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एनल फिशर ट्रीटमेंट (गुदा में दरार का इलाज) - Anal Fissure in Hindi

एनल फिशर (गुदा में दरार) के लिए तत्काल उपचार ज़रूरी है। आप Pristyn Care में एनल फिशर के लिए सर्वश्रेष्ठ उपचार का फायदा उठा सकते हैं, क्योंकि हमारे पास है अत्याधुनिक लेजर सर्जरी, एनोरेक्टल विशेषज्ञ और चिकित्सा देखभाल कोऑर्डिनेटर और इसके साथ-साथ आप बिना किसी अतरिक्त लागत(no-cost EMIs) के उपचार पा सकते हैं।

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फिशर क्या होता है? । Fissure Meaning in Hindi

एनल फिशर यानी कि गुदा में दरार एक सामान्य एनोरेक्टल प्रॉब्लम है जो गुदा के आसपास के क्षेत्र को प्रभावित करती है। गुदा में लगने वाला कट या गुदा की त्वचा का छील या फट जाना एनल फिशर कहलाता है। फिशर का इलाज किया जा सकता है। अगर यह समस्या 6 हफ्तों से अधिक तक रहती है, तो इसे एनल फिशर की गंभीर स्थिति माना जाता है। यह समस्या सख्त मल त्याग करने के कारण भी हो सकती है। एनल फिशर के कारण मरीज को गुदा क्षेत्र में दर्द होता है या खून निकलता है। एनल फिशर का इलाज दवाओं और अन्य सावधानियों को अपनाकर साथ किया जा सकता है, लेकिन यदि एनल फिशर के लक्षण गंभीर स्थिति में पहुंच चुके हैं तो, इसके इलाज के लिए सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है।

फिशर फोटो
फिशर फोटो

• बीमारी का नाम

एनल फिशर

• सर्जरी का नाम

लेजर स्फिंक्टेरोटॉमी

• अवधि

15 से 20 मिनट

• सर्जन

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एनल फिशर के प्रकार (फोटो) और उनका ट्रीटमेंट

एनल फिशर अलग-अलग कारणों से हो सकता है जैसे पुराने दस्त, गंभीर कब्ज, चोट, इसके अलावा क्रोहन रोग, एनल कैंसर, एसटीडी (STDs), आदि।

एनल फिशर के 2 मुख्य प्रकार हैं:

  • तीव्र(Acute) फिशर– त्वचा की ऊपरी सतह पर छेद या दरार को तीव्र(Acute) फिशर कहा जाता है। इसको मल्हम, दवाओं, फाइबर से भरपूर आहार, और घरेलू उपचार जैसे सिट्ज़ बाथ (एनल की जगह को गर्म पानी से धोना) के साथ इलाज किया जा सकता है।
  • क्रोनिक(Chronic) फिशर– अगर त्वचा की सतह पर हुआ छेद या दरार ठीक ना हो पाए तो समय के साथ क्रोनिक(Chronic) फिशर विकसित होने लगता है। इस प्रकार की दरारों का सर्जरी से बेहतर इलाज किया जाता है।

क्या आप इनमें से किसी लक्षण से गुज़र रहे हैं?

एनल फिशर उपचार (ट्रीटमेंट) के दौरान क्या होता है?

निदान

यदि आप एनल फिशर का इलाज करवाना चाहते हैं तो, प्रिस्टीन केयर के पास अनुभवी प्रोक्टोलॉजिस्ट की टीम है। एनल फिशर का इलाज उसके लक्षणों की गंभीरता पर निर्भर करता है। इसे जीवनशैली में बदलाव, दवाओं और सर्जिकल प्रक्रियाओं की मदद से ठीक किया जा सकता है। एनल फिशर का इलाज करने से पहले प्रोक्टोलॉजिस्ट, मरीज को कई प्रकार की चिकित्सकीय जांच करने की सलाह दे सकते हैं। एनल फिशर की जांच प्रक्रिया में सिग्मोइडोस्कोपी, एंडोस्कोपी और कोलोनोस्कोपी शामिल है।

फिशर का ऑपरेशन कैसे होता है?

अगर आपका एनल फिशर दवा और अन्य उपचारों से ठीक नहीं होता है, तो फिर आपकी ये समस्या गंभीर है। गंभीर फिशर के लिए लेजर ट्रीटमेंट सबसे प्रभावी उपचारों में से एक है। इस प्रक्रिया के दौरान, मरीजों को पहले सामान्य या स्थानीय एनेस्थीसिया दिया जाता है। फिर जब मरीज सो जाता है तब सर्जन लेजर जांच का उपयोग करता है, लेजर उपकरण में से लेजर रेडिएशन निकलते हैं और ये रेडिएशन म्यूकस को ठीक करते हैं। इस उपचार में करीब 30 मिनट का समय लगता है और मरीज उसी दिन घर जा सकता है।

लेजर एनल फिशर ऑपरेशन के लिए खुद को कैसे करें तैयार?

ऑपरेशन की तैयारी करते समय अपने डॉक्टर द्वारा दिए गए सभी निर्देशों का पालन करना ज़रूरी है ताकि यह तय हो पाए की आपके ठीक होने की प्रक्रिया सही दिशा में है।

  • अगर आपको किसी दवा से एलर्जी है तो अपने डॉक्टर को पहले से बता दें।
  • ऑपरेशन से एक रात पहले ज़्यादा भोजन करने से बचें।
  • ऑपरेशन से एक हफ्ते पहले शराब पीने और धूम्रपान करने से बचें।
  • ऑपरेशन के दिन हल्का भोजन करें। भारी खानपान से बचें जो फैट और कार्ब्स में ज़्यादा होते हैं।

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एनल फिशर लेजर ऑपरेशन के बाद ठीक होने की प्रक्रिया क्या है?

एनल फिशर लेजर सर्जरी के बाद ठीक होने की प्रक्रिया अलग-अलग व्यक्तियों के लिए अलग-अलग होती है। एनल फिशर लेजर सर्जरी से पूरी तरह ठीक होने में 30 से 45 दिन लग सकते हैं। इसलिए, आपके ठीक होने के पहले महीने में, आपको नीचे बताई गई चीज़ों पर ध्यान देना चाहिए:

  • भारी वजन उठाने से बचें क्योंकि इससे सर्जिकल जगह पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है।
  • ऐसा भोजन करें जो पौष्टिक हो और जो फाइबर से भरपूर हो। तेल और तली हुई चीजों से परहेज करें।
  • यह सुनिश्चित करने के लिए कि आप हाइड्रेटेड हैं, हर दिन कम से कम 8 से 10 गिलास पानी पिएं।
  • अपने मल त्याग के दौरान ज़ोर ना लगाएं।
  • अगर आपको मल त्याग करने में कठिनाई आ रही है, तो मल सॉफ्टनर का इस्तेमाल करें लेकिन सिर्फ डॉक्टर से परामर्श करने के बाद।
  • दवाइयां लेने और अपने डॉक्टर द्वारा बताए गए मल्हम/क्रीम लगाने में सावधानी बरतें।

एनल फिशर प्रॉब्लम के लिए लेजर ट्रीटमेंट के फायदे जानें

  • न्यूनतम रक्तस्राव और दर्द: लेजर ट्रीटमेंट के दौरान कम से कम खून निकलता है और सर्जरी के बाद दर्द कम होता है क्योंकि लेजर केवल उसी जगह पर असर करती है जहां मरीज को दिक्कत हो रही है।
  • बेहतर सटीकता: लेजर सर्जरी आसपास के टिशू को नुकसान पहुंचाए बिना सिर्फ जिस जगह पर परेशानी है वहीं इलाज करके सटीकता प्रदान करती है।
  • कुछ मिनटों की सर्जरी – एनल फिशर लेजर सर्जरी एक डे केयर सर्जरी है, यानी, आपको उसी दिन अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी।
  • जल्द रिकवरी होती है: चूंकि यह एक कम चीरा लगाने वाली प्रक्रिया है, इसलिए रिकवरी जल्द हो जाती है।

अगर एनल फिशर का समय पर उपचार नहीं किया जाए तो क्या होगा?

एनल फिशर के उपचार में देरी से आपकी स्थिति और खराब हो सकती है। नीचे दिए गए कुछ जोखिम हो सकते हैं जैसे:

  • क्रोनिक फिशर: अगर समय पर इसका इलाज नहीं किया जाता है तो एक तीव्र फिशर एक क्रोनिक स्थिति बन सकता है। फिशर जो 6 से 7 हफ्ते से ज़्यादा समय तक मौजूद रहते हैं, उन्हें क्रॉनिक माना जाता है।
  • मल त्याग करने में कठिनाई: एनल म्यूकस में खिंचाव के कारण फिशर, मल त्याग को बहुत दर्दनाक बना सकता है।
  • आस-पास की मांसपेशियों का फटना: लगातार तनाव और ऐंठन से एनल फिशर आसपास की मांसपेशियों को फाड़ सकता है।

मामले का अध्ययन

नोट: गोपनीयता के लिए रोगी का विवरण बदल दिया गया है

गुड़गांव के रहने वाले 28 वर्षीय पुरुष रिजवान कुछ समय से गुदा विदर यानी एनल फिशर से पीड़ित था, जिससे उसका रोज़ाना जीवन असहज हो गया था। वह कब्ज से भी पीड़ित था और दवा से उसे ज्यादा राहत नहीं मिली क्योंकि उसके घाव हमेशा वापस आ जाते थे। आखिरकार, उनकी स्थिति गंभीर हो गई और इसके परिणामस्वरूप प्रतिदिन तेज दर्द होता था।

इंटरनेट पर गहन अध्ययन करने के बाद, उन्हें Pristyn Care मिला। उन्होंने Pristyn Care से संपर्क किया, और चिकित्सा देखभाल कोऑर्डिनेटर ने विस्तार में बातचीत करने के बाद डॉ अमन प्रिया खन्ना के साथ अपनी अपॉइंटमेंट बुक की। अपॉइंटमेंट के समय डॉ. अमन ने रिजवान की हालत पर गौर किया और धैर्यपूर्वक उसके सभी सवालों का जवाब दिया। उन्होंने रिजवान को अपने इलाज के विकल्पों के बारे में बताया और लेजर एनल फिशर सर्जरी का सुझाव दिया। रिजवान सर्जरी के विचार से बहुत घबराया हुआ था क्योंकि उसने पहले कभी कोई सर्जिकल प्रक्रिया नहीं करवाई थी। हालांकि, डॉ. अमन और चिकित्सा देखभाल कोऑर्डिनेटर ने रिजवान को आश्वस्त किया कि सर्जरी उनकी स्थिति से निपटने और बार बार होने वाले जोखिम को कम करने का सबसे प्रभावी तरीका होगा। इसके अलावा, डॉ अमन ने रिजवान को सूचित किया कि सर्जरी दर्द रहित होगी और इस प्रक्रिया में कम से कम खून निकलेगा। इस चर्चा के बाद, रिजवान ने आराम महसूस किया और लेजर सर्जरी करवाने का फैसला किया। नतीजतन, रिजवान को सर्जरी के बाद आराम मिला और उन्हें सब कुछ करने के लिए इधर-उधर भागने की जरूरत नहीं पड़ी। उनकी बिना किसी समस्या के एक बेहतरीन सर्जरी हुई और उसी दिन उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। अमन जल्द ही ठीक हो गया और काम पर भी जाने लगा। सर्जरी के बाद रिजवान पूरी तरह से ठीक हो गया और सर्जरी के बाद ये समस्या वापस नहीं हुई। Pristyn Care के साथ अपने पूरे समय में, रिज़वान का एक अच्छा अनुभव रहा।

एनल फिशर के ऑपरेशन में कितना खर्च आता है?

एनल फिशर के ऑपरेशन का खर्च मुख्य रूप से सर्जरी के प्रकार पर निर्भर है, जैसे:

  • लेजर सर्जरी- Rs. – Rs.
  • फिशरेक्टॉमी- Rs. 35,000 – Rs. 45, 000
  • स्फिंक्टेरोटॉमी (ओपन सर्जरी)- Rs. 20,000 – Rs. 40,000

एनल फिशर का ऑपरेशन के लिए लेजर सर्जरी सबसे बेहतर विकल्प माना जाता है। इसका सक्सेस रेट 90% से अधिक है। अन्य सर्जिकल प्रक्रियाओं की तुलना में यह जल्दी रिकवरी प्रदान करती है वो भी बिना किसी जटिलता के साथ।

फिशर ठीक होने के लक्षण

फिशर के दौरान आपको अपनी गुदा के अंत में मांसपेशियों में ऐंठन महसूस होती है। यह स्थिति छोटे बच्चों में सबसे ज्यादा देखी जाती है, लेकिन इस रोग का उम्र के साथ कोई संबंध नहीं है। जब आप इसका इलाज प्रिस्टीन केयर को चुनते हैं, तो इसका अर्थ यह है कि आप जल्द से जल्द रिकवर होने वाले हैं। 

लेकिन यहां एक सवाल उठता है कि फिशर ठीक होने के लक्षण क्या है या फिर आपको कैसे पता चलेगा कि आप ठीक हो रहे हैं। सबसे पहले आपको यह समझना होगा कि जिन समस्याओं का सामना आप इलाज से पहले कर रहे थे, उनसे आपको राहत मिलनी शुरू हो जाएगी। 

फिशर ठीक होने के लक्षण कुछ ऐसे हैं, जिनसे आपको पता चल सकता है कि आप फिशर रोग से ठीक हो रहे हैं जैसे – 

  • गुदा में जलन और खुजली का न होना। 
  • मल त्यागते समय दर्द न होना। 
  • गुदा द्वार पर पस न बनना। 

इन लक्षणों का अर्थ है कि आप फिशर की समस्या से ठीक हो रहे हैं।

फिशर में क्या नहीं खाना चाहिए और क्या खाना चाहिए

फिशर, पाइल्स और फिस्टुला कुछ ऐसे रोग हैं जिसमें आपका आहार एक विशेष भूमिका निभाता है। क्या नहीं खाना चाहिए से पहले आपको जानना होगा कि फिशर रोग को अच्छा करने के लिए खाने में क्या क्या खाना चाहिए। निम्नलिखित आदतों को अपनाकर आप फिशर रोग को जल्द से जल्द खत्म कर स्वस्थ हो सकते हैं – 

  • अपने आहार में फाइबर की मात्रा बढ़ाएं।
  • उन फलों का सेवन करें जिनमें साइट्रस की मात्रा अधिक होती है। 
  • मटर और फलियों को अपने आहार में जोड़ें। 
  • भरपूर पानी पीएं।
  • अलसी का बीज आपके लिए लाभकारी साबित होगा। 
  • सेब और पपीते का सेवन करने से आपको लाभ होगा। 

वहीं, अगर आप फिशर के समय या फिशर के ऑपरेशन के बाद भी मसालेदार भोजन, जंक फूड, प्रोसेस्ड फूड, बेकरी उत्पाद जैसे- केक, पेस्ट्री आदि, दुग्ध उत्पाद, कैफीन युक्त पेय या शराब का सेवन करते हैं, तो स्थिति आपके लिए और भी ज्यादा गंभीर हो सकती है। फिशर की जटिलताओं से बचने के लिए आपको इन सभी चीजों को खुद से दूर करना होगा। इस बात से हमें यह तो पता चल गया है कि फिशर में क्या नहीं खाना चाहिए, लेकिन इस संबंध में अधिक जानकारी आपको अपने डॉक्टर से ही मिलेगी। 

ज़्यादतर पूछे जाने वाले सवाल

फिशर का घरेलू इलाज क्या है?

अगर आपका एनल फिशर ज़्यादा गंभीर नहीं है तो आप घर पर रह कर एनल फिशर का इलाज कर सकते है। आप एलोविरा जेल का पानी या उससे फिशर की जगह पर लगा सकते हैं। आप जैतून के तेल को भी फिशर की जगह पर लगा सकते हैं। इसके साथ-साथ हल्के गर्म पानी से स्नान कर सकते हैं।

फिशर सर्जरी के बाद रिकवरी कब तक होती है?

एनल सर्जरी के बाद रिकवरी का समय रोगी की स्वास्थ्य स्थिति पर निर्भर करता है। यह एक मरीज से दूसरे में भिन्न-भिन्न हो सकता है। आमतौर पर एनल फिशर सर्जरी के बाद मरीज को पूरी तरह से ठीक होने में करीब 6 सप्ताह से लेकर 3 महीने तक का समय लग सकता है।

एनल फिशर के लिए सबसे अच्छा इलाज क्या है?

एनल फिशर का सुरक्षित और प्रभावी ढंग से इलाज करने के लिए लेजर एनल फिशर सर्जरी जैसे विशेष इलाज हैं। यह प्रक्रिया चीरा और कट रहित प्रक्रिया है जो मरीजों को सर्जरी के बाद जल्द से जल्द ठीक होने में मदद करती है।

एनल फिशर के क्या-क्या कारण हैं?

फिशर दवाइयों के साइड इफ़ेक्ट से भी हो सकता है। अगर आप ज़्यादा फ़ास्ट फ़ूड खाते हैं या फिर आप ज़्यादा मिर्च और मसाले का भोजन करते हैं तो भी आपको एनल फिशर हो सकता है। इसके साथ मैदा से बना खाना खाने से बचें ये भी एक एनल फिशर होने का कारण बनता है।

एनल फिशर होने की संभावना कब बढ़ जाती है?

  • जब कब्ज हो तब फिशर रोग होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
  • कम पानी पीने पर भी फिशर रोग होने की संभावना बहुत अधिक होती है।
  • ऐसे लोग जिन्हें बाजार का जंक फूड जैसे पिज्जा, बर्गर, नॉन वेज सहित अधिक मिर्च-मसाले वाला भोजन खाने का शौक होता है।
  • जो लोग अधिकतर समय बैठे रहते हैं और शारीरिक मेहनत वाला काम नहीं करते उनको यह बीमारी आसानी से हो सकती है।

एनल फिशर के क्या लक्षण होते हैं?

  • कभी-कभी गुदा में बहुत जलन होती है। गुदा में होने वाली जलन कई बार शौच जाने के 4 या 5 घंटे के बाद तक बनी रहती है।
  • गुदा में खुजली होती है।
  • फिशर की स्तिथि में मल द्वार में अचानक दर्द शुरु हो जाता है।
  • फिशर से पीड़ित व्यक्ति के गुदा से पस निकलना जो पतले पानी जैसा होता है।

एनल फिशर सर्जरी के जोखिम क्या हैं?

ज़्यादातर एनल फिशर सर्जरी सफल होती है, और रोगी संतुष्ट होता है। हालांकि, किसी भी अन्य सर्जरी की तरह, सर्जिकल प्रक्रिया के दौरान संभावित जटिलताएं हो सकती हैं। कुछ जटिलताएं हो सकती हैं जैसे:

  • रक्तस्राव: हालांकि बहुत ही कम होता है, एनल फिशर की सर्जरी के दौरान रक्तस्राव या खून निकलने की संभावना होती है।
  • असंयम: कई मरीज सर्जरी के तुरंत बाद अस्थायी असंयम से पीड़ित होते हैं। समस्या 2-3 हफ्ते से अधिक रहने की संभावना नहीं है और जब तक मरीज पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाता तब तक बनी रह सकती है।
  • पेरिअनल फोड़ा: कुछ लोगों को सर्जरी के बाद फोड़ा या एनल फिस्टुला(भगंदर) होने की शिकायत होती है लेकिन ऐसा बहुत कम होता है।

फिशर की बीमारी कैसे होती है?

एनल फिशर एक दर्दनाक बीमारी है। इसके कारण मरीज को गुदा क्षेत्र काफी दर्द का सामना करना पड़ता है। गंभीर स्थिति में मल त्यागते समय मरीज को ब्लीडिंग भी हो सकती है। इसके कारण गुटा क्षेत्र में एक दरार बना जाती है।एनल फिशर अलग-अलग कारणों से हो सकता है जैसे पुराने दस्त, गंभीर कब्ज, चोट, इसके अलावा क्रोहन रोग, एनल कैंसर, एसटीडी (STDs), आदि। तीव्र (Acute) फिशर– त्वचा की ऊपरी सतह पर छेद या दरार को तीव्र (Acute) फिशर कहा जाता है।

फिशर का सही इलाज क्या है?

एनल फिशर का इलाज उसकी गंभीरता और मरीज की स्वास्थ् स्थिति पर निर्भर करता है। लेकिन ज्यादातर मामलों में इसके सटीक इलाज के लिए लेजर ट्रीटमेंट किया जाता है।

फिशर को जड़ से खत्म कैसे करें?

फिशर को जड़ खत्म करने के लिए सर्जिकल ट्रीटमेंट की आवश्यकता होती है। हालांकि सर्जिकल ट्रीटमेंट के बाद भी दोबारा फिशर होने की संभावना बनी रहती है। इससे बचने के लिए स्वस्थ्य और व्यवस्थित जीवन शैली का अनुसरण बेहद जरूरी होता है। ऐसे में सर्जरी के बाद डॉक्टर द्वारा सुझाए गए दिशा-निर्देशों का पालन करते रहें।

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Dr. Milind Joshi
25 Years Experience Overall
Last Updated : October 19, 2024

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