फाइमोसिस या फिमोसिस एक ऐसी बीमारी है, जिसमें लिंग की ऊपरी स्किन (Foreskin) बहुत ज्यादा टाइट हो जाती है और नीचे करने पर वह पीछे की तरफ नहीं हट पाती है। जिन पुरुषों का खतना नहीं होता है, उनमें इस बीमारी के होने की संभावना बहुत अधिक होती है। इससे प्रभावित व्यक्ति के पेनिस की स्किन एक समय के बाद इतनी ज्यादा टाइट हो जाती है कि वह पीछे की तरफ नहीं जा पाती और ऐसी स्थिति में खतना करवाना ही एकमात्र विकल्प बचता है।
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बच्चों के जन्म के बाद शुरू के कुछ सालों में Glans (पेनिस का सिरे वाला हिस्सा) और ऊपरी स्किन आपस में जुड़ी होती है। लेकिन स्किन पीछे न हटने के कारण बार-बार इंफेक्शन होने लगता है। इसके कारण लिंग के ऊपर की त्वचा सख्त हो जाती है। इन सभी के कारण फाइमोसिस नाम का रोग होता है। इसकी वजह से मरीज को पेशाब करने में परेशानी होती है और साथ ही साथ यौन संबंधित बीमारी होने का खतरा भी बना रहता है।
विशेषज्ञों के अनुसार अगर फाइमोसिस का इलाज समय पर नहीं हुआ तो यह प्रोस्टेट कैंसर का कारण बन सकता है और ऐसी स्थिति में मरीज के पास सर्जरी ही एक मात्र विकल्प बचता है। यह पुरुषों में होने वाला एक गुप्त रोग है, जिसकी वजह से मरीज इस बारे में बात करने से शर्माते और कतराते हैं।
Disease name
फाइमोसिस
Surgery name
खतना - फोरस्किन हटाने की सर्जरी
Duration
15 से 30 मिनट
Treated by
जनरल सर्जन
फाइमोसिस दो प्रकार के होते हैं।
फाइमोसिस उन लोगों में ज्यादा होता है, जिनका खतना नहीं हुआ होता। इससे होने वाले खतरे को रोकने के लिए जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करने की सलाह दी जाती है। बच्चों में फाइमोसिस होना आम है, जिसके लिए किसी भी प्रकार के खास इलाज की आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि समय के साथ यह अपने आप ही ठीक हो जाता है। लेकिन अगर यही बीमारी वयस्क को हो जाए तो इसे आम नहीं समझना चाहिए, क्योंकि इसके भीषण जटिलताएं देखने को मिल सकती है।
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फाइमोसिस उन लोगों में ज्यादा होता है, जिनका खतना नहीं हुआ होता है। इससे होने वाले खतरे को रोकने के लिए जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें। बच्चों में फाइमोसिस होना आम है, जिसके लिए किसी उपाय की जरूरत नहीं होती है, क्योंकि समय के साथ ये अपने आप ही ठीक हो जाता है। लेकिन अगर यही बीमारी वयस्क को हो जाए तो इसे आम नहीं समझना चाहिए, क्योंकि यह उत्तेजना तथा पेनिस के सामने वाली स्किन के इंफेक्शन से हो सकता है।
अक्सर बच्चा जब दो साल का हो जाता है, तो उसके लिंग की त्वचा इसी तरह की होती है। दो साल की उम्र के पश्चात लिंग के ऊपर की स्किन अपने आप नीचे आ जाती है।
लेकिन कुछ मामलों में त्वचा को अलग होने में कुछ ज्यादा समय भी लग सकता है। यदि आप इसे उसी क्षण समस्या समझेंगे तो इससे आपको ही परेशानी होगी।
यदि बच्चे के लिंग की त्वचा स्वयं नीचे नहीं जा रही है, तो आपको इसके लिए किसी भी प्रकार की जोर जबरदस्ती करने की आवश्यकता नहीं है। यदि आप ऐसा करते हैं, तो इससे नुकसान उस बच्चे को होगा। इस संबंध में तुरंत एक अच्छे डॉक्टर से परामर्श लें।
Benefit | Others | Pristyn Care |
---|---|---|
Cuts | Multiple | Minimal |
Blood Loss | Maximum | Minimal |
Scars & Stitches | Yes | Minimal |
Recovery | Low | High |
Follow Up Consultation | No | Yes |
Technology | Traditional | Advanced |
Hospital Duration | Long | Short |
No Cost EMI | No | Yes |
किसी भी बीमारी के कारणों का पता चल जाए तो आसानी से रोकथाम का उपाय कर सकते हैं। यही बात फाइमोसिस पर भी लागू होती है। इसके भी कुछ कारण हैं जिन्हें जानने के बाद हम इस बीमारी से छुटकारा पा सकते हैं।
फाइमोसिस का परीक्षण करने के लिए डॉक्टर सबसे पहले मरीज की पिछली मेडिकल हिस्ट्री जानता है। जिससे डॉक्टर को यह जानने में मदद मिलती है कि क्या मरीज को पहले कभी पेनिस में इंफेक्शन या चोट तो नहीं आई थी। साथ ही वह यौन गतिविधियों के समय होने वाले लक्षणों और प्रभावों के बारे में भी पूछ सकते हैं।
फाइमोसिस की स्थिति को अच्छे से समझने के लिए पेनिस और उसकी ऊपरी स्किन के साथ-साथ शारीरिक परीक्षण भी किया जाता है, जो बहुत ही आसान होता है और बहुत ही कम समय में पूरा भी हो जाता है।
फाइमोसिस की जांच करने के लिए डॉक्टर कुछ अन्य दूसरे जरूरी जांच भी लिख सकते हैं जो नीचे दिए हुए हैं:
ऐसी स्थिति में अक्सर डॉक्टर खतना करने का सुझाव देते हैं। इसे कई लोग पेनिस स्किन सर्जरी भी कहते हैं। अगर दो साल के बाद भी फाइमोसिस की समस्या बनी रहती है और खासकर अगर इसके कारण पेनिस इंफेक्शन या मूत्र पथ में इंफेक्शन हो तो डॉक्टर से मिलकर इसके बेहतर इलाज का सुझाव लें।
अगर क्रीम लगाने के बाद भी फाइमोसिस की समस्या ठीक ना हो तो खतना करने का फैसला लिया जाता है। खतना एक सर्जिकल प्रक्रिया है जिसके जरिए फोरस्किन को काटकर हटाया जाता है। यह प्रक्रिया चोट आदि के कारण होने वाले फाइमोसिस का उपचार करने के लिए बहुत जरूरी है।
खतना की मदद से बार-बार मूत्र पथ या फोरस्किन में इन्फेक्शन, टाइट फ्रेनुलम, बैलानीइटिस, बालनोपोस्टहाइटिस, पेराफिमोसिस होने के कारण होने वाले फाइमोसिस का भी इलाज किया जाता है। अगर फाइमोसिस के कारण आपको पेशाब करने में तकलीफ होती है तो भी खतना करवाने की जरूरत पड़ सकती है।
डॉकटर फोरस्किन को हटाने के लिए सर्जरी के दौरान उसे एक उपकरण से पकड़ते हैं और स्किन को काटकर पेनिस से अलग कर देते हैं। फिर glans (पेनिस का सिरे वाला हिस्सा) के नीचे की त्वचा को पेनिस की स्किन के साथ सिलाई करने के बाद जख्म को पेट्रोलियम जैली या किसी दूसरे एंटीबायोटिक मलहम से भरी हुई रुई के टुकड़े के साथ बैंडेज बांध देते हैं।
खतना की जगह प्लास्टिक सर्जरी का प्रयोग भी किया जा सकता है। इस प्रक्रिया के दौरान फोरस्किन में एक या एक से ज्यादा छेद कर दिए जाते हैं। जिससे स्किन आसानी से पीछे हट जाती है।
फाइमोसिस का उपचार करने के लिए तीन प्रकार से खतना किए जा सकते हैं –
ओपन खतना – इस प्रक्रिया में तेज धारदार वाले उपकरण की सहायता से लिंग के चमड़ी को हटा दिया जाता है, इस दौरान रोगी एनेस्थीसिया के प्रभाव में होता है और उसे दर्द नहीं होता है लेकिन, अधिक मात्रा में खून बहता है। बाद में इन्फेक्शन होने का खतरा अधिक होता है और कुछ दिनों तक रोगी को पैंट आदि नहीं पहनने की सलाह दी जाती है। कुछ दिनों के लिए अपने काम से अवकाश भी लेना पड़ता है।
लेजर खतना – यह फाइमोसिस का उपचार करने की एडवांस और दर्द रहित सर्जरी है, इसमें कोई कट नहीं लगाया , कोई रक्तस्त्राव नहीं होता है और इन्फेक्शन की कोई संभावना नहीं होती है। खतना करने के बाद रोगी घर जा सकता है और अगले दिन से ऑफिस भी जा सकता है। रिकवरी में कोई दर्द नहीं होता है। इसमें लेजर किरण की मदद से लिंग की ऊपरी चमड़ी को अलग किया जाता है।
स्टेपलर खतना – यह भी लेजर सर्जरी की तरह एडवांस प्रक्रिया है, लेकिन लेजर सर्जरी की तुलना में इसमें रिकवर होने में थोड़ा अधिक समय लगता है।
बच्चों का खतना करते समय उनके पेनिस में एक सुन्न करने वाली दवा इंजेक्शन द्वारा लगाई जाती है। यह सर्जिकल प्रक्रिया के दौरान होने वाले दर्द को कम कर देती है। लेकिन जब वयस्कों का खतना किया जाता है तब उनकी सर्जिकल प्रक्रिया के लिए जनरल अनेस्थेटिक की मदद से बेहोश किया जाता है।
अगर क्रीम लगाने के बाद भी फाइमोसिस की समस्या ठीक ना हो तो खतना करने का फैसला लिया जाता है। खतना एक सर्जिकल प्रक्रिया है जिसके जरिए फोरस्किन को काटकर हटाया जाता है। यह प्रक्रिया चोट आदि के कारण होने वाले फाइमोसिस का उपचार करने के लिए बहुत जरूरी है।
खतना की मदद से बार-बार मूत्र पथ (Urinary tract) या फोरस्किन में इंफेक्शन होने के कारण होने वाले फाइमोसिस का भी इलाज किया जाता है। अगर फाइमोसिस के कारण आपके बच्चे को पेशाब करने में तकलीफ होती है तो भी खतना करवाने की जरूरत पड़ सकती है। भविष्य में फाइमोसिस से बचने के लिए माँ-बाप अक्सर 2 साल की उम्र में ही अपने बच्चों का खतना करवा देते हैं।
फाइमोसिस होने का सबसे बड़ा कारण शरीर का गंदा रहना है। कुछ खास बातों का पालन कर आसानी से फाइमोसिस की रोकथाम की जा सकती है।
किसी भी बीमारी से बचने के लिए शरीर का स्वस्थ रहना सबसे अधिक आवश्यक है और यह एक हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने के बाद ही मुमकिन है। इसके लिए आपको नियमित तौर पर व्यायाम करना होगा और खान-पान की चीज़ों में बहुत सेलेक्टिव होना पड़ेगा। साथ ही शराब, सिगरेट और दूसरे नशीले पदार्थों तथा सेहत को नुकसान पहुंचाने वाले चीजों से दूर रहना होगा।
अगर आप रोजाना व्यायाम करते हैं और अपनी जीवनशैली को ठीक रखते हैं तो काफी हद तक आप खुद को फाइमोसिस से बचा सकते हैं। इसके बावजूद भी अगर आपको प्रॉब्लम हो रही है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और साथ ही अपने खान-पान और सेहत का भी ख्याल रखें।
औसतन, भारत में खतना सर्जरी का खर्च 30,000 रु. से लेकर 35,000, रु. आता है जो विभिन्न प्रकार के कारकों पर निर्भर करता है जैसे कि सर्जरी का प्रकार, सर्जरी का कारण, सर्जिकल देखभाल की आवश्यकता आदि।
किसी भी दूसरी बीमारी की तरह फाइमोसिस के भी कुछ लक्षण होते हैं, जो इसके होने का संकेत देते हैं। यदि आपको भी ऐसे संकेत दिखते हैं, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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