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आमतौर पर लखनऊ में आईवीएफ का खर्च लगभग 110000-130000 रुपए तक आता है। लेकिन यह इस प्रक्रिया का फाइनल कॉस्ट नहीं है। आईवीएफ का कॉस्ट काफी चीजों पर निर्भर करता है जैसे कि दवाइयाँ, ओवरी स्टिमुलेशन की प्रक्रिया, आईवीएफ से पहले किए जाने वाले टेस्ट, फर्टिलाइजेशन की प्रक्रिया, फर्टिलिटी ट्रीटमेंट, डोनर कॉस्ट, एम्ब्रो फ्रीजिंग, हॉस्पिटल का लोकेशन, डॉक्टर की विश्वसनीयता और आईवीएफ के बाद फॉलो-अप मीटिंग आदि। इसलिए इसके खर्च में बदलाव आना निश्चित है।

भारत के अनेको शहरों में आईवीएफ उपचार की सुविधा उपलब्ध है। भारत के बड़े शहरों में आईवीएक उपचार का खर्च जानने के लिए आप नीचे दिए गए चार्ट की मदद ले सकते हैं।

भारत में आईवीएफ कराने में कितना खर्च आता है

इन विट्रो फर्टिलाइजेशन को आम बोलचाल की भाषा में आईवीएफ कहते हैं। यह कृत्रिम गर्भधारण करने की एक मेडिकल प्रक्रिया है जिसका इस्तेमाल सबसे पहले सन 1978 में किया गया था। इस प्रक्रिया के दौरान डॉक्टर महिला के अंडाशय से अंडे को निकालकर उसे पुरुष के स्पर्म के साथ लैब में फर्टिलाइज करते हैं।

उसके बाद, विकसित भ्रूण को महिला के गर्भाशय में इम्प्लांट यानी प्रत्यारोपित करते हैं। जब बांझपन के सभी तरीके फेल हो जाते हैं तो डॉक्टर आईवीएफ का सुझाव देते हैं। इस प्रक्रिया को उन महिलाओं के लिए वरदान माना जाता है जो किसी कारणों से गर्भधारण करने में असमर्थ होती हैं।

लखनऊ में आईवीएफ के खर्च को प्रभावित करने वाले कारक

बहुत से ऐसे कारक हैं जो लखनऊ में आईवीएफ की कॉस्ट को काफी हद तक प्रभावित कर सकते हैं। आईवीएफ का खर्च निम्नलिखित बिंदुओं पर निर्भर करता है:-

01. प्रक्रिया से पहले और बाद की दवाइयाँ

आईवीएफ को कई चरणों में पूरा किया जाता है। आईवीएफ की शुरुआत से लेकर अंत तक डॉक्टर महिलाओं को कई तरह की दवाएं और इंजेक्शन निर्धारित करते हैं। इन दवाओं का खर्च अंतत आईवीएफ के खर्च में जुड़ता है।

आईवीएफ की शुरूआती स्टेज में डॉक्टर महिला की ओवरी में अंडों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए कुछ खास तरह की हार्मोनल दवाओं और इंजेक्शन निर्धारित करते हैं जिसमें शार्ट प्रोटोकॉल स्टिमुलेशन और लौंग प्रोटोकॉल स्टिमुलेशन शामिल हैं।

डॉक्टर कौन सी प्रक्रिया का चयन करते हैं यह पूरी तरह से मरीज की स्थिति और आवश्यकता पर निर्भर करता है। शार्ट प्रोटोकॉल स्टिमुलेशन और लौंग प्रोटोकॉल स्टिमुलेशन का खर्च अलग-अलग आता है।

02. आईवीएफ से पहले किए जाने वाले जाँच

आईवीएफ की प्रक्रिया को शुरू करने से पहले डॉक्टर मरीज की स्थिति को समझने के लिए कुछ खास प्रकार के जाँच करने का सुझाव देते हैं। इन जांचों की मदद से डॉक्टर इस बात की पुष्टि करते हैं कि आईवीएफ के सफल होने की संभावना अधिक से अधिक और प्रक्रिया के बाद महिला को गर्भपात, जनरल इंफेक्शन या गर्भ में विकसित हो रहे भ्रूण को किसी तरह की समस्याएं होने का खतरा कम से कम या न के बराबर हो।

आईवीएफ की प्रक्रिया को शुरू करने से पहले डॉक्टर निम्नलिखित जाँच करने का सुझाव दे सकते हैं:-

  • प्रोलैक्टिन टेस्ट
  • ट्यूबल पेटेंटी टेस्ट
  • सीमेन इवैल्यूएशन
  • ओवेरियन रिजर्व टेस्टिंग
  • डिजिटल हाई मैग्निफिकेशन 
  • संक्रामक बीमारियों के लिए स्क्रीनिंग

इन सभी जाँचों का खर्च अलग-अलग होता है। इनका खर्च आईवीएफ के खर्च को काफी हद तक प्रभावित करता है।

03. फर्टिलाइजेशन की प्रक्रिया

फर्टिलाइजेशन को मुख्यत दो तरह से किया जा सकता है जिसमें पहला कन्वेंशनल इनसेमिनेशन और दूसरा इंट्रासिटोप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शन है। कन्वेंशनल इनसेमिनेशन के दौरान स्वस्थ स्पर्म और परिपक्व अंडों को मिक्स करके रात भर के लिए इन्क्यूबेट किया जाता है। जबकि इंट्रासिटोप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शन के दौरान एक सिंगल स्पर्म को सीधा परिपक्व अंडे में इंजेक्ट कर दिया जाता है।

आमतौर पर इंट्रासिटोप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शन का उपयोग तब किया जाता है जब स्पर्म की गुणवत्ता या संख्या में कोई समस्या होती है या यदि पिछले आईवीएक चक्र के दौरान निषेचन के प्रयास विफल हो जाते हैं। फर्टिलाइजेशन की इन दोनों प्रक्रियों का खर्च अलग-अलग होता है।

04. फर्टिलिटी ट्रीटमेंट

आईवीएफ की प्रक्रिया के साथ-साथ कई दूसरी भी ढेरों प्रक्रियाओं की आवश्यकता पड़ सकती है। ऐसे में आईवीएफ का खर्च सामान्य से अधिक बढ़ जाता है। कुछ मामलों में डॉक्टर आईवीएफ के साथ-साथ टेस्टिकुलर स्पर्म एस्पिरेशन और माइक्रोस्कोपिक टेस्टिकुलर स्पर्म एक्सट्रैक्शन करने का भी सुझाव दे सकते हैं। ऐसे में आईवीएफ का खर्च सामान्य से अधिक हो जाता है।

05. डोनर का खर्च

कई बार जाँच के दौरान डॉक्टर को इस बात की पुष्टि होती है कि आपके स्पर्म या आपकी पत्नी के अंडे की क्वालिटी उतनी बेहतर नहीं है कि उनका उपयोग आईवीएफ के लिए किया जा सके। ऐसी स्थिति होने पर डॉक्टर डोनर स्पर्म और अंडे खरीदने का सुझाव देते हैं। लखनऊ जैसे शहर में डोनर स्पर्म या अंडे का मिलना मुश्किल हो सकता है।

ऐसे स्थिति में आपको दिल्ली या दूसरे शहर से डोनर स्पर्म और अंडे को खरीदना पड़ सकता है। डोनर स्पर्म और अंडे का खर्च भी आपकी आईवीएफ उपचार के खर्च में शामिल होता है।

06. एम्ब्र्यो फ्रीजिंग

अनेकों कारणों से आईवीएफ असफल भी होते हैं। जब मरीज को इस बात का अंदाजा लग जाता है कि शायद आईवीएफ का पहला चक्र खराब यानी गर्भपात हो सकता है तो ऐसी स्थिति में मरीज एक साल के लिए एम्ब्र्यो फ्रीजिंग का चुनाव करते हैं ताकि आईवीएफ का पहला चक्र खराब होने पर फ्रिज किए गए एम्ब्र्यो को दूसरे चक्र में इस्तेमाल कर सकें।

आमतौर पर एम्ब्र्यो फ्रीजिंग का खर्च 40000-50000 रुपए तक आता है। एम्ब्र्यो फ्रीजिंग करने पर आपके आईवीएफ का खर्च काफी बढ़ सकता है। 

07. हॉस्पिटल की विश्वसनीयता

आप लखनऊ के किस हॉस्पिटल में अपना आईवीएफ करवा रहे हैं यह भी काफी हद तक आईवीएफ के खर्च को प्रभावित करता है। एक विश्वसनीय हॉस्पिटल में आईवीएफ का खर्च अविश्वसनीय हॉस्पिटल की तुलना में काफी अधिक होता है।

अगर आप लखनऊ में आईवीएफ कराना चाहते हैं तो आपको उस हॉस्पिटल का चयन करना चाहिए जिसका आईवीएफ उपचार में सही ट्रैक रिकॉर्ड है ताकि प्रक्रिया के सफल होने की संभावना अधिक से अधिक और जटिलताओं का खतरा कम से कम हो।

08. डॉक्टर की फीस 

आईवीएफ उपचार को एक स्त्री रोग विशेषज्ञ के द्वारा पूरा किया जाता है। एक अनुभवी, कुशल और विश्वसनीय स्त्री रोग विशेषज्ञ इस प्रक्रिया को परफेक्शन के साथ पूरा करता है जिससे इसके सफल होने की संभावना अधिक से अधिक होती है।

एक अनुभवी और कुशल स्त्री रोग विशेषज्ञ की फीस उस डॉक्टर की तुलना में काफी ज्यादा होती है जिसके पास पर्याप्त अनुभव नहीं होता है।

09. आईवीएफ उपचार के बाद फॉलो-अप मीटिंग

आईवीएफ की प्रक्रिया कई चरणों में पूरी होती है। इसलिए इस प्रक्रिया के पूरे चक्र के दौरान मरीज को लगातार अपने डॉक्टर के संपर्क में रहना पड़ता है ताकि इस बात की पुष्टि हो सके कि गर्भावस्था में किसी तरह की कोई समस्या नहीं है।

जब-जब एक आप अपने डॉक्टर के साथ फॉलो-अप मीटिंग करती हैं आपको अलग से फीस देनी पड़ सकती है। फॉलो-अप मीटिंग की फीस भी आपके आईवीएफ उपचार के खर्च में बड़ी भूमिका निभाता है।

आईवीएफ उपचार के खर्च को प्रभावित करने वाले कारक

बांझपन आज पूरी दुनिया में एक बड़ी बीमारी का रूप ले चूका है। उपलब्ध आंकड़ों से पता चलता है कि वैश्विक स्तर पर 48 मिलियन कपल और 186 मिलियन इंडिविजुअल बांझपन से पीड़ित हैं। बांझपन पुरुष या महिला की प्रजनन प्रणाली से संबंधित एक बीमारी है जिससे पीड़ित कपल नियमित रूप से असुरक्षित यौन संबंध बनाने के 12 महीने या उससे अधिक समय के बाद गर्भावस्था प्राप्त करने में असफल होते हैं।

आईवीएफ और बांझपन से संबंधित कुछ तथ्य और आंकड़े

लखनऊ में सुरक्षित और सफल आईवीएफ उपचार कराएं

सिगरेट और शराब का सेवन करने, इनेक्टिव जीवन जीने, खान-पान पर ध्यान नहीं देने और दूसरी अनेको बीमारियों और विकारों के कारण पुरुष और स्त्री दोनों ही बांझपन का शिकार हो जाते हैं। 

बांझपन होने पर स्पर्म की क्वालिटी और क्वांटिटी तथा महिला के अंडों यानी एग्स की संख्या और क्वालिटी कम हो जाती है जिसके कारण एक महिला को गर्भधारण करने में परेशानियों का सामना करना पड़त है। 

अगर आप भी ऐसी स्थिति से गुजर रही हैं और लखनऊ में बेस्ट इलाज के माध्यम से अपनी समस्या से छुटकारा पाना चाहती हैं तो हमसे संपर्क कर सकती हैं। हमारे हॉस्पिटल और क्लिनिक टॉप रेटेड एवं लोगों के बीच विश्वसनीय हैं।

लखनऊ में स्थित हमारी क्लिनिक में आईवीएफ उपचार की सुविधा उपलब्ध है। इस प्रक्रिया को अनुभवी, कुशल और विश्वसनीय स्त्री रोग विशेषज्ञ के द्वारा पूरा किया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान मरीज को किसी भी तरह की परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता है।

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डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है| अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें|