app download
प्रिस्टिन केयर
नि: शुल्क परामर्श बुक करें
Golden Colored Star Golden Colored Star Golden Colored Star Golden Colored Star Grey Colored Star प्ले स्टोर पर रेटिंग

Eye Views: 7,610

वैरिकोज वेन्स और वैरीकोसेल में अंतर और इलाज

इंसान के शरीर में अनेकों नसें होती हैं। नसों में वॉल्व मौजूद होते हैं जिनका काम शरीर के एक हिस्से से खून को दिल तक ले जाना है। लेकिन वॉल्व में किसी प्रकार की खराबी होने या उनके सही से काम नहीं करने के कारण, खून शरीर के एक हिस्से से दिल तक जाने के बजाय नसों में ही एक ही जगह जमा होने लगता है। नसों में खून के जमा होने के कारण नसों पर दबाव पड़ता है, नसों में सूजन हो जाती है, नसें मोटी हो जाती हैं और लंबी होकर मुड़ जाती हैं। नसों में मौजूद वॉल्व के खराब होने के कारण इंसान को ढेरों बीमारियां होती हैं। वैरिकोज वेन्स और वैरीकोसेल भी इन्ही में एक हैं।

difference-between-varicose-veins-and-varicocele-in-hindi

Social share:

Linkedin icon Whatsapp icon
अभी अपना फ्री में फ्री में परामर्श बुक करें
Arrow Icon
Arrow Icon

हर कदम पर समर्पित समर्थन!

हमारे डॉक्टर आपकी सहायता के लिए दिन में 24 घंटे, सप्ताह में 7 दिन उपलब्ध हैं!

Hero Action

इंसान के शरीर में अनेकों नसें होती हैं। नसों में वॉल्व मौजूद होते हैं जिनका काम शरीर के एक हिस्से से खून को दिल तक ले जाना है। लेकिन वॉल्व में किसी प्रकार की खराबी होने या उनके सही से काम नहीं करने के कारण, खून शरीर के एक हिस्से से दिल तक जाने के बजाय नसों में ही एक ही जगह जमा होने लगता है। नसों में खून के जमा होने के कारण नसों पर दबाव पड़ता है, नसों में सूजन हो जाती है, नसें मोटी हो जाती हैं और लंबी होकर मुड़ जाती हैं। नसों में मौजूद वॉल्व के खराब होने के कारण इंसान को ढेरों बीमारियां होती हैं। वैरिकोज वेन्स और वैरीकोसेल भी इन्ही में एक हैं।

वैरिकोज वेन्स क्या है?

वैरिकोज वेन्स एक गंभीर बीमारी है जिससे पीड़ित होने की स्थिति में नसों में सूजन हो जाती हैं और वे फूल जाती हैं। वैरिकोज वेन्स की समस्या शरीर के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकती है, लेकिन अधिकतर मामलों में यह पैरों में ही देखने को मिलती है। वैरिकोज वेन्स होने पर नसों का आकार बढ़ जाता है और वे मुड़ जाती हैं तथा त्वचा से बाहर साफ-साफ उभरी हुई दिखाई पड़ती हैं। वैरिकोज वेन्स देखने में हल्के नीले रंग की होती हैं। पुरुषों की तुलना में वैरिकोज वेन्स की समस्या महिलाओं में अधिक होती है। प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को वैरिकोज वेन्स होने का खतरा अधिक रहता है।

वैरिकोज वेन्स को मुख्य तौर पर चार भागों में बांटा गया है जिसमें मध्यम प्रकार के वैरिकोज वेन्स, गंभीर प्रकार के वैरिकोज वेन्स, स्पाइडर वेन्स और प्रेगनेंसी संबंधित वैरिकोज वेन्स शामिल हैं। मध्यम प्रकार के वैरिकोज वेन्स को सबसे सामान्य माना जाता है। ये देखने में हल्के नीले रंग के होते हैं। जब वैरिकोज वेन्स अपनी शुरूआती स्टेज में होते हैं तब इन्हे मध्यम प्रकार के वैरिकोज वेन्स की श्रेणी में रखा जाता है। मध्यम प्रकार के वैरिकोज वेन्स की स्थिति में ब्लड सर्कुलेशन की प्रक्रिया बंद हो जाती है जिसके कारण दिल से संबंधित समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।

इसे पढ़ें: वैरिकोज वेन्स (Varicose Veins In Hindi) क्या है? कारण, लक्षण और इलाज

जब मध्यम प्रकार के वैरिकोज वेन्स का समय पर उचित इलाज नहीं किया जाता है तो यह आगे जाकर गंभीर रूप ले लेते हैं। इसलिए इन्हे वैरिकोज वेन्स की गंभीर प्रकार की श्रेणी में रखा जाता है। गंभीर प्रकार के वैरिकोज वेन्स से पीड़ित होने पर इसके लक्षण अधिक दर्दनाक हो जाते हैं। जिसके कारण मरीज को चलने फिरने और अपने दैनिक जीवन के कामों को करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। गंभीर प्रकार के वैरिकोज वेन्स से पीड़ित होने पर मरीज को जल्द से जल्द अनुभवी वैस्कुलर सर्जन से मिलकर इस बीमारी का उचित जांच और इलाज कराना चाहिए।

अक्सर लोग वैरिकोज वेन्स और स्पाइडर वेन्स को एक समझ लेते हैं, जबकि दोनों अलग-अलग हैं। स्पाइडर वेन्स एक प्रकार का वैरिकोज वेन्स ही है, लेकिन वैरिकोज वेन्स की तुलना में इसकी लंबाई कम होती है और ये मकड़ी के जाल या पेड़ की शाखाओं की तरह होते हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान एक महिला के शरीर में खून का निर्माण काफी अधिक मात्रा में होता है, जिसके कारण नसों पर दबाव पड़ता है। नतीजतन, जब पैरों या पेल्विक क्षेत्र के आसपास वैरिकोज वेन्स की समस्या पैदा होती है तो इसे प्रेगनेंसी संबंधित वैरिकोज वेन्स की श्रेणी में रखा जाता है।

इसे पढ़ें: वैरिकोज वेंस के लिए योग

वैरिकोज वेन्स के कारणों में मोटापा, अनुवांशिक कारण, हार्मोन में बदलाव और घंटों तक एक ही जगह बैठना या खड़े रहना आदि शामिल हैं। वैरिकोज वेन्स से पीड़ित होने पर मरीज खुद में ढेरों लक्षणों को अनुभव करते हैं जैसे कि प्रभावित नसों से ब्लीडिंग होना, प्रभावित क्षेत्र में खुजली और जलन होना, त्वचा का रंग खराब होना, उठते और बैठते समय दर्द होना, मांसपेशियों में जलन और ऐंठन होना, नसों का फूलना, लंबा होना, मुड़ना और त्वचा से बाहर की तरफ उभरना, पैरों में भारीपन होना आदि। वैरिकोज वेन्स होने पर जल्द से जल्द इसका उचित जांच और इलाज कराना चाहिए। इसके इलाज में देरी करने पर डीप वेन थ्रोम्बोसिस होने और नसों में ब्लड क्लॉट्स बनने का खतरा बढ़ जाता है।

हम आपकी देखभाल करते हैं
नो कॉस्ट ईएमआई, परेशानी मुक्त बीमा स्वीकृति
के साथ अपनी सर्जरी करवाएं

वैरीकोसेल क्या है?

नसों में मौजूद वॉल्व के खराब होने के कारण जब खून अंडकोष की थैली से दिल तक नहीं जाता है और नसों में ही एक जमा होने लगता है, जिसके कारण अंडकोष की थैली में और उसके आसपास सूजन की समस्या पैदा होती है जो आगे जाकर वैरीकोसेल में बदल जाता है। वैरीकोसेल स्पर्म की क्वांटिटी और क्वालिटी तथा दूसरे उन फंक्शन को बुरी तरह से प्रभावित करता है जो आगे जाकर पुरुष में बांझपन यानि इनफर्टिलिटी का कारण बन सकते हैं। विशेषज्ञ का मानना है कि अधिकतर मामलों में वैरीकोसेल टेस्टिकल के बायें तरफ पाया जाता है। वैरीकोसेल कोई गंभीर या जानलेवा बीमारी नहीं है, लेकिन समय पर इसका उचित इलाज आवश्यक है।

वैरीकोसेल को मुख्य तौर पर तीन भागों में बांटा गया है जिसमें ग्रेड 1 वैरीकोसेल, ग्रेड 2 वैरीकोसेल और ग्रेड 3 वैरीकोसेल शामिल हैं। ग्रेड 1 वैरीकोसेल की स्थिति में अंडकोष की थैली की नसों का आकार बढ़ जाता है। ये नसें दिखाई नहीं देती हैं, लेकिन वलसल्वा मनुवेर के जरिए मरीज इन नसों को महसूस कर सकते हैं। वलसल्वा मनुवेर सांस लेने की एक तकनीक है जिसके दौरान सीने पर दबाव पड़ता है। नतीजतन, मरीज के शरीर में ढेरों बदलाव आते हैं जैसे कि ब्लड प्रेशर और धड़कन में बदलाव आना आदि।

इसे पढ़ें: वैरीकोसेल के कारण, लक्षण और योग द्वारा इलाज

ग्रेड 1 वैरीकोसेल और ग्रेड 3 वैरीकोसेल के बीच की स्थिति को ग्रेड 2 वैरीकोसेल कहा जाता है। इस ग्रेड के वैरीकोसेल से पीड़ित होने पर भी अंडकोष की थैली की नसों का आकार बढ़ जाता है जो स्पर्म की क्वालिटी और क्वांटिटी को बुरी तरह से प्रभावित करता है। ग्रेड 1 वैरीकोसेल और ग्रेड 2 वैरीकोसेल की तुलना में ग्रेड 3 वैरीकोसेल अधिक गंभीर होता है और इससे पीड़ित होने की स्थिति में अंडकोष की थैली की नसों का आकार काफी बड़ा हो जाता है। ग्रेड 3 वैरीकोसेल स्पर्म की क्वालिटी, क्वांटिटी और दूसरे उन सभी महत्वपूर्ण फंक्शन को प्रभावित करता है जो पुरुष में बांझपन का कारण बन सकते हैं। ग्रेड 3 वैरीकोसेल से पीड़ित होने पर बिना देरी किए एक अनुभवी और कुशल यूरोलॉजिस्ट से संपर्क करना चाहिए।

इसे पढ़ें: वैरिकोज वेन्स के घरेलू उपाय

वैरीकोसेल की समस्या कई कारणों से पैदा होती है जिसमें मुख्य रूप से खड़े होकर पानी पीना, चोट लगना या घाव होना, स्पर्म कॉर्ड में रुकावट पैदा होना, बिना प्रोटेक्टिव गियर के एक्सरसाइज करना और एपिडिडिमाइटिस जैसे इंफेक्शन से पीड़ित होना आदि शामिल है। वैरीकोसेल होने पर मरीज खुद में कुछ खास लक्षणों को अनुभव कर सकते हैं जैसे कि अंडकोष की थैली में गांठ होना, अंडकोष का आकार बढ़ना, शारीरिक काम के दौरान तेज दर्द होना, अंडकोष की थैली में सूजन और जलन होना, प्रभावित नसों का बाहर की तरफ साफ दिखाई देना, नसों का मुड़ना और एक जगह जमा होना और दिन के समय ज्यादा दर्द तथा बेचैनी होना आदि। 

वैरीकोसेल होने पर बिना देरी किए जल्द से जल्द एक अनुभवी और कुशल यूरोलॉजिस्ट से मिलकर इसका उचित जांच और इलाज कराना चाहिए। लंबे समय तक वैरीकोसेल के लक्षणों को नज़रअंदाज़ करने या समय पर इसका सटीक इलाज नहीं कराने पर यह गंभीर रूप ले सकता है जिसके कारण ढेरों समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। इसमें बांझपन, ब्लड क्लॉट, नसों का टूटना, हार्मोनल असंतुलन, इरेक्टाइल डिस्फंक्शन और अंडकोष का सिकुड़ना आदि शामिल हैं।

वैरिकोज वेन्स का जांच कैसे किया जाता है?

वैरिकोज वेन्स का इलाज करने से पहले वैस्कुलर डॉक्टर मरीज की शारीरिक जांच करते हैं। जांच के दौरान, डॉक्टर मरीज को बार-बार खड़ा होने और बैठने को बोल सकते हैं। ऐसा करने से मरीज के पैरों पर दबाव पड़ता है जिसके कारण प्रभावित नसें त्वचा से बाहर साफ-साफ दिखाई देने लगती हैं। इसके अलावा, शरीर में खून के प्रवाह की स्थिति को जानने के लिए, डॉक्टर अल्ट्रासाउंड और डॉप्लर टेस्ट का सुझाव देते हैं। साथ ही, शरीर के जिस क्षेत्र में वैरिकोज वेन्स हुआ है उस क्षेत्र के अनुसार नसों का आकलन भी करते हैं। नसों का आकलन करने के लिए डॉक्टर वेनोग्राम टेस्ट करते हैं। नसों में ब्लड क्लॉट हैं या नहीं इस बात का पता लगाने के लिए भी अल्ट्रासाउंड या वेनोग्राम टेस्ट का इस्तेमाल किया जा सकता है। जांच की पूरी प्रक्रिया खत्म होने और बीमारी के प्रकार और गंभीरता को समझने के बाद इलाज की प्रक्रिया को शुरू किया जाता है।

इसे पढ़ें: वैरिकोज वेन्स की होम्योपैथी दवा

वैरीकोसेल का जांच कैसे किया जाता है?

वैरीकोसेल की जांच प्रक्रिया के दौरान डॉक्टर सबसे पहले मरीज से उनके लक्षणों से संबंधित कुछ प्रश्न पूछते हैं और फिर उसके बाद मरीज की शारीरिक जांच करते हैं। शारीरिक जांच के दौरान, डॉक्टर अंडकोष में कोमलता की जाँच करते हैं। अंडकोष की थैली में पानी है या नहीं इस बात की पुष्टि करने के लिए ब्लड टेस्ट और एक्स-रे करने का सुझाव देते हैं। साथ ही, अंडकोष की थैली में सूजन है या नहीं इस बात का पता लगाने के लिए अल्ट्रासाउंड करते हैं। फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हार्मोन और लो टेस्टोस्टेरोन के बारे में पता लगाने के लिए डॉक्टर सीमेन एनालिसिस टेस्ट और हार्मोन टेस्ट करते हैं। जांच के दौरान डॉक्टर वैरीकोसेल के ग्रेड और गंभीरता के बारे में पता लगाते हैं और फिर उसके बाद इलाज की प्रक्रिया को शुरू करते हैं।

वैरिकोज वेन्स का इलाज कैसे किया जाता है?

वैरिकोज वेन्स का इलाज कई तरह से किया जाता है। अगर वैरिकोज वेन्स अपनी शुरुआती स्टेज में है तो इसका इलाज करने के लिए डॉक्टर कुछ दवाओं का सेवन और एक्सरसाइज करने तथा जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव लाने का सुझाव देते हैं। लेकिन जब इन सब से कोई फायदा नहीं होता है तब डॉक्टर सेक्लेरोथेरेपी, माइक्रो स्क्लेरोथेरेपी, लेजर थेरेपी, एंडोस्कोपिक वेन सर्जरी, एंडोवेनस एब्लेशन थेरेपी और अंतत लेजर सर्जरी का सुझाव देते हैं।

इसे पढ़ें: वैरीकोसेल का बेस्ट इलाज — Best Treatment Of Varicocele In Hindi

लेजर सर्जरी को वैरिकोज वेन्स का सबसे बेस्ट इलाज माना जाता है। लेजर सर्जरी वैरिकोज वेन्स का सबसे मॉडर्न और एडवांस सर्जिकल इलाज है। इस सर्जरी से किसी भी प्रकार के वैरिकोज वेन्स का परमानेंट इलाज कम से कम समय में बहुत ही आसानी से किया जा सकता है। लेजर सर्जरी के बाद दोबारा वैरिकोज वेन्स होने का खतरा लगभग शून्य हो जाता है। वैरिकोज वेन्स की लेजर सर्जरी को एक अनुभवी और विश्वसनीय वैस्कुलर सर्जन की देखरेख में पूरा किया जाता है। इस सर्जरी को शुरू करने से पहले सर्जन मरीज को लोकल या जनरल एनेस्थीसिया देते हैं जिससे सर्जरी के दौरान होने वाले दर्द का खतरा खत्म हो जाता है।

एनेस्थीसिया देने के बाद, सर्जन लेजर की मदद से खराब नसों को काटकर बाहर निकाल देते हैं या उनसे खून के प्रवाह को बंद करके दूसरी स्वस्थ नसों से जोड़ देते हैं। इस पूरी सर्जिकल प्रक्रिया के दौरान या बाद में खून के प्रवाह में किसी प्रकार की कोई दिक्कत या परेशानी नहीं आती है। वैरिकोज वेन्स की लेजर सर्जरी के दौरान मरीज को कट या टांके नहीं आते हैं और ब्लीडिंग तथा दर्द भी नहीं होता है। इस सर्जरी के बाद इंफेक्शन या जख्म होने और दाग बनने का खतरा भी लगभग शून्य होता है।

वैरिकोज वेन्स की लेजर सर्जरी को पूरा होने में मात्र आधे घंटे का समय लगता है। यह एक दिन की सर्जिकल प्रक्रिया है, इसलिए सर्जरी के बाद मरीज को हॉस्पिटलाइजेशन की आवश्यकता भी नहीं पड़ती है। सर्जरी खत्म होने के कुछ ही घंटों के बाद मरीज अपने घर जाने के लिए पूरी तरह से फिट हो जाते हैं। वैरिकोज वेन्स की लेजर सर्जरी के दौरान कट या टांके नहीं आने के कारण सर्जरी के बाद मरीज की रिकवरी बहुत तेजी से होती है। वैरिकोज वेन्स की लेजर सर्जरी के मात्र दो दिन बाद से मरीज अपने दैनिक जीवन के कामों को फिर से शुरू कर सकते हैं।

वैरीकोसेल का इलाज कैसे किया जाता है?

वैरीकोसेल का इलाज भी कई तरह से किया जा सकता है। अगर वैरीकोसेल अपनी शुरूआती स्टेज में है तो इसका इलाज करने के लिए यूरोलॉजिस्ट मरीज को कुछ खास दवाओं का सेवन करने और जीवनशैली में बदलाव लाने का सुझाव देते हैं। नियमित रूप से हेल्दी डाइट लेने और एक्सरसाइज करने से शरीर में खून का प्रवाह तेज हो जाता है जिससे वैरीकोसेल की समस्या में राहत मिलती है। जब ऊपर बताए गए तरकीबों से कोई फायदा नहीं होता है या वैरीकोसेल गंभीर रूप ले लेता है जिसके कारण इनफर्टिलिटी का खतरा बढ़ जाता है तो डॉक्टर सर्जरी का सुझाव देते हैं। वैरीकोसेल की सर्जरी को दो तरह से किया जाता है जिसमें परक्यूटेनियस इम्बोलिजेशन और लेप्रोस्कोपिक सर्जरी शामिल हैं।

इसे पढ़ें: वैरीकोसेल का घरेलू उपचार

वैरीकोसेल की लेप्रोस्कोपिक सर्जरी को लेप्रोस्कोपिक वैरिकोसेलेक्टॉमी के नाम से भी जाना जाता है। लेप्रोस्कोपिक सर्जरी वैरीकोसेल का सबसे मॉडर्न और एडवांस सर्जिकल इलाज है। लेप्रोस्कोपिक सर्जरी से किसी भी प्रकार के वैरीकोसेल का परमानेंट इलाज कम से कम समय में बहुत ही आसानी से किया जा सकता है। लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के बाद दोबारा वैरीकोसेल होने का खतरा लगभग न के बराबर होता है। वैरीकोसेल की लेप्रोस्कोपिक सर्जरी को एक अनुभवी और विश्वसनीय यूरोलॉजिस्ट सर्जन की देखरेख में पूरा किया जाता है।

वैरीकोसेल की लेप्रोस्कोिपक सर्जरी को शुरू करने से पहले सर्जन मरीज को लोकल या जनरल एनेस्थीसिया देते हैं जिसके कारण सर्जरी के दौरान मरीज को ज़रा भी दर्द या दूसरी किसी प्रकार की परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता है। एनेस्थीसिया देने के बाद, सर्जन मरीज पेट या ऊपरी जांघ में एक बहुत ही छोटा सा कट लगाते हैं और लेप्रोस्कोप नामक एक उपकरण को मरीज के शरीर के अंदर डालते हैं तथा खराब नसों से खून के प्रवाह को बंद करके दूसरी स्वस्थ नसों से जोड़ देते हैं। इस पूरी सर्जिकल प्रक्रिया को कम्प्लीट होने में मात्र आधे घंटे का समय लगता है।

इसे पढ़ें: स्पाइडर वेन्स का बेस्ट इलाज — Best Treatment Of Spider Veins In Hindi

वैरीकोसेल की लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के दौरान मरीज को एक बहुत ही छोटा सा कट लगता है जिसके लिए टांकों की आवश्यकता भी नहीं पड़ती है। लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के दौरान मरीज को ब्लीडिंग और दर्द का सामना भी नहीं करना पड़ता है। इस सर्जरी के दौरान या बाद में साइड इफेक्ट्स या जटिलताओं का ख़तरा भी लगभग शून्य होता है। लेप्रोस्कोपिक वैरिकोसेलेक्टॉमी एक दिन की प्रक्रिया है, इसलिए सर्जरी ख़त्म होने के बाद मरीज को हॉस्पिटलाइजेशन की आवश्यकता भी नहीं पड़ती है। इस सर्जरी के ख़त्म होने के कुछ ही घंटों के बाद मरीज को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया जाता है।

लेप्रोस्कोपिक वैरिकोसेलेक्टॉमी के दौरान बहुत ही छोटा कट आने, टांके नहीं लगने और ब्लीडिंग नहीं होने के कारण मरीज की रिकवरी बहुत तेजी से होती है। वैरीकोसेल की लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के मात्र दो दिन बाद से मरीज अपने दैनिक जीवन के कामों को फिर से शुरू कर सकते हैं।

प्रिस्टिनकेयर ऐप
अधिक सुविधाएं मुफ्त में प्राप्त करने के लिए ऐप डाउनलोड करें
लक्षणों की जाँच करें
काउइन सर्टिफिकेट
अवधि ट्रैकर
दंत संरेखक
Google Play App Store

वैरिकोज वेन्स और वैरीकोसेल के बीच खास फर्क

ऊपर पढ़ने के बाद आपको यह तो समझ में आ गया होगा कि वैरिकोज वेन्स या वैरीकोसेल की समस्या खून में मौजूद वॉल्व के खराब होने या सही से काम नहीं करने के कारण होती है। लेकिन इन दोनों के बीच काफी खास फर्क हैं।

वैरिकोज वेन्स महिला या पुरुष किसी भी को हो सकता है। हालांकि, पुरुषों की तुलना में महिलाओं को यह बीमारी होने के खतरा दोगुना होता है। लेकिन वैरीकोसेल केवल पुरुषों को प्रभावित करने वाली बीमारी है।

वैरिकोज वेन्स शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है, लेकिन अधिकतर मामलों में यह पैरों में देखा जाता है। जबकि वैरीकोसेल अंडकोष की थैली को ही प्रभावित करता है और अधिकतर मामलों में यह टेस्टिकल के बायें तरफ पाया जाता है।

वैरिकोज वेन्स होने पर डीप वेन थ्रोम्बोसिस और ब्लड क्लॉट होने का खतरा होता है, जबकि वैरीकोसेल होने पर बांझपन, ब्लड क्लॉट, नसों के टूटने आदि का खतरा होता है।

वैरिकोज वेन्स होने पर मरीज को प्रभावित नसों से ब्लीडिंग, पैरों में भारीपन, खुजली और जलन, स्किन के रंग का खराब होना, उठते और बैठते समय दर्द, मांसपेशियों में जलन और ऐंठन आदि को लक्षण के रूप में अनुभव करते हैं, जबकि वैरीकोसेल होने पर मरीज को अंडकोष की थैली में गांठ होना, अंडकोष का आकार बढ़ना, काम करते समय दर्द होना, अंडकोष की थैली में सूजन होना, नसों का मुड़ना और एक जगह जमा होना आदि अनुभव होता है।

इसे पढ़ें: परक्यूटीनियस इम्बोलिजेशन सर्जरी क्या है और कैसे किया जाता है?

वैरिकोज वेन्स का इलाज एक अनुभवी और विश्वसनीय वैस्कुलर सर्जन के द्वारा किया जाता है और वैरीकोसेल का इलाज एक यूरोलॉजिस्ट की देखरेख में किया जाता है।

वैरिकोज वेन्स का इलाज लेजर सर्जरी से किया जाता है और वैरीकोसेल का इलाज लेप्रोस्कोपिक सर्जरी से किया जाता है।

वैरिकोज वेन्स की लेजर सर्जरी के दौरान मरीज को कट नहीं आता है और वैरीकोसेल की लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के दौरान मरीज को एक छोटा सा कट लगता है।

अगर आप वैरिकोज वेन्स से पीड़ित हैं तो आपको लेजर सर्जरी का चुनाव करना चाहिए। क्योंकि यह वैरिकोज वेन्स का बेस्ट और परमानेंट इलाज माना जाता है। इस सर्जरी के बाद दोबारा वैरिकोज वेन्स होने का खतरा लगभग शून्य हो जाता है। 

अगर आपको वैरीकोसेल है तो आपको लेप्रोस्कोपिक सर्जरी का चुनाव करना चाहिए। क्योंकि इससे किसी भी प्रकार के वैरीकोसेल का परमानेंट इलाज कम से कम समय में बहुत ही आसानी से किया जा सकता है।

इसे पढ़ें: वैरिकोज वेन्स की पतंजलि दवा

प्रिस्टीन केयर क्लिनिक में वैरिकोज वेन्स का लेजर इलाज और वैरीकोसेल का लेप्रोस्कोपिक इलाज किया जाता है। हमारे  प्रिस्टीन केयर क्लिनिक में वैरिकोज वेन्स की लेजर सर्जरी को एक अनुभवी और विश्वसनीय वैस्कुलर सर्जन की देखरेख में किया जाता है और वैरीकोसेल का लेप्रोस्कोपिक इलाज एक अनुभवी और कुशल यूरोलॉजिस्ट के द्वारा किया जाता है। दूसरे क्लिनिक या हॉस्पिटल की तुलना में हमारे क्लिनिक में वैरिकोज वेन्स और वैरीकोसेल का बेस्ट सर्जिकल इलाज कम से कम खर्च में किया जाता है। इतना ही नहीं, कम से कम खर्च में वैरिकोज वेन्स और वैरीकोसेल का बेस्ट इलाज करने के साथ-साथ हम अपने मरीज़ों को ढेरों सुविधाएं भी प्रदान करते हैं जिसमें सर्जरी वाले दिन फ्री पिकअप और ड्रॉप, सभी डायग्नोस्टिक टेस्ट पर 30% छूट और सर्जरी के बाद फ्री फॉलो-अप्स आदि शामिल हैं। अगर आप वैरिकोज वेन्स या वैरीकोसेल का बेस्ट सर्जिकल इलाज कम से कम खर्च में कराना चाहते हैं तो आपको अभी प्रिस्टीन केयर से संपर्क करना चाहिए।

आगे पढ़ें

डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है| अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें|

अन्य लेख
लैट्रिन (मल) में खून आना – कारण, लक्षण और इलाज । latrine me blood aana in hindi

लैट्रिन (मल) में खून आना – कारण, लक्षण और इलाज । latrine me blood aana in hindi

25 days ago

प्रेगनेंसी के दौरान सेक्स करने का सबसे बेहतरीन तरीका — Pregnancy Me Sex Kaise Kare

प्रेगनेंसी के दौरान सेक्स करने का सबसे बेहतरीन तरीका — Pregnancy Me Sex Kaise Kare

25 days ago

पीरियड्स के कितने दिन बाद प्रेग्नेंसी होती है? (Period Ke Kitne Din Baad Pregnancy Hoti Hai)

पीरियड्स के कितने दिन बाद प्रेग्नेंसी होती है? (Period Ke Kitne Din Baad Pregnancy Hoti Hai)

25 days ago

ऐप खोलें