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प्रेगनेंसी की खबर पति और पत्नी ही नहीं बल्कि पूरे परिवार वालों के लिए खुशी पल होता है। यह शुभ घड़ी दो परिवारों को एक साथ जोड़ती है। प्रेगनेंसी की खबर से लेकर शिशु के जन्म लेने तक परिवार की खुशी दुगनी हो जाती है। प्रेगनेंसी के बाद कोई भी महिला हर वो काम करती है जिससे उसका शिशु स्वस्थ और सेहतमंद पैदा हो। प्रेगनेंसी के बाद हर महिला का जीवन पूरी तरह से बदल जाता है। उसकी जिंदगी पहले से ज्यादा खूबसूरत हो जाती है। 

प्रेगनेंसी के दौरान आपको कुछ खास चीजों का ध्यान रखना जरूरी है क्योंकि आप की एक छोटी सी लापरवाही आप और आपके शिशु के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। आपको अपने खान पान पर ध्यान देना चाहिए की आप दिन भर में क्या क्या खा पी रही हैं। आप जो भी खाती या पीती हैं ये आप और आपके शिशु के लिए फायदेमंद है या नुकसानदायक। आप कितने बजे सोती हैं, कितने बजे जगती हैं। सुबह में व्यायाम करती हैं या नहीं, अगर करती हैं तो कितने समय तक कौन सा व्यायाम करती हैं। 

दिन भर में कितने समय तक बैठती हैं, कितने समय तक कड़ी रहती हैं, कितने समय तक चलती है। इन सभी बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है। खान पान और लाइफस्टाइल पर ध्यान देने के अलावा आपको समय समय पर डॉक्टर से मिलना, किसी तरह की कोई परेशानी होने पर उनसे बात करना और अपनी प्रेगनेंसी की जांच करवाते रहना चाहिए। 

आज हम आपको 25 सबसे जरूरी बातों के बारे में बताएंगे जिनके बारे में आपको सावधान रहना चाहिए। आपको पता होना चाहिए की आपको क्या करना है और क्या नहीं करना है। साथ जी क्या खाना है और क्या नहीं खाना है। 

Table of Contents

01: अधिक मात्रा में पानी पीएं 

दिन भर में कम से कम तीन से चार लीटर पानी और एक से दो ग्लास ज्यूस पीएं। ऐसा करने से शरीर में मौजूद विषैले पदार्थ शरीर से बाहर निकल जाते हैं। आप चाहें तो सप्ताह में एक बात नारियल का पानी भी पी सकती हैं। 

02: ज्यादा फाइबर वाली चीजों का सेवन करें

प्रेगनेंसी के दौरान कब्ज की समस्या बढ़ जाती है इसलिए पाचन क्रिया का ठीक होना बहुत जरूरी है। कोशिश करें की आप अपने फूड्स में ज्यादा से ज्यादा फाइबर लें। क्योंकि इससे गैस या कब्ज होने का खतरा नहीं होता है। 

03: हरी पत्तेदार सब्जियां खाएं

प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को अपने आहार में हरी पत्तियों वाली सब्जियां, जैसे कि पालक, पत्तागोभी और ब्रोकली को शामिल करना चाहिए। पालक में मौजूद आयरन से प्रेगनेंसी में खून की कमी दूर होती है। इसके अलावा फलियां जैसे कि बीन्स और सजहन को भी खाना चाहिए। इनमें फाइबर, प्रोटीन, आयरन और कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है, जिनकी जरूरत प्रेगनेंट महिलाओं को होती है। (और पढ़े: प्रेगनेंसी में क्या खाएं और किस से करें परहेज)

04: डेयरी प्रोडक्ट्स का सेवन करें

सभी डेयरी प्रोडक्ट्स जितना किसी सामान्य व्यक्ति के लिए जरूरी होते हैं उससे कहीं ज्यादा प्रेगनेंट महिला के लिए भी दूध, छाछ, दही और घी जरूरी होता है। प्रेगनेंसी के दौरान शिशु के विकास के लिए प्रोटीन और कैल्शियम की जरूरत होती है। इसलिए महिलाओं को अपने आहार में सभी डेयरी प्रोडक्ट्स को शामिल करना चाहिए। 

05: फल और उनके रस का सेवन करें

ताजे फल और उनका रस भी प्रेगनेंसी में काफी फायदेमंद होता है। सेब, तरबूज, संतरा, नाशपाती और इनका रस को भी सेवन में लाया जा सकता है। लेकिन कुछ फल जैसे की पपीता, अनानास और अंगूर से परहेज करना चाहिए क्योंकि इनका असर शिशु पर काफी खराब होता है।

06: सूखा मेवा खाएं 

सूखा मेवा से भी प्रेगनेंसी में काफी सही आहार मिलता है। आप बादाम, अखरोट और काजू को अपने आहार में शामिल कर सकते हैं। इनमें कई तरह के विटामिन्स, कैलोरी, फाइबर और ओमेगा 3 फैटी एसिड होता है, जिसकी जरूरत मां और शिशु दोनों को होती है। 

07: अंडे खाएं 

अंडा काफी पौष्टिक होता है। अंडे में प्रोटीन, कोलीन, बायोटीन, कोलेस्ट्रोल, विटामिन-डी और एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होता है। इसलिए यह भी प्रेगनेंट महिलाओं के लिए काफी फायदेमंद होता है। 

08: साबूत अनाज का सेवन करें 

साबूत अनाज जैसे कि ओट्स, भूरे चावल और किनोआ को भी अपने आहार में शामिल कर सकती हैं। इनमें भारी मात्रा में कैलोरी होती है। यह शिशु और मां दोनों के लिए फायदेमंद होता है। आप अगर मांसाहारी है तो बिना वसा वाला मांस खा सकती हैं।

09: अपने मन मुताबिक दवाओं का सेवन न करें 

प्रेगनेंसी से जुडी उन्ही दवाओं को उसी मात्रा में खाएं जैसा आपके डॉक्टर ने कहा है। अपने मन मुताबिक किसी भी तरह की दवा खाने से बचें। साथ ही समय समय पर अपनी प्रेगनेंसी की जांच करवाते रहें। 

10: कैफीन से दूर रहें 

अगर आपको ज्यादा कॉफी, चाय या फिर चॉकलेट खाना पसंद है तो प्रेगनेंसी के दौरान इन सभी चीजों के अधिक मात्रा में सेवन का ख्याल अपने दिल से निकाल दें। ज्यादा कैफीन की वजह से गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए इन सभी चीजों का सेवन प्रेगनेंसी के दौरान ना करें। इसके लगातार सेवन से जन्म के समय शिशु का वजन कम होने की समस्या भी कई बार देखी जाती है। इसलिए प्रेगनेंसी के दौरान कैफीन के इस्तेमाल से बचना ज्यादा बेहतर है।

11: शराब से दूर रहें 

वैसे तो किसी भी प्रकार का नशा हर इंसान के लिए हानिकारक होता है लेकिन प्रेगनेंट महिलाओं को शराब के साथ ही दूसरी नशीली चीजों से भी दूर रहना चाहिए। नशा करने का असर शिशु के शारीरिक और मानसिक विकास पर होता है। जिसकी वजह से शिशु का पूर्ण रूप से विकास नहीं हो पाता है और कई बार गर्भपात भी हो जाता है।

12: कच्चा पपीता न खाएं

प्रेगनेंसी के दौरान कच्चे पपीते के सेवन से बचना चाहिए। कच्चा पपीता में एक केमिकल पाया गया है जिसकी वजह से गर्भ में पलने वाले शिशु को काफी नुकसान हो सकता है। इसलिए इसके सेवन से बचना चाहिए।

13:  मछली से बचें 

वैसे तो प्रेगनेंसी में मछली का सेवन सही होता है लेकिन उच्च पारे वाली मछली को आहार में शामिल नहीं करना चाहिए। 

14: अंकुरित पदार्थ न खाएं 

अंकुरित पदार्थों का भी इस्तेमाल प्रेगनेंसी के दौरान नहीं करना चाहिए। क्योंकि इनमें साल्मोनेला, लिस्टेरिया और ई-कोलाई  जैसे बैक्टिरिया होते हैं जिसकी वजह की फूड पॉइज़निंग की समस्या हो सकती है।

15: कच्चे मांस का सेवन न करें 

कच्चे मांस के सेवन से भी बचना चाहिए क्योंकि इसके इस्तेमाल से गर्भपात का खतरा बढ़ता है। फल और सब्जियों का इस्तेमाल बिना धोए नहीं करना चाहिए।

16: हल्की फुल्की स्ट्रेचिंग करें 

स्ट्रेचिंग करने से शरीर में लचीलापन आता है जिसकी वजह से डिलीवरी के समय आपको बहुत कम दर्द का सामना करना पड़ता है। प्रेगनेंसी के दौरान स्ट्रेचिंग करने से काफी फायदा होता है। यह शरीर को फ्लेक्सिबल बनाने के साथ आपका तनाव भी कम करता है। स्ट्रेचिंग करते समय एक पोजीशन में कम से कम 20-30 सेकेंड तक रहे। 

ध्यान रखें की स्ट्रेचिंग करने के बाद आपके शरीर पर धीरे धीरे दबाव बनना चाहिए। अगर किसी भी स्ट्रेचिंग के दौरान आपके शरीर पर ज्यादा दबाव बनने लगे या फिर दर्द होने लगे तो उस स्ट्रेचिंग को वही बंद कर दें। ध्यान रहे की आप कोई स्ट्रेचिंग जबरदस्ती न करें। ऐसा करने से आपको और आपके शिशु को परेशानी हो सकती है।

17: रोज पैदल टहलें 

टहलना यानी पैदल चलना हर एक इंसान के सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है। गर्भवती महिला के लिए रोज थोड़ी दूर तक पैदल चलना बहुत ही अच्छा व्यायाम माना जाता है। टहलने से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन ठीक और आप चुस्त रहते हैं। टहलते समय आपको इस बात का ध्यान रखना है की आप सामान्य गति से चल रही हैं। तेज चलना या दौड़ना आप और आपके शिशु को फायदा के बजाय नुक्सान पहुंचा सकता है। इसलिए ध्यान रहे की आप आराम से चल रही हैं। 

18: लेग लिफ्टिंग करें  

इस व्यायाम को करने के लिए आप पहले पीठ के बल लेट जाइए और फिर अपने पैरों को दस से बारह बार धीरे धीरे सीधा ऊपर की तरफ उठाएं और फिर नीचे ले आएं। ऐसा करने से पेट और पीठ की मासपेशियां मजबूत होती हैं। 

19: फिटनेस बॉल के साथ स्क्वाट करें 

यह व्यायाम नार्मल डिलीवरी की संभावना को बढ़ाता है और साथ ही बैक पेन से भी छुटकारा दिलाने में मदद करता है। इस व्यायाम को करने के लिए दीवार के बल खड़े हो जाएं और फिर दीवार और अपनी पीठ के बीच में फिटनेस बॉल को लगा लीजिए। बॉल को लगाने के बाद धीरे धीरे अपने शरीर को नीचे की तरफ लाइन और फिर नीचे से ऊपर की तरफ ले जाएं। इसको कम से कम दस बार करें। 

20: स्विमिंग करें 

प्रेगनेंसी के दौरान नियमित तौर पर स्विमिंग करना काफी सुरक्षित माना जाता है। इसमें किसी तरह का कोई खतरा नहीं होता है। यह व्यायाम गर्भवती महिला और जन्म लेने वाले शिशु के लिए बहुत फायदेमंद होता है। क्योंकि गर्भवस्था के दौरान महिला के शरीर में हो रहे बदलाव के समय यह शरीर के काम करने की क्षमता को बढ़ाता है। साथ ही ब्लड सर्कुलेशन भी ठीक रखता है। 

स्वीमेनिग करने से शरीर की मांसपेशियां मजबूत होती हैं जो डिलीवरी के समय दर्द को सहन करने में आपकी मदद करती हैं। नियमित रूप से स्विमिंग करने से थकान दूर होती है और नींद अच्छी आती है। स्विमिंग के दौरान आपको एक बात का खासकर ध्यान रखना है और वो यह की अगर आप पहली बार स्विमिंग करने जा रही हैं तो पहले अपने डॉक्टर से मिलें। शायद वह आपको कुछ अच्छे सुझाव दें।  

21: कीगल व्यायाम करें 

जिन महिलाओं को यूटीआई की समस्या होती हैं उनके लिए यह व्यायाम सबसे बेहतर माना जाता है। क्योंकि यह पेशाब के फ्लो को रोकने में मदद करती है। यह व्यायाम शरीर की मांसपेशियों और खासकर पेल्विक क्षेत्र की मांसपेशियों को मजबूत बनाती है और वहां ब्लड सर्कुलेशन को तेज करती है। यह व्ययायाम गर्भवती महिला के मांसपेशियों को डिलीवरी के लिए तैयार करती है जो नार्मल डिलीवरी के लिए बहुत फायदेमंद है। इस व्यायाम को कम से कम दस बार करना चाहिए और हर बार कीगल की पोजीशन में कम से कम पंद्रह सेकेंड तक रहें।   (और पढ़े: नॉर्मल डिलीवरी के लिए प्रेग्नेंसी के नौवें महीने में एक्सरसाइज )

22: थायराइड और प्रेगनेंसी की जांच करवाते रहें 

हाइपोथायराइड की स्थिति में गर्भपात होने का खतरा बढ़ जाता है। कभी कभी गर्भ में ही भ्रूण की मृत्यु भी हो जाती है। ऐसी स्थिति में खुद को और अपने शिशु को सुरक्षित रखने के लिए आपको अपने खान पान को संतुलित करना चाहिए। साथ ही समय समय पर अपने डॉक्टर से मिलकर अपने  प्रेगनेंसी की जांच करवाते रहें।

23: सेक्स रूटीन के संबंध में डॉक्टर से बात करें

सेक्स रूटीन को लेकर भी डॉक्टर से बात कर लें। वैसे तो डॉक्टर पहली तिमाही में हफ्ते में सिर्फ एक बार सेक्स की सलाह देते हैं लेकिन शारीरिक स्थिति के हिसाब से डॉक्टर सेक्स रूटीन बदल भी सकते हैं। (और पढ़े: प्रेगनेंसी के दौरान सेक्स करने का सबसे बेहतरीन तरीका )

24: प्रेगनेंसी के नैवे महीने में थोड़ा ज्यादा सतर्क रहें 

प्रेगनेंसी के नैवे महीने में आपको थोड़ा ज्यादा सतर्क होने की जरूरत होती है। समय समय पर अपने डॉक्टर से मिलें और उनके द्वारा बताए गए चीजों का सेवन करें। खान पान के अलावा आपको कुछ व्यायाम भी करनी चाहिए क्योंकि ये आप और आपके शिशु को स्वस्थ रखने के साथ साथ शिशु की डिलीवरी को आपके लिए आसान बनाने में मदद करती है। 

25: जब तक शिशु का जन्म नहीं हो जाता अपने डॉक्टर के संपर्क में रहें 

जब तक आपका शिशु सुरक्षित तरीके से जन्म नहीं ले लेता तब तक आप अपने डॉक्टर के संपर्क में बने रहें। जब भी आपको आपने शरीर में किसी तरह की परेशानी, बेचैनी या समस्याएं महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करे। डॉक्टर की सलाह के मुताबिक अपने दैनिक जीवन को फॉलो करें। 

ध्यान दें

प्रेगनेंसी के समय आप किसी भी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहती हैं। साथ ही आप हर एक वो कोशिश करती हैं जो आप और आपके शिशु को स्वास्थ्य और तंदुरुस्त रखता है। प्रेगनेंसी के दौरान जीवन में अच्छे बदलाव लाने, व्यायाम और योग करने तथा अपने खान पान पर ध्यान देने के बाद भी आपको डॉक्टर से मिलकर अपनी प्रेगनेंसी का जांच समय समय पर करवाना चाहिए। 

प्रेगनेंसी के दौरान किसी भी तरह का व्यायाम करने से अगर आपके शरीर पर ज्यादा दबाव बने या फिर दर्द हो तो तुरंत उस व्यायाम को करना बंद कर दें। कोई भी व्यायाम जबरदस्ती नहीं करनी है। ध्यान रहे की आप जब भी व्यायाम करें तो आपके साथ कोई दूसरा व्यक्ति मौजूद हो। इन सबसे खास, कोई भी व्यायाम करने, खान पान या लाइफ स्टाइलमें बदलाव लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर मिले और उनकी सलाह को फॉलो करें। अपने मन मुताबिक कोई भी काम करने से बचें।

आगे पढ़े: प्रेग्नेंसी में कैसे सोना चाहिए? (How to sleep in pregnancy?)

डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है| अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें|