anal fissure yogasan

एनल फिशर उन लोगों में अधिक देखा जाता है जो अधिकतर कब्ज और कड़े मल से पीड़ित रहते हैं। ठोस मल होने के कारण मलत्याग करते वक्त एनस की स्किन छिल जाती है जिसे एनल फिशर (Anal fissure) कहते हैं। एनल फिशर के अलावा इसे रेक्टम फिशर (Rectum fissure) भी कहा जाता है। जिन्हें कब्ज की शिकायत रहती है या जिनका पाचन तंत्र ठीक तरह से काम नहीं करता है, उनमें इस समस्या को हमेशा देखा जाता है। गुदा की त्वचा छिल जाने के कारण दर्द और जलन होता है।

अच्छे खान-पान और जीवनशैली में बदलाव करके, योग करके इसे ठीक किया जा सकता है, लेकिन यदि यह ठीक नहीं होता है और फिशर का स्टेज अधिक है तो उपचार के लिए सर्जरी ही एक अंतिम विकल्प बचता है

एनल फिशर के लक्षण (Symptoms of Anal fissure in Hindi)

  • गुदा मार्ग में खुजली होना।
  • एनल फिशर के कारण एनस (गुदा) मार्ग में दर्द हो सकता है।
  • गुदा मार्ग में जलन।
  • स्टूल पास करते वक्त दर्द और खून आना।

एनल फिशर के कारण (Causes of Anal fissure in Hindi)

एनल फिशर के ज्यादातर मामले कब्ज की वजह से देखे जाते हैं। लेकिन कुछ और भी विकार हैं जिनसे एनल फिशर हो सकता है।

  • अल्सरेटिव कोलाइटिस (ulcerative colitis)|
  • डायरिया|
  • टाइट एनल स्फिंक्टर मसल्स (tight anal sphincter muscles)|
  • यौन संचारित रोगों के कारण|
  • दाद।

एनल फिशर का इलाज के लिए योगासन (Yogasana for Anal fissure treatment in Hindi)

योग में बहुत शक्ति है। योग शरीर के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। योग में लगभग सभी बीमारियों का उपचार मौजूद है। कुछ ऐसे योगासन हैं जो एनल फिशर से राहत दिला सकते हैं, आइये उनके बारे में विस्तृत रूप से जानते हैं।

वज्रासन

वज्रासन से आप एनल फिशर को दूर कर सकते हैं। इसे करने से श्रोणी क्षेत्र (Pelvic Area) में खून का फ्लो (Flow) सामान्य बनता है।

कैसे करें-

  • घुटनों के बल खड़े हो जाएं।
  • अब अपने हिप्स को नीचे लाएं और शरीर का पूरा वजन एड़ियों में टिकाएं। 
  • इस दौरान आपकी रीढ़ की हड्डी सीधी होनी चाहिए और नजर सामने की ओर केंद्रित हो।
  • अपने दोनों हाथों को दोनों जांघ में रखें और इस अवस्था में 8 से 10 मिनट तक रहें।

मूलबंधासन

यह आसन पेट के निचले हिस्से में पड़ रहे दबाव को कम करता है। इसके साथ मूल बंधासन से पेल्विक फ्लोर की मसल्स को मजबूती मिलती है और पाचन क्रिया दुरुस्त होती है| मूल बंधासन करने से गुदा मार्ग भी मजबूत होता है और गुदा बेहतर तरीके से काम करने लगता है।

कैसे करें-

  • किसी समतल जगह पर मैट बिछाकर पालथी मारकर बैठ जाएं।
  • अपने रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें और दोनों हाथों की उंगलियों को जांघ के ऊपर रखकर ध्यान मुद्रा की स्थिति में आएं।
  • आंखों को बंद करें और एक लंबी गहरी सांस लें। कुछ देर बाद सांस छोड़ें और यही प्रक्रिया 10 मिनट तक आजमाते रहें। 

सर्वांगासन

इस आसन को करने से एनल फिशर के साथ-साथ बवासीर से भी राहत मिलती है। इसके अलावा यह आसन करने से सोचने की क्षमता में इजाफा होता है।

कैसे करें-

  • किसी समतल जगह पर चटाई बिछाकर सीधा लेट जाएं और अपने हाथों को धड़ से जोड़ लें।
  • अब अपने पैरों को धीरे-धीरे ऊपर की ओर उठाएं और कमर के नीचे अपनी हथेलियों को रखें। इससे कमर सीधी रहेगी।
  • पैरों को पूरा ऊपर ले जाएं और शरीर का पूरा भार कंधों पर टिकाएं। 
  • लगभग एक मिनट तक इसी स्थिति में रहें फिर सामान्य अवस्था में आ जाएं। एक घंटा में 4 से 5 बार इस आसन को करें। 

मलासन

यह आसन शरीर में ब्लड सर्कुलेशन (Blood circulation) को बढ़ाता है और पाचन से संबंधित समस्याओं को दूर करता है। मलासन पेल्विक क्षेत्र (Pelvic region) में एक नई स्फूर्ति लाता है जिससे पेल्विक मांसपेशियां मजबूत होती हैं और एनल फिशर जैसी समस्या नहीं होती है। 

कैसे करें- 

  • इस आसन को करने के लिए जिस तरह स्क्वाट टॉयलेट्स (squat toilet) में बैठते हैं उसी प्रकार बैठें।
  • पैरों को विपरीत दिशा में हल्की दूरी तक ले जाएं।
  • अब अपने कंधे, पीठ और सिर को सीधा करें। सामने की ओर देखें और हाथ जोड़ लें। हाथ नमस्कार की स्थिति जैसे जोड़ें।
  • इस स्थिति में 10 मिनट तक रहें। रोजाना इस आसन को करने से आपको बहुत से लाभ मिलेंगे। यह मसल्स को भी आराम पहुंचाता है।

बालासन

पाइल्स के साथ एनल फिशर को भी बालासन से दूर किया जा सकता है। यह ब्लड फ्लो को सामान्य करता है और नर्वस सिस्टम (Nervous system) को भी फायदे पहुंचाता है।

 कैसे करें-

  • इस आसन को करने के लिए सबसे पहले आपको वज्रासन की स्थिति में आना होता है।
  • अब धीरे-धीरे आगे की ओर झुकें और सिर को जमीन से टिका लें। 
  • हाथों को सामने की ओर फैलाएं। हाथ इस तरह से फैले होने चाहिए कि दोनों हाथों के बीज आपका सिर रहे। 
  • इस स्थिति में लगातार 8 से 10 मिनट तक रहे फिर विपरीत क्रियाएं करके आसन से बाहर निकलें।

पादहस्तासन

यह आसन आंत के मूवमेंट (movement) को ठीक करता है जिससे स्टूल मुलायम रहता है। यह पेट की मसल्स को आराम पहुंचाता है। एनल फिशर होने पर इस आसन को जरूर करना चाहिए।

कैसे करें-

  • सबसे पहले किसी समतल जगह पर खड़े हो जाएं और हाथों को ऊपर करें।
  • एक लंबी गहरी सांस लें और हाथों को पैर की तरफ लाना शुरू करें। धीरे-धीरे कमर झुकाए और पैर को हाथों से छूए। 
  • इस क्रिया को करते वक्त खास ध्यान रखें कि आपका घुटना सीधा हो। 
  • इस स्थिति में 30 सेकंड से लेकर 1 मिनट तक बने रहें। आसन से निकलते वक्त सांस छोड़ें। 1 घंटे के भीतर इस आसन को तीन से चार बार करें।

पवनमुक्तासन

पवनमुक्तासन करने से गुदा की मसल्स को आराम मिलता है और यह मजबूत बनती हैं। एनल फिशर से छुटकारा पाना चाहते हैं तो पवनमुक्तासन अवश्य करें। पेट में गैस बनने पर या कब्ज होने पर पवनमुक्तासन अत्यंत लाभदायक होता है।

कैसे करें-

  • सबसे पहले किसी समतल जगह पर पीठ के बल लेट जाएं।
  • अपने पैरों को सीधा रखें| इस दौरान आपकी बॉडी रिलैक्स होनी चाहिए।
  • अब घुटनों को कंधे की ओर मोड़ना शुरू करें और हाथों से जोर लगाकर घुटनों को कंधों से टच करें। 
  • घुटनों को कंधों तक ले जाते समय लंबी गहरी सांस लें फिर सांस छोड़ें।
  • अब आप पवनमुक्तासन की स्थिति में हैं। आसन छोड़ते वक्त सांस भी छोड़ें।
  • इस आसन को दिन में तीन से चार बार अवश्य करें।

अश्वनी मुद्रा

अश्वनी मुद्रा करने से गुदा मार्ग की मसल्स कंट्रोल में रहती हैं। यह इन्हें मजबूती प्रदान करता है जिससे एनल फिशर नहीं होता है।

कैसे करें-

  • किसी समतल जगह पर पालथी मारकर बैठ जाएं और अपने दोनों हाथों को जांघ के ऊपर रखें।
  • ध्यान मुद्रा में आ जाएं और आंखें बंद करके एनस की मसल्स पर ध्यान केंद्रित करें।
  • एनस की मसल्स में हल्का खिंचाव डालने की कोशिश करें।
  • एक से 2 मिनट तक इस स्थिति में रहने के बाद बाहर आ जाएं। दिन में दो से तीन बार इस मुद्रा को करने से एनल फिशर में लाभ मिलता है।

अनुलोम विलोम

 यह एक प्राणायाम है जो कई शारीरिक फायदे देता है। इससे दिमाग की फुर्ती बढ़ती है और खून का बहाव बेहतर होता है एवं तनाव से मुक्ति मिलती है। यह एनल फिशर को भी ठीक करता है।

कैसे करें-

  • समतल जगह पर पालथी मारकर बैठ जाएं और ध्यान की मुद्रा में आएं।
  • आंखों को बंद करें। अब अपने दाएं हाथ के अंगूठे से दाएं नाक को दबाए और बाएं नाक से लंबी गहरी सांस लें। 
  • अब दाएं हाथ की अनामिका उंगली से बाएं नाक को दबाए और दाएं नाक से सांस छोड़ें। 
  • लगातार 10 मिनट तक ऐसा ही करें।
  • इस आसन को प्रत्येक दिन नियमित रूप से करने पर आपको एनल फिशर से काफी राहत मिलेगी।

एनल फिशर से बचाव (Prevention from Anal fissure in Hindi)

  • एक बार एनल फिशर हो गया है तो मल त्याग करते समय जोर न लगाएं। इससे समस्या दोबारा हो सकती है।
  • दिन में 3 से 4 लीटर पानी जरूर पिएं| इससे शरीर हाइड्रेटेड रहेगा और मल मुलायम बनेगा जिससे स्टूल पास करते वक्त आसानी होगी।
  • रोजाना दिन में आधा घंटे के लिए योग या कार्डियो एक्सरसाइज (Cardio Exercise) करें। इससे शरीर डिटॉक्स रहेगा।
  • डायरिया व कब्ज से पीड़ित व्यक्ति में एनल फिशर का खतरा कई गुना अधिक हो जाता है। अगर आप भी डायरिया से पीड़ित है तो तुरंत इलाज कराएं।
  • नवजात शिशु जो डायपर्स पहनते हैं ,उनमें भी ऐनल फिशर होने का खतरा अधिक रहता है। इसलिए समय-समय पर डायपर अवश्य बदलें।
  • ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन ना करें जिनसे कब्ज हो। डेयरी उत्पाद और मांस का सेवन कम मात्रा में करें। फाइबर युक्त आहार अधिक खाएं।
  • जिस जगह एनल फिशर है, वहां तेज खुजली महसूस हो सकती है। इस दौरान उस क्षेत्र को बिल्कुल न खुजलाएं। खुजली बढ़ती है तो डॉक्टर से पूछकर किसी अच्छी दवा का उपयोग करें।
  • एनल फिशर है तो गुदा में बिल्कुल भी दबाव ना डालें।  किसी ठोस जगह में बैठने से पहले नीचे तकिया रख लें।
  • एनल फिशर होने पर टाइट अंडरवियर या टाइट जीन्स न पहनें। इससे इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है।
  • स्टूल पास करने के बाद प्रभावित क्षेत्र को अच्छे से साफ करें। घाव को सूखा रखने के लिए बेबी पाउडर का उपयोग करें।
  • अधिक देर तक एक ही अवस्था में बिल्कुल भी न बैठें। इससे नमीं बढ़ती है और इंफेक्शन का खतरा बना रहता है। 

ये योगासन एनल फिशर को बढ़ने से रोकते हैं, यदि एनल फिशर क्रोनिक है तो उसका उपचार करने के लिए सिर्फ सर्जरी ही एक विकल्प बचता है। अपने फिशर का प्रकार पहचानने के लिए और उसके अनुसार सर्जरी या अन्य तरीके की मदद से उपचार करवाने के लिए आप हमें कॉल कर सकते हैं। हम आपके एनल फिशर के स्टेज के अनुसार दवाइयाँ या सर्जरी की सलाह देंगे।

अगर आप एनल फिशर का इलाज के लिए किसी अच्छे डॉक्टर की तलाश में हैं तो Pristyn Care आपके लिए एक बहुत ही बढ़िया विकल्प हो सकता है। आइये जानते हैं कि एनल फिशर के लिए आखिर Pristyn Care ही क्यों?

एनल फिशर का इलाज के लिए आखिर ‘Pristyn Care’ ही क्यों?

मरीज की देखरेख –  एनल फिशर से पीड़ित मरीज (Patient) की देखरेख बहुत जरूरी होती है। अस्पताल ले जाने से लेकर पर्ची कटवाने और डिस्चार्ज तक का प्रबंध हमारी टीम करती है। 

अनुभवी सर्जन की टीम –  एनल फिशर के इलाज के लिए सतर्कता और अच्छे सर्जन या डॉक्टर का होना बहुत जरूरी है।  ‘Pristyn Care’ में अनुभवी सर्जन की टीम है जो एनल फिशर का इलाज बड़ी ही सरलता से करते हैं| 

फ्री फॉलो अप – हम अपने मरीजों को फ्री फॉलो अप (Follow up) की सुविधा भी प्रदान करते हैं। 

इंश्योरेंस की सुविधा – अगर आपने हेल्थ इंश्योरेंस का कोई  प्लान खरीदा है तो हमारी इंश्योरेंस (Insurance) टीम की मदद से अपना उपचार मुफ्त में करा सकते हैं।

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डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है| अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें|