are-hyperopia-and-presbyopia-related-in-hindi

खराब जीवनशैली, लंबे समय तक टीवी, मोबाइल या लैपटॉप स्क्रीन के सामने समय बिताने और पढ़ते या टीवी देखते समय उचित दूरी का ध्यान न रखने के कारण आँखों में कई तरह की समस्याएं पैदा होती हैं। हाइपरोपिया और प्रेसबायोपिया भी उन्ही में से एक हैं। ये दोनों भी मायोपिया या एस्टिग्मेटिज्म जैसी दृष्टि को प्रभावित करने वाली बीमारियां हैं।

हाइपरोपिया और प्रेसबायोपिया एक दूसरे से कैसे संबंधित हैं?

हाइपरोपिया और प्रेसबायोपिया दोनों दृष्टि की स्थितियां हैं, जिसमें रेटिना पर सही से प्रकाश केंद्रित नहीं होने के कारण अपवर्तन में त्रुटियां पैदा होती है। हाइपरोपिया और प्रेसबायोपिया दृष्टि को प्रभावित करने वाली बहुत ही सामान्य बीमारियां हैं, जिससे पीड़ित मरीज नजदीक की चीजों को साफ-साफ देखने में असमर्थ होता है। 

आमतौर पर मरीज को इन दोनों स्थितियों के कारण दैनिक जीवन के कामों जैसे कि गाड़ी चलाने या पढ़ने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। हाइपरोपिया और प्रेसबायोपिया बेशक प्रवृति में एक जैसे हैं, लेकिन इनके कारण अलग-अलग होते हैं। इन कारणों के आधार पर ही नेत्र रोग विशेषज्ञ इन दोनों बीमारियों के बेस्ट इलाज का चुनाव करते हैं।

हाइपरोपिया और प्रेसबायोपिया के इलाज के लिए विभिन्न सर्जिकल विकल्प उपलब्ध हैं, जिसमें चश्मा या कॉन्टैक्ट लेंस पहनना शामिल है। हाइपरोपिया और प्रेसबायोपिया को लेंस के साथ चश्मा लगाकर सही किया जा सकता है। इससे रौशनी रेटिना पर केंद्रित होती है। चश्मे के बजाय कांटेक्ट लेंस का भी उपयोग किया जा सकता है। दोनों मामलों में आंख में जाने वाला प्रकाश रेटिना के बजाय रेटिना से परे एक बिंदु पर केंद्रित होता है।

हाइपरोपिया और प्रेसबायोपिया के बीच क्या अंतर है?

  1. हाइपरोपिया आई बॉल, लेंस या कॉर्निया के असामान्य आकार के कारण होता है, जबकि ये कारण प्रेसबायोपिया के नहीं होते हैं ।
  2. हाइपरोपिया एक ऐसी स्थिति है जो जन्म से या बचपन में हो सकती है, जबकि प्रेसबायोपिया एक ऐसी स्थिति है जो बुढ़ापे में होती है।
  3. प्रेसबायोपिया आमतौर पर 40 साल की उम्र में या उसके बाद शुरू होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आंख का लेंस आसानी से समायोजित नहीं हो पाता है। आपकी उम्र के अनुसार लेंस कठोर और मांसपेशियां भी कमजोर हो जाती हैं।
  4. हाइपरोपिया के लक्षणों में धुंधली दृष्टि, सिरदर्द, आलसी और तनी हुई आँखें और देखते समय आँखों को हल्का बंद करना आदि शामिल हैं। प्रेसबायोपिया के लक्षणों में छोटे प्रिंट को पढ़ने में कठिनाई, सिरदर्द और आंखों में दबाव होना आदि शामिल हैं।
  5. हाइपरोपिया का निदान इसके लक्षणों के आधार पर किया जाता है, जबकि प्रेसबायोपिया का निदान आँख की रूटीन चेकअप के दौरान किया जाता है, जिसके दौरान डॉक्टर पास और दूर दृष्टि की जांच करते हैं।
  6. हाइपरोपिया का इलाज चश्मा, कॉन्टेक्ट लेंस या सर्जरी के द्वारा किया जा सकता है। जबकि प्रेसबायोपिया का कोई इलाज नहीं है। हालांकि, इस स्थिति के उपचार के लिए डॉक्टर चश्मा या कॉन्टेक्ट लेंस पहनने का सुझाव देते हैं।

हाइपरोपिया या प्रेसबायोपिया होने पर क्या करना चाहिए?

अगर आपको हाइपरोपिया या प्रेसबायोपिया है तो एक नेत्र रोग विशेषज्ञ से परामर्श करना चाहिए। हाइपरोपिया का इलाज कई तरह से किया जाता है। इसमें चश्मा, कॉन्टेक्ट लेंस और सर्जरी शामिल हैं। लेकिन प्रेसबायोपिया का परमानेंट इलाज संभव नहीं है। इसके इलाज के तौर पर नेत्र रोग विशेषज्ञ चश्मा या कॉन्टेक्ट लेंस पहनने का सुझाव देते हैं।

इसे पढें: मोतियाबिंद होने पर क्या करना चाहिए?

अगर आप अपने शहर के बेस्ट क्लिनिक में हाइपरोपिया का परमानेंट इलाज पाना चाहते हैं तो प्रिस्टीन केयर से संपर्क करें। प्रिस्टीन केयर क्लिनिक में हाइपरोपिया का इलाज एडवांस लेसिक सर्जरी से किया जाता है। इस सर्जरी को एक अनुभवी और विश्वसनीय नेत्र रोग विशेषज्ञ के द्वारा पूरा किया जाता है।

दूसरे क्लिनिक की तुलना में, हमारे क्लिनिक में हाइपरोपिया का बेस्ट इलाज कम से कम खर्च में किया जाता है। इतना ही नहीं, हम अपने मरीजों को ढेरों फ्री सुविधाएं भी प्रदान करते हैं, जिसमें सर्जरी वाले दिन फ्री पिकअप और ड्रॉप, सभी डायग्नोस्टिक टेस्ट पर 30% छूट और सर्जरी के बाद डॉक्टर के साथ फ्री फॉलो-अप्स आदि शामिल हैं।

और पढें

डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है| अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें|