्टेनम – (Aesculus Hippocastanum)

जनरल नाम – हॉर्स चेस्टनट (horse chestnut)

बवासीर की यह होम्योपैथिक दवा उन्हें दी जाती है, जिन्हें मल त्याग करते वक्त दर्द व जलन होता है। उठने-बैठने या फिर चलने-फिरने पर खुजली होना और गुदा मार्ग में गांठ बन जाने की स्थिति में इस दवा का इस्तेमाल काफी फायदेमंद साबित होता है।

हैमेमिलिस वर्जिनका – (Hamamelis Virginica)

जनरल नाम – विच हेज़ल (witch hazel)

लंबे समय से रक्तस्राव की समस्या होने पर या बवासीर के लक्षणों में इजाफा होने पर इस होम्योपैथिक दवा को उपयोग में लाया जाता है। पीठ के दर्द में बढ़ोतरी होने पर भी यह दवा दी जा सकती है।

एलो सोकोट्रिना — (Aloe Socotrina)

जिनके शरीर की मांसपेशियां ढीली हैं तथा गुदा में अंगूर के गुच्छे की तरह गांठे मौजूद हैं, उनकी परेशानियों को दूर करने के लिए इस दवा का इस्तेमाल किया जाता है। मलाशय में गर्मी महसूस होने पर भी यह मेडिसिन कारगर होती है।

पल्सेटिला निग्रिकेन्स – (Pulsatilla Nigricans)

जनरल नाम विंड फ्लावर (wind flower)

यह होम्योपैथिक दवा उन लोगों को दी जाती है, जिन्हें रोग के अलग-अलग लक्षण अनुभव होते रहते हैं। कुछ लोग काफी डरपोक और कमजोर दिल के होते हैं जिनका दिमाग स्थिर नहीं रहता है। बवासीर में अधिक रक्तस्राव होने पर ये मरीज कभी कभी बेहोश भी हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में यह दवा उन्हें दी जाती है। इसका इस्तेमाल वे लोग भी कर सकते हैं जिनके गुदा में ठंडे मौसम में आराम मिलता है, लेकिन गर्मी के कारण जलन, खुजली व रक्तस्राव बढ़ जाता है।

पढ़ें- फिशर का इलाज

फॉस्फोरस – Phosphorus

यह दवा उन लोगों में अधिक कारगर है जो दुबले पतले हैं तथा जिन्हें घबराहट होती है। गोरे रंग के व्यक्ति पर भी इस दवा का उपयोग किया जा सकता है। मांसपेशियों के ढीला व कमजोर हो जाने पर अंदरूनी गांठ बाहर नजर आने लगते हैं तो ऐसी स्थिति में यह दवा मरीज को दी जाती है।

बवासीर की होम्योपैथिक दवा का इस्तेमाल कैसे करें?

बवासीर की होम्योपैथिक दवा का सेवन डॉक्टर/फिजिशियन के सलाहानुसार करना चाहिए।

बवासीर की होम्योपैथिक मेडिसिन के साइड इफेक्ट्स — Side Effects of Homeopathic Medicine for Piles in Hindi

होम्योपैथिक दवाइयां बहुत स्ट्रांग होती हैं, इसलिए इन्हें बहुत कम मात्रा में रोगी को दिया जाता है। इन दवाइयों का सेवन किसी अच्छे डॉक्टर के परामर्श पर ही किया जाना चाहिए। इन दवाइयों का सेवन बच्चों से लेकर बूढ़े तक हर कोई कर सकता है। होम्योपैथिक दवाइयों के सेवन से रोगी में आज तक किसी भी प्रकार का नुकसान और साइड इफेक्ट देखने को नहीं मिला है। लेकिन डोज लेने से पहले डॉक्टर से परामर्श जरूर करें

बवासीर की आयुर्वेदिक दवाएं — Ayurvedic Medicines For Piles in Hindi

अर्शकल्प

बवासीर के लिए अर्शकल्प बहुत ही बढ़िया आयुर्वेदिक दवा है। बाजार में आप पतंजलि या फिर वेदऋषि की अर्शक्ल्प वटी नामक टेबलेट का इस्तेमाल कर सकते हैं। दोनों ही कंपनी की दवाइयां अपनी अपनी जगह बेहतर कार्य करती हैं। इनमें एंटीबैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण मौजूद होते हैं जो बवासीर का इलाज करने के लिए एक बेहतर विकल्प साबित होते हैं।

मंजिष्ठा

मंजिष्ठा एक बहुत ही बेहतरीन आयुर्वेदिक दवा है जिसका इस्तेमाल ढेरों गंभीर बीमारियों (जैसे- कैंसर, ट्यूमर, किडनी स्टोन और डायरिया) को ठीक करने के लिए किया जाता है। मंजिष्ठा का इस्तेमाल बवासीर को खत्म करने के लिए भी किया जाता है। पाइल्स में गुदा की नसों में खून के थक्के बन जाते हैं जो गांठ के रूप में दिखाई देते हैं। मंजिष्ठा का इस्तेमाल इस परेशानी को बहुत ही जल्दी खत्म कर देता है। अगर आप बवासीर से पीड़ित हैं तथा इसके लक्षणों से परेशान तो डॉक्टर से सलाह लेने के बाद इस बेहतरीन आयुर्वेदिक दवा का सेवन कर सकते हैं।

हरीतकी

पाचन से संबंधित कई रोगों में हरीतकी का उपयोग किया जाता है। बवासीर हो, शरीर में उर्जा की कमी हो, कब्ज या फिर दस्त से पीड़ित हों तो इस आयुर्वेदिक दवा को अवश्य प्रयोग में लाएं। यह खूनी और बादी बवासीर, दोनों में लाभदायक होता है।

सूरन

सूरन के सेवन से गुदामार्ग के फोड़े दूर होते हैं। सूरन खूनी बवासीर का बहुत बेहतरीन इलाज है। यह कब्ज की शिकायत दूर करता है जिससे बवासीर होने का खतरा कम हो जाता है। पेट में कीड़े होने पर भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। मल द्वार से खून निकलने और गुदा क्षेत्र में खुजली होने पर सूरन का इस्तेमाल कर सकते हैं।

त्रिफला गुग्गुल टैबलेट

इसमें आंवला, विभूतकी, पिप्पली, हरीतकी और गुग्गल जैसी लाभदायक जड़ी बूटियां मिली होती हैं। यह टेबलेट मलाशय और गुदा के सूजन को खत्म करती है और संक्रमण के खतरे को कम करती है।

पढ़ें- बवासीर का इलाज

कांकायन वटी

सूखी अदरक, हरीतकी और पिप्पली जड़ी बूटियों को मिलाकर कांकायन वटी तैयार की जाती है। बवासीर होने पर मलाशय के आस-पास की नसों में खून जमा हो जाता है। इस वटी के सेवन से नसों में खून के जमाव से छुटकारा मिलता है और दर्द भी दूर होता है। कब्ज दूर करने और भूख बढ़ाने के लिए यह बेहद सफल दवा है।

अंजीर

अंजीर का सेवन हर तरह की बवासीर से निपटने के लिए किया जा सकता है। पानी में फूली हुई अंजीर का सेवन करने से बवासीर से छुटकारा मिलता है। अंजीर अनियमित खुजली और जलन से भी छुटकारा दिलाता है। पाचन से संबंधित सभी समस्याओं को दूर करने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।

बवासीर की आयुर्वेदिक दवा का उपयोग कैसे करें?

आयुर्वेदिक दवा का उपयोग शारीरिक लक्षण देखकर किया जाता है, इसके उपयोग से पहले एक बार अपने वैद्य की सलाह जरूर लें।

बवासीर की आयुर्वेदिक मेडिसिन के साइड इफेक्ट्स — Side Effects of Ayurvedic Medicines During Piles in Hindi

आयुर्वेदिक दवाइयों के सेवन से कभी किसी तरह का नुकसान नहीं होता है। लेकिन डोज की मात्रा पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। मंजिष्ठा जैसी बूटियों का प्रयोग किसी अच्छे आयुर्वेदिक डॉक्टर (वैद्य) की निगरानी में ही करना चाहिए। कई आयुर्वेदिक दवाइयों का स्वाद बहुत कड़वा होता है जिससे उल्टी की समस्या हो सकती है।

बवासीर की सर्जरी — Surgery of Piles in Hindi

डॉक्टर सरीन कहते हैं “बवासीर को ठीक करने के लिए सर्जन या डॉक्टर सबसे पहले आपको ऊपर बताई गई दवाइयों में से किसी खास दवा का सेवन करने की सलाह दे सकते हैं। लेकिन अगर दवाओं की मदद से बवासीर की समस्या ठीक नहीं हो पाती है तो सर्जरी ही अंतिम विकल्प बचता है। बवासीर ठीक करने के लिए लेजर सर्जरी सबसे बढ़िया आप्शन है।”

बवासीर की लेजर सर्जरी आधा घंटे में पूरी हो जाती है और 2 दिन बाद रोगी अपने काम पर जा सकता है। इसमें कोई कट नहीं होता और कोई घांव नहीं होता है, बवासीर की लेजर सर्जरी के निम्न फायदे होते हैं-

  • बिना कट और बिना घाव का उपचार
  • दोबारा होने की बहुत कम संभावना
  • कोई दर्द नहीं
  • कोई कट नहीं
  • आधा घंटा की प्रक्रिया
  • एक दिन में अस्पताल से छुट्टी
  • 48 घंटे में सामान्य जीवनशैली
  • सबसे प्रभावी उपचार
  • कोई दाग नहीं

अगर आप बवासीर की लेजर सर्जरी कराने की सोच रहे हैं या इसके उपचार के लिए दवा के बारे में जानना चाहते हैं तो Pristyn Care में कॉल करें या अपॉइंटमेंट बुक करें, Pristyn Care एक बढ़िया विकल्प हो सकता है। क्योंकि-

और पढ़े

डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है| अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें|

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अधिकतर पूछे गए प्रश्न

क्या बवासीर की होम्योपैथिक दवा को आयुर्वेदिक दवा के साथ खाया जा सकता है?
होम्योपैथिक दवा और आयुर्वेदिक दवा के काम करने का तरीका अलग-अलग होता है, इसलिए इसका एकसाथ सेवन करने से पहले अपने होम्योपैथिक/आयुर्वेदिक डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।
क्या बवासीर की आयुर्वेदिक/होम्योपैथिक दवा का सेवन करके बवासीर को बिना सर्जरी के ठीक किया जा सकता है?
यह बवासीर के ग्रेड पर निर्भर करता है, यदि आपको ग्रेड 1 या ग्रेड 2 की बवासीर है तो दवाइयों की मदद से और जीवनशैली में बदलाव करके इसे ठीक किया जा सकता है। हालांकि, कई बार यह दवाइयों से ठीक नहीं हो पाता है और सर्जरी की आवश्यकता पड़ती है, अपने बवासीर का ग्रेड जानने और उसके अनुसार उचित उपचार कराने के लिए हमें कॉल करें या अपॉइंटमेंट बुक करें।
क्या बवासीर की आयुर्वेदिक या होम्योपैथिक दवाइयों के साइड-इफ्फेक्ट होते हैं?
नहीं! लेकिन इनका गलत डोज कई समस्याओं को पैदा कर सकता है, इसलिए उचित यही है कि इसके सेवन से पूर्व अपने डॉक्टर का परामर्श लें।