पित्त की थैली में इन्फेक्शन

पित्ताशय या पित्त की थैली एक छोटे आकार का, नाशपाती जैसा अंग है जो यकृत के नीचे पाया जाता है। इसका मुख्य कार्य यकृत द्वारा छोड़े गए पित्त रस को एकत्रित करना है।

जब पित्ताशय की थैली में सूजन या संक्रमण हो जाता है तो इसे कोलेसिस्टिटिस कहते हैं। यह ज्यादातर पित्त की थैली से निकलने वाली अवरुद्ध नलियों के कारण होता है। पित्ताशय पित्त को छोटी आंत में छोड़ता है। यदि रास्ता ब्लाक हो जाता है तो रस फंस जाता है और पित्ताशय में सूजन का कारण बनता है। अन्य सामान्य कारण ट्यूमर और रक्त वाहिकाओं की समस्याएं हैं।

यह दर्दनाक हो सकता है और अगर सही समय पर इलाज नहीं मिला तो यह जीवन के लिए खतरा पैदा कर सकता है।

पित्त की थैली में इन्फेक्शन के लक्षण

पित्ताशय के संक्रमण में निम्न लक्षण नजर आ सकते हैं:

  • बुखार 
  • जी मिचलाना
  • दाहिने या मध्य पेट को छूने में कोमलता का आभास होना
  • पेट दर्द (दर्द पेट के साथ कंधे और पीठ तक फ़ैल सकता है)
  • उल्टी
  • सूजन
  • आँखों में पीलापन
  • मल का शिथिल होना

आहार लेने  के बाद ये लक्षण बढ़ जाते हैं। बहुत अधिक भोजन करने या वसा युक्त आहार का सेवन करने के तुरंत बाद दर्द और सूजन महसूस होने लगता है।

पढ़ें- पित्ताशय का ऑपरेशन कैसे होता है?

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पित्त की थैली में इन्फेक्शन के कारण

पित्त की थैली में इन्फेक्शन सूजन के कारण होता है। पित्ताशय में सूजन निम्न कारणों से हो सकता है:

पित्त नली का सिकुड़ना

नली जिससे बाइल जूस गुजरता है वह संकरी हो जाती है। इससे मार्ग में अवरुद्धता उत्पन्न होती है जो पित्ताशय के सूजन का कारण बनता है।

ट्यूमर

पित्ताशय में ट्यूमर का निर्माण हो जाता है जो पित्त को निकलने से रोकता है। यह भी कोलेसिस्टिटिस का एक प्रमुख कारण है।

पथरी

बिलुरुबिन और कैल्शियम साल्ट्स की ठोस जमावट को पित्ताशय की पथरी कहते हैं। यह पित्त की थैली में इन्फेक्शन का सबसे आम कारण है।

पढ़ें- पित्ताशय की पथरी में क्या खाएं और क्या नहीं खाना चाहिए

ब्लड वेसल्स की क्षति

कुछ गंभीर बीमारियाँ रक्त वाहिकाओं को हानि पंहुचा सकती हैं जिससे पित्त की थैली में खून का प्रवाह नहीं हो पाता है या कम होता है। यह कोलेसिस्टिटिस को जन्म देता है।

इन्फेक्शन

कुछ वायरल और बैक्टीरियल इन्फेक्शन पित्ताशय के संक्रमण का कारण बन सकते हैं। यह एड्स के कारण भी होता है।

पित्ताशय के इन्फेक्शन का निदान

पित्ताशय के संक्रमण का निदान करने के लिए निम्न टेस्ट किए जा सकते हैं:

  • रक्त परीक्षण
  • एब्डोमिनल अल्ट्रासाउंड
  • इंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड
  • सीटी स्कैन
  • ERCP टेस्ट

HIDA स्कैन- यह भी एक तरह का इमेजिंग परीक्षण है जो लिवर, पित्ताशय और पित्त नलिकाओं की समस्या का निदान करने के लिए किया जाता है। हेपेटोबिलरी इमिनोडायसिटिक एसिड (Hepatobiliary Iminodiacetic Acid) की मदद से पित्त का निर्माण और लिवर से छोटी आंत तक उसके बहाव को देखा जा सकता है। डॉक्टर इंजेक्शन के माध्यम से रोगी के भीतर एक विशेष रेडियोएक्टिव डाई डालते हैं। यह डाई उन सेल्स से चिपक जाता है जो पित्त का उत्पादन करते हैं और उनके साथ ट्रेवल करता है।

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पित्त की थैली में संक्रमण का इलाज

पित्ताशय में इन्फेक्शन का इलाज के लिए रोगी को हॉस्पिटल में रुकना पड़ सकता है। रोगी के लक्षणों के अनुसार, डॉक्टर निम्न उपचार विधि से सूजन और संक्रमण को नियंत्रित करने का प्रयास करेंगे।

ERCP

एंडोस्कोपिक रेट्रोग्रेडेड कोलांगियोपैंक्रेटोग्राफी (ERCP) एक प्रक्रिया है जिसकी मदद से लिवर, अग्नाशय, पित्त नलिकाएं और पित्ताशय की समस्याओं का निदान तथा इलाज किया जाता है। पित्ताशय में संक्रमण का कारण अगर पित्त नलिकाओं में जमा हुआ पत्थर है, तो डॉक्टर इस प्रक्रिया की मदद लेते हैं।

यह एक मिनिमल इनवेसिव प्रक्रिया है, जिसमें पित्ताशय को निकाले बिना गॉलस्टोन का इलाज किया जाता है। ERCP की प्रक्रिया के बाद जो स्टोन बच जाते हैं उन्हें निकालने के लिए सर्जिकल तकनीक का सहारा लिया जाता है।

उपवास

भोजन करने के तुरंत बाद पित्ताशय में तनाव पड़ता है। इलाज के शुरुआत में सूजी हुई पित्त थैली का तनाव दूर करने के लिए आपको उपवास करना पड़ सकता है।

एंटीबायोटिक

पित्ताशय के संक्रमण को दूर करने के लिए एंटीबायोटिक्स दिए जा सकते हैं।

तरल पदार्थ

आपकी बांह की नस के माध्यम से तरल पदार्थ दिया जा सकता है। यह निर्जलीकरण होने से रोकता है।

इन सभी प्रयासों के बाद लगभग 2 से 3 दिन में पित्त की थैली का इन्फेक्शन और सूजन दूर हो जाता है। अगर रोगी को राहत नहीं मिलती तो सर्जरी की जा सकती है।

पढ़ें- पित्ताशय की पथरी के ऑपरेशन में कितना खर्च लगता है?

कोलेसिस्टेक्टोमी

कोलेसिस्टेक्टोमी पित्ताशय को हटाने की सर्जरी है। सर्जरी के पहले रोगी को जनरल एनेस्थीसिया दिया जाता है। कोलेसिस्टेक्टोमी की दो विधि है:

  • पारंपरिक (ओपन) कोलेसिस्टेक्टोमी- इस सर्जरी में डॉक्टर पेट के दाहिने तरफ, रिब्स के नीचे, 15cm लंबा चीरा लगाते हैं। सर्जिकल उपकरणों की मदद से पित्त की थैली को निकाला जाता है और चीरा बंद कर दिया जाता है।

इस पूरी प्रक्रिया में एक से दो घंटे लगते हैं। सर्जरी के बाद नार्मल जिंदगी में लौटने के लिए 2 हफ्ता का समय लगता है। पूरी तरह से स्वस्थ होने में 6-8 हफ्ते लग सकते हैं।

  • लेप्रोस्कोपिक कोलेसिस्टेक्टोमी- यह पित्ताशय हटाने की मिनिमल इनवेसिव प्रक्रिया है जिसमें लेप्रोस्कोप का उपयोग होता है। लेप्रोस्कोप एक पतला उपकरण है जिसके एक छोर में लाइट और कैमरा लगा होता है। इसके साथ कुछ अन्य सर्जिकल उपकरण शरीर में डाले जाते हैं।

इस प्रक्रिया में भी एक-दो घंटे का समय लगता है। सर्जरी के पश्चात 1-2 हफ्ते में रोगी अपने सामान्य जीवन में लौट आता है। फुल रिकवरी में 5-6 हफ्ते का समय लग सकता है।

पित्ताशय के इन्फेक्शन से बचाव

कोलेसिस्टिटिस के खतरे को कम करने के लिए निम्न टिप्स को फॉलो करें:

  • स्वस्थ वजन बनाए रखें।
  • मोटापा से पीड़ित हैं तो वजन धीरे-धीरे कम करें। तेजी से वजन कम करने में पित्ताशय की पथरी का खतरा बढ़ जाता है।
  • अधिक फाइबर और कम फैट वाली डाइट अपनाएं।

अगर आपको भी कोलेसिस्टिटिस के लक्षण नजर आते हैं तो इलाज में देरी न करें। इलाज न करने से इन्फेक्शन अग्नाशय तक पहुच सकता है। अगर पित्त नलिकाएं क्षतिग्रस्त होती हैं तो इन्फेक्शन लिवर में भी पहुच सकता है। उचित सलाह और इलाज पाने के लिए आप हमें कॉल कर सकते हैं।

निष्कर्ष

पित्ताशय की थैली के संक्रमण का इलाज दवा या शल्य प्रक्रिया के माध्यम से किया जा सकता है। इन्फेक्शन को दूर करने के लिए एंटीबायोटिक के साथ दर्द निवारक देते हैं। पथरी के कारण संक्रमण है तो सर्जरी की जा सकती है। इसका जल्द इलाज होना चाहिए वरना जीवन के लिए खतरा हो सकता है।

डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है| अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें|

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Updated on 13th June 2025

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