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घरेलू नुस्खों का इस्तेमाल हम आज से नहीं बल्कि कई सालों से कर रहे हैं। यह हमारे समाज और जीवन का एक खास हिस्सा बन गया है। आज भी घर में जब किसी को कोई भी समस्या होती है तो फस्ट एड के तौर पर दादी के नुस्खों का इस्तेमाल किया जाता है। और काफी हद तक हम इन नुस्खों की मदद से अपनी समस्याओं से राहत भी पाते हैं। कभी बुखार होने पर हम सिर और पैरों में सरसों का तेल लगा लेते हैं, कभी सर्दी या खांसी होने पर तुलसी के पत्तों को पानी में उबालकर पीते और उसका भाप लेते हैं, पेट में गैस की समस्या होने पर सुबह खाली पेट हल्के गर्म पानी में शहद डालकर पीते हैं तो कभी दांत में दर्द होने पर लौंग चबाते हैं। 

हमारे पूर्वजों ने लगभग सभी समस्याओं के लिए कोई न कोई घरेलू इलाज ढूंढा ही है। ये अलग बात है की कुछ मामलों में ये चीजें ज्यादा फायदेमंद होती हैं तो कुछ मामलों में कम। लेकिन कहीं न कहीं इनसे थोड़ा बहुत फायदा तो होता ही है। हमारे पास काफी समस्याओं के लिए घरेलू इलाज मौजूद हैं और इन्ही में से एक है अरंडी का तेल जो कैस्टर ऑयल के नाम से पूरी दुनिया में मशहूर है। इस तेल के ढेरों फायदे हैं। लोग इसका इस्तेमाल एक जड़ी बूटी के रूप में भी करते हैं। प्रेगनेंसी के दौरान इसके लक्षणों को कम करने तथा डिलीवरी में इस तेल का इस्तेमाल किया जाता है।

कैस्टर ऑयल के फायदे के साथ साथ कुछ साइड इफेक्ट्स भी हैं। इसलिए यह आवश्यक है की आप किसी भी समस्या से राहत पाने की नियत से इस तेल का उपयोग करने से पहले एक बार डॉक्टर से मिलकर उनकी राय जरूर लें। प्रिस्टीन केयर के इस खास ब्लॉग में आज हम प्रेगनेंसी में कैस्टर ऑयल के इस्तेमाल, फायदे और नुकसान के बारे में विस्तार से बात करने वाले हैं। इस ब्लॉग को पूरा पढ़ने के बाद आप इस तेल की खासियत, प्रेगनेंसी के दौरान इसके फायदे और इससे संबंधित कुछ सावधानियों के बारे में जान जाएंगी। 

Table of Contents

कैस्टर ऑयल क्या है — Castor Oil in Hindi

कैस्टर ऑयल एक वनस्पति तेल है जिसे कैस्टर बिन्स यानी की अरंडी के बीजों से निकाला जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम रिसिनस कम्युनिस है और इसे हिंदी में अरंडी का तेल के नाम से जाना जाता है। इस तेल के अंदर फैटी एसिड के गुण पाए जाते हैं जिसके कारण इसका इस्तेमाल एक औषधि के रूप में किया जाता है। कैस्टर ऑयल का इस्तेमाल ढेरों परेशानियों को दूर करने के लिए किया जाता है, जिसमें पेट दर्द, पीठ दर्द, सिर दर्द,  गैस, कब्ज, स्किन प्रोब्लेम्स, दर्द, सूजन और दूसरी भी काफी समस्याएं शामिल हैं।    

भारत में कैस्टर ऑयल बहुत आसानी से मिल जाता है। यह खाना बनने वाले तेल की तरह ही दीखता है लेकिन इसमें कोई स्वाद नहीं होता है। इसका इस्तेमाल गैर-औषधीय यानी की एक प्रेज़रवेटिव और फ्लेवरिंग एजेंट के रूप में भी किया जाता है। इसका इस्तेमाल स्किन संबंधी प्रोडक्ट्स जैसे की साबुन, शैंपू, क्रीम, डाई, प्लास्टिक, पेंट और दूसरी भी काफी चीजों को बनाने में किया जाता है। 

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कैस्टर ऑयल के प्रकार — Types of Castor Oil in Hindi

कैस्टर ऑयल के तीन प्रकार हैं जिन्हे हम ऑर्गेनिक कोल्ड-प्रेस्ड कैस्टर ऑयल, जमैकन ब्लैक कैस्टर ऑयल और हाइड्रोजनेटेड कैस्टर ऑयल के नाम से जानते हैं। ऑर्गेनिक कोल्ड-प्रेस्ड कैटर ऑयल को सीधा अरंडी के बीज से निकाला जाता है। इसे निकलने की प्रक्रिया में हिट का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। क्योंकि उससे इस बीज में मौजूद सभी पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। यह पीले रंग का होता है।   

अरंडी के बीज को भुनने के बाद उन्हें पीस कर जमैकन ब्लैक कैस्टर ऑयल को निकाला जाता है। इसे निकालते समय इससे जो राख बनता है उसे भी तेल में मिला दिया जाता है जिसके कारण इस तेल का रंग काला हो जाता है। इस तेल में सभी पौष्टिक तत्व मौजूद होते हैं लेकिन बाकियों की तुलना में यह तेल थोड़ा ज्यादा खारा होता है। हाइड्रोजनेटेड कैस्टर ऑयल बाकी कैस्टर ऑयल की तुलना में गंधहीन होता है और इसका इस्तेमाल स्किन प्रोडक्ट्स बनाने में किया जाता है।

प्रेगनेंसी में कैस्टर ऑयल का इस्तेमाल — Uses of Castor Oil During Pregnancy in Hindi

प्रेगनेंसी एक बहुत नाजुक पल होता है इसलिए कोई भी महिला इस दौरान किसी भी प्रकार की चीज का इस्तेमाल करने से पहले उसके बारे में कई बार सोचती है। ऐसे में इस दौरान कैस्टर ऑयल का इस्तेमाल भी एक चुनौती पूर्ण फैसला हो सकता है। Castor Oil in Pregnancy in Hindi क्योंकि इसके इस्तेमाल, फायदे और नुकसान पर ज्यादा शोध नहीं हुए हैं। फिर भी काफी लोगों का मानना है की प्रेगनेंसी में इस तेल के काफी फायदे हैं। कुछ मामलों में तो यह बेहतरीन काम करता है जैसे की जब किसी महिला को प्रेगनेंसी के 40 सप्ताह पूरे करने के बाद भी प्रसव यानी की डिलीवरी का कोई संकेत नजर नहीं आता है तो इस स्थिति में यह काफी बेहतरीन काम करता है।       

प्रेगनेंसी में कैस्टर ऑयल के फायदों के साथ साथ कुछ सैफ इफेक्ट्स यानी की नुकसान भी हैं। इस तेल के इस्तेमाल को लेकर हर महिला का अलग अलग अनुभव रहा है। कुछ महिलाओं को मतली की शिकायत हुई, कुछ को उलटी की तो कुछ को खुजली और सूजन की। इस वनस्पति तेल के ढेरों फायदों के साथ साथ कुछ नुकसान भी हैं और यही कारण है की कोई भी इसका इस्तेमाल काफी सावधानीपूर्वक करता है। 

डॉक्टर ऐसा सुझाव देते हैं की Castor Oil in Pregnancy in Hindi प्रेगनेंसी में कैस्टर ऑयल का इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन अगर आपकी प्रेगनेंसी में किसी तरह की कोई समस्या या जटिलता है तो इसके इस्तेमाल से बचना चाहिए। साथ ही अगर आप इसका इस्तेमाल करना चाहती हैं तो डॉक्टर से एक बार मिलें और उनकी राय लें।         

कैस्टर ऑयल और प्रसव पीड़ा — Castor Oil and Labor Pain in Hindi

ऐसा माना जाता है की इस तेल में रेचक के गुण पाए जाते हैं जो आँतों को उत्तेजना और गर्भाशय में संकुचन पैदा करते हैं। यही कारण है की जब एक महिला को प्रेगनेंसी का 40 सप्ताह पूरा करने के बाद भी डिलीवरी का कोई संकेत दिखाई नहीं देता है तो वह इस तेल का इस्तेमाल करती है। रिकिनोलेइक एसिड कैस्टर ऑयल का मुख्य घातक है जो आंतों में प्रोस्टाग्लैंडीन रिसेप्टर्स पर अटैक करता है जिसके परिणाम में संकुचन होना शुरू हो जाता है। 

ऐसा भी माना जाता है की यह तेल पेट में तरल पदार्थ और इलेक्ट्रोलाइट्स अब्जॉर्प्शन को प्रभावित करता है जिससे दस्त होता है जो संकुचन करने में मदद करता है। कैस्टर ऑयल ने सफलतापूर्वक प्रसव पीड़ा को प्रेरित किया है। Castor Oil in Pregnancy in Hindi कुछ मामलों में प्रेगनेंट महिलाओं ने इसके प्रभाव का अच्छा अनुभव किया है क्योंकि की इस तेल के इस्तेमाल के कुछ ही घंटों के अंदर उनकी डिलीवरी अच्छे से हो गई। लेकिन कुछ मामलों में यह प्रसव पीड़ा को प्रेरित करने में नाकाम भी हुआ है।      

प्रेगनेंसी में कैस्टर ऑयल की खुराक — Doses of Castor Oil During Pregnancy in Hindi

प्रेगनेंसी में कैस्टर ऑयल के डोज यानी की खुराक को लेकर भी कई तरह की बातें सामने आती हैं। कुछ लोग इस तेल को दिन भर में तीन से चार चम्मच इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं तो कुछ लोगों का मानना है की एक से दो चमच से ज्यादा मात्रा में इस तेल का सेवन नहीं करना चाहिए। Castor Oil in Pregnancy in Hindi खैर, यह बात तो सच है की किसी भी चीज का सेवन शुरुआत में कम मात्रा में ही करना चाहिए ताकि जरूरत पड़ने पर बाद में आप उसकी खुराक को बढ़ा सकें। किसी भी चीज का अधिक इस्तेमाल समस्याएं पैदा कर सकता है लेकिन बात जब प्रेगनेंसी और कैस्टर ऑयल की है तो सबसे बेहतर है की आप इसका इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर से मिलकर उनकी राय लें और फिर उनके सुझाव देने पर इस तेल का इस्तेमाल करें।     

प्रेगनेंसी में कैस्टर ऑयल के नुकसान और सावधानियां — Side Effects and Precautions of Castor Oil During Pregnancy in Hindi

प्रेगनेंसी में इसके फायदों के साथ साथ कुछ नुकसान भी हैं। अरंडी के बीजों में कुछ विषैले तत्व पाए जाते हैं जो शरीर के लिए हानिकारक हो सकते हैं। Castor Oil in Pregnancy in Hindi साथ ही इस तेल को निकालने की प्रक्रिया में हिट और दूसरी चीजों का भी इस्तेमाल किया जाता है जिसके कारण इसकी क्वालिटी पर फर्क पड़ता है जो इसके दोष प्रभावों का कारण बन सकते हैं। इससे संबंधी कुछ सावधानिया भी हैं जिनका ध्यान रखना आवश्यक है। हम आपको नीचे कुछ संभावित नुकसान और सावधानियों से संबंधी चीजों के बारे में बता रहे हैं जिससे आपको मदद मिल सकती है।     

  • इस तेल का इस्तेमाल करने से पहले पैच टेस्ट करना चाहिए। 
  • इस तेल के सेवन से आपको मतली की समस्या हो सकती है।  
  • इसका अधिक इस्तेमाल से दिल संबंधी बीमारियां हो सकती हैं। 
  • इस तेल के सेवन से कभी कभी ऐठन की शिकायत हो सकती है। 
  • बच्चों के मुंह और प्राइवेट पार्ट पर इसे तेल को नहीं लगाना चाहिए। 
  • कैस्टर ऑयल का अधिक सेवन गर्भपात का कारण भी बन सकता है। 
  • कभी कभी इसके सेवन से डिहाइड्रेशन की भी शिकायत हो सकती है। 
  • अगर आप पुरानी कब्ज के मरीज हैं तो इसका सेवन करने से बचना चाहिए। 
  • अधिक मात्रा में इस तेल का सेवन करने से उलटी की समस्या हो सकती है। 
  • प्रेगनेंट महिला को इसका इस्तेमाल करने से बचने की कोशिश करनी चाहिए। 
  • इसके अंदर कुछ विषैले तत्व पाए जाते हैं जो शरीर के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं। 
  • कभी कभी यह दर्दनाक संकुचन पैदा कर देता है जिससे भ्रूण पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।
  • बच्चों के हाथ में तेल लगाने के बाद ध्यान रखना चाहिए की वे हाथ को अपने मुंह में न ले जाएं। 
  • यह गैस की समस्या को दूर करता है लेकिन इसका अधिक सेवन करने से दस्त की शिकायत हो सकती है। 
  • अगर आप पहले ही किसी दवा का सेवन कर रही हैं तो आपको डॉक्टर से बात करने के बाद ही इसका सेवन करना चाहिए। 

प्रेगनेंसी का समय बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। इस दौरान आपको हर एक चीज के इस्तेमाल से पहले उसके बारे में डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। प्रेगनेंसी के दौरान थोड़ी सी लापरवाही आपके लिए बड़ी से बड़ी प्रॉब्लम खड़ी कर सकती है। अपने खान पान, साफ सफाई  और दूसरे सभी चीजों पर अच्छे से ध्यान दें। 

प्रेगनेंसी में अपना ख्याल कैसे रखें?

प्रेगनेंसी एक बहुत ही कोमल और खूबसूरत पल है। इस दौरान आपको अपने साथ-साथ अपने गर्भ में पल रहे शिशु का भी खास ध्यान रखने की आवश्यकता होती है। कैस्टर ऑयल एक घरेलू नुस्खा होने के साथ-साथ एक आयुर्वेदिक औषधि भी है। जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया कि कैस्टर ऑयल के ढेरों फायदों के साथ इसके कुछ संभावित खतरे भी हैं। इसलिए प्रेगनेंसी के किसी भी चरण में इस तेल का इस्तेमाल करने से पहले एक बार स्त्री रोग विशेषज्ञ से अवश्य परामर्श करें। स्त्री रोग विशेषज्ञ आपकी सेहत, पहले से चल रही दूसरी दवाओं, एलर्जी, त्वचा की संवेदनशीलता, प्रेगनेंसी का चरण और दूसरी ढेरों चीजों को ध्यान में रखते हुए कैस्टर ऑयल या दूसरी किसी भी दवा, क्रीम या तेल के इस्तेमाल का सुझाव देते हैं। अपने मन मुताबिक कैस्टर ऑयल का इस्तेमाल आपकी परेशानी को कम करने के बजाय उन्हें बढ़ा सकता है।  

प्रेगनेंसी के दौरान आप अपने साथ-साथ अपने गर्भ में पल रहे शिशु का अच्छी तरह से ख्याल रख सकती हैं और वह भी पूरी सुरक्षित तरह से। इसके लिए आपको ज्यादा कुछ करने की आवश्यकता नहीं है बल्कि अपने खान-पान और आदतों पर खास ध्यान देने की जरूरत है। साथ ही, आप अपना दिन कैसे गुजारती हैं, इसपर भी खास ध्यान देने की आवश्यकता है। नीचे हम आपको कुछ खास टिप्स के बारे में बता रहे हैं जिससे आप अपनी प्रेगनेंसी को स्वस्थ और सुरक्षित रख सकती हैं।

प्रेगनेंसी के दौरान समय पर सोएं और जागें

समय पर सोना और समय पर जगना केवल एक प्रेगनेंट महिला के लिए ही नहीं बल्कि हर इंसान के लिए आवश्यक है। समय पर सोने और जागने से शरीर और दिमाग दोनों तरोताजा रहते हैं। अगर आप प्रेगनेंट हैं तो आपको समय पर सोना और जागना चाहिए। ऐसा करने से आपके शरीर को पर्याप्त आराम मिलता है जिससे कमजोरी और तनाव दूर रहते हैं तथा आपको अपना पर्सनल काम करने के लिए भी काफी समय मिलता है। मोबाइल और इंटरनेट की वजह से अक्सर महिलाएं रात-रात भर जागती और मोबाइल में तरह-तरह की विडिओ देखती रहती हैं। ऐसा करने से बचना चाहिए। क्योंकि इससे आपके साथ-साथ आपके गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है।

प्रेगनेंसी के दौरान खान-पान का खास ध्यान रखें

प्रेगनेंसी के दौरान खान-पान का खास ध्यान रखना चाहिए। एक प्रेग्नेंट महिला को प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन, विटामिन के साथ-साथ दूसरे पोषक तत्वों की खास जरूरत होती है। क्योंकि ये गर्भ में पल रहे शिशु के मानसिक और शारीरिक विकास में बड़ी भूमिका अदा करते हैं। प्रेगनेंसी के दौरान आपको निम्नलिखित चीजों को अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए।

  • डेयरी प्रोडक्ट्स जैसे कि दूध, दही, छाछ और घी
  • हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे कि पालक, पत्ता गोभी, ब्रोकली और बीन्स
  • ड्राई फ्रूट्स जैसे कि बादाम, अखरोट, काजू आदि का सेवन करना चाहिए
  • फल और उनका रस जैसे कि सेब, संतरा, तरबूज, नाशपाती, पपीता, अनानास और अंगूर

प्रेगनेंसी में हल्का व्यायाम और मेडिटेशन करें

एक गर्भवती महिला के लिए व्यायाम और मेडिटेशन बहुत आवश्यक होता है। प्रेगनेंसी के दौरान, महिला के शरीर में हार्मोनल परिवर्तन होते रहते हैं जिससे एक महिला के हाव-भाव, पसंद और नापसंद में भी लगातार बदलाव आते रहते हैं। प्रेगनेंसी के दौरान, तनाव और अकेलापन भी महसूस हो सकता है तथा दिमाग में तरह-तरह के ख्याल आ सकते हैं। अपने शरीर में हो रहे हार्मोनल परिवर्तन को संतुलित बनाए रखने और तनाव या अकेलेपन को दूर रखने के लिए व्यायाम और मेडिटेशन जरूरी है। व्यायाम करने से आपके शरीर में लचीलापन आता है जिससे प्रेगनेंसी के दौरान होने वाले दर्द से भी राहत मिलती है। व्यायाम करने से आपका शरीर और मेडिटेशन करने से आपका मन फ्रेश होता है और आप पूरे दिन खुद को एनर्जेटिक, खुश और तरोताजा महसूस करती हैं।

प्रेगनेंसी के दौरान योग करें

स्त्री रोग विशेषज्ञ अक्सर प्रेगनेंसी के दौरान हल्का-फुल्का योग करने की सलाह देती हैं। जैसे-जैसे गर्भ में पल रहे शिशु का आकार बढ़ता है, वैसे-वैसे आपके पेल्विक क्षेत्र और कमर के आस-पास दबाव पड़ता है और दर्द होता है। लेकिन योग की मदद से इस दर्द को काफी कम किया जा सकता है। साथ ही, ध्यान रहे कि योग के दौरान आप अपने साथ परिवार के किसी एक सदस्य को अवश्य रखें। अकेले योग करने से बचना चाहिए। साथ ही, एक विशेषज्ञ योग गुरु के मार्गदर्शन में ही योग करना चाहिए।

गर्भावस्था के दौरान अधिक आराम या काम करने से बचें

प्रेगनेंसी के दौरान आपको अधिक आराम करने के साथ-साथ अधिक काम करने से भी बचना चाहिए। अधिक आराम करने से आपके शरीर का वजन बढ़ सकता है और आपको दूसरी ढेरों समस्याएं पैदा हो सकती हैं जिसमें गैस होना, खाना हजम नहीं होना, सीने में जलन होना, चक्कर आना, मन का उदास रहना, मोटापा, बवासीर और थाइरॉइड आदि शामिल हैं। इसलिए नियमित रूप से हल्का-फुल्का काम करें और समय-समय पर अपने शरीर को आराम भी दें।

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गर्भावस्था में भारी काम करने या भारी सामान उठाने से बचना चाहिए

कई महिलाओं के मन में यह वहम होता है कि गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को अधिक से अधिक काम करना चाहिए। जबकि ऐसा करना गलत है। प्रेगनेंसी के दौरान भारी काम करने या भारी सामान उठाने से पेट और गर्भ पर दबाव पड़ता है जिससे गर्भपात का खतरा भी हो सकता है। अगर आप गर्भवती हैं और आपके घर में ढेर सारा काम है तो शिशु के जन्म तक अपनी मदद के लिए किसी रिश्तेदार या नौकर को अपने पास रख लेना चाहिए।

प्रेगनेंसी के दौरान अच्छी किताबें पढ़ें

प्रेगनेंसी के दौरान आपका मोटिवेटेड और एनर्जेटिक होना बहुत जरूरी है। क्योंकि इसका सकारात्मक असर आपके साथ-साथ आपके गर्भ में पल शिशु के लिए बहुत फायदेमंद होता है। प्रेगनेंसी नौ महीने की एक प्रक्रिया है जिसके दौरान आपके शरीर में लगातार बदलाव आते रहते हैं और आपके गर्भ में पल रहे शिशु का लगातार शारीरिक और मानसिक रूप से विकास होता है। इस दौरान आपको मालूम होना चाहिए कि आपका दिन कैसे शुरू और खत्म होना चाहिए। प्रेगनेंसी के दौरान पढ़ने के लिए ढेरों किताबें हैं। आप इनमें से किसी के साथ भी शुरुआत कर सकती हैं।

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गर्भावस्था के दौरान मन शांत करने के लिए संगीत सुनें

गर्भावस्था के दौरान आपके शरीर में कई तरह के हार्मोनल बदलाव होते हैं। इन बदलावों के कारण कई बार आप चिड़चिड़ापन और गुस्से का शिकार भी बन सकती हैं। गर्भावस्था की पूरी प्रक्रिया के दौरान आपको हमेशा कुछ न कुछ लक्षण परेशान कर रहे होते हैं। ऐसे में आपके मन का शांत और आपको खुश और पॉजिटिव रहना बहुत ही चैलेंजिंग हो जाता है। अगर आपके साथ भी ऐसा कुछ होता है तो आप अपने मन को शांत रखने के लिए संगीत का सहारा ले सकती हैं। संगीत हर प्रकार के दिमागी उलझन और टेंशन को कम या खत्म कर आपके अंदर उत्साव का भंडार लगा सकता है। स्त्री रोग विशेषज्ञ भी अक्सर गर्भवती महिलाओं को अपने मनपसंद का संगीत सुनने का सुझाव देते हैं।

प्रेगनेंसी के दौरान घर वालों के संपर्क में रहें

प्रेगनेंसी के दौरान घर वालों के बीच रहना बहुत ही हेल्दी माना जाता है। क्योंकि परिवार वालों के बीच रहने पर नौ महीने का समय बहुत ही आसानी और सुरक्षित तरीके से गुजर जाता है। घरवालों के बीच आपको अकेलापन महसूस नहीं होता है। साथ ही, अगर इस दौरान आपको किसी प्रकार की कोई परेशानी होती है तो आपकी देखरेख करने के लिए आपके परिवार वाले आपके पास मौजूद होते हैं। प्रेगनेंसी के दौरान, परिवार वालो के साथ रहने से आप शारीरिक और मानसिक दोनों ही रूप से मजबूत होती हैं। हालांकि, अगर आप अपने परिवार से दूर हैं तो आपको घबराने की आवश्यकता नहीं है। क्योंकि आप फोन और वीडियो कॉल के जरिए भी अपने परिवार वालों के संपर्क में रह सकती हैं।

प्रेगनेंसी के दौरान अपनी योनि की सफाई का ध्यान रखें

प्रेगनेंसी के दौरान योनि से स्राव होना आम बात है। इससे आपको घबराने की जरूरत नहीं है। लेकिन आपको इस बात का ध्यान अवश्य रखना है कि आप प्रेगनेंसी के दौरान अपनी योनि की साफ-सफाई का खास ध्यान रखें। प्रेगनेंसी के दौरान साफ-सफाई का ध्यान नहीं रखने के कारण आपको ढेरों समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है जिसमे निम्नलिखित शामिल हैं।

अगर आप गर्भवती हैं तो अपने शरीर के साफ-सफाई का खास ध्यान रखें। डॉक्टर द्वारा निर्धारित साबुन, क्रीम, तेल और दवा का ही इस्तेमाल करें। साथ ही किसी प्रकार की कोई परेशान होने पर खुद ही उसका इलाज करने के बजाय तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क और परामर्श करें।

प्रेगनेंसी के दौरान नियमित रूप से अपने डॉक्टर से मिलें

प्रेगनेंसी नौ महीने की एक प्रक्रिया है जिसके दौरान आपके शरीर में लगातार बदलाव आते हैं। साथ ही, जैसे-जैसे प्रेगनेंसी का समय गुजरता है आपके गर्भ में पल रहे शिशु का शारीरिक और मानसिक विकास भी होता है। इस स्थिति में आपको एक स्त्री रोग विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में रहना आवश्यक है। अगर आप अपनी प्रेगनेंसी को स्वस्थ और पूरी तरह से सुरक्षित रखना चाहती हैं तो नियमित रूप से अपने डॉक्टर के संपर्क में रहें।

निष्कर्ष — Conclusion 

जहां तक प्रेगनेंसी में कैस्टर ऑयल के इस्तेमाल की बात है तो इसपर अभी तक ज्यादा शोध नहीं किए गए हैं। लेकिन जिन लोगों ने इस तेल का इस्तेमाल किया है उन्होंने अपनी अपनी बातें सामने रखी हैं। कभी काफी लोगों को इससे काफी फायदा हुआ तो कभी कुछ लोगों को नुकसान भी हुआ है। इसलिए अगर आप प्रेगनेंसी में फायदे की नियत से इस तेल का सेवन करना चाहती हैं तो उससे पहले एक बार स्त्री-रोग विशेषज्ञ से अवश्य मिलें और उनसे इस बारे में विस्तार से बात करें। उनकी सलाह के बाद ही इसका सेवन करें अन्यथा इससे परहेज करना चाहिए।

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डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है| अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें|