भगंदर या एनल फिस्टुला क्या है?
अगर आप बवासीर और भगंदर को एक ही रोग मान रहे हैं तो यह आपकी गलतफहमी है। दरअसल, फिस्टुला एक ऐसा रोग है जिसमें किसी दो अंगों या नसों के बीच जोड़ बन जाता है। यदि व्यक्ति के आंत (intestine) का आखिरी हिस्सा गुदा के पास की स्किन से जुड़ जाता है तो इसे एनल फिस्टुला या भगंदर कहते हैं।जैसे-जैसे यह जोड़ खाली होता है इसमें पस और खून भी भर जाता हैं।
एक नजर
- भगंदर और बवासीर दोनों ही अलग रोग हैं।
- Pristyn Care में भगंदर का इलाज लेजर ट्रीटमेंट के जरिए होता है।
- योनि मार्ग पर होने वाले भगंदर को Anal Fistula कहा जाता है।
Anal Fistula meaning in hindi – भगंदर
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भगंदर के कारण — Anal Fistula Causes in Hindi
भगंदर के ज्यादातर मामले गुदा या गुदा के रास्ते में पस से भरे हुए फोड़े की वजह से होते हैं। जब यह पस गुदा से निकलता है तो एक सुरंग बना देता है। यह सुरंग आपके आंत और एनस को जोड़ने का काम करती है। इसके अलावा भी कई भौतिक या शारीरिक कारण हैं जो भगंदर का कारण बन सकते हैं। जैसे:–
- क्रोहन रोग (chronic disease) होने पर।
- टीबी या एड्स से पीड़ित होने पर।
- आंत की परत में सूजन होने पर।
- गुदा के आस-पास सर्जरी होने।
- गुदा के आस-पास चोट लग जाने पर।
- धूम्रपान करने और शराब पीने के कारण।
- गुदा क्षेत्र या उसके आस-पास रेडिएशन ट्रीटमेंट कराना भी भगंदर के कारणों में से एक है।
भगंदर के लक्षण — Anal Fistula symptoms in Hindi
भगंदर की पहचान कुछ शारीरिक लक्षणों की मदद से की जा सकती हैं। डॉक्टर कुछ ऐसे खास लक्षणों का जिक्र करते हैं जिनकी मदद से भगंदर की पहचान आसानी से की जा सकती है। आइये उन लक्षणों के बारे में जानते हैं-
- अगर गुदा मार्ग में बार-बार फोड़ा होता है तो यह भगंदर की वजह हो सकता है।
- गुदा क्षेत्र में दर्द और सूजन की स्थिति होना।
- गुदा मार्ग से पस या खून निकलने पर भी भगंदर होने की आशंका होती है।
- एनस के आस-पास एक गहरा या हल्का छेंद और उससे बदबूदार पस का स्राव होना।
- एनस (गुदा) क्षेत्र में भारी जलन होना भगंदर, बवासीर या फिशर होने का एक कारण हो सकता है। यह जलन पस के बार-बार बाहर निकलने की वजह से होती है।
- पेट में कब्ज बनना और मलत्याग करते वक्त गुदा क्षेत्र में जलन होना।
भगंदर के प्रकार – Types of Anal Fistula in Hindi
भगंदर दो प्रकार के होते हैं-
- सामान्य या जटिल फिस्टुला (Simple or Complex) – यदि भगंदर की संख्या एक है तो उसे सामान्य (Simple Fistula) कहा जाता है और एक से अधिक भगंदर होने पर उसे जटिल भगंदर कहते हैं।
- लो या हाई फिस्टुला (Low or High Fistula) – भगंदर होने की जगह के आधार पर इसे लो या हाई का भी नाम दिया गया है। अगर भगंदर स्फिंकटर मसल्स (दो ऐसी मांसपेशीयां जो एनस के रास्ते को खोलने या बंद करने का काम करती है) के एक तिहाई हिस्से पर है तो उसे लो फिस्टुला कहा जाता है। लेकिन अगर भगंदर स्फिंकटर मसल्स को पूरी तरह से कवर कर चुका है तो उसे हाई फिस्टुला कहा जाता है।
पढ़ें – भगंदर और फिशर में अंतर
भगंदर का निदान – Diagnosis
मैग्नीफाइंग लेंस लेकर गुदा क्षेत्र की जाँच की जाती है। इसके अलावा भगंदर का निदान करने के लिए निम्न जाँच किए जा सकते हैं-
- एनोस्कोपी में एनोस्कोप की मदद से गुदा क्षेत्र की जाँच की जाती है।
- गुदा में सुरंग की साफ तस्वीर देखने के लिए अल्ट्रासाउंड या एमआरआई किया जा सकता है।
- कई बार आपके सर्जन भगंदर का निदान करने के लिए आपको ऑपरेटिंग रूम में ले जाएंगे।
यदि भगंदर पाया गया तो आपके सर्जन यह पता लगाने के लिए कि यह क्रोनिक है या नहीं, कई तरह के टेस्ट कर सकते हैं, जिसमें ब्लड टेस्ट, एक्स-रे और कोलोनोस्कोपी शामिल है। कोलोनोस्कोपी की प्रक्रिया एनेस्थीसिया के अंतर्गत की जाती है।
भगंदर के जोखिम कारक – Risk Factors
यदि कोई व्यक्ति निम्न स्वास्थ्य परिस्थितियों से पीड़ित है तो उसे भगंदर होने की संभावनाएं बहुत अधिक होती हैं-
- गुदा कैंसर
- अल्सरेटिव कोलाइटिस
- ट्यूबरकुलोसिस
- शुगर
- धूम्रपान करना और शराब पीना
- एचआईवी
- मोटापा
- गुदा मार्ग में कोई चोट
भगंदर का इलाज — Treatment of Fistula in Hindi – Bhagandar Ka Ilaj
भगंदर का इलाज मुख्य रुप से 4 प्रकार से हो सकता है। इन 4 तरीकों में शामिल है –
- नॉन-सर्जिकल उपचार (non-surgical treatment)
- सर्जिकल उपचार (surgical treatment)
नॉन-सर्जिकल उपचार
भगंदर के शुरुआती स्टेज को ठीक करने के लिए कुछ घरेलू उपाय और जीवनशैली में बदलाव शामिल है। इसके आलावा शुरुआत में इसे होम्योपैथिक दवाइयों, आयुर्वेदिक दवा से भी ठीक किया जा सकता है।
- खान-पान में सुधार करें, कब्ज बनाने वाले खाद्य पदार्थों से बचें।
- व्यायाम करें
- सुबह जल्दी उठें
- गुनगुना पानी पिएं
- प्राणायाम करें
- शराब न पिएं और धूम्रपान कम करें।
पढ़ें- भगंदर के लिए पतंजलि दवाइयां
सर्जिकल उपचार
भगंदर के लिए निम्न सर्जिकल प्रक्रियाएं की जा सकती हैं-
फिस्टुलोटोमी (Fistulotomy)
यह भगंदर का सबसे आम और सामान्य उपचार है, जिसमें भगंदर से प्रभावित ट्यूब को काटकर उसे हील होने के लिए खुला छोड़ दिया जाता है। इस प्रक्रिया के बाद रोगी के जख्म भरने में बहुत अधिक समय लगता है।
फिस्ट्युलेक्टमी (Fistulectomy)
फिस्ट्युलेक्टमी में भगंदर को गुदा से पूरी तरह अलग कर दिया जाता है, यह भगंदर के एडवांस स्टेज में किया जाता है। फिस्ट्युलेक्टमी के बहुत से दुष्परिणाम भी होते हैं और यह एक जटिल सर्जरी है जिसके बाद रोगी को रिकवर होने में 4 से 6 सप्ताह का समय लग जाता है।
लेजर सर्जरी (Laser surgery)
ऊपर बताई गई दोनों सर्जरी में स्फिंकटर मसल्स पर दुष्प्रभाव पड़ सकता है, लेजर सर्जरी भगंदर का एडवांस और उच्च तकनीक उपचार है, जिसमें गुदा क्षेत्र में कट की कोई जरूरत नहीं होती है। लेजर उपचार से भगंदर को मात्रा 30 मिनट में समाप्त कर दिया जाता है। लेजर उपचार में एक तय फ्रीक्वेंसी की लेजर बीम को भगंदर पर दागा जाता है और वे सिकुड़ जाते हैं। उपचार के दौरान कोई दर्द नहीं होता है और न ही कोई रक्तस्त्राव होता है। उपचार के बाद 24 घंटे के भीतर बीमार व्यक्ति को हॉस्पिटल/क्लीनिक से छुट्टी दे दी जाती है।
पढ़ें- भगंदर की सर्जरी के बाद सावधानियां
भगंदर से बचाव कैसे करें – Prevention From Anal Fistula In Hindi)
तरल पदार्थ का सेवन करें
भगंदर कब्ज की वजह से हो सकता है। कब्ज की वजह से मल में कठोरता रहती है जिससे एनस में चोट आ सकती है। तरल पदार्थ का सेवन करने से कब्ज की शिकायत दूर होती है और स्टूल मुलायम होता है। भगंदर से बचना चाहते हैं तो जरूरी मात्रा में तरल पदार्थों का सेवन करें। गर्मी में दौड़-धूप करते समय पानी जरूर पिएं।
व्यायाम करें
व्यायाम करने से पाचन तंत्र मजबूत रहता है और कब्ज की शिकायत नहीं रहती। आप कुछ खास प्रकार के व्यायाम कर सकते हैं जिनसे पेट और आंत मजबूत रहें। रोजाना आधा घंटा का समय व्यायाम करने में बिताएं। यह सेहत के लिए अच्छा रहेगा।
फाइबर का सेवन करें
कब्ज की शिकायत है और मल कठोर है तो भगंदर होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। अगर सूखा मल निकलता है तो इससे भी फिस्टुला हो सकता है। फाइबर युक्त फल और सब्जियों को खाने से इन सभी शिकायतों से निपटा जा सकता है। जब तक मुलायम मल नहीं निकलता, तब तक फाइबर का भरपूर सेवन करें। इसके अलावा पानी भी उचित मात्रा में पिएं।
स्टूल अधिक देर तक न रोके
अगर भोजन पच चुका है और स्टूल पास करने की जरूरत है तो स्टूल पास तुरंत करे। अधिक देर तक मल रोकने से वह कठोर और सूखा हो जाएगा। ऐसा होने पर स्टूल पास करते वक्त कठिनाई होगी और भगंदर होने का भी खतरा रहेगा। इसलिए जब मल त्याग का मन करें जरूर त्यागें। इसके अलावा समय से पहले मल का त्याग न करें। ऐसा करने से पाचन तंत्र की मांसपेशियों में अनचाहा दबाव नहीं होगा।
कुछ अन्य बातें जिन्हें ध्यान में रखें-
- अधिक देर तक टॉयलेट में समय न बिताएं लेकिन स्टूल पास करने के दौरान अपना पूरा समय लें।
- जोर न लगाएं। इससे खून निकलने का खतरा रहता है।
- सुगंधित और डाई टॉयलेट पेपर का इस्तेमाल न करें। मुलायम टॉयलेट पेपर इस्तेमाल में लाएं।
- दस्त की समस्या है तो उसका इलाज जल्द से जल्द कराएं।
निष्कर्ष – Conclusion
कुछ घरेलू उपाय की मदद से आप भगंदर के दौरान होने वाली परेशानियों को काफी हद तक कम कर सकती हैं। लेकिन यह भी समझना आवश्यक है की घरेलू इलाज हमेशा बीमारी को जड़ से खत्म करने में कामयाब नहीं हो पाते हैं। इसलिए घरेलू इलाज करने के साथ साथ आपको डॉक्टर से मिलकर अपने भगंदर की जांच और बेहतर इलाज के बारे में विस्तार से बात करनी चाहिए।
डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है| अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें|