क्या आप भी बवासीर यानी पाइल्स (Piles) की बीमारी से परेशान हो चुके हैं और दवाई खाने के बाद भी मलाशय और गुदा हिस्से में गंभीर समस्या है? तो ऐसे में बवासीर (bawaseer) की बीमारी को ठीक करने के लिए लेजर सर्जरी आपके लिए एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है। बवासीर के इलाज (bawaseer ke ilaj) के लिए सर्वश्रेष्ठ गुदा रोग (प्रॉक्टोलॉजिस्ट) विशेषज्ञ से निःशुल्क परामर्श बुक करने के लिए हमें कॉल करें।
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बवासीर (bavasir) यानि पाइल्स। बवासीर एक ऐसी बीमारी है जिसमें रोगी को उठने-बैठने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इस बीमारी में गुदा- ऐनस (मल त्याग का भाग) के अंदरूनी और बाहरी हिस्से और मलाशय (रेक्टम) के निचले हिस्से की शिराओं में सूजन पैदा हो जाती है। इसकी वजह से ऐनस के अंदर और बाहर किसी एक जगह पर मस्से जैसी स्थिति बन जाती है, जो अंदर बाहर दोनों तरह होती है। इसे मेडिकल की भाषा में हेमरॉइड्स (बवासीर) कहा जाता है।
... Read MoreUSFDA-Approved Procedure
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No-Cost EMI
1-day Hospitalization
पाइल्स का इलाज (bavasir ka ilaaj) शुरू करने की प्रक्रिया में सबसे पहले डॉक्टर शारीरिक जांच करवाने की सलाह देते हैं। लेकिन गुदा के आंतरिक हिस्से में बवासीर का संक्रमण ज्यादा फैलने की स्थिति में, प्रोक्टोलॉजिस्ट (proctologists) एनस मलाशय की डिजिटल रेक्टल परीक्षण (जांच) करवाने को प्राथमिकता देते हैं|
इसके अलावा, आंतरिक बवासीर का सही निदान करने के लिए, सर्जन निचले मलाशय यानी रेक्टम की जांच के लिए प्रॉक्टोस्कोप, एनोस्कोप या सिग्मोइडोस्कोपी का इस्तेमाल कर सकता है।
बाहरी बवासीर की जांच केवल गुदा क्षेत्र को देखकर और कुछ शारीरिक परीक्षण द्वारा की जा सकती है। आंतरिक बवासीर का निदान करने के लिए इमेजिंग प्रक्रियाओं का सहारा लेना पड़ सकता है।
एंडोस्कोपी (Endoscopy): यह मलाशय के निचले हिस्से और गुदा लाइनिंग को देखने की प्रक्रिया है। इसमें एंडोस्कोप नामक उपकरण गुदा के भीतर डाला जाता है। इस प्रक्रिया के लिए अधिकांश रोगियों को एनेस्थीसिया की आवश्यकता नहीं होती है।
रिजिड प्रोक्टो सिग्मोइडोस्कोपी (Rigid proctosigmoidoscopy): यह प्रक्रिया बिल्कुल एनोस्कोपी की तरह है, बस इसमें डॉक्टर आंत के निचले हिस्से और मलाशय को देखने के लिए प्रॉक्टोस्कोप नामक उपकरण का उपयोग करता है। इस प्रक्रिया के दौरान भी अधिकांश लोगों को एनेस्थीसिया की आवश्यकता नहीं होती है।
कोलोनोस्कोपी या फ्लेक्सिबल सिग्मोइडोस्कोपी (Colonoscopy or flexible sigmoidoscopy): यदि लक्षण किसी अन्य पाचन तंत्र की बीमारी का संकेत दे रहे हैं, तो डॉक्टर कोलोनोस्कोपी या फ्लेक्सिबल सिग्मोइडोस्कोपी की सलाह दे सकते हैं। गुदा कैंसर और बवासीर के लक्षण काफी मिलते-जुलते हैं, इसलिए यह परीक्षण आवश्यक हो जाते हैं।
मेडिकल इतिहास – Medical history
डॉक्टर आपसे आपका मेडिकल डाटा देने को कह सकता है। आप क्या खाते हैं? कितनी बार शौचालय जाते हैं? रेचक का उपयोग करते हैं या नहीं? और इन दिनों आप कौन सी दवाइयां ले रहे हैं? समेत अन्य सवाल पूछ सकते हैं। इसके बाद डॉक्टर लक्षणों को विस्तार से बताने को कहेंगे, जैसे:
इस तरह के प्रश्नों से रोगी के लक्षणों की गंभीरता को समझा जा सकता है और बवासीर का ग्रेड पता लगाने में आसानी होती है।
बवासीर में गुदा क्षेत्र की नसों में सूजन के कारण मस्सों का निर्माण हो जाता है। यह मस्से सूजे हुए प्रतीत होते हैं, जिनमें रक्त अथवा पस भरा होता है। वक्त ढलने के साथ मस्सों का आकार भी बढ़ जाता है। यूं कहे तो बवासीर के ग्रेड में निरंतर वृद्धि होती रहती है।
कई लोग बवासीर के मस्से को जड़ से खत्म करने के लिए घरेलू उपचार आजमाते हैं, उनमें से कुछ लोगों में (ग्रेड 1 या उससे निचले स्तर का बवासीर होने पर) बवासीर के लक्षणों में कमी दिखाई देती है। लेकिन कुछ लोगों को उन घरेलू उपायों से बिल्कुल भी लाभ नहीं होता है। कारण स्पष्ट है, घरेलू नुस्खे मस्से को हमेशा के लिए खत्म नहीं कर सकते हैं। बवासीर के मस्से को जड़ से खत्म करने के लिए ऑपरेशन एक उत्तम विकल्प है।
पाइल्स का इलाज (bavasir ka ilaaj) शुरू करने की प्रक्रिया में सबसे पहले डॉक्टर शारीरिक जांच करवाने की सलाह देते हैं। लेकिन गुदा के आंतरिक हिस्से में बवासीर का संक्रमण ज्यादा फैलने की स्थिति में, प्रोक्टोलॉजिस्ट (proctologists) एनस मलाशय की डिजिटल रेक्टल परीक्षण (जांच) करवाने को प्राथमिकता देते हैं|
इसके अलावा, आंतरिक बवासीर का सही निदान करने के लिए, सर्जन निचले मलाशय यानी रेक्टम की जांच के लिए प्रॉक्टोस्कोप, एनोस्कोप या सिग्मोइडोस्कोपी का इस्तेमाल कर सकता है।
बाहरी बवासीर की जांच केवल गुदा क्षेत्र को देखकर और कुछ शारीरिक परीक्षण द्वारा की जा सकती है। आंतरिक बवासीर का निदान करने के लिए इमेजिंग प्रक्रियाओं का सहारा लेना पड़ सकता है।
एंडोस्कोपी (Endoscopy): यह मलाशय के निचले हिस्से और गुदा लाइनिंग को देखने की प्रक्रिया है। इसमें एंडोस्कोप नामक उपकरण गुदा के भीतर डाला जाता है। इस प्रक्रिया के लिए अधिकांश रोगियों को एनेस्थीसिया की आवश्यकता नहीं होती है।
रिजिड प्रोक्टो सिग्मोइडोस्कोपी (Rigid proctosigmoidoscopy): यह प्रक्रिया बिल्कुल एनोस्कोपी की तरह है, बस इसमें डॉक्टर आंत के निचले हिस्से और मलाशय को देखने के लिए प्रॉक्टोस्कोप नामक उपकरण का उपयोग करता है। इस प्रक्रिया के दौरान भी अधिकांश लोगों को एनेस्थीसिया की आवश्यकता नहीं होती है।
कोलोनोस्कोपी या फ्लेक्सिबल सिग्मोइडोस्कोपी (Colonoscopy or flexible sigmoidoscopy): यदि लक्षण किसी अन्य पाचन तंत्र की बीमारी का संकेत दे रहे हैं, तो डॉक्टर कोलोनोस्कोपी या फ्लेक्सिबल सिग्मोइडोस्कोपी की सलाह दे सकते हैं। गुदा कैंसर और बवासीर के लक्षण काफी मिलते-जुलते हैं, इसलिए यह परीक्षण आवश्यक हो जाते हैं।
मेडिकल इतिहास – Medical history
डॉक्टर आपसे आपका मेडिकल डाटा देने को कह सकता है। आप क्या खाते हैं? कितनी बार शौचालय जाते हैं? रेचक का उपयोग करते हैं या नहीं? और इन दिनों आप कौन सी दवाइयां ले रहे हैं? समेत अन्य सवाल पूछ सकते हैं। इसके बाद डॉक्टर लक्षणों को विस्तार से बताने को कहेंगे, जैसे:
इस तरह के प्रश्नों से रोगी के लक्षणों की गंभीरता को समझा जा सकता है और बवासीर का ग्रेड पता लगाने में आसानी होती है।
बवासीर में गुदा क्षेत्र की नसों में सूजन के कारण मस्सों का निर्माण हो जाता है। यह मस्से सूजे हुए प्रतीत होते हैं, जिनमें रक्त अथवा पस भरा होता है। वक्त ढलने के साथ मस्सों का आकार भी बढ़ जाता है। यूं कहे तो बवासीर के ग्रेड में निरंतर वृद्धि होती रहती है।
कई लोग बवासीर के मस्से को जड़ से खत्म करने के लिए घरेलू उपचार आजमाते हैं, उनमें से कुछ लोगों में (ग्रेड 1 या उससे निचले स्तर का बवासीर होने पर) बवासीर के लक्षणों में कमी दिखाई देती है। लेकिन कुछ लोगों को उन घरेलू उपायों से बिल्कुल भी लाभ नहीं होता है। कारण स्पष्ट है, घरेलू नुस्खे मस्से को हमेशा के लिए खत्म नहीं कर सकते हैं। बवासीर के मस्से को जड़ से खत्म करने के लिए ऑपरेशन एक उत्तम विकल्प है।
बवासीर (Bawaseer) लाइलाज नहीं है। बवासीर (Piles) का इलाज संभव है। बस जरूरत होती है सही समय पर इसकी पहचान कर डॉक्टर से सलाह लेने की। बवासीर के कुछ मामले बिगड़ जाने पर यानी बवासीर को अधिक समय हो जाने पर डॉक्टर इसका आपरेशन करने की सलाह देते हैं। इसलिए बवासीर के लक्षण को पहचान कर जितना जल्दी बवासीर का इलाज (bavasir ka ilaaj) करा लिया जाए उतना ही बेहतर होता है।
नीचे कुछ सर्जरी के बारे में बताया गया है, जिन्हे अक्सर खूनी बवासीर के इलाज के तौर पर देखा जाता है।
यह बवासीर ऑपरेशन करने की सबसे पुरानी प्रक्रिया है। इसमें रोगी को जनरल एनेस्थीसिया का डोज दिया जाता है और बवासीर के मस्सों को काटकर अलग किया जाता है। कट करने के लिए डॉक्टर सर्जिकल कैंची का प्रयोग करते हैं। उपचार के बाद डॉक्टर बवासीर के स्थिति के अनुसार जख्म को बंद कर देते हैं या खुला छोड़ देते हैं।
इसे लेजर हेमरॉयडेक्टमी भी कहते हैं। मस्सों को नष्ट करने के लिए लेजर किरण का उपयोग होता है। रोगी को एनेस्थीसिया के प्रभाव में रहना पड़ता है, इसी दौरान डॉक्टर एक निश्चित फ्रीक्वेंसी की लेजर बीम को बवासीर के मस्सों पर छोड़ते हैं और आधे घंटा के भीतर बवासीर से छुटकारा मिल जाता है। यह कम समय में होने वाली एक दर्द रहित और एडवांस प्रक्रिया है, जिसमें कोई रक्तस्त्राव नहीं होता है और गुदा क्षेत्र में किसी भी प्रकार के निशान नहीं बनते हैं।
यह उपचार बवासीर के रक्तस्राव को रोकने और रक्त प्रवाह को रोककर बवासीर के मस्सों को खत्म करने के लिए किया जाता है। इसमें बवासीर के बेस में रबर बैंड बांध दिया जाता है, जिससे मस्सों तक रक्त परिसंचरण नहीं होने के कारण वह सूख जाते हैं और गुदा से अलग हो जाते हैं। यह आंतरिक बवासीर के लिए अति उपयोगी होते हैं, लेकिन इस इलाज का सबसे बड़ा दुष्प्रभाव यह है कि बवासीर फिर से आपको परेशान कर सकता है।
इन्फ्रारेड फोटोकोआगुलेशन (जिसे कोएगुलेशन थेरेपी भी कहा जाता है) एक चिकित्सा प्रक्रिया है, जिसका उपयोग छोटे और मध्यम आकार के बवासीर के इलाज के लिए किया जाता है। यह उपचार केवल आंतरिक बवासीर के लिए है। प्रक्रिया के दौरान सर्जन एक उपकरण का प्रयोग करते हैं, इससे इन्फ्रारेड लाइट की एक तेज किरण निकलती है। इन्फ्रारेड लाइट से स्कार टिश्यू का निर्माण हो जाता है और बवासीर तक होने वाले खून की सप्लाई बंद हो जाती है। बवासीर खत्म हो जाता है, लेकिन इस प्रक्रिया के बाद गुदा नली के पास में एक दाग बन जाता है।
बवासीर के उपचार के इस प्रक्रिया में डॉक्टर इंजेक्शन की मदद से एक केमिकल को आंतरिक बवासीर के मस्सों पर लगाते हैं। इंजेक्शन लगाने के बाद मस्से सूखने लगते हैं और पूरी तरह से सूख जाते हैं। हालांकि, यह सिर्फ आंतरिक बवासीर के लिए अधिक प्रभावी होता है और रोग के दोबारा होने की संभावना बहुत अधिक होती है।
इसमें एक स्टेप्लिंग उपकरण का उपयोग करके बवासीर के मस्से को स्टेपल कर दिया जाता है, यह बवासीर के ओपन सर्जरी की तुलना में कम दर्दनाक और सुरक्षित होता है। स्टेपल करने के बाद मस्सों तक खून की सप्लाई बंद हो जाने के कारण उनका आकार धीरे-धीरे कम हो जाता है और पाइल्स से राहत मिल जाती है।
हालांकि, इसके बाद भी बवासीर होने के संभावना बनी रहती है। यह आमतौर पर आंतरिक बवासीर को ठीक करने के लिए की जाती है।
बवासीर (Bawaseer) लाइलाज नहीं है। बवासीर (Piles) का इलाज संभव है। बस जरूरत होती है सही समय पर इसकी पहचान कर डॉक्टर से सलाह लेने की। बवासीर के कुछ मामले बिगड़ जाने पर यानी बवासीर को अधिक समय हो जाने पर डॉक्टर इसका आपरेशन करने की सलाह देते हैं। इसलिए बवासीर के लक्षण को पहचान कर जितना जल्दी बवासीर का इलाज (bavasir ka ilaaj) करा लिया जाए उतना ही बेहतर होता है।
नीचे कुछ सर्जरी के बारे में बताया गया है, जिन्हे अक्सर खूनी बवासीर के इलाज के तौर पर देखा जाता है।
यह बवासीर ऑपरेशन करने की सबसे पुरानी प्रक्रिया है। इसमें रोगी को जनरल एनेस्थीसिया का डोज दिया जाता है और बवासीर के मस्सों को काटकर अलग किया जाता है। कट करने के लिए डॉक्टर सर्जिकल कैंची का प्रयोग करते हैं। उपचार के बाद डॉक्टर बवासीर के स्थिति के अनुसार जख्म को बंद कर देते हैं या खुला छोड़ देते हैं।
इसे लेजर हेमरॉयडेक्टमी भी कहते हैं। मस्सों को नष्ट करने के लिए लेजर किरण का उपयोग होता है। रोगी को एनेस्थीसिया के प्रभाव में रहना पड़ता है, इसी दौरान डॉक्टर एक निश्चित फ्रीक्वेंसी की लेजर बीम को बवासीर के मस्सों पर छोड़ते हैं और आधे घंटा के भीतर बवासीर से छुटकारा मिल जाता है। यह कम समय में होने वाली एक दर्द रहित और एडवांस प्रक्रिया है, जिसमें कोई रक्तस्त्राव नहीं होता है और गुदा क्षेत्र में किसी भी प्रकार के निशान नहीं बनते हैं।
यह उपचार बवासीर के रक्तस्राव को रोकने और रक्त प्रवाह को रोककर बवासीर के मस्सों को खत्म करने के लिए किया जाता है। इसमें बवासीर के बेस में रबर बैंड बांध दिया जाता है, जिससे मस्सों तक रक्त परिसंचरण नहीं होने के कारण वह सूख जाते हैं और गुदा से अलग हो जाते हैं। यह आंतरिक बवासीर के लिए अति उपयोगी होते हैं, लेकिन इस इलाज का सबसे बड़ा दुष्प्रभाव यह है कि बवासीर फिर से आपको परेशान कर सकता है।
इन्फ्रारेड फोटोकोआगुलेशन (जिसे कोएगुलेशन थेरेपी भी कहा जाता है) एक चिकित्सा प्रक्रिया है, जिसका उपयोग छोटे और मध्यम आकार के बवासीर के इलाज के लिए किया जाता है। यह उपचार केवल आंतरिक बवासीर के लिए है। प्रक्रिया के दौरान सर्जन एक उपकरण का प्रयोग करते हैं, इससे इन्फ्रारेड लाइट की एक तेज किरण निकलती है। इन्फ्रारेड लाइट से स्कार टिश्यू का निर्माण हो जाता है और बवासीर तक होने वाले खून की सप्लाई बंद हो जाती है। बवासीर खत्म हो जाता है, लेकिन इस प्रक्रिया के बाद गुदा नली के पास में एक दाग बन जाता है।
बवासीर के उपचार के इस प्रक्रिया में डॉक्टर इंजेक्शन की मदद से एक केमिकल को आंतरिक बवासीर के मस्सों पर लगाते हैं। इंजेक्शन लगाने के बाद मस्से सूखने लगते हैं और पूरी तरह से सूख जाते हैं। हालांकि, यह सिर्फ आंतरिक बवासीर के लिए अधिक प्रभावी होता है और रोग के दोबारा होने की संभावना बहुत अधिक होती है।
इसमें एक स्टेप्लिंग उपकरण का उपयोग करके बवासीर के मस्से को स्टेपल कर दिया जाता है, यह बवासीर के ओपन सर्जरी की तुलना में कम दर्दनाक और सुरक्षित होता है। स्टेपल करने के बाद मस्सों तक खून की सप्लाई बंद हो जाने के कारण उनका आकार धीरे-धीरे कम हो जाता है और पाइल्स से राहत मिल जाती है।
हालांकि, इसके बाद भी बवासीर होने के संभावना बनी रहती है। यह आमतौर पर आंतरिक बवासीर को ठीक करने के लिए की जाती है।
लेजर हेमरॉयडेक्टमी बवासीर का इलाज करने की एक नई तकनीक है। यह तकनीक बवासीर का उपचार करने वाली अन्य तकनीक की तुलना में बहुत एडवांस है, आइये जानते हैं कि बवासीर के लिए लेजर हेमरॉयडेक्टमी क्यों एक बेहतर उपचार है-
लेकिन समय पर इसका इलाज न होने पर कुछ जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है, जैसे – Complication of Bleeding Hemorrhoids in Hindi
बवासीर की लेजर सर्जरी करने की कई विधियां हैं, ग्रेड के अनुसार किसी एक विधि का चयन किया जाता है। इसका उपचार करने के लिए पारंपरिक सर्जरी भी उपलब्ध है, जिसमें बवासीर के मस्से को काटकर अलग कर दिया जाता है। लेकिन उपचार के दौरान बहुत अधिक खून बहता है और रोगी को दर्द का सामना करना पड़ता है। पारंपरिक तरीके से की जाने वाली सर्जरी के बाद रूटीन लाइफ में आने में बहुत वक्त लगता है और बहुत चीजों से परहेज भी करना पड़ता है।
बवासीर से प्रभावित टिश्यू पर लेजर बीम डाली जाती है, जिससे टिश्यू सिकुड़ जाती है और बवासीर से छुटकारा मिल जाता है। इसमें कोई रक्तस्त्राव नहीं होता है। जख्म बड़ा न होने की वजह से रोगी दो दिन बाद ही अपने काम पर जा सकता है और एक से दो सप्ताह के अंदर पूरी तरह से रिकवर हो जाता है।
बवासीर की लेजर सर्जरी करने में दस मिनट से आधा घंटा तक का समय लगता है। बवासीर के ग्रेड 4 में भी लेजर सर्जरी की जाती है, इसमें सर्जरी लेजर मशीन को कटिंग मोड़ में रखकर की जाती है। इसमें किसी तरह के टांके लगाए नहीं जाते हैं, जिससे किसी तरह टिश्यू के फटने और अस्पताल में ज्यादा समय भर्ती रहने जैसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता।
Piles laser surgery करने के लिए पहले कुछ जांच की जाती है, जिसमें ब्लड और यूरिन टेस्ट आम तौर पर किया जाता है। सर्जरी करने से पहले मरीज को एनेस्थीसिया देकर गुदा के आस-पास के क्षेत्र को सुन्न किया जाता है।
ओपन हेमरॉयडेक्टमी | लेजर हेमरॉयडेक्टमी |
बवासीर के इलाज की पुरानी सर्जिकल प्रक्रिया | बवासीर के इलाज की नवीनतम सर्जिकल प्रक्रिया |
इलाज के दौरान बड़ा चीरा लगाया जाता है | इलाज के दौरान चीरा नहीं लगाया जाता है |
ऑपरेशन के दौरान खून बहता है | कोई रक्तस्त्राव नहीं |
रिकवरी में असहजता और दर्द | रिकवरी आसानी से हो जाती है और दर्द भी कम होता है |
कई घंटे की प्रक्रिया | आधा घंटा की प्रक्रिया |
ऑपरेशन के दौरान जनरल एनेस्थीसिया का उपयोग | लोकल एनेस्थीसिया का प्रयोग |
ऑपरेशन के बाद इन्फेक्शन का खतरा अधिक | इन्फेक्शन की संभावना बहुत कम |
लेजर हेमरॉयडेक्टमी बवासीर का इलाज करने की एक नई तकनीक है। यह तकनीक बवासीर का उपचार करने वाली अन्य तकनीक की तुलना में बहुत एडवांस है, आइये जानते हैं कि बवासीर के लिए लेजर हेमरॉयडेक्टमी क्यों एक बेहतर उपचार है-
लेकिन समय पर इसका इलाज न होने पर कुछ जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है, जैसे – Complication of Bleeding Hemorrhoids in Hindi
बवासीर की लेजर सर्जरी करने की कई विधियां हैं, ग्रेड के अनुसार किसी एक विधि का चयन किया जाता है। इसका उपचार करने के लिए पारंपरिक सर्जरी भी उपलब्ध है, जिसमें बवासीर के मस्से को काटकर अलग कर दिया जाता है। लेकिन उपचार के दौरान बहुत अधिक खून बहता है और रोगी को दर्द का सामना करना पड़ता है। पारंपरिक तरीके से की जाने वाली सर्जरी के बाद रूटीन लाइफ में आने में बहुत वक्त लगता है और बहुत चीजों से परहेज भी करना पड़ता है।
बवासीर से प्रभावित टिश्यू पर लेजर बीम डाली जाती है, जिससे टिश्यू सिकुड़ जाती है और बवासीर से छुटकारा मिल जाता है। इसमें कोई रक्तस्त्राव नहीं होता है। जख्म बड़ा न होने की वजह से रोगी दो दिन बाद ही अपने काम पर जा सकता है और एक से दो सप्ताह के अंदर पूरी तरह से रिकवर हो जाता है।
बवासीर की लेजर सर्जरी करने में दस मिनट से आधा घंटा तक का समय लगता है। बवासीर के ग्रेड 4 में भी लेजर सर्जरी की जाती है, इसमें सर्जरी लेजर मशीन को कटिंग मोड़ में रखकर की जाती है। इसमें किसी तरह के टांके लगाए नहीं जाते हैं, जिससे किसी तरह टिश्यू के फटने और अस्पताल में ज्यादा समय भर्ती रहने जैसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता।
Piles laser surgery करने के लिए पहले कुछ जांच की जाती है, जिसमें ब्लड और यूरिन टेस्ट आम तौर पर किया जाता है। सर्जरी करने से पहले मरीज को एनेस्थीसिया देकर गुदा के आस-पास के क्षेत्र को सुन्न किया जाता है।
ओपन हेमरॉयडेक्टमी | लेजर हेमरॉयडेक्टमी |
बवासीर के इलाज की पुरानी सर्जिकल प्रक्रिया | बवासीर के इलाज की नवीनतम सर्जिकल प्रक्रिया |
इलाज के दौरान बड़ा चीरा लगाया जाता है | इलाज के दौरान चीरा नहीं लगाया जाता है |
ऑपरेशन के दौरान खून बहता है | कोई रक्तस्त्राव नहीं |
रिकवरी में असहजता और दर्द | रिकवरी आसानी से हो जाती है और दर्द भी कम होता है |
कई घंटे की प्रक्रिया | आधा घंटा की प्रक्रिया |
ऑपरेशन के दौरान जनरल एनेस्थीसिया का उपयोग | लोकल एनेस्थीसिया का प्रयोग |
ऑपरेशन के बाद इन्फेक्शन का खतरा अधिक | इन्फेक्शन की संभावना बहुत कम |
बवासीर के ऑपरेशन के बाद ठीक होने की प्रक्रिया अलग-अलग व्यक्तियों के लिए अलग-अलग होती है। बवासीर लेजर ऑपरेशन के बाद पूरी तरह ठीक होने में 30 से 45 दिन लग सकते हैं।
नीचे बताई गई चीज़ों का ध्यान रखना ज़रूरी है:
अगर आपको मल त्याग करने में कठिनाई आ रही है, तो मल सॉफ्टनर का इस्तेमाल करें लेकिन सिर्फ डॉक्टर से परामर्श करने के बाद।
बवासीर के ऑपरेशन के बाद ठीक होने की प्रक्रिया अलग-अलग व्यक्तियों के लिए अलग-अलग होती है। बवासीर लेजर ऑपरेशन के बाद पूरी तरह ठीक होने में 30 से 45 दिन लग सकते हैं।
नीचे बताई गई चीज़ों का ध्यान रखना ज़रूरी है:
अगर आपको मल त्याग करने में कठिनाई आ रही है, तो मल सॉफ्टनर का इस्तेमाल करें लेकिन सिर्फ डॉक्टर से परामर्श करने के बाद।
बवासीर के ऑपरेशन की तैयारी करते समय आपके डॉक्टर द्वारा दिए गए सभी निर्देशों का पालन करना ज़रूरी है ताकि यह तय हो पाए की आपके ठीक होने की प्रक्रिया सही दिशा में है।
बवासीर के ऑपरेशन की तैयारी करते समय आपके डॉक्टर द्वारा दिए गए सभी निर्देशों का पालन करना ज़रूरी है ताकि यह तय हो पाए की आपके ठीक होने की प्रक्रिया सही दिशा में है।
पाइल्स (बवासीर) के प्रकार और उसके उपचार:-
इस तरह के बवासीर गुदा यानि एनल के अंदरूनी हिस्से में होते है। यह मलाशय के अंदर विकसित होता है। कभी-कभी ये दिखाई नहीं देते क्योंकि ये गुदा में काफी अंदर पाए जाते हैं। इस प्रकार के बवासीर कोई गंभीर समस्या नहीं है और खानपान में बदलाव करने और स्टूल सॉफ्टनर लगाने से ये बवासीर समय के साथ धीरे-धीरे ठीक हो जाते हैं।
बाहरी बवासीर में मस्से गुदा की बाहरी जगह पर होते है। यह ठीक उसी सहत पर होते हैं जहां से मलत्याग किया जाता हैं। कभी-कभी ये देरी से दिखाई देते हैं लेकिन कई बार यह गुदा की सहत पर गांठ के रूप में देखें जा सकते हैं। शुरूआती समय में इसमें ज्यादा तकलीफ नहीं होती, लेकिन यही गांठ बढ़ने के साथ समस्या भी बढ़ जाती है।
जब अंदरूनी बवासीर में सूजन आ जाती है और वह गुदा के बाहर की तरफ निकलने लगता है तो इस स्थिति को प्रोलेप्सड बवासीर कहा जाता है। इसमें एक गांठ, जिसमें सूजन होती है वह बाहर निकली हुई गांठ की तरह दिखाई देती है। ये बहुत गंभीर स्तिथि है और इसमें दर्द भी काफी ज़्यादा होता है। इसके इलाज के लिए सर्जरी करवाना और दवाइयां लेना ज़रूरी है।
खूनी बवासीर की समस्या बवासीर के सभी प्रकारों में से सबसे ज़्यादा गंभीर समस्या है। क्योंकि बवासीर में से खून निकलने के चलते व्यक्ति कमजोर हो जाता है। इस स्थिति में बहुत दर्द और सूजन होने लगती हैं जो आपकी जीवनशैली को प्रभावित करती हैं। मलत्याग के दौरान अगर खून निकल रहा है तो इसका उपचार करवाना ज़रूरी है और इस तरह के बवासीर के लिए ऑपरेशन ही एक मात्र इलाज है।
बाहरी बवासीर का उपचार, आंतरिक बवासीर के जैसा ही होता है। उपचार के लिए ये तरीके अपनाएं:
पाइल्स (बवासीर) के प्रकार और उसके उपचार:-
इस तरह के बवासीर गुदा यानि एनल के अंदरूनी हिस्से में होते है। यह मलाशय के अंदर विकसित होता है। कभी-कभी ये दिखाई नहीं देते क्योंकि ये गुदा में काफी अंदर पाए जाते हैं। इस प्रकार के बवासीर कोई गंभीर समस्या नहीं है और खानपान में बदलाव करने और स्टूल सॉफ्टनर लगाने से ये बवासीर समय के साथ धीरे-धीरे ठीक हो जाते हैं।
बाहरी बवासीर में मस्से गुदा की बाहरी जगह पर होते है। यह ठीक उसी सहत पर होते हैं जहां से मलत्याग किया जाता हैं। कभी-कभी ये देरी से दिखाई देते हैं लेकिन कई बार यह गुदा की सहत पर गांठ के रूप में देखें जा सकते हैं। शुरूआती समय में इसमें ज्यादा तकलीफ नहीं होती, लेकिन यही गांठ बढ़ने के साथ समस्या भी बढ़ जाती है।
जब अंदरूनी बवासीर में सूजन आ जाती है और वह गुदा के बाहर की तरफ निकलने लगता है तो इस स्थिति को प्रोलेप्सड बवासीर कहा जाता है। इसमें एक गांठ, जिसमें सूजन होती है वह बाहर निकली हुई गांठ की तरह दिखाई देती है। ये बहुत गंभीर स्तिथि है और इसमें दर्द भी काफी ज़्यादा होता है। इसके इलाज के लिए सर्जरी करवाना और दवाइयां लेना ज़रूरी है।
खूनी बवासीर की समस्या बवासीर के सभी प्रकारों में से सबसे ज़्यादा गंभीर समस्या है। क्योंकि बवासीर में से खून निकलने के चलते व्यक्ति कमजोर हो जाता है। इस स्थिति में बहुत दर्द और सूजन होने लगती हैं जो आपकी जीवनशैली को प्रभावित करती हैं। मलत्याग के दौरान अगर खून निकल रहा है तो इसका उपचार करवाना ज़रूरी है और इस तरह के बवासीर के लिए ऑपरेशन ही एक मात्र इलाज है।
बाहरी बवासीर का उपचार, आंतरिक बवासीर के जैसा ही होता है। उपचार के लिए ये तरीके अपनाएं:
यदि आपको नीचे बताए गए लक्षण दिखते हैं, तो आपको तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करने की सलाह दी जाती है।
यदि आपको नीचे बताए गए लक्षण दिखते हैं, तो आपको तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करने की सलाह दी जाती है।
बवासीर की लेजर सर्जरी का खर्च 15,000 से 60,000 के बीच आता है। हालांकि ये खर्चा ओपन सर्जरी से ज़्यादा होता है क्योंकि ये एक आधुनिक सर्जरी है जिसकी वजह से मरीज को दर्द नहीं होता और बवासीर के वापस आने की संभावनाएं बहुत कम हो जाती हैं।
सबसे पहले मरीज को पाइल्स है या नहीं, इसकी जांच की जाती है। डॉक्टर मरीज से लक्षण जानने के बाद एनस में gloved और lubricated उंगली डाल कर गुदा की जांच करते हैं। अगर डॉक्टर को गुदा की स्थिति असामान्य लगती है, तो वह sigmoidoscopy टेस्ट करने का सुझाव दे सकते हैं। अगर इन टेस्ट में पाइल्स होने की पुष्टि होती है तो डॉक्टर पाइल्स की स्टेज के अनुसार सर्जरी करने का सुझाव देते हैं। कई लोगों को किसी दूसरे कारणों से भी स्टूल पास करते समय खून आता है, अगर यह पाइल्स न हो तो डॉक्टर दूसरा इलाज बताते हैं।
पाइल्स की लेजर सर्जरी (Piles laser surgery) के बाद रिकवर होने में बहुत कम समय लगता है। पाइल्स की लेजर सर्जरी में रिकवरी बहुत जल्दी होती है। अलेजर सर्जरी में सिर्फ 10 मिनट से आधा घंटा का समय लगता है और मरीज को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ती है। लेजर सर्जरी की खासियत है कि इसमें कम दर्द होता है। लेजर सर्जरी के बाद अगले दिन से ही सामान्य काम (चलना-फिरना, चाय बनाना, ऑफिस जाना आदि) करने की इजाजत होती है। बवासीर की लेजर सर्जरी में कोई दाग नहीं बनता है, ये सर्जरी दाग रहित होती है। लेजर सर्जरी करवाने से पाइल्स दोबारा नहीं होता है।
सबसे पहले आपको यह समझना होगा कि खूनी बवासीर का रामबाण इलाज सिर्फ लेजर ऑपरेशन है। लेकिन कुछ एहतियात बरतने के लिए कुछ नियमों का पालन करना चाहिए जैसे –
दवा के जरिए भी बवासीर का इलाज किया जा सकता है, लेकिन तभी तक जब तक बवासीर प्रथम चरण या दूसरे चरण में हो। अगर मस्से थोड़े बड़े हो जाए तो इलाज के लिए सर्जरी की आवश्यकता पड़ सकती है।
बवासीर की पुष्टि हो जाने के बाद आपको कुछ सावधानियां बरतनी होती है, जैसे –
घरेलू नुस्खे और देसी उपचार सदियों से ही प्रचलन में रहे हैं, लेकिन कई बार ये बवासीर को ठीक कर पाने में सक्षम नहीं होते हैं। जब बवासीर का ग्रेड तीन या तीन से अधिक होता है, तो इसे घरेलू नुस्खे से ठीक कर पाना मुश्किल होता है और ऐसी परिस्थिति में ऑपरेशन एक आखरी जरिया होता है
अगर आपको नीचे दिए गए लक्षणों में से कोई भी लक्षण दिखाई दें तो अपने डॉक्टर से जांच करवाएं:
पाइल्स(बवासीर) का सबसे सुरक्षित और प्रभावी ढंग से इलाज करने के लिए लेजर सर्जरी एक बेहतरीन इलाज हैं। यह प्रक्रिया चीरा और कट रहित प्रक्रिया है जो मरीजों को सर्जरी के बाद जल्द से जल्द ठीक होने में मदद करती है।
प्रेगनेंसी में बवासीर का इलाज आपके बवासीर की गंभीरता पर निर्भर करता है। प्रोलैप्स्ड पाइल्स को हटाने के लिए सर्जिकल इलाज की ज़रूरत हो सकती है। इन्हें गर्भावस्था के किसी भी तिमाही के दौरान सुरक्षित रूप से हटाया जा सकता है।
छोटे बवासीर घरेलू उपचार और दवाओं से अपने आप ठीक हो सकते है। हालांकि, बड़े बाहरी बवासीर के इलाज के लिए सर्जरी करवाना ज़रूरी होता है वे अपने आपसे ठीक नहीं होते हैं।
बड़ी बवासीर (badi bawaseer) – इस स्थिति में बवासीर का आकार बढ़ जाता है। बवासीर के इस ग्रेड में ऑपरेशन ही एकमात्र इलाज होता है। इलाज से पहले इस स्थिति का निदान एक बेहद ही आवश्यक स्थिति होती है। बड़ी बवासीर के लक्षण बहुत ज्यादा कष्टदायक होते हैं और जैसे ही इसका निदान होता है, डॉक्टर इस स्थिति का इलाज जल्द से जल्द करने को कहते हैं। बड़ी बवासीर के लक्षण इस प्रकार है –
यदि आप बड़ी बवासीर का इलाज कराना चाहते हैं तो तुरंत अपने डॉक्टर से अपने लक्षणों के बारे में बात करें और उनके सुझावों का पालन करें।
Pritam Behera
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