Pregnancy tips for hindi

महिमा को अचानक लगा कि वह प्रेग्नेंट है। यह जानने के लिए वह डॉक्टर के पास जांच के लिए गई। जब डॉक्टर ने उसे कंफर्म किया कि वह प्रेग्नेंट है तो ये सुन कर वह बहुत खुश हुई। अपने बच्चे की बेहतर से बेहतर देखभाल करने के मकसद से उन्होंने डॉक्टर से प्रेग्नेंसी में अपना और बच्चे का ख्याल रखने के लिए (pregnancy tips for hindi) सलाह मांगी। तब डॉक्टर ने उन्हें कई चीजें बताई।

महिला की जिंदगी में प्रेग्नेंसी खुशी देने वाला अनुभव होता है। प्रेग्नेंसी सिर्फ पति-पत्नी के ही नहीं बल्कि दो परिवारों के रिश्ते की नींव को भी मजबूत करती है। ऐसे में महिला को प्रेग्नेंसी में अपना ख्याल रखना चाहिए। लेकिन ऐसा होता है कि पहली बार प्रेग्नेंट होने की वजह से महिलाओं को ज्यादा जानकारी नहीं होती और अनजाने में भूल कर बैठती हैं। कई ऐसी भी हैं जो सुनी सुनाई बातों पर अमल कर गलती कर बैठती हैं। प्रेग्नेंसी में महिला क्या खा-पी रही है, क्या बोल-सुन रही है, किस माहौल में है, इसका असर बच्चे पर पड़ता है। प्रेग्नेंसी खुशी देती है, इसलिए प्रेग्नेंसी से जुड़ी बातें (pregnancy tips for hindi)  जानकर और सुखद बनाएं। 

जब महिला शरीर के अंडाशय (Ovary) से अंडा रिलीज हो कर स्पर्म से मिलता है तब प्रेग्नेंसी होती है। प्रेग्नेंसी में लगभग 40 हफ्ते होते हैं। कई चीजें हैं जो प्रेग्नेंसी पर असर कर सकती है। प्रेग्नेंसी का अंदाजा साधारण तौर पर पीरियड्स मिस होने पर लगाया जाता है लेकिन इसके अलावा भी कई लक्षण हैं। सिर दर्द, थोड़ी मात्रा में ब्लीडिंग या स्पॉटिंग होना, वजन बढ़ना, कब्ज, सीने में जलन, खून की कमी, नींद न आना, उल्टी, दस्त भी प्रेग्नेंसी के लक्षण के तौर पर दिखाई दे सकते हैं। कोई भी लक्षण दिखते ही जांच कराना चाहिए। अगर प्रेग्नेंसी है तो और डॉक्टर द्वारा दिए गए टिप्स (pregnancy tips for hindi) को अपनाना चाहिए।  

 

प्रेग्नेंसी में क्या खाएं ? (pregnancy tips for hindi)

प्रेग्नेंसी में मौसम और हफ्ते-महीने के हिसाब से डाइट और केयर (pregnancy tips for hindi) बदल जाती हैं। हर हफ्ते और महीने में गर्भवती महिला को कोई न कोई बदलाव दिखाई देते है। अजन्मा बच्चा गर्भ (uterus) में अपनी मां से पोषण लेता हैं, इसलिए गर्भवती महिला को खुद और बच्चे की सेहत का ध्यान रखते हुए खाना खाना चाहिए। प्रेग्नेंसी में महिला की डाइट बढ़ जाती है और संतुलित खाना न खाने से प्रेग्नेंसी पर कब्ज, डायरिया जैसे बुरे असर दिखने लगते हैं। 

  • प्रेग्नेंसी के पहले तीन महीने (पहली तिमाही) में ज्यादा पानी पीना शुरू कर दें।
  • यदि डाइट के जरिए संतुलित मात्रा में विटामिन नहीं ले पा रही है तो डॉक्टर की सलाह पर विटामिन सप्लीमेंट लें।
  • प्रोटीन युक्त चीजें जैसे गेंहू की रोटी, दाल, मछली, अंडे में भरपूर मात्रा लें, इसे अपनी डाइट में संतुलित मात्रा में शामिल करें।
  • प्रेग्नेंसी में हड्डियां मजबूत होना जरूरी है, इसलिए रोजाना शाम को दूध पिएं। कैल्शियम वाली चीजें जैसे दही, पनीर, छाछ जैसी चीजें लें। प्रेग्नेंसी में खुद का ख्याल रखने के लिए सबसे बेहतर (pregnancy tips for hindi) ये है, जो भी खा रहे हैं, उसे सही समय खाएं। जैसे शाम को दही लेने पर नुकसान होता है, दिन में खाने के साथ दही लेना, सही समय है।
  • मक्का और गेंहू का बना दलिया रोजाना खाएं, इससे कार्बोहाइड्रेट की कमी दूर हो जाएगी।
  • प्रेग्नेंसी में आयरन की डबल जरूरत होती है, इसके लिए हरी पत्तेदार सब्जियां, सोयाबीन, सेम की फली लें। यदि आप नॉन-वेजेटेरियन है तो अपने डाइजेशन के हिसाब से मटन-चिकन भी खा सकती है। 
  • शरीर में विटामिन बी की कमी को पूरा करने के लिए दाल, फलियां जरूर खाएं।
  • आयोडीन से बच्चे के दिमाग का विकास होता है। इस बात का ध्यान रखें कि आयोडीन की कमी से गर्भपात (Miscarriage) की संभावना होती है। आयोडीन की कमी दूर करने के लिए दूध, अंडे जैसी चीजें खाई जा सकती है। 
  • कार्बोहाइड्रेट एनर्जी का खास जरिया होता है, इसकी कमी से थकान महसूस होने लगती है। इसलिए कार्बोहाइड्रेट की कमी को दूर करने के लिए दलिया, रोटी, केला, ब्राउन राइस जरूर खाएं।

 

प्रेग्नेंसी में क्या न खाएं? 

प्रेग्नेंसी में खाने-पीने की आदतों पर ध्यान (pregnancy tips for hindi) रखा जाना चाहिए। पोषक तत्वों की कमी दूर करने के लिए डाइट में कई तरह की चीजें शामिल करना होती हैं। हालांकि कई चीजें ऐसी हैं, जो पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं, लेकिन प्रेग्नेंसी में उन्हें खाने से नुकसान ही होता है। कई चीजें जिन्हें सही समय और सही कॉम्बिनेशन के साथ न खाने से भी (pregnancy tips for hindi) नुकसान होता है। 

पपीता:- पपीते को लेकर कइयों के मन में भ्रांति है। कुछ महिलाएं कहती हैं कि पपीता खाने से बच्चे की आंखे अच्छी होती हैं, जबकि कई का कहना हैं कि पपीता से गर्भपात होता है। इस मामले में हम आपका संदेह दूर कर देते हैं। प्रेग्नेंसी में किसी भी हफ्ते या महीने में कच्चा पपीता बिलकुल न खाएं, पैकेट बंद पपीता का जूस न पिएं। पका हुआ पपीता वैसे तो खाया जा सकता है, लेकिन सीमित मात्रा में ही हल्का सा नमक डाल कर सेवन करें। 

कुछ हालात में पका पपीता थोड़ी सी मात्रा में खाने से भी मना होता है। अगर पहले कभी मिसकैरिज हुआ है या वक्त से पहले डिलीवरी हुई है तो पका हुआ पपीता न खाएं। अगर डायबिटीज है तो पपीता न खाएं। अधपका हुआ पपीता भी मां और बच्चे को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए पपीता का सेवन करने के लिए पहले शारीरिक स्थिति के अनुसार डॉक्टर से सलाह (pregnancy tips for hindi) जरूर लें। 

तिल:-  पपीता के अलावा भी कई चीजें हैं, जिनका सेवन प्रेग्नेंसी में नहीं किया जाता हैं। प्रेग्नेंसी के पहले तीन महीनों में तिल का सेवन नहीं करना चाहिए। जब एलोपैथिक दवाओं का वजूद नहीं था, तब प्रेग्नेंसी को खत्म करने के लिए तिल और गुड़ का सेवन किया जाता था। तिल यूटेरस को संकुचित कर मिसकैरिज कर देता है। 

बैंगन:- प्रेग्नेंसी में कई चीजें इसलिए भी नहीं खाई जाती ताकि मिसकैरिज के अलावा भी कोई दूसरा बुरा असर न दिखें। जैसे बैंगन खाने से प्रेग्नेंसी में गैस बनने लगती है। कभी-कभी इतनी ज्यादा गैस बनने लगती है कि घबराहट और बेचैनी होने लगती है।

अनानास:- अनानास यानी पाइनएप्पल भी प्रेग्नेंसी में नहीं खाया जाता, इससे मिसकैरिज होने की संभावना होती है। 

मेथी दाने:- मेथी दाने स्वास्थवर्धक हैं। ये कई रोगों को शरीर से दूर करता हैं, लेकिन प्रेग्नेंसी में मेथी दाना खाने से परहेज करना चाहिए। कुछ महिलाओं में मेथी दाने बंद नाक और सूजन कर सकते हैं। इसे खाने से वक्त से पहले डिलीवरी भी हो जाती है।

 

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प्रेग्नेंसी में क्या करें और क्या नहीं? (Do & dont’s pregnancy tips for hindi)

खाने पीने के अलावा भी कई ऐसी चीजें हैं, जिसका प्रेग्नेंसी में ध्यान रखना चाहिए। कुछ एक्टिविटी या आदतें मां और बच्चे दोनों पर गलत असर डालती हैं, कुछ से मिसकैरिज होने तक की संभावना होती हैं। इसके अलावा प्रेग्नेंसी में अच्छी आदतों को अपनाने से बच्चे का विकास बेहतर होता हैं। प्रेग्नेंसी में क्या करना चाहिए, क्या नहीं करना चाहिए, इसकी जानकारी जरूरी हैं।

नीचे दी गई टिप्स (pregnancy tips for hindi) को फॉलो कर प्रेग्नेंसी को एन्जॉय किया जा सकता है।

  • हमेशा प्रेग्नेंसी में दिए गए टिप्स का ध्यान (pregnancy tips for hindi) जरूर रखें। पीरियड मिस होने या कोई और लक्षण दिखने पर डॉक्टर से प्रेग्नेंसी की जांच जरूर करवाएं।
  • यदि कोई हेल्थ बीमा है तो हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी से डिलीवरी से पहले और बाद के खर्चों के बारे में बात कर लें।
  • एक अच्छे डॉक्टर का चुनाव कर लें और समय-समय पर विजिट करें।
  • डॉक्टर से डिलीवरी की तारीख के बारे में भी बात कर लें।
  • डॉक्टर जांच करते समय महिला की शारीरिक स्थिति के अनुसार डिलीवरी का संभावित तरीका जैसे नॉर्मल या सिजेरियन बता देते हैं।
  • कई बार गलत खान-पान और एक्सरसाइज न करने से भी सिजेरियन करना पड़ता हैं, इसलिए डॉक्टर से नॉर्मल डिलीवरी के लिए डाइट और एक्सरसाइज जरूर पूछें।
  • खुश रहें और किसी तरह की टेंशन न लें।
  • रात को जल्दी सोएं और सुबह जल्दी उठें, इससे मन अच्छा रहता है।
  • सुबह की ताजी हवा जरूर लें।
  • छोटी-मोटी तकलीफ जैसे पेट दर्द और सिर दर्द के लिए भी खुद से कोई दवाई न लें, इसके लिए डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
  • प्रेग्नेंसी की आखिरी तिमाही में किसी जिम्मेदार को अपने साथ जरूर रखें ताकि अगर डिलीवरी के लिए अचानक लेबर पेन शुरू हो जाए तो वह मदद कर सकें।
  • प्रेग्नेंसी की आखिरी तिमाही में बच्चे के लिए जरूरी सामान जैसे कपड़े, नेपकिन, डाइपर जरूर खरीद लें। 
  • अगर स्मोकिंग या शराब पीती है तो प्रेग्नेंसी के समय बंद कर दें।
  • अगर ब्यूटी पार्लर में रेगुलर जाती है तो भरोसेमंद ब्यूटी पार्लर ही जाएं, जितना हो सके कम से कम केमिकल वाले प्रोडक्ट का ही इस्तेमाल करें।
  • भारी सामान न उठाएं जैसे कि घर में पानी की बाल्टी उठाना। 
  • मोबाइल फोन का ज्यादा इस्तेमाल न करें, इससे तरंगे निकलती है जो बच्चे को नुकसान पहुंचा सकती है।
  • ऐसी फिल्में या ऐसा कोई कंटेंट न देखें, पढ़े जिससे शॉक्ड हो जाए।
  • यात्रा न करें, अगर बहुत जरूरी है तो डॉक्टर से इस बारे में बात कर लें।
  • ज्यादा देर खड़े न रहें, इससे बच्चे पर गलत असर पड़ सकता है।
  • डिब्बा बंद चीजें न खाएं।
  • सेक्स रूटीन को लेकर भी डॉक्टर से बात कर लें। वैसे तो डॉक्टर पहली तिमाही में हफ्ते में एक बार सिर्फ एक बार सेक्स की सलाह देते हैं लेकिन शारीरिक स्थिति के हिसाब से डॉक्टर सेक्स रूटीन बदल भी सकते हैं।
  • प्रेग्नेंसी में भूख बढ़ना, मूड़ स्विंग होना, कब्ज, डायरिया जैसी कई चीजें होती हैं, इसलिए घबराएं नहीं और डॉक्टर को इस बारे में जरूर बताएं ताकि भविष्य में किसी तरह का कोई जोखिम न हो। 
  • पीठ के बल कम सोएं, ज्यादा देर पीठ के बल सोने से रीढ़ की हड्डी में दर्द हो सकता है।
  • डॉक्टर के कहने पर समय समय पर जांच जरूर करवाएं। कई महिलाएं पैसे बचाने के लिए लापरवाही करती हैं, लेकिन इससे बच्चे और आपकी सेहत को (pregnancy tips for hindi) नुकसान हो सकता हैं। 
  • पूरा समय होने के बाद डिलीवरी के लिए लेबर पेन न हो तब भी डॉक्टर के पास जरूर जाएं। 

 

 

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डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है| अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें|