पथरी के इलाज के लिए होम्योपैथिक दवाइयां kidney stone homeopathy treatment

किडनी की पथरी को जड़ से निकाल फेंकने के लिए होम्योपैथिक दवाइयों का सेवन फायदेमंद है। बिना किसी नुकसान के होम्योपैथिक दवाइयां पथरी को घोल देती हैं। पथरी में होम्योपैथिक दवाइयों का सेवन करने से आपको दो बड़े लाभ मिलते हैं।

  1. होम्योपैथिक दवाइयों का सेवन करने से पथरी का आकार छोटा होता जाता है या फिर पथरी कई टुकड़ों में बंट जाती है। इससे स्टोन आसानी से शरीर के बाहर निकल जाते हैं।
  2. पथरी को ठीक करने के लिए अगर एक बार होम्योपैथिक दवाइयों का सेवन कर लिया जाए तो भविष्य में दोबारा किडनी स्टोन होने का खतरा कम हो जाता है। 

होम्योपैथिक डॉक्टर इलाज करने से पहले रोगी से कई सवाल करते हैं। जिसमें दो प्रमुख सवाल होते हैं – “रोगी को किस तरह के लक्षण नजर आते हैं और उनके परिवार में कॉमन बीमारियां क्या हैं?”

इन सवालों के बाद इलाज करना आसान हो जाता है। ये सवाल रोगी के लिए जरूरी दवाओं को चुनने में मदद करते हैं। होम्योपैथिक दवाइयों का सेवन करने के बाद पथरी के दर्द से तुरंत राहत मिलती है। एक या दो हफ्ते में पथरी भी पूरी तरह से गायब हो जाती है। यह दवाइयां हमारे शरीर के इम्यूनिटी सिस्टम के साथ कार्य करती हैं जिससे किसी तरह का साइड इफेक्ट्स नहीं होता है। होम्योपैथिक दवाइयां रोगी को बहुत कम मात्रा में दी जाती हैं और इनकी लत भी नहीं लगती है। अगर समस्या जटिल नहीं है और सर्जरी की आवश्यकता नहीं है तो होम्योपैथिक दवाइयों से ही पथरी का इलाज किया जाता है। 

Kidney Stone Removal Surgery

किडनी स्टोन की होम्योपैथिक दवाइयां — Homeopathic Medicines For Kidney Stone in Hindi

बेलाडोना (Belladonna)

कॉमन नाम – डेडली नाईटशेड (Deadly Nightshade)

कब दी जाती है यह दवा?

जब लक्षण कम समय के लिए नजर आते हैं तब यह दवा दी जाती है। निम्नलिखित लक्षणों में यह दवा दी जाती है।

  • चेहरा लाल होने पर।
  • असहनीय दर्द होना।
  • खिंचाव के साथ दर्द का अनुभव होने पर। चुभता हुआ दर्द महसूस होना। दर्द वाली जगह को छूने पर तेज झनझनाहट भी होती है।
  • मूत्रनली (Urine Tube) में दर्द होना।
  • पेट का तापमान बढ़ने या पेट में दर्द और जलन होने पर।
  • किडनी स्टोन के साथ प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ जाने पर। 
  • पेशाब की मात्रा में कमी या रुकावट होने पर

आर्जेन्टम नाइट्रिकम (Argentum Nitricum)

कॉमन नाम – सिल्वर नाइट्रेट (Silver Nitrate)

कब दी जाती है यह दवा?

इस दवा का मुख्य उपयोग दर्द की स्थिति में किया जाता है। किडनी में अपशिष्ट पदार्थों के जमाव के कारण दर्द होने पर इस दवा का प्रयोग किया जाता है। निम्न लक्षणों में यह दवा दी जाती है।

  • मूत्र के साथ खून आना।
  • अचानक से पेशाब निकल जाना।
  • किडनी में चोट लगने जैसा अनुभव होना।
  • किडनी छूने या धक्का लगने से तेज दर्द होना।
  • मूत्र की मात्रा में कमी और रंग में बदलाव होना।
  • मूत्र मार्ग में सूजन और यूरिन करते वक्त दर्द होना।

बर्बेरिस वल्गैरिस (Berberis Vulgaris)

कॉमन नाम – बारबेरी (Barberry)

यह दवा कब दी जाती है?

बाई तरफ की किडनी में अगर पथरी और दर्द की समस्या है तो यह दवा बहुत असर दिखाती है।निम्नलिखित लक्षणों में यह दवा दी जा सकती है :-

  • यूरिन के गंध में बदलाव आना।
  • पेशाब करते वक्त जलन होना।
  • दर्द का असर पेट और जांघों में भी दिखना। 
  • खड़े होने, उठने, बैठने या चलने में तेज दर्द होने पर।
  • यूरिन में बलगम के साथ लाल रंग का पदार्थ निकलने पर। यह खून नहीं होता है।
  • किडनी के आस-पास तेज दर्द का अनुभव होने पर। कभी-कभी मसल्स सुन्न हो जाती हैं। 

बेंजोइक एसिड (Benzoic Acid)

कब दी जाती है दवा

यूरिन में बदबू आने पर और यूरिन का रंग भूरा होने पर इस दवा को दिया जाता है। दवा का डोज देने के लिए नीचे बताए गए लक्षण जरूरी हैं।

आगे पढ़ें: किडनी स्टोन का आयुर्वेदिक इलाज

  • पेशाब में यूरिक एसिड की मात्रा अधिक होना।
  • सांस लेने, शरीर को झुकाने से किडनी में दर्द होना। 
  • किडनी के आस-पास दर्द। दर्द छाती तक पहुंचना।
  • यूरिन न करने पर भी मूत्र मार्ग (Urine Passage) में तेज दर्द और जलन होना।
  • पेशाब के रंग में बदलाव। पेशाब में ग्लूकोज, बलगम की मौजूदगी और लाल रेत के दाने निकलना

कोकास कैक्टि (Coccus Cacti)

कॉमन नाम – कोचिनियल (Cochineal)

कब दी जाती है यह दवा

यह दवा तब बहुत असरदार होती है जब पेट और किडनी के आस-पास दर्द के साथ ऐंठन होती है। निम्नलिखित लक्षणों में यह दवा दी जाती है।

  • पथरी के साथ-साथ शरीर में यूरिक एसिड का लेवल अधिक होना।
  • बार-बार यूरिन की इच्छा होना और यूरिन करने के दौरान दर्द का अनुभव होना।
  • यूरिन का रंग अधिक गहरा होना। यूरिन में लाल रंग के कणों की मौजूदगी होना।
  • किडनी से लेकर मूत्राशय (Bladder) तक तेज दर्द का अनुभव होना। यूरिन मार्ग में खून के थक्के बनना।

कैन्थरिस (Cantharis)

कॉमन नाम – स्पेनिश फ्लाई (Spanish Fly)

कब दी जाती है यह दवा

  • पेशाब करने की तीव्र इच्छा होना।
  • पेशाब करते वक्त तेज दर्द होना।
  • दर्द यूरिन करने के पहले और बाद भी हो सकता है। 
  • अचानक से दर्द उठना और उस वक्त पेशाब करने की इच्छा होना।
  • यूरिन से भूरे रंग के कण निकलना। यूरिन जेली (Jelly) की तरह हो होना
  • बूंद-बूंद पेशाब निकलना या पेशाब के साथ लाल रंग का पदार्थ निकलना।
  • किडनी में तेज दर्द होने पर। यह दर्द पुरुषों के लिंग और रिप्रोडक्टिव ग्लैंड (टेस्टिस) तक पंहुच जाता है।

लाइकोपोडियम क्लैवाटम (Lycopodium Clavatum)

कॉमन नाम – क्लब मास (Club Moss)

कब दी जाती है यह दवा

यह दवा उस व्यक्ति को दी जाती है जो बार-बार किडनी स्टोन की समस्या से पीड़ित होता है। कुछ लक्षण हैं जिनमें इस दवा को दिया जा सकता है।

  • गाढ़ा पेशाब निकलना। 
  • पेशाब रोकने में दर्द होना। 
  • पेशाब के साथ झाग निकलना।
  • पेशाब करने के बाद दर्द कम होना। 
  • पेशाब रोकने पर तेज पसीना आना। 
  • रात के समय अधिक पेशाब आना। 
  • पेशाब करते वक्त जलन होना और खून के थक्के बनना।
  • मधुमेह के रोगियों के मूत्र में ग्लूकोज की मौजूदगी होना।
  • पेशाब करने के बाद प्रोस्टेट ग्रंथि (Prostate Gland) में दर्द होना
  • दायीं किडनी में तेज दर्द का अनुभव होना। यह दर्द यूरिन मार्ग तक फैल जाता है।

डायोस्कोरिया विलोसा (Dioscorea Villosa)

कॉमन नाम – वाइल्ड यम (Wild Yam)

कब दी जाती है यह दवा

पथरी के कारण पेट में तेज दर्द होने पर यह दवा दी जाती है। नीचे बताए गए लक्षणों में भी यह दवा दी जाती है।

  • हाथ-पैर में दर्द होने पर।
  • आगे की ओर झुकने पर आराम और पीछे की ओर झुकने पर दर्द का अनुभव होना। 
  • पथरी की समस्या होने के बावजूद जो बहुत अधिक चाय पीते हैं उन्हें भी यह दवा दी जाती है। 
  • दाहिनी यूरिन ट्यूब में असहनीय दर्द होना। यह दर्द लिंग और स्पेर्मेटिक कॉर्ड तक पहुंच जाता है। 

सारसपरिला (Sarsaparilla)

कॉमन नाम – स्माइलैक्स (Smilax)

कब दी जाती है यह दवा

पेशाब करते वक्त तेज दर्द होने पर यह दवा दी जाती है। इसके अलावा भी कुछ लक्षण हैं जिनमें यह दवा दी जाती है।

  • पेशाब का बूंद-बूंद निकलना।
  • पेशाब के साथ मिट्टी के जैसे दिखने वाले पत्थर निकलना।
  • किडनी में तेज दर्द आरम्भ होता है और फिर दर्द नीचे की ओर फैल जाने पर।
  • दाहिनी किडनी का दर्द मूत्राशय (Urinary Bladder) और यूरिन मार्ग तक पहुंच जाना।
  • यूरिन करने के दौरान दर्द होना और मूत्र का रंग लाल होना। खड़े होकर पेशाब करने से पस आना। 

परेरा ब्रावा (Pareira Brava)

कॉमन नाम – (Virgin Vine)

यह दवा कब दी जाती है 

पथरी की वजह से यूरिन मार्ग में समस्या होने पर यह दवा दी जाती है। नीचे दिए गए लक्षणों में भी यह दवा दी जा सकती है।

  • किडनी में दर्द के साथ प्रोस्टेट ग्रंथि में दर्द होना।
  • पेशाब करने की इच्छा होती है पर मूत्र नहीं निकलता है। ऐसी स्थिति में जोर लगाने पर किडनी में दर्द होता है।
  • ऐसी स्थिति जब रोगी को सिर झुकाकर पेशाब करना पड़े। सिर झुकाकर जमीन से लगने के बाद ही रोगी पेशाब कर पाता है।

थलासपी बरसा पास्टोरिस (Thlaspi Bursa Pastoris)

कॉमन नाम – शेफर्डस पर्स (shepherd’s purse)

कब दी जाती है यह दवा

बार-बार किडनी और पेट में दर्द होने पर यह दवा दी जाती है। कुछ मामलों में यह दवा देना फायदेमंद होगा जैसे कि :-

  • बहुत अधिक पेशाब आना और पेशाब में फॉस्फेट की अधिक मात्रा होना।
  • किडनी में तेज दर्द होना और मूत्र के साथ लाल रंग का पदार्थ निकलना।

आगे पढ़ें: किडनी स्टोन के इलाज के लिए बेस्ट योगासन

होम्योपैथिक दवाइयों के सेवन के साथ अन्य सुझाव

होम्योपैथिक दवाइयों का सेवन करने के साथ-साथ अगर आप अपने जीवनशैली में बदलाव लाते हैं तो पथरी की समस्या से आसानी से लड़ सकेंगे। नीचे कुछ सुझाव बताए गए हैं जिन्हें हर किडनी स्टोन के मरीज को अपनाना चाहिए।

  • दोपहर में सोने से बचें।
  • हमेशा फ्री रहने की सोचें।
  • अधिक देर तक खड़े न रहें।
  • तरल पदार्थों का सेवन अधिक करें।
  • कॉफी, हर्बल चाय का सेवन न करें। 
  • ज्यादा एक्सरसाइस करना भी ठीक नहीं है।
  • परफ्यूम, तेज खुशबू वाले फूलों से दूरी बनाएं। 
  • अधिक तनाव न लें और मन को भटकने से रोकें।
  • सूप में मसाले या किसी प्रकार की कच्ची औषधि मिक्स न करें।
  • चुकंदर, पालक, टमाटर और चॉकलेट का सेवन न करें। यह पथरी को बढ़ाते हैं।
  • आइस क्रीम या अन्य ठंडे अथवा जमे हुए पदार्थ न खाएं। बर्फ का सेवन भी न करें। 
  • दूसरे रोगों की दवाइयां, मसाले या किसी भी तरह के औषधीय पदार्थ का सेवन न करें। 
  • डॉक्टर के बताए गए डाइट चार्ट पर ही चलें। दूसरा कुछ खाने का मन है तो बहुत कम मात्रा में खाएं।
  • दवाइयों को संभाल कर रखें और इनमें हवा न लगने दें। होम्योपैथिक दवाइयां बहुत कम मात्रा में दी जाती हैं इसलिए संभाल कर रखें। 
  • दर्द का अनुभव ना होने पर रोगी को रोजाना सुबह और शाम सैर के लिए जाना चाहिए। बाहर ताजी हवा में घूमने से रोगी का मन शांत रहेगा और वह तनाव रहित महसूस करेगा।
  • पथरी से संबंधित किसी प्रकार के लक्षण नजर आने पर जैसे दर्द का अनुभव होने पर या यूरिन से संबंधित असामान्यताएं दिखने पर इसे किसी कागज में समय के साथ लिखें। अपनी स्थितियों को डॉक्टर के सामने अच्छे से दर्शाने के लिए यह जरूरी है। 

आगे पढ़ें: किडनी स्टोन के कारण, लक्षण, घरेलू नुस्खे और इलाज

क्या होम्योपैथिक दवाइयों के साइड इफेक्ट्स हैं

होम्योपैथिक दवाइयां किसी भी प्रकार का बुरा असर नहीं दिखाती हैं और यह पूरी तरह से सुरक्षित हैं। लेकिन इन दवाइयों का सेवन करने से पहले एक अच्छे होम्योपैथिक चिकित्सक से सलाह लेना आवश्यक है। दवाइयों के सेवन के साथ-साथ खान-पान में सावधानी बरतना आवश्यक है। बेहतर इलाज के लिए अपने सभी लक्षणों को डॉक्टर के सामने प्रस्तुत करें। 

निष्कर्ष 

किडनी स्टोन का आकार बढ़ने के साथ-साथ दर्द बढ़ने लगता है। होम्योपैथिक दवाइयां दर्द को तुरंत कम करती हैं और कुछ ही दिनों में पथरी को निकाल देती हैं। किसी अन्य बीमारी की दवा के साथ भी आप इनका सेवन कर सकते हैं। लेकिन ऐसा करने से पहले डॉक्टर से अवश्य परामर्श करें। 

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डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है| अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें|