pregnancy me bleeding

Pregnancy और Periods दोनों एक दूसरे से कनेक्टेड हैं। पीरियड्स न आने या मिस होने पर प्रेगनेंसी की संभावना हो सकती है। प्रेगनेंसी के दौरान अगर ब्लीडिंग हुई तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें। ब्लीडिंग होने के दूसरे कारण भी हो सकते हैं। ओव्यूलेशन के दौरान जब फीमेल एग और मेल स्पर्म फर्टिलाइज होते हैं तब प्रेगनेंसी होती है। प्रेगनेंट होने के बाद अगर ब्लीडिंग हो तो इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। पहली तिमाही में हल्की हल्की स्पॉटिंग हो सकती है, लेकिन अगर ब्लीडिंग हो तो इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। दूसरी और तीसरी तिमाही में हल्की स्पॉटिंग को भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। प्रेगनेंसी में ब्लीडिंग होना गर्भपात (Miscarriage) या दूसरी किसी गंभीर समस्या की तरफ इशारा हो सकता है।        

प्रेग्नेंसी में ब्लीडिंग होने के कारण (Causes of bleeding in pregnancy)

प्रेगनेंसी में ब्लीडिंग होना सामान्य बात नहीं है। इससे मां और जन्म लेने वाले शिशु दोनों के लिए चिंताजनक स्थिति है।    

  • इंफेक्शन के कारण गर्भपात (Miscarriage) हो सकता है, इससे प्रेग्नेंसी में ब्लीडिंग शुरू हो जाती है।
  • अगर प्रेग्नेंट महिला को वेजाइना में इंफेक्शन हुआ है तब भी प्रेग्नेंसी में ब्लीडिंग हो सकती है।
  • प्रेगनेंसी के सबसे पहले अल्ट्रासाउंड से प्रेगनेंसी के स्थान की जानकारी मिलती है। अगर एक्टोपिक प्रेगनेंसी है तो बिना देरी किए डॉक्टर से परामर्श करके इसका इलाज करवाना चाहिए। एक्टोपिक प्रेगनेंसी इमरजेंसी की तरह लेना चाहिए।      
  • प्रेग्नेंसी में सेक्स करने से भी ब्लीडिंग हो सकती है। इसलिए इस दौरान सेक्स से परहेज करें अथवा अपने डॉक्टर से सलाह लें।
  • प्रेग्नेंसी में यूटेरस की थैली फटने से बच्चा पेट की तरफ खिसक जाता है। इससे प्रेग्नेंसी में ब्लीडिंग होना शुरू हो जाती है। ये इमरजेंसी की स्थिति होती है, ऐसा होने पर बिना देरी किए डॉक्टर के पास जाना चाहिए।  
  • गर्भनाल (placenta) के टूटने से बहुत ब्लीडिंग होती है। यह स्थिति प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही में बन सकती है। ऐसा लगभग दो सौ महिलाओं में से एक के साथ होता है। 
  • प्रेग्नेंसी में पीरियड्स को कंट्रोल करने वाले हार्मोनल बदलाव के कारण भी ब्लीडिंग होती है। 
  • मोलर प्रेग्नेंसी के कारण भी प्रेग्नेंसी में ब्लीडिंग होती है। मोलर प्रेग्नेंसी में गर्भ में बच्चे की जगह एक असामान्य ऊतक (Abnormal Tumor) होता है जो जानलेवा तो नहीं होता लेकिन ध्यान न देने पर कैंसर होने का कारण भी बन सकता है। मोलर प्रेग्नेंसी की पुष्टि अल्ट्रासाउंड से की जाती है।
  • अगर प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही में ब्लीडिंग हो रही है तो समय से पहले डिलीवरी होने की संभावना भी बढ़ जाती है। अगर तीसरी तिमाही में थोड़ी मात्रा में भी ब्लीडिंग हो तो डॉक्टर के पास जरूर जाएं।

प्रेग्नेंसी में ब्लीडिंग होने पर जांच (Diagnosis of bleeding in pregnancy)

प्रेग्नेंसी में ब्लीडिंग अलग-अलग कारणों से होती है। हर तिमाही में ब्लीडिंग होने के अलग कारण और इलाज होते हैं। सामान्य तौर पर प्रेग्नेंसी में ब्लीडिंग होने पर अल्ट्रासाउंड किया जाता है। 

डॉक्टर सबसे पहले प्रेग्नेंट महिला की मेडिकल हिस्ट्री के बारे में पूछेंगे;

  • इसमें वे आपसे पूछ सकते हैं कि क्या शारीरिक संबंध बनाते समय पेट में दर्द या ऐंठन होती है?
  • ब्लीडिंग या स्पॉटिंग के थक्के के प्रकार और कितने पैड्स इस्तेमाल किए है?
  • स्मोकिंग और शराब पीने की आदतों के बारे में पूछ सकते हैं?
  • अगर प्रेग्नेंसी का पहले भी अनुभव रहा है तो उससे जुड़ी सारी जानकारियां पूछ सकते हैं। 
  • प्रेग्नेंसी में ब्लीडिंग होने पर निम्न लैब टेस्ट किये जा सकते हैं;

यूटीआई (यूरिन ट्रेक्ट इंफेक्शन) का अंदेशा होने पर यूरिन टेस्ट किया जा सकता है। 

  • HCG टेस्ट (human chorionic gonadotropin) करवाया जाता है, जिससे खून में एचसीजी की मात्रा चेक की जाती है।
  • पेट और यूटेरस का अल्ट्राउंड करवाया जाता है।
  • प्रेग्नेंसी में ब्लीडिंग होने पर इलाज कारणों के अनुसार किया जाता है। 

प्रेग्नेंसी में ब्लीडिंग होने पर इलाज (Treatment of bleeding in pregnancy)

प्रेग्नेंसी में ब्लीडिंग होने पर इलाज कारणों के अनुसार किया जाता है। (आगे पढ़ें: प्रेग्नेंसी में कैसे सोना चाहिए)

  • एक्टोपिक प्रेग्नेंसी होने पर डॉक्टर दवाइयां दे सकते हैं। दवाइयों के अलावा सर्जरी के जरिए भी इलाज किया जाता है। 
  • अगर प्रेग्नेंसी में शुरूआती 20 हफ्ते में अगर ब्लीडिंग हो रही है तो इसे थ्रेटेंड एबॉर्शन कहेंगे। इसमें डॉक्टर तीन हफ्ते तक Physical intimacy के लिए मना कर देते हैं। जब तक दर्द और ब्लीडिंग कम नहीं होती तब तक आराम ही करना होता है।
  • अगर गर्भपात के कारण ब्लीडिंग हुई है तो अल्ट्रासाउंड के बाद डॉक्टर डी एंड सी प्रक्रिया का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में डॉक्टर डाइलेशन और क्यूरेटेज प्रोसेस के जरिए यूटेरस की सफाई की जाती है ताकि आगे इंफेक्शन होने की कोई संभावना न हो। मिसकैरिज होने पर भी प्रेग्नेंसी में ब्लीडिंग हो सकती है, ऐसी स्थिति में डॉक्टर अस्पताल में भर्ती भी कर सकते हैं। 
  • अगर जांच करने के बाद प्लेसेंटा प्रिविया की समस्या बताई गई है तो डॉक्टर सिजेरियन डिलीवरी की सलाह दे सकते हैं। जांच करने के बाद डॉक्टर कुछ दवाई भी देते हैं ताकि भ्रूण के फेफड़े मजबूत रहें।

प्रेग्नेंसी में ब्लीडिंग रोकने के घरेलू उपाय (Home remedies of bleeding in pregnancy)

पहले डॉक्टर से संपर्क करें। डॉक्टर की सलाह अनुसार निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं।    

  • प्रेग्नेंसी में थोड़ी मात्रा में ब्लीडिंग होने पर आराम करें, ज्यादा मेहनत का काम न करें और वजन भी न उठाएं।
  • संतुलित मात्रा में पानी पियें। पानी पीने से शरीर हाइड्रेट रहेगा।
  • अमरुद की पत्तियों का सेवन कर सकते है।
  • फॉलिक एसिड संतुलित मात्रा में लेने से मिसकैरिज की संभावना दूर हो जाती है, साथ ही ब्लीडिंग में भी राहत मिलती है।
  • प्रेग्नेंसी में शारीरिक संबंध बनाने से बचना चाहिए।
  • अगर ब्लीडिंग ज्यादा हो रही है तो लापरवाही न करें बल्कि तुरंत डॉक्टर को दिखा दें।

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डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है| अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें|