LATRINE ME BLOOD AANA IN HINDI

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अगर आपके मल के साथ खून आता है और आप इसे आम समझकर नजरअंदाज कर रहे हैं तो सतर्क रहें यह कोई गंभीर बीमारी का लक्षण हो सकता है। कई बार लैट्रिन के साथ खून निकलने की वजह पेट में खून का आप्रक्रितिक स्त्राव भी हो सकता है। इस लक्षण को नजरअंदाज करने से आपके स्वास्थ्य को ख़ामियाज़ा भुगतना पड़ सकता है।

मल में खून होने के कई कारण हो सकते हैं जिनमें कैंसर भी शामिल है। आइये Latrine me blood aana के कारण, लक्षण और उपचार को टटोलते हैं।

लैट्रिन में खून आना एक गंभीर बीमारी हो सकती है| अगर आप डॉक्टर से फ्री में वीडियो/ऑडियो कॉल करना चाहते हैं तो हमारा एप डाउनलोड करके कर सकते हैं|

 

लैट्रिन (मल) में खून आने के कारण – Causes of blood in stool in Hindi

कई लोग मल में खून आने की वजह सिर्फ और सिर्फ बवासीर को मानते हैं जबकि, बवासीर के अलावा भी कई ऐसे कारण हो सकते हैं जो पॉटी में खून आने के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं।

1. एनल फिशर (anal fissure)

यह एक ऐसी अवस्था है जिसमें गुदा मार्ग के पास कोई कट या दरार हो जाता है और इस स्थिति में मल के साथ खून भी निकलता है। पढ़ें- फिशर की पतंजलि दवा

2. क्रोहन रोग (Chronic disease)

मल में खून आना एक गंभीर बीमारी की ओर इशारा हो सकता है। मल में खून आने के मुख्य कारणों में बवासीर, एनल फिशर, क्रोहन रोग, कोलोन कैंसर, आँतों में सूजन, आंतरिक ब्लीडिंग और रेक्टल प्रोलैप्स आदि शामिल हैं। अगर आपके मल में खून आता है तो जरा भी देरी या लापरवाही किए बिना आपको एक विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। अगर आप मल में खून आने के कारण को जानना और अपनी समस्या से हमेशा के लिए छुटकारा पाना चाहते हैं तो इस ब्लॉग के ऊपर दायीं तरफ दिए गए मोबाइल नंबर या बुक अप्वाइनमेंट बटन की मदद से अभी हमारे एक्सपर्ट से मुफ्त परामर्श करें या हमारा एप डाउनलोड करके डायरेक्ट डॉक्टर से बात करें।

बहुत दिनों से चला आ रहा पाचन संबंधी विकार भी लैट्रिन में ब्लड आने के लिए जिम्मेदार हो सकता है। क्रोहन रोग में छोटी आंत में सूजन हो जाता है जिससे मलत्याग के दौरान रक्तस्त्राव होता है।

3. डाइवर्टिक्युलाइटिस (Diverticulosis)

जब रोगी के बड़ी आंत में एक अप्राकृतिक थैली या पाउच का निर्माण हो जाता है जो उस स्थिति को डाइवर्टिक्युलाइटिस कहते हैं जो लैट्रिन के साथ खून आने के लिए जिम्मेदार हो सकता है।

4. कोलोन कैंसर (colon cancer)

बड़ी आंत में कैंसर की स्थिति को कोलोन कैंसर कहते हैं। इसके होने पर पॉटी के साथ ब्लड निकलता है।’

पढ़ें- बवासीर का इलाज

5. फूड पाइजनिंग

अगर आप गलती से विषाक्त पदार्थ या पानी का सेवन कर लेते हैं तो इससे फूड पाइजनिंग हो सकती है, जिसकी बदौलत लैट्रिन करते समय रक्त निकल सकता है।

6. आंतों में सूजन

जब किसी कारण वश आंतों में सूजन हो जाता है तो स्टूल के साथ खून निकलता है।

7. गुदा सेक्स

गुदा सेक्स करने पर आंत के जख्मी होने पर भी मल के साथ गहरा खून निकलने की गुंजाइश होती है।

8. आंतरिक रक्तस्त्राव

अगर आपका मल लाल या काला है तो हो सकता है कि आपके पाचन तंत्र के किसी हिस्से से रक्तस्त्राव होता हो। 

9. प्रोक्टाइटिस (Proctitis)

जब गुदा के आंतरिक हिस्से में सूजन आ जाता है तो उस स्थिति को प्रोक्टाइटिस के नाम से जाना जाता है। ऐसी अवस्था में गुदा मार्ग से खून निकलना आम बात है।

10. रेक्टल प्रोलैप्स (Rectal Prolapse)

कई लोग इस बीमारी को बवासीर समझ बैठते हैं जबकि, इस बीमारी में बड़ी आंत गुदा मार्ग से बाहर फ़ैल जाती है और दिखाई पड़ती है। ऐसी स्थिति में न सिर्फ लैट्रिन के समय बल्कि, उठते-बैठते भी ब्लड (blood) आ सकता है।

लैट्रिन में खून आने के लक्षण – What are the Symptoms of Blood in Stool in Hindi

मल के साथ खून आने का सबसे बड़ा लक्षण मल का रंग काला होना है। वहीं, अगर मल में खून अधिक मात्रा में स्त्रावित हो रहा है तो यह इस बात की ओर संकेत करता है कि रक्तस्त्राव अधिक मात्रा में हो रहा है।

इसके अलावा और भी कई संकेत हैं जो लैट्रिन में ब्लड आने के दौरान दिखाई दे सकते हैं।

  • शरीर में पीलापन
  • पेट फूलना
  • हृदय गति तेज होना
  • थकान महसूस होना
  • निम्न रक्तचाप
  • साँस लेने में कठिनाई

अगर खून सामान्य मात्रा में निकल रहा है तो ये लक्षण नहीं दिखाई पड़ते हैं। इसलिए, अगर ये लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो कारणों को हल्के में न लें और तुरंत ही डॉक्टर से परामर्श लें।

लैट्रिन में खून आने का टेस्ट – Diagnosis of Blood in Latrine in Hindi

गैरहाल, क्लिनिक के पहली विजिट में डॉक्टर आपके स्वास्थ्य इतिहास का जायजा करेंगे। वे आपके पीढ़ी की जानकारी भी ले सकते हैं। इसके बाद वे आपके कंडिशन के मुताबिक़ आपके मल के सैंपल की मांग कर सकते हैं और जाँच के लिए उसे लैब में भेजा जा सकता है।

यह पता लगाने के लिए कि अगर लैट्रिन में ब्लड आने का कारण आंतरिक अंग से रक्तस्त्राव है, डॉक्टर एम.आर.आई, सीटी स्कैन, एक्स-रे आदि कई इमेजिंग टेस्ट की सलाह दे सकता है।

पढ़ें- बवासीर की क्रीम

अगर कारण का पता फिर भी नहीं लगता है तो डॉक्टर नीचे बताए गए तरीकों से जाँच कर सकते हैं।

  • नसोगैस्ट्रिक लैवेज (Nasogastric lavage) – इस टेस्ट में डॉक्टर पाचन तंत्र के  ऊपरी और निचले हिस्से की जाँच करते हैं।
  • एसोफैगोगैस्ट्रोडुओडेनोस्कोपी (Esophagogastroduodenoscopy (EGD).) – इस पक्रिया में ब्लीडिंग के सोर्स का पता लगाने के लिए एंडोस्कोप इस्तेमाल होता है। एंडोस्कोप को गले के जरिए पेट तक पहुँचाया जाता है और पूरी स्थिति को स्क्रीन पर देखा जाता है।
  • कॉलॉनोस्कोपी (colonscopy) – कोलोन की जाँच करने के लिए कॉलॉनोस्कोपी किया जा सकता है। यह टेस्ट रोगी को बेहोश करने के बाद होता है। कॉलॉनोस्कोपी के दौरान एक प्रकार की लचीली ट्यूब का इस्तेमाल होता है। यह ट्यूब शरीर के अंदर का जायचा लेने के लिए रोगी के भीतर डाली जाती है, जिसके अंत में एक छोटा कैमरा लगा होता है। इस कैमरे की मदद से कंप्यूटर स्क्रीन में कोलोन के सभी हिस्से को देखा जा सकता है।
  • एंटेरोस्कोपी – (enteroscopy) – इस टेस्ट नें डॉक्टर एक प्रकार की टेबलेट खाने को कहते हैं। इस टेबलेट की मदद से पेट के सभी हिस्से यहाँ तक कि आंत का भी जाँच होता है।
  • बेरियम एक्स-रे (barium x-ray)- इस प्रक्रिया के जरिए एक्स-रे लेने में बेरियम नामक तत्व का इस्तेमाल होता है।
  • रेडियोन्यूक्लाइड स्कैनिंग (Radionuclide scanning) – लैट्रिन में खून की इस जाँच में डॉक्टर एक प्रकार के रेडिओएक्टिव (radioactive) मटेरियल को वेंस (veins) में डालते हैं और एक विशेष प्रकार के कैमरे की मदद से पाचन तंत्र में रक्त प्रवाह को देखकर ब्लीडिंग वाले क्षेत्र का पता लगाने की कोशिश करते हैं।
  • एंजियोग्राफी (angiography) – मल में ब्लड आने के कारण का पता लगाने के लिए डॉक्टर इस टेस्ट में एक विशेष प्रकार के डाई को वेंस में डालते हैं और एक्स-रे की मदद से ब्लड वेसल्स को देखते हैं। जहाँ पर ब्लड लीक होता है वहां पर यह डाई लीक हो जाती है और उस क्षेत्र का पता चल जाता है।
  • जब सभी टेस्ट फ़ैल हो जाते हैं तब डॉक्टर Laparotomy नामक टेस्ट का प्रयोग करते हैं।

लैट्रिन में ब्लड आने का इलाज – Latrine me Blood aane ka ilaj in Hindi

लैट्रिन में खून आने का इलाज कई तरीकों से किया जा सकता है।

घरेलू उपाय और नुस्खे

अगर आपको टॉयलेट में मल त्याग के दौरान हल्का-फुल्का खून आ रहा है तो नीचे दिए गए घरेलू उपाय की मदद से उसे ठीक किया जा सकता है।

शहद (honey)

पेट से जुड़ी विभिन्न प्रकार की समस्याओं का नाश करने वाला शहद मलत्याग के दौरान खून आने की समस्या को भी ठीक कर सकते हैं। अगर पाचन संबंधी विकारों के चलते खून आ रहा है तो इससे राहत मिल सकती है। 

इसके लिए रोज दो चम्मच शहद का सेवन करें। ऐसा हफ्ता भर करने से आपको लैट्रिन में खून आने से छुटकारा मिलेगा।

तनाव कम करें

तनाव हमारे शरीर में कई दुष्प्रभाव का कारण है, उन्हीं में से एक मलत्याग के दौरान रक्तस्त्राव भी शामिल है।अगर तनाव पर लगाम लगा दिया जाए तो कब्ज और टॉयलेट में ब्लड आने कि समस्या खुद-ब-खुद दूर हो सकती है। तनाव कम करने के लिए रोज सुबह आधा घंटा जरूर टहलें। कॉफ़ी, चाय आदि का सेवन न करें, योग एवं मैडिटेशन करें।

खान-पान पर ध्यान दे

अपने आहार में तैलीय और मिर्च मसाले वाले पदार्थों का सेवन न करें, बासी आहार खाने से बचें।  इसके साथ पाचन दुरुस्त रखने के लिए और कब्ज न हो इसलिए, फाइबर का भरपूर सेवन करें।

अगर मल त्याग के दौरान हल्का खून आ रहा है तभी इन नुस्खों का इस्तेमाल करें। 

दवाइयाँ

ऊपर बताए गए घरेलू उपाय आजमाने के 7 दिन बाद भी अगर मल से खून आ रहा है तो डॉक्टर से जाँच करवाना चाहिए। डॉक्टर जाँच करने के बाद आपके स्थिति का सही जायजा लेंगे और उसके अनुसार आपको दवाइयाँ और कुछ सप्लीमेंट का सलाह दे सकते हैं। 

फिलहाल अगर लैट्रिन के साथ खून आने का कारण कोई गंभीर बीमारी है तो उसकी सर्जरी की जा सकती है।

लैट्रिन में खून आने पर रखें इन बातों का ध्यान- बचाव

कुछ बातें हैं जिन्हें आजमाकर आप टॉयलेट में ब्लड आने के लक्षण को कम कर सकेंगे।

  • भरपूर मात्रा में पानी पिए, इससे कब्ज दूर होगा और एनल फिशर के कारण होने वाले रक्तस्त्राव से राहत मिलेगा।
  • टॉयलेट शीट पर अधिक देर तक न बैठे।
  • कब्ज से बचे और मलत्याग के दौरान जोर न लगाएं।
  • मल आने पर उसका त्याग करने अवश्य जाएं। इससे मल कठोर हो जाता है, जिससे फिशर हो सकता है।
  • शराब से परहेज करें। शराब पीने से शरीर में डिहाइड्रेशन हो जाता है और कब्ज होता है।

निष्कर्ष – Conclusion

अगर लैट्रिन में ब्लड आने के घरेलू घरेलू नुस्खों से आराम नहीं मिलता है तो तुरंत ही डॉक्टर से मिलना चाहिए। क्योंकि, इसे नजरअंदाज करने पर आपका सामना किसी गंभीर बीमारी से हो सकता है।

अगर आप Pristyn Care से इस बारे में मदद चाहते हैं तो हमारे app या फोन नंबर के जरिए डॉक्टर से बात कर सकते हैं।

डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है| अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें|

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