जब किसी महिला का कप साइज डी या इससे अधिक होता है तो सर्जन ब्रेस्ट रिडक्शन सर्जरी का सुझाव देते हैं। इसके अलावा भी ब्रेस्ट रिडक्शन सर्जरी को कई कारणों से किया जाता है, जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं:-
बड़े ब्रेस्ट के कारण शारीरिक समस्या होना
ब्रेस्ट के बड़े होने के कारण महिला को काफी शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है, जिसमें गर्दन, कंधा, पीठ और स्तनों में दर्द होना शामिल है। जब ये परेशानियां अधिक बढ़ जाती हैं तो इन सबसे छुटकारा पाने के लिए ब्रेस्ट रिडक्शन सर्जरी का चयन किया जाता है।
शारीरिक गतिविधियों में हिस्सा न ले पाना
टाइट, सुडौल और सही आकार के बूब्स महिला के आत्मविश्वाश को बढ़ाते हैं। जब कोई महिला अपने स्तनों के बड़े आकार के कारण किसी प्रकार की शारीरिक गतिविधियों में हिस्सा लेने में असमर्थ होती है तो ब्रेस्ट रिडक्शन सर्जरी एक विकल्प के रूप में सामने आता है। स्तनों के बड़े होने के कारण महिला को शारीरिक गतिविधियां जैसे कि दौड़ने या व्यायाम करने में शर्मिंदगी और भावनात्मक संकट से गुजरना पड़ता है।
हर्निएटेड डिस्क से पीड़ित होना
हर्निएटेड डिस्क से पीड़ित महिला को ब्रेस्ट रिडक्शन सर्जरी का सुझाव दिया जाता है। यह नर्वस सिस्टम को प्रभावित करने वाली एक बीमारी है, जो लंबे समय तक एक जगह बैठने के कारण होती है।
ब्रेस्ट के आकार को कम करने के दूसरे उपायों का फेल होना
जब ब्रेस्ट को कम करने वाले दूसरे उपाय जैसे कि व्यायाम, योग, दवा और दूसरे घरेलू उपाय फेल हो जाते हैं तब इस सर्जरी का चुनाव किया जाता है।
पुरुषों में गाइनेकोमैस्टिया होना
जिस पुरुष को गाइनेकोमैस्टिया होता है, उन्हें भी ब्रेस्ट रिडक्शन सर्जरी का सुझाव दिया जाता है। गाइनेकोमैस्टिया से पीड़ित पुरुष के स्तनों का आकार सामान्य से काफी अधिक बड़ा हो जाता है। यह समस्या आमतौर पर यौवन (Puberty) या बुढ़ापे में होती है। ब्रेस्ट रिडक्शन सर्जरी से गाइनेकोमैस्टिया का बेस्ट इलाज किया जा सकता है।
ब्रेस्ट रिडक्शन सर्जरी कैसे की जाती है
ब्रेस्ट रिडक्शन सर्जरी को शुरू करने से पहले प्लास्टिक सर्जन मरीज को कुछ जांच करवाने का सुझाव देते हैं। स्तन किसी भी महिला के शरीर का सबसे खास और संवेदनशील अंग होता है। इसलिए इस सर्जरी को पूरी सावधानी और परफेक्शन के साथ किया जाता है। इस सर्जरी को शुरू करने से पहले, सर्जन महिला के स्वास्थ्य की अच्छी तरह जांच करते हैं। जांच में निम्नलिखित चीजें शामिल हैं।
महिला की मेडिकल हिस्ट्री की जांच करना
ब्रेस्ट रिडक्शन सर्जरी करने से पहले सर्जन महिला की मेडिकल हिस्ट्री की जांच करते हैं ताकि इस बात को सुनिश्चित किया जा सके कि उस महिला को पहले से कोई शारीरिक समस्या नहीं है और वह इस सर्जरी के लिए पूरी तरह से फिट है।
ब्रेस्ट रिडक्शन सर्जरी को शुरू करने से पहले सर्जन महिला के स्तनों की अच्छी तरह से जांच करते हैं। इसमें ब्रेस्ट के आकार को मापा जाता है ताकि इस बात को तय किया जा सके कि सर्जरी के दौरान ब्रेस्ट के आकार को कितना कम करना है। जांच के तौर पर सर्जन स्तनों का मैमोग्राम टेस्ट कर सकते हैं। साथ ही, स्तनों की तस्वीर भी लेते हैं ताकि उसे मेडिकल रिकॉर्ड के लिए रखा जा सके।
इन सबके बाद, सर्जरी की प्रक्रिया को शुरू किया जाता है। ब्रेस्ट रिडक्शन सर्जरी की प्रक्रिया को 4 भागों में बांटा जा सकता है।
ब्रेस्ट रिडक्शन सर्जरी की शुरुआत में सबसे पहले सर्जन मरीज को एनेस्थीसिया देते हैं। एनेस्थीसिया के कारण मरीज बेहोश हो जाते हैं, जिसकी वजह से इस पूरी सर्जिकल प्रक्रिया के दौरान मरीज को जरा भी दर्द या दूसरी किसी प्रकार की परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता है।
एरिओला के चारों तरफ कट लगाना
मरीज को एनेस्थीसिया देने के बाद सर्जन एरिओला के चारों तरफ कट लगाते हैं। निप्पल के चारों तरफ मौजूद पिग्मेंटेड स्किन के छोटे से रिंग को एरिओला कहा जाता है।
एक्स्ट्रा फैट और टिशू को हटाना
एरिओला के आस-पास कट लगाने के बाद सर्जन स्तनों में मौजूद एक्ट्रा फैट और टिशू को लिपोसक्शन की मदद से हटा देते हैं। आवश्यकता होने पर सर्जन एरिओला के किनारों को काटकर उसे भी छोटा कर सकते हैं। अगर स्तन बहुत बड़े हैं तो सर्जन एरिओला और निप्पल को हटाकर स्तन के ऊपरी हिस्से पर लगा सकते हैं।
एरिओला के चारों तरफ लगे कट को बंद करना
निप्पल को स्तन के ऊपरी हिस्से में लगाने, एरिओला को छोटा करने, स्तनों में मौजूद फैट और टिशू को बाहर निकालने और अंतत: स्तनों को एक नया, छोटा और मनचाहा आकार देने के बाद, लगाए गए कट को टांके, पट्टियों और सर्जिकल टेप की मदद से बंद कर दिया जाता है।
ब्रेस्ट रिडक्शन सर्जरी को पूरा होने में लगभग 2-4 घंटों का समय लगता है। यह एक दिन की सर्जिकल प्रक्रिया है। इसलिए सर्जरी के बाद, मरीज को हॉस्पिटलाइजेशन की जरूरत नहीं पड़ती है। सर्जरी खत्म होने के कुछ ही घंटों के बाद, मरीज को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया जाता है। इस सर्जरी के बाद पूरी तरह से ठीक होने में लगभग 8-12 सप्ताह का समय लगता है।