Kya pregnancy me piles ki surgery karani chahiye

बवासीर गुदा क्षेत्र की रक्त वाहिकाओं का सूजन है। यह महिला या पुरुष दोनों को किसी भी उम्र में हो सकता है।

गर्भावस्था के अंतिम 3 महीनों में बवासीर का खतरा बढ़ जाता है। डिलीवरी के बाद भी इसका रिस्क बहुत ज्यादा होता है।

गर्भवती महिलाओं में एक्यूट बवासीर देखने को मिलता है। यह दर्द के साथ रक्तस्त्राव भी ला सकता है।

अगर डिलीवरी के पहले महिला को बवासीर होता है तो इलाज बहुत जरूरी हो जाता है। आप शायद सोच सकते कि बवासीर के साथ प्रसव पीड़ा को सहन करना कितना मुश्किल होगा।

हार्मोनल बदलाव और पेट के निचले हिस्से में दबाव बढ़ जाने के कारण गर्भावस्था में बवासीर की समस्या होती है। कब्ज भी एक बड़ा कारण है। ऑफिस ऑन वोमेन हेल्थ (OWH) के मुताबिक़ लगभग 50 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं बवासीर से पीड़ित होती हैं।

अगर मल से खून आता है शरीर में खून की कमी हो सकती है, जो गर्भावस्था के दौरान उचित नहीं है।

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गर्भावस्था के दौरान बवासीर के लक्षण

  • खून बहना, मल त्यागने के बाद पोछते वक्त खून हाथ में लग सकता है।
  • मल त्याग के दौरान दर्द
  • गुदा क्षेत्र में खुजली
  • सूजन
  • जलन
  • गुदा के नीचे की चमड़ी का आकार बढ़ना

ये सभी बाहरी बवासीर के लक्षण हैं। आंतरिक बवासीर में संभव है कि कोई लक्षण नजर न आए।

आंतरिक बवासीर है तो मल त्याग के दौरान बवासीर के मस्से गुदा से बाहर निकल सकते हैं। इससे ब्लीडिंग और दर्द हो सकता है। मल त्यागने के बाद इन मस्सों को धीरे-धीरे अंदर धकेलने का प्रयास करना चाहिए।

पहले नॉन-इनवेसिव उपचार का प्रयास करें

प्रेगनेंसी के दौरान बवासीर का इलाज के लिए पहले नॉन-इनवेसिव विकल्पों का चयन करना चाहिए। ये उपचार हैं:

फाइबर युक्त आहार

गेंहू का आटा, ताजे फल, हरी सब्जियां में फाइबर उचित मात्रा में मौजूद होता है। गर्भवती महिला को अपने डाइट में इन खाद्य पदार्थों को शामिल कर लेना चाहिए।

फाइबर का अधिक सेवन करने से बवासीर के लक्षणों में कमी आती है।

पानी पिएँ

भरपूर मात्रा में पानी पिएँ। यह स्टूल मुलायम बनाएगा।

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क्रीम या लोशन लगाएं

बवासीर के मस्सों को शांत करने के लिए कई बेहतरीन क्रीम मौजूद हैं जो आसानी से मिल जाती हैं। हालांकि, गर्भावस्था में किसी भी क्रीम या लोशन को उपयोग में लाने से पहले डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।

स्टूल सॉफ़्नर का सेवन करें

रेचक पदार्थों के सेवन से मल मुलायम बनता है और कब्ज दूर होती है। डॉक्टर से पूछकर महिला लैक्सेटिव का सेवन कर सकती है।

सिट्ज बाथ लें

सिट्ज बाथ, कोल्ड पैक जैसे उपचार सूजन और दर्द को कम करने के लिए उपयुक्त हैं।

स्क्लेरोथेरेपी

यह एक नॉन-सर्जिकल प्रक्रिया है जिसमें बवासीर की नसों में एक विशेष इंजेक्शन दिया जाता है। यह इंजेक्शन मस्सों को सिकोड़ देता है और मस्से सूख जाते हैं।

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रबर बैंड लिगेशन

इस प्रक्रिया में मस्सों के आधार (Base) पर रबर बैंड लगा दिया जाता है। इससे रक्त का दौड़ान रुक जाता है और मस्से सूखकर गिर जाते हैं। इस पूरी प्रक्रिया में 10-12 दिनों का समय लगता है।

अगर अन्य उपचार विधियों का विकल्प मौजूद है तो गर्भवती महिला को बवासीर की सर्जरी से बचना चाहिए।

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जब सर्जरी जरूरत बन जाए

सर्जरी बवासीर का इलाज के लिए अंतिम विकल्प है। कुछ महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान या डिलीवरी के तुरंत बाद हेमोराहाइडेक्टोमी (आंतरिक और बाहर बवासीर की सर्जरी) की आवश्यकता पड़ सकती है।

आमतौर पर प्रेगनेंसी के 27-28 सप्ताह तक अन्य उपचार से इसका इलाज किया जाता है। इस अवधि तक अगर यह ठीक नहीं होता तो डॉक्टर सर्जरी का फैसला ले सकते हैं।

गर्भावस्था के दौरान बवासीर की सर्जरी की जाती है, जब:

  • दर्दनाक मस्से, जो उपचार के अन्य तरीकों का जवाब नहीं देते हैं।
  • अनियंत्रित रक्तस्त्राव
  • अगर बवासीर गुदा के बाहर निकल आया है या मल त्याग के दौरान निकल आता है (इस लक्षण का घरेलू इलाज संभव नहीं है)

अगर महिला दर्द या ब्लीडिंग जैसे लक्षणों से दूर है तो डिलीवरी तक किसी भी सर्जिकल प्रक्रिया को अंजाम देने से बचा जाता है।

प्रेगनेंसी में बवासीर की सर्जरी

गर्भावस्था के दौरान बवासीर का इलाज के लिए निम्न सर्जिकल प्रक्रियाएं की जा सकती है:

स्टेपलेड हेमोराहाइडोपेक्सी (Stapled hemorrhoidopexy)

इस सर्जरी को स्टेपल एनोपेक्सी या PPH (Procedure for prolapse and haemorrhoids) के नाम से भी जाना जाता है। यह हेमोराहाइडेक्टोमी का एक प्रभावी विकल्प है जिसकी पोस्ट-जटिलताएं बहुत कम हैं।

यह प्रक्रिया विशेष रूप से एक प्रोलैप्स्ड आंतरिक बवासीर में उपयोग की जाती है।

एक एडवांस गोलाकार स्टेपलिंग उपकरण गुदा के रास्ते मलाशय में डाला जाता है। सूजी और बाहर निकली हुई नसों को उनके पोजीशन पर लाया जाता है और रेक्टल लाइनिंग (जहाँ मस्से हैं) का एक गोलाकार टुकड़ा हटा दिया जाता है।

इस पूरी प्रक्रिया को जनरल और स्पाइनल एनेस्थीसिया के प्रभाव में किया जाता है। एनेस्थीसिया का प्रभाव खत्म होने की बाद रोगी मलाशय में दर्द अनुभव कर सकता है।

गर्भावस्था के दौरान बवासीर का इलाज के लिए यह सर्जरी अच्छा विकल्प हो सकती है। यह एक न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया है।

पारंपरिक हेमोराहाइडेक्टोमी

यह बवासीर की ओपन सर्जरी है। बवासीर के ऊतकों में रक्त प्रवाह को रोक दिया जाता है और फिर स्केल्पल की मदद से उन्हें काट दिया जाता है। हो सकता है कि घाव भरने के लिए टांका लगाने की जरूरत पड़े।

सर्जरी के दौरान लोकल या जनरल एनेस्थीसिया का उपयोग किया जा सकता है।

सर्जरी के बाद 2-3 दिनों तक हॉस्पिटल में रुकने की जरूरत होती है। पूरी तरह से ठीक होने में 6 सप्ताह से अधिक समय लग सकता है। इस दौरान गुदा क्षेत्र में हल्का दर्द बना रह सकता है।

निष्कर्ष

गर्भावस्था के दौरान कब्ज बवासीर का एक मुख्य कारण है। तैलीय और मसालेदार भोजन से बचें, भरपूर मात्रा में पानी पिएँ। कई बार डिलीवरी के बाद बवासीर अपने आप दूर हो जाता है।

अगर लक्षण दर्दनाक नहीं हैं तो महिला पाइल्स के साथ बच्चे को जन्म दे सकती है। अगर ऐसा संभव होता है तो डिलीवरी के बाद लेजर सर्जरी की जा सकती है। लेजर सर्जरी न्यूनतम इनवेसिव है और बहुत फास्ट रिकवरी प्रदान करती है।

अगर उच्च ग्रेड का बवासीर है और इलाज नही हुआ तो स्थिति के अनुसार डॉक्टर सी-सेक्शन डिलीवरी की सलाह दे सकते हैं।

गर्भावस्था के दौरान बवासीर से जूझ रहे हैं तो हमें मुफ्त में कॉल करें और उचित सलाह एवं इलाज प्राप्त करें।

डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है| अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें|

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