fistula in Hindi

भगंदर की वजह से मलद्वार या एनस में इंफेक्शन होने का खतरा रहता है। इंफेक्शन की वजह से एनस में फोड़े-फुंसी भी हो सकते हैं। यह बहुत दर्दनाक होता है। कभी-कभी फोड़े से पस निकलने लगता है। भगंदर से परेशान लगभग 90% लोगों के एनस  में इंफेक्शन से फोड़ा होता है। पस बहने के कारण व्यक्ति बहुत संवेदनशील (Sensitive) हो जाता है।

भगंदर का इलाज करने से पहले गुदा की जांच की जाती है, फिर सर्जरी या अन्य चिकित्सा के माध्यम से इसका इलाज होता है। इस लेख में हम भगंदर का आयुर्वेदिक इलाज और दवा (Ayurvedic Medicines and treatment of fistula in Hindi) के बारे में जानेंगे।

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आयुर्वेद में भगंदर के प्रकार

भगंदर के दो प्रकार होते हैं: आंतरिक भगंदर और बाहरी भगंदर। 

आंतरिक भगंदर में ज्यादा दर्द नहीं होता है। यह ‘एनल ट्यूब’ के 3 सेंटी मीटर ऊपर मौजूद होता है। यह इसलिए दर्दनाक नहीं होता क्योंकि एनल ट्यूब के ऊपरी भाग में किसी प्रकार के दर्द देने वाली नसें (Pain nerves) नहीं होती हैं।

बाहरी भगंदर एनल ट्यूब के 3 सेंटीमीटर नीचे होते हैं। यह दर्दनाक होते हैं और इनके कारण एनल की बाहरी स्किन में मस्से पड़ जाते हैं।

जब सिर्फ एक भगंदर होता है तो इसे सामान्य भगंदर माना जाता है। एक से अधिक होने पर इसे जटिल भगंदर (Complex fistula) का नाम दिया जाता है। भगंदर कम है या ज्यादा, यह इसके जगह के अनुसार तय किया जाता है। स्फिंक्टर मांसपेशियां (sphincter muscles) अंगूठी के आकार की होती हैं जो एनस के चारों ओर जुड़ी रहती हैं। भगंदर का इन मांसपेशियों के नजदीक या दूर होने पर तय किया जाता है कि, ये कम हैं या ज्यादा।

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आयुर्वेद में भगंदर के कारण

आयुर्वेद में भगंदर होने के निम्न मुख्य कारण बताए गए हैं-

  • वात में असंतुलन होने पर
  • कफ असंतुलित हो जाने पर
  • पित्त दोष होने पर
  • त्रिदोष होने पर
  • खान-पान असंतुलित होने पर

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अन्य कारण जिनसे एनल फिस्टुला हो सकता है-

  • कब्ज
  • गुदा के आस-पास सर्जरी की गई हो तो।
  • गुदा की त्वचा में फोड़े या मस्से होने पर।
  • क्रोहन रोग (Chron’s disease)- इस रोग में पाचन तंत्र (Digestive system) प्रभावित होता है। आंत और पेट में सूजन इस रोग के मुख्य लक्षण हैं।
  • ट्यूबरकुलोसिस (Tuberculosis) या एचआईवी (HIV) से संक्रमित होने पर।
  • Diverticulitis- बड़ी आंत में सूजन की समस्या।
  • डायबिटीज।
  • शराब पीना या सिगरेट पीना।
  • एनस में चोट लग जाने पर।
  • एनस के आस-पास के क्षेत्र में कभी रेडिएशन थेरेपी (Radiation therapy) करवाई हो।

एनल फिस्टुला (भगंदर) के लक्षण

निम्नलिखित लक्षण नजर आते हैं तो भगंदर हो सकता है।

  • पेट में सूजन।
  • बार-बार कब्ज होना।
  • ठंड वाली बुखार आना। दिन भर थकान महसूस होती है।
  • एनस के आस-पास जलन होना। यह पस निकलने के कारण होता है।
  • स्टूल पास करते समय दर्द या ब्लीडिंग।
  • एनस में बार-बार फोड़े निकलना।
  • एनस से बदबू आती है। खून के साथ पस निकलता है। हो सकता है कि पस निकलने के बाद दर्द कम हो जाए। 

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भगंदर का आयुर्वेदिक इलाज – Ayurvedic treatment of Fistula in Hindi

उष्णोदक अवगाह

यह एक प्रकार का इलाज है जिसमें रोगी को गर्म पानी में बैठाते हैं। लंबे समय तक गर्म पानी में बैठने के बाद एनस के हिस्से और आस-पास के संक्रमित अंगों की साफ-सफाई की जाती है। पानी में कई प्रकार की जड़ी-बूटियां मिलाई जाती हैं जो इलाज में मदद करती हैं। इस इलाज से एनस की मांसपेशियों में तनाव (stress) खत्म होता है और रोगी अच्छा महसूस करता है।

शस्त्र कर्म

भगंदर के इलाज के लिए यह एक आयुर्वेदिक सर्जरी है। आयुर्वेद में कई तरह की शल्य प्रक्रियाएं (Surgeries) होती हैं। छेदन मतलब काटना, ईशन मतलब जांच करना, लेखन मतलब खुरचना और भेदन मतलब चीरा लगाना। भगंदर को ठीक करने के लिए छेदन किया जाता है।  

फोड़े-फुंसी के साथ पस निकलता है तो शल्य क्रियाएं करने से पहले स्वेदन और स्नेहन कर्म किए जाते हैं। इसके बाद सर्जरी की जाती है और संक्रमित क्षेत्र को काटकर निकाल दिया जाता है।

क्षार सूत्र

क्षार सूत्र में एक औषधीय धागा की मदद से भगंदर का उपचार किया जाता है। इसे हल्दी, सेहुंड आदि कई जड़ी बूटियों की मदद से निर्मित किया जाता है। यह एक तरह से भगंदर की आयुर्वेदिक सर्जरी है, जिसमें कोई दर्द नहीं होता है और रोगी को अस्पताल में नहीं रुकना पड़ता है ।

भगंदर की आयुर्वेदिक दवा और जड़ी-बूटी – Ayurvedic Medicines and Herbs for Anal Fistula in Hindi 

हरीतकी

हरीतकी मांसपेशियों के दर्द को कम करती है और उन्हें आराम पहुंचाती है। इसके अलावा यह पाचन तंत्र (Digestive system) सुधारती है और शरीर को एनर्जी देती है। भगंदर के अलावा हरीतकी का प्रयोग बवासीर, अल्सर जैसे बड़े रोगों में भी किया जाता है। 

त्रिफला

भगंदर में इंफेक्शन के बढ़ने का खतरा रहता है। त्रिफला चूर्ण या टेबलेट एंटीऑक्सीडेंट (Antioxidants) से भरपूर होते हैं। यह संक्रमण का खतरा कम करते हैं। त्रिफला का सेवन भूख को बढ़ाता है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (immunity) मजबूत करता है।

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काला तिल

काले तिल का सेवन कब्ज की शिकायत दूर करता है। यह पेशाब से संबंधित समस्याओं को भी खत्म करता है, स्किन को मुलायम बनाता है और घाव सुखाने के कार्य करता है। दूध के साथ काले तिल का सेवन कर सकते हैं। अन्य प्रकार से इसका उपयोग करने के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सक से निर्देश लें। 

त्रिफला गुग्गुल

पिप्पली, काली मिर्च, सूखी अदरक और गुग्गुल से बनाई गई यह आयुर्वेदिक दवा एनल फिस्टुला की सर्जरी के बाद उपयोग में लाई जाती है। असहनीय दर्द को भी यह दूर कर देती है। भगंदर के अलावा ऑस्टियोपोरिसिस और पेशाब से जुड़ी समस्याओं में भी यह फायदेमंद है।

आरोग्यवर्धनी वटी

यह ठीक अपने नाम की तरह रोगी के रोग को दूर कर देती है। यह शरीर में त्रिदोष के लक्षणों का नाश करती है। वात, पित्त और कफ त्रिदोष कहलाते हैं। इसके सेवन से पेट की गैस बाहर निकलती है जिससे पाचन में सुधार होता है। आंत से संबंधित परेशानियों में भी यह फायदेमंद हैं।

पतंजलि दवा

एनल फिस्टुला का उपचार करने के लिए पतंजलि की कई दवाइयाँ हैं, आप इसे यहाँ पढ़ सकते हैं।

खानपान और जीवनशैली में करें बदलाव

आयुर्वेद की उपचार तकनीक कुछ अलग है। इसमें पहले कारणों का नाश किया जाता है। आयुर्वेद के अनुसार भगंदर की उत्पत्ति त्रिदोष के कारण होती है और त्रिदोष होने की वजह खानपान और जीवनशैली में बर्बरता है। यदि आपको इसका उपचार करना है तो निम्न चीजों में बदलाव करना पड़ेगा।

  • ज्यादा गर्म और ठंडे खाद्य पदार्थों के सेवन से परहेज करें।
  • तेल, मिर्च-मसाले का सेवन न करें।
  • योग करें।
  • सुबह जल्दी से उठे।
  • खट्टा खाने से बचें।
  • गुदा सेक्स न करें।
  • सही समय पर भोजन करें।
  • फाइबर युक्त आहार का सेवन करें।

अंतिम शब्द

अयिर्वेदिक विधि सिर्फ शुरूआती अवस्था को ठीक करने के लिए है, यदि आपका भगंदर अपने तीव्र अवस्था में है तो उसके लिए इन दवाओं के भरोसे बैठना अकलमंदी नहीं है, इसलिए यदि आप एक अच्छा उपचार चाहते हैं तो डॉक्टर से इसकी जाँच कराएं, डॉक्टर आपकी अवस्था के अनुसार, दवाइयां, आयुर्वेदिक, घरेलू या सर्जिकल उपचार की सलाह देंगे। (इसे भी पढ़ें: फिशर का इलाज)

आप चाहे तो Pristyn Care के डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं, इसके लिए आप हमें फोन कर सकते हैं या अपॉइंटमेंट बुक कर सकते हैं। फोन करना या अपॉइंटमेंट बुक करना मुफ्त है। 

निष्कर्ष

भगंदर में गुदा में असहनीय पीड़ा होती है, लेकिन यदि यह गंभीर रूप नहीं धारण किया है तो उपरोक्त आयुर्वेदिक दवाएं बहुत फायदेमंद होंगी। हालांकि, इसका आयुर्वेदिक सर्जरी भी है, लेकिन यदि आपको इसके कारण बहुत तकलीफ होती है और आप इससे हमेशा के लिए छुटकारा पाना चाहते हैं तो आपको लेजर उपचार का चयन करना चाहिए।
डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है| अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें|