PCOD Means in Hindi

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पीसीओडी क्या है (PCOD in Hindi)

जीवन का पहिया बहुत तेजी से चल रहा है जिसकी वजह से किसी के लिए भी अपने लिए समय निकालना मुश्किल हो गया है। डॉक्टर्स भी हमेशा यही बताते हैं कि जीवन चाहे कितना भी बीजी हो, हमें अपनी हेल्थ के लिए हमेशा समय देना चाहिए। हम क्या खाते (Eat) हैं, क्या पीते (Drink) हैं, कब सोते (Sleep) हैं और कब जागते (Wake Up) हैं आदि सभी चीजों का ध्यान रखना चाहिए। 

महिलाओं का जीवन बहुत ही टफ (Tough) होता है। इन्हें घर और ऑफिस के बीच तालमेल (Synergy) मिलाकर चलना होता है। इस चक्कर में वे हमेशा अपने स्वास्थ्य का ख्याल (Take Care) नहीं रख पाती हैं और साथ ही शरीर में हो रही छोटी-मोटी परेशानियों (Complications) पर ना तो ध्यान दे पाती हैं और ना ही उनका इलाज (Treatment) करा पाती हैं। 

महिलाओं को हमेशा बढ़ रहे वजन (Weight Gain), अनियमित पीरियड्स (Irregular Periods), पीरियड्स के समय ज्यादा ब्लीडिंग (Extreme Bleeding During Periods), पीरियड्स में खून के थक्के (Blood Clotting) का आना, बॉडी में दर्द (Body Pain) जैसे लक्षणों (Symptoms) को कभी भी अनदेखा (Ignore) नहीं करना चाहिए। ऐसी स्थिति में डॉक्टर से मिलना उनकी राय लेना और बीमारी पाए जाने पर समय पर सही से उसका इलाज कराना हमेशा सबसे बेस्ट होता है। 

महिलाएं आज कई बीमारियों से पीड़ित हैं। चेहरे पर बाल और मुहांसे (Hair and Acne on Face) आना आम बात हो चुकी है जिससे डिप्रेस (Depress) होने के चांसेस (Chances) भी बढ़ जाते हैं। इस बीमारी को पॉलिसिटिक ओवरियन सिंड्रोम (Polycystic Ovarian Syndrome) पीसीओएस-PCOS कहा जाता है।    

यह बीमारी महिलाओं और लड़कियों (In Women and Girls) के बीच होने वाली एक पब्लिक हेल्थ प्रॉब्लम (Public Health Problem) है। सावधानी से इसका मूल्यांकन (Examination) और समय पर इसका सही इलाज (Suitable Treatment) बहुत जरूरी है। अगर सही समय पर इसका इलाज नहीं हुआ तो यह दूसरी और कई हेल्थ से जुड़ी (Health Related) परेशानियों के होने का कारण बन सकता है। 

इसमें हाई ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure), हाई शुगर (High Sugar), चिंता (Tension), दिल का दौरा (Heart Attack), एंडोमेट्रियल (Endometrial), मधुमेह (Diabetes), स्लिप एप्निया (Sleep Apnea), डिप्रेशन और ब्रेस्ट कैंसर (Depression and Breast Cancer) शामिल हैं। पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम से पीड़ित महिला से जन्म लेने वाले बच्चों में ऑटिज्म (Autism) होने के ज्यादा चांसेस होते हैं।     

पीसीओडी के प्रकार (Types of PCOD in Hindi)

इंसुलिन प्रतिरोध पीसीओडी (Insulin Resistance PCOD)

जब इंसुलिन का लेवल प्रभावित होता है और शरीर में ब्लड शुगर (Blood Sugar) अनबैलेंस्ड हो जाता है तो इस सिचुएशन में ओव्यूलेशन की प्रक्रिया (Ovulation Process) इंसुलिन के द्वारा प्रभावित होती है।    

रोग प्रतिरोधक संबंधित पीसीओडी (Immunity Related PCOD)

रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) कम होने पर शरीर में ऑटो-एंटीबॉडीज (Auto antibodies) का जन्म होता है जो प्रोटीन के खिलाफ काम करता है। इससे महिलाओं में पीसीओडी की समस्या (PCOD Problems) हो सकती है। इनके अलावा पीसीओडी के प्रकार टाइप-1, टाइप-2 और टाइप3 भी होते हैं। 

पीसीओडी के कारण (Causes of PCOD in Hindi) 

किसी भी बीमारी की कोई एक खास वजह नहीं होती है। पीसीओडी के सटीक कारण का अभी तक पता नहीं लगाया जा सका है। लेकिन इस बीमारी के होने के कुछ कारण जरूर होते हैं। इन कारणों को जानने के बाद इस बीमारी से बचाव कर सकते हैं। पीसीओडी में ओवरी (Ovary) में जरुरत से ज्यादा एण्ड्रोजन (Androgens) (जिसे पुरुष सेक्स हार्मोन के नाम भी जानते हैं) बनने लगते हैं। इसकी वजह से ओव्यूलेशन (Ovulation) नहीं हो पाता और फिर हार्मोन के असंतुलन (Imbalanced Hormones) की समस्या शुरू हो जाती है। नीचे दिए हुए कुछ मुख्य कारण हैं जिनकी वजह से यह बीमारी होती है;      

  • टेस्टोस्टेरोन का लेवल बढ़ने से (Increased Testosterone Levels)
  • ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन का लेवल बढ़ने से (Increased Luteinizing Hormone Levels)
  • प्रोलैक्टिन का लेवल बढ़ने से ( Increased Prolactin Levels)
  • इन्सुलिन की मात्रा बढ़ने से (Increased Insulin in Body)
  • खराब लाइफस्टाइल के कारण (Bad Lifestyle)
  • खानपान में लापरवाही की वजह से (Negligence in Foods)
  • शारीरिक गतिविधि नहीं करने से (Doing No Physical Activities / No Exercise)
  • पोषण तत्व ना लेने की वजह से (Not Taking Nutritious Foods)
  • वजन का तेजी से बढ़ना-मोटापा की वजह से (Sudden Weight Gain ) 
  • असंतुलित पीरियड की वजह से (Unbalanced Periods)
  • अनुवांशिकी की वजह से (Genetics )
  • मोटापे की वजह से (Obesity)

पीसीओडी के लक्षण (Symptoms of PCOD in Hindi) 

किसी भी बीमारी को जानने और उसकी स्थिति को समझने के लिए मरीज के शरीर में कुछ लक्षण (Symptoms) मौजूद होते हैं जिन्हें देखने के बाद बीमारी की गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है। ऐसे ही पीसीओडी के भी कुछ लक्षण मौजूद हैं जिन्हे ऑब्जर्व करने के बाद इन लक्षणों और प्रभाव को कम किया जा सकता है। अगर आपको नीचे दिए हुए लक्षणों में कोई भी लक्षण दिखाई दे तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। 

  • अनियमित पीरियड्स आना (Irregular Periods)
  • पीरियड्स का बिलकुल बंद हो जाना (No Periods At All)
  • वजाइना से ज्यादा ब्लीडिंग होना (Extreme Vaginal Bleeding)  
  • मूड़ का बदलते रहना (Mood Swing)
  • कंसीव करने में समस्या आना (Problem in Conceiving)
  • हार्मोन में असंतुलन (Imbalance in Other Hormones)
  • वजन बढ़ना शुरू होना (Weight Gain)
  • चेहरे पर मुहांसो का आना (Acne Growth on Face)
  • चेहरे पर तेजी से बाल आना (Hair Growth on Face) 
  • पेट, जांघ और छाती पर बाल बढ़ने लगना (Hair Growth on Stomach, Thighs and Breast)
  • बालों का झड़ना (Hair Fall)
  • पेल्विक दर्द होना (Pelvic Pain)
  • हाई ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure)
  • चेहरे की स्किन का ऑयली होना (Oily Skin of Face) 
  • थकान होना (Tiredness) 
  • बाल पतले होना (Thin Hair)
  • बांझपन (Infertility)
  • सर दर्द होना (Headache)
  • नींद ना आना (Sleeplessness)
  • डायबिटीज टाइप-1 का होना (Presence of Diabetes Type 1) 
  • ओवरी में गांठ बन जाना (Presence of Lump in Ovary) 

पीसीओडी की जांच (Diagnosis for PCOD in Hindi)

किसी भी परेशानी का इलाज कर उसे दूर करने के लिए सबसे जरूरी होता है बीमारी की जांच (Diagnosis) करना। 

 पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) के लक्षण दिखाई देने पर निम्न जांच की जा सकती है; 

मेडिकल हिस्ट्री (Medical History for PCOD in Hindi)

इसके दौरान डॉक्टर मरीज से उनकी हेल्थ और पीरियड्स से रिलेटेड सवाल पूछते हैं। वो इस बात को जानना चाहते हैं कि क्या वजाइना से ज्यादा ब्लीडिंग होती है, क्या निचले हिस्से में ऐंठन होती है, चेहरे पर बाल और मुहांसे आते हैं, बाल झड़ते हैं, क्या वजन तेजी से बढ़ गया है, क्या थकान होती है, नींद आने में परेशानी, सिर में दर्द आदि जैसी परेशानी होती है।

शारीरिक परीक्षण (Physical Examination)

ब्लड प्रेशर, बॉडी मास इंडेक्स और कमर के साइज (Blood Pressure, Body Mass Index and the Size of Waist) के जरिए डॉक्टर इस बात का पता लगाते हैं कि आपके शरीर में कितना फैट  है। साथ ही साथ यह भी चेक किया जाता है कि शरीर के किसी हिस्से पर अचानक से बाल बढ़ने तो शुरू नहीं हुए हैं ना। 

श्रोणि परीक्षण या पेल्विक जांच (Pelvic Examination)

इसमें ओवरी में सूजन या गांठ (Swelling or Lump in Ovary) होने का पता लगाया जाता है।   

 ब्लड टेस्ट (Blood Test)

ब्लड टेस्ट की मदद से डॉक्टर एण्ड्रोजन के लेवल (Level of androgen) के बारे में जानते हैं और साथ ही ब्लड में ग्लूकोज के लेवल (Level of Glucose in Blood) की भी जांच करते हैं।  

सोनोग्राम – वजाइनल अल्ट्रासाउंड (Vaginal Ultrasound)

ध्वनि तरंगों (Sound Waves) की मदद से ओवरी (Ovary) में किसी तरह की कोई गांठ (Lump) है या नहीं, इसकी जांच की जाती है। साथ ही यूटेरस की परत (Layer of Uterus) मोटी है या नहीं, इसका भी पता लगाया जाता है। 

पीसीओडी का इलाज (Treatment of PCOD in Hindi)

पीसीओडी के इलाज के लिए दवाएं (Medicines), सर्जरी (Surgery) शामिल है, जिससे इस बीमारी के लक्षणों (Symptoms) को कम किया जा सकता है।

एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टिन के जरिए (Through Estrogen and Progestin)

एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टिन का रेगुलर डोज लेने से हार्मोन्स (Hormones) फिर से बैलेंस्ड हो जाते हैं। इनकी मदद से ओव्यूलेशन (Ovulation) को भी कंट्रोल किया जा सकता है। साथ ही साथ ये पीसीओडी (PCOD) के लक्षणों को भी कम करते हैं। एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टिन कैप्सूल, पैच और वजाइनल रिंग के रूप में आते हैं। 

मेटफोर्मिन के जरिए (Through Metformin)

यह एक दवा है जिसका इस्तेमाल डायबिटीज टाइप-2 (Diabetes Type-2) के इलाज के लिए किया जाता है। ये शरीर में मौजूद इंसुलिन के लेवल में सुधार करता है और साथ ही साथ पीसीओडी का इलाज भी करता है। फूड्स और व्यायाम में बदलाव करने के बाद इसका इस्तेमाल किया जा सकता है क्योंकि यह वजन घटाने (Weight Loss), ब्लड शुगर (Blood Sugar) कम करने और पीरियड्स को नॉर्मल बनाने में मदद करता है।  

हेयर रिमूवल (Hair Removal )

दवाई, क्रीम, लेजर ट्रीटमेंट और इलेक्ट्रोलिसिस (Electrolysis) के जरिए शरीर से एक्स्ट्रा बालों को बढ़ने से रोका और साथ ही इनसे छुटकारा भी पाया जा सकता है। 

सर्जरी के जरिए (Through Surgery)

इलाज के सभी मेथड्स में सर्जरी को सबसे बेस्ट (Best) माना जाता है। सर्जरी करने में बहुत कम समय लगता है। साथ ही इसके दौरान मरीज को कम दर्द, परेशानी और रिस्क का सामना करना पड़ता है। नॉर्मल ऑपरेशन की तुलना में सर्जरी के बाद रिकवरी बहुत तेजी से होती है। इससे फर्टिलिटी की क्षमता को बेहतर बनाया जाता है। इसके दौरान ओवरियन ड्रिलिंग (Ovarian Drilling) की जाती है और साथ ही इसमें ओव्यूलेशन (Ovulation) को नॉर्मल करने के लिए लेजर की मदद से ओवरी (Ovary) में छोटे छेद किए जाते हैं। 

आगे पढ़ें:  पीसीओडी के घरेलू इलाज 

लाइफस्टाइल में बदलाव (Lifestyle Changes)

पीसीओडी से पीड़ित मरीज का वजन (Weight Gain) बहुत तेजी से बढ़ता है जो एक वक्त के बाद मोटापे (Obesity) में बदल जाता है। आगे मोटापा दूसरी कई अन्य बीमारियों का कारण बन सकता है। इसलिए अपने खान पान में बदलाव करना जरूरी है क्योंकि यह पीसीओडी को कंट्रोल भी करने में मदद करता है। 

नीचे दिए हुए कुछ टिप्स हैं जिन्हें अपनाने के बाद इस बीमारी को दूर कर सकते हैं: 

क्या करें (What to Do)

  • फल और सब्जी को अपने फूड्स (Foods) में शामिल करें क्योंकि यह शुगर (Sugar) की मात्रा को कम करता है जिसकी वजह से शरीर में इन्सुलिन (Insulin) बेहतर काम करता है और हार्मोन्स स्टेबल (Stable) रहते हैं। 
  • नट्स (Nuts), बीज और दही (Seeds and Yogurt) को ध्यान से खाएं।
  • दिन में पांच बार सब्जी खाएं (Eat Vegetable Five Times)
  • दिन भर में कम से कम 30 ग्राम फाइबर (Fiber) खाएं। यह ब्लड शुगर को बैलेंस (Balanced) रखता है।   
  •  प्रोटीन (Protein) भी ब्लड शुगर को बैलेंस रखता है।
  •  मछली (Fish), ऑर्गेनिक अंडे (Organic Eggs), ऑर्गेनिक चिकेन (Organic Chicken), लीन रेड मिट (Lean Red Meat) आदि प्रोटीन के सोर्स (Sources of Protein) हैं। 
  • शाम के वक्त हेल्थी स्नैक्स (Healthy Snacks) भी लेनी चाहिए।  
  • फूलगोभी, पालक और ब्रोकली खाएं (Eat Cauliflower, Spinach and Broccoli)
  • बादाम, ओमेगा और अखरोट खाएं (Eat Almonds, Omega and Walnuts)
  • दिन में तीन बार की बजाय, पांच बार थोड़ा थोड़ा खाना खाएं (Eat Small Meals Five Times Instead of Three)
  • वजन का ख्याल रखें (Take Care of Your Weight)
  • रोजाना पंद्रह से बिस मिनट तक हल्का शारीरिक व्यायाम करें (Exercise for 10-15 Minutes Daily)
  • योग और मेडिटेशन करें (DO Yoga and Meditation)
  • हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं (Accept Healthy Lifestyle)

 क्या ना करें (What to Avoid) 

  • प्रोसेस्ड फूड को ना खाएं (Don’t Eat Processed Foods ) 
  • ज्यादा शुगर वाले भोजन से परहेज करें (Don’t Eat Foods With High Sugar)
  • सॉफ्ट ड्रिंक्स से बचें (Refrain Yourself From Consuming Soft Drinks)   
  • केक खाने से बचें (Don’t Eat Cakes) 
  • कुकीज खाने से बचें (Don’t Eat Cookies)
  • चॉकलेट खाने से बचें (Don’t Eat Chocolates)
  • मिठाई खाने से बचें (Don’t Eat Sweets)   
  • सुबह नाश्ते में प्रोसेस्ड सीरियल्स खाने से बचें (Don’t Take Processed Cereals in Breakfast)  
  • फ्रुक्टोस कॉर्न सिरप आदि से बानी चीजों को ना खाएं (Don’t Eat Things Made With Fructose Corn Syrup etc.) 
  • प्रोसेस्ड फूड जैसे की पास्ता, सफेद आटा और डब्बाबंद सीरियल आदि ना खाएं (Don’t Eat Processed Foods Like Pasta and White Flour) 
  • तनाव से बचें (Don’t Take Tensions)
  • रेड मिट ना खाएं (Don’t Eat Red Meat)
  • मैदा और सूजी ना खाएं (Don’t Eat Flour and Semolina)
  • सफेद चावल ना खाएं (Don’t Eat White Rice)
  • नशीली पदार्थ का सेवन करने से बचें (Refrain Yourself From Intoxication)

पीसीओडी से जुड़ी परेशानियां (Risk of PCOD in Hindi)

अगर इसका इलाज समय पर नहीं किया तो यह दूसरी बीमारियों का कारण बन सकता है;

  • डायबीटिज टाइप 2 (Type 2 Diabetes)
  • हाई ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure)
  • हार्ट डिजीज (Heart Diseases)
  • खराब मेटाबॉलिज्म (Poor Metabolism)
  • लिवर में सूजन (Swelling in Liver)
  • सोते समय सांस लेने में दिक्कत (Sleep Apnea)
  • यूटेरस में एबनॉर्मल ब्लीडिंग (Abnormal Bleeding in Uterus)
  • एस्ट्रोजन हार्मोन के ज्यादा बढ़ने से यूटेरस कैंसर होने का खतरा 
  • एक्टोपिक प्रेग्नेंसी (Ectopic Pregnancy) 

इन बातों का ध्यान रखें (Things to Keep in Mind)

अपने वजन का खास ध्यान रखें। अगर पहले से ही मोटापा (Obesity) है तो कम करने की कोशिश करें। वजन कम होने से एण्ड्रोजन (Androgen) कम होता है और साथ ही साथ काफी बीमारियां शरीर से दूर रहती हैं। पीरियड्स भी ठीक तरह से समय-समय पर आते रहते हैं। वजन कम करने के बाद कंसीव करने भी कोई परेशानी नहीं आएगी। 

वजन कम करने के लिए आप व्यायाम, स्वीमिंग, जॉगिंग, साइकिलिंग कर सकते हैं। ये बीमारी के लक्षणों को कम करने में मदद करते हैं और साथ ही दर्द और तकलीफ (Pain and Problems) को भी कम करते हैं। तनाव को कम करने के लिए आप योगा और मेडिटेशन भी कर सकती हैं क्योंकि ये मन के साथ साथ शरीर के लिए भी बहुत फायदेमंद होते हैं। 

अच्छी लाइफस्टाइल का चुनाव करें। नशीले पदार्थ जैसे कि शराब, सिगरेट, तम्बाकू, गुटखा का सेवन ना करें। जंक फूड्स (Junk Foods), कोल्ड ड्रिंक्स, और ज्यादा तेल-मसाले वाली चीजों को खाने से बचें। ये बीमारी को बढ़ा सकती हैं। समय पर सोने और समय पर जागने की आदत डाले। 

इन सबके अलावा जो बात सबसे ज्यादा जरूरी है, ‘आपकी डाइट’। पूरे दिन में आप क्या-क्या खाते हैं, इसका खासकर ध्यान रखे। हेल्दी फूड्स को अपने खाने की चीजों में शामिल करें। हरी सब्जी, फल, अखरोट, अलसी, दही, दलिया आदि खाएं। शरीर के जरूरत जितना पानी पिएं। अगर आप अपने जीवन में रोज इन सभी बातों का ध्यान रखेंगे तो आप सेहतमंद और तंदुरुस्त रहेंगे।

 

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डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है| अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें|