Ear surgery in Hindi

कान का पर्दा किसे कहते हैं? (What is Eardrum in Hindi)

कान का पर्दा को मेडिकल की भाषा में टैम्पेनिक झिल्ली (Tympanic membrane) के नाम से भी जाना जाता है। यह बाहरी और मध्य कान के बीच के एक दीवार है जो एक दूसरे को विभाजित करता है। यह हमारे कान का एक मुख्य हिस्सा है जिसकी मदद से हम बाहर की कोई भी ध्वनि (Sound) सुन पाते हैं।

कान का पर्दा सुनने में कैसे मदद करता है?

जब कोई भी ध्वनि कान के पर्दे तक पहुँचती है तो उन तरंगों से पर्दा कंपन करने लगता है, इस कंपन के कारण मिडिल इयर में उपस्थित छोटी-छोटी तीन हड्डियाँ गति में आ जाती हैं जो कंपन को तीव्र करके cochlea तक पहुंचाने में मदद करती हैं। cochlea के अंदर मौजूद एक अंग नर्व इम्पल्स पैदा करता है और जब सिग्नल दिमाग तक पहुँचता है तब हम सुन पाते हैं।

जब किसी कारणवश कान के पर्दे में छेद आ जाता है तो कंपन का कार्य प्रभावित होता है जिससे हमें सुनने में परेशानी होती है, यहाँ तक कि यदि छेद बड़ा हुआ तो व्यक्ति को बहरापन तक पहुँच जाता है

कान का पर्दा फटने के कारण (Causes Of Ruptured Eardrum in Hindi)

कान के पर्दे में छेद कई गतिविधियों के कारण से होता है: 

  • किसी चीज को कान में डालने की वजह से
  • खेल कूद के दौरान चोट लग जाने से
  • कान के बल गिरने से चोट लगने पर
  • झगड़ा करते समय कान पर चोट लगने के कारण
  • कार दुर्घटना के दौरान कान या सिर पर चोट लगने के कारण
  • ज्यादा तेज आवाज में गाने सुनने पर
  • किसी भी चीज के कान में ज्यादा देर तक डालकर रखने के कारण
  • कान साफ करते समय नुकीली चीज का उपयोग करने से
  • अचानक से बहुत तेज ध्वनि सुन लेने के कारण, जैसे कि ट्रेन का हॉर्न
  • स्कूबा डाइविंग के कारण
  • एयरक्राफ्ट में सफर करने की वजह से
  • ज्यादा ऊंचाई पर ड्राइविंग करने से
  • शॉक तरंगों की वजह से
  • हवाई जहाज में यात्रा
  • कान पर तेज प्रभाव के कारण

कान का पर्दा फटने के लक्षण (Symptoms Of Ruptured Eardrum In Hindi)

कान का पर्दा फटने के बहुत से कारण होते हैं, जैसे-

  • कान के अंदर हवा बहने का एहसास होना
  • कम सुनाई देना
  • सुनने में परेशानी होना
  • कान में तेज दर्द होना
  • कान भारी लगना
  • छीकते समय कान में सीटी सुनाई देना
  • कान से मवाद आना
  • कान से खून आना
  • बहरापन का महसूस होना
  • कान में सूजन होना
  • कान में इंफेक्शन होना

कान के परदे की जांच (Diagnosis Of Ruptured Eardrum In Hindi)

  • ऑडियोमेट्री टेस्ट- ऊपर दिए गए लक्षण को देखने के बाद आपको एक ईएनटी विशेषज्ञ से मिलना चाहिए जो कान की जांच करेंगे। ऑडियोमेट्री की मदद से यह जाना जा सकता है कि कान का पर्दा कितना फटा है और इससे सुनने की क्षमता कितनी प्रभावित हुई है।
  • ऑटोस्कोप एग्जाम- डॉक्टर ऑटोस्कोप से कान के भीतर झांकते हैं, हड्डियों की स्थिति का पता लगाने के लिए टिम्पैनोमेट्री की जा सकती है।
  • इमेजिंग टेस्ट – इसके अलावा एक्सरे (X-ray), सीटी स्कैन (Scan) की मदद से कान के पीछे की हड्डी यानी मैस्टोएड में इंफेक्शन (Infection) का पता लगाया जाता है।
  • ट्यूनिंग फोर्क मूल्यांकन (Tuning fork evaluation) – यह दो दांत वाले धातु का एक इंस्ट्रूमेंट (Instrument) है जिसे टकराने से आवाजें होती हैं। इस जांच (Diagnosis) के जरिए पता लगाया जाता है कि मरीज को सुनने में कितनी परेशानी हो रही है। साथ ही साथ इस इंस्ट्रूमेंट की मदद से यह भी जाना जाता है कि सुनने की क्षमता में प्रॉब्लम मरीज के कान के सेंसर में हुई है या नसों में या फिर दोनों में हुई है ।

अगर नर्व डैमेज हो गया है तो ऑपरेशन के बाद भी मरीज के सुनने की क्षमता को वापस नहीं लाया जा सकता है और इस स्थिति में मरीज को हियरिंग एड (Hearing aid) की मदद लेनी पड़ सकती है।

कान के फटे पर्दे का इलाज (Treatment of Ruptured Eardrum In Hindi)

एंटीबायोटिक दवाएं (Antibiotic medicines)

ये दवाएं उस इंफेक्शन को दूर कर सकती हैं जो कान के पर्दे में छेद होने की वजह से हुआ है। साथ ही साथ ये दवाएं नए इंफेक्शन को विकसित होने से रोकते भी हैं। मरीज के कान की अच्छे से जांच करने के बाद डॉक्टर मरीज को एंटीबायोटिक दवाएं खाने या फिर कान में डालने के लिए या दोनों दवाओं का उपयोग करने के लिए भी कह सकते हैं।

पैच (Patch)

अगर मरीज का कान ठीक नहीं होता है तो डॉक्टर कान की फटी हुई झिल्ली पर दवाई की एक पैच लगाते हैं जो झिल्ली को वापस जोड़ने में मददगार होता है।

सर्जरी (Surgery)

जब कान के पर्दे की हालत बुरी हो जाती है तब सर्जरी एकमात्र उपाय बचता है, जिसकी मदद से पर्दे के छेद को ठीक किया जाता है। सर्जरी के दौरान, सर्जन मरीज के शरीर के किसी दूसरी जगह से टिश्यू लेकर कान के पर्दे के छेद पर लगा देते हैं।

माइरिंगोप्लास्टी (Myringoplasty)

इस ऑपरेशन के जरिए कान के पर्दों को फिर से ठीक किया जाता है। इस ऑपरेशन के दौरान कान के ऊपर की स्कैल्प से स्किन लेकर कान के पर्दे में हुए छेद पर लगाया जाता है।

टिम्पेनोप्लास्टी (Tympanoplasty)

चोट या इंफेक्शन की वजह से अगर कान की तीन अस्थियों में से एक या एक से ज्यादा डैमेज (Damage) हो गयी है तो ओसिकुलोप्लास्टी करनी पड़ती है। साथ ही अगर कान में बड़ा छेद या ज्यादा इंफेक्शन हो गया है तब टिम्पेनोप्लास्टी की जाती है। इसमें कान के छेद के आकार के अनुसार एक प्रकार का ग्राफ्ट तैयार किया जा है और उसे कान के छेद में फिट कर दिया जाता है।

मेस्टोइडेक्टमी (Mastoidectomy)

क्रोनिक सप्युरेटिव ओटाइटिस (Chronic suppurative otitis) होने पर कान के पीछे की हड्डी से बैक्टीरिया को निकालने के लिए मेस्टोइडेक्टमी का इस्तेमाल किया जाता है।

कान का पर्दे में छेद के जोखिम (Risk of eardrum in Hindi)

कान का पर्दा, कान की बाहरी नली और मध्य कान को बांटता है। अगर इसमें कोई छेद होता है तो बैक्टीरिया आसानी से मध्य कान (Tympanic) तक पहुंच जाते हैं, जिससे कान के इंफेक्शन का जोखिम अधिक हो जाता है। यह आपको हमेशा के लिए बहरा बना सकता है। साथ ही यह कान में गंदगी, वैक्स और मरी हुई स्किन सेल्स का कारण बन सकते हैं।

कान का पर्दा फटने से कैसे बचें – रोकथाम (Prevention of eardrum in Hindi)

आजकल कान की बीमारी आम हो गयी है और यह समस्या ज्यादातर बच्चों में देखने को मिलती है। टेक्नोलॉजी की इस दुनिया में कान के साथ खिलवाड़ होने के कारण कान के परदे का फटना, कान में दर्द होना, कान से खून और मवाद आना और सुनने में परेशानी होने जैसी समस्याएं अधिक देखने हो रही हैं। लेकिन इससे बचने के कुछ उपाय हैं-

  • सामान्य सी दिखने वाली सर्दी और खांसी भी कभी-कभी कान के पर्दे के लिए हानिकारक हो सकती है। इसलिए सर्दी खांसी को लंबे समय तक नजरअंदाज ना करें बल्कि डॉक्टर से मिलकर इसका इलाज कराएं।
  • बच्चे के कान में दर्द होने पर उसके कान में किसी भी तरह का तेल ना डालें, बल्कि ENT specialist से मिलें और उनकी सलाह लें।
  • डॉक्टर की सलाह के बिना किसी भी दवा का सेवन ना करें।
  • कान में बड्स या माचिस की तीली ना डालें।
  • कान में छेद होने पर बाहर स्विमिंग पूल या समुद्र में नहाने से बचें।
  • कान साफ करने के लिए किसी भी नुकीली चीज का इस्तेमाल ना करें।
  • कान साफ करते समय किसी भी चीज को कान के ज्यादा अंदर ना डालें।
  • तेज ध्वनि से बचें।
  • इयरफोन और हेडफोन के अधिक इस्तेमाल से बचें। अगर इस्तेमाल कर भी रहे हैं तो ज्यादा साउंड का प्रयोग करने से बचें।

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कई बार कान के परदे का छेद अधिक बड़ा नहीं होता है और यह कुछ दवाइयों के सेवन से हील हो जाता है, लेकिन कई बार इसका उपचार करने के लिए टिम्पैनोप्लास्टी की जरूरत पड़ती है

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