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मायोपिया का बेस्ट इलाज — Best Treatment Of Myopia In Hindi

मायोपिया दृष्टि को प्रभावित करने वाली एक सामान्य समस्या है। मायोपिया को निकटदर्शीता या निकट दृष्टि दोष के नाम से भी जाना जाता है। यह समस्या बच्चों या 40 से अधिक उम्र के लोगों को सबसे अधिक प्रभावित करती है। मायोपिया से पीड़ित होने पर मरीज को नज़दीक की चीजें साफ, लेकिन दूर की चीजें धुंधली दिखाई पड़ती हैं।

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मायोपिया दृष्टि को प्रभावित करने वाली एक सामान्य समस्या है। मायोपिया को निकटदर्शीता या निकट दृष्टि दोष के नाम से भी जाना जाता है। यह समस्या बच्चों या 40 से अधिक उम्र के लोगों को सबसे अधिक प्रभावित करती है। मायोपिया से पीड़ित होने पर मरीज को नज़दीक की चीजें साफ, लेकिन दूर की चीजें धुंधली दिखाई पड़ती हैं।

मायोपिया के कुछ खास कारण होते हैं जिनके बारे में अगर आपको पहले ही मालूम हो जाए तो कुछ सावधानियों को बरतने के बाद आप खुद को इस बीमारी से बचा सकते हैं। मायोपिया के कारणों में अनुवांशिकी, टीवी, कंप्यूटर या मोबाइल स्क्रीन के सामने लंबे समय तक वक्त बिताना, किताबों को पढ़ते या टीवी देखते समय आवश्यक दूरी का ख्याल न रखना और प्राकृतिक रौशनी में कम समय बिताना आदि शामिल है। अगर आप खुद को या अपने बच्चों को इस बीमारी से दूर रखना चाहते हैं तो आपको ऊपर बताए गए कारणों को ध्यान में रखना चाहिए।

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मायोपिया के कुछ खास लक्षण हैं जो इससे पीड़ित मरीज खुद में अनुभव कर सकते हैं। मायोपिया के लक्षणों में बार-बार आंखें झपकना, दूर की चीजों को देखने पर आंखों में दबाव पड़ना और दर्द तथा थकान महसूस होना, ड्राइविंग करते समय और खासकर रात में काफी परेशानी होना, सिर में दर्द होना, पलकों को सिकुड़कर देखना, आंखो में पानी आना, लगातार आंखों को मलना, पढाई पर फॉक्स नहीं कर पाना और बच्चों को खासकर ब्लैक बोर्ड या व्हाइट बोर्ड पर पर ठीक तरह से दिखाई नहीं देना आदि शामिल हैं।

मायोपिया का बेस्ट इलाज

आमतौर पर मायोपिया का इलाज करने के लिए नेत्र रोग विशेषज्ञ चश्मा या कॉन्टेक्ट लेंस का सुझाव देते हैं। चश्मा या कॉन्टेक्ट लेंस का इस्तेमाल करने पर वस्तु का प्रतिबिंब रेटिना के आगे की तरफ न बनकर रेटिना पर बनता है। जिसके कारण मरीज को दूर की चीजें साफ-साफ दिखाई नहीं देती हैं। चश्मा या कॉन्टेक्ट लेंस मायोपिया का बेस्ट या परमानेंट इलाज नहीं है। दृष्टि दोष को दूर रखने के लिए हमेशा चश्मा या कॉन्टेक्ट लेंस को लगाकर रखना पड़ता है। लेकिन काफी लोग चश्मा या कॉन्टेक्ट लेंस का इस्तेमाल नहीं करना चाहते हैं। ऐसे में लेसिक सर्जरी उनके लिए एक बेहतर विकल्प के रूप में सामने आता है।

लेसिक सर्जरी को लेजर इन सीटू किरेटोमिल्युसिस (Laser-assisted in Situ Keratomileusis – LASIK) को लेसिक सर्जरी के नाम से जाना जाता है। लेसिक एक सर्जिकल प्रक्रिया है जिससे मायोपिया, हाइपरमेट्रोपिया और एस्टिग्मेटिज्म का इलाज किया जाता है। यह सर्जरी आंखों से चश्मा या कॉटेक्ट लेंस हटाने का सबसे बेस्ट तरीका है। लेसिक सर्जरी को एक अनुभवी और विश्वसनीय नेत्र रोग विशेषज्ञ की देखरेख में पूरा किया जाता है। लेसिक सर्जरी को शुरू करने से पहले सर्जन मरीज की आंख में एनेस्थेटिक ड्रॉप डालते हैं जिसके कारण सर्जरी के दौरान मरीज को जरा भी दर्द या दूसरी किसी प्रकार की परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता है।

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मरीज को एनेस्थीसिया देने के बाद, सर्जन कॉर्निया को रीशेप करते हैं यानी कॉर्निया को एक सही आकार देते हैं जिसके बाद किसी भी वस्तु का प्रतिबिंब पूर्ण रूप से रेटिना पर पड़ता है। नतीजतन, मरीज को दूर की चीजें साफ-साफ दिखाई देने लगती हैं। लेसिक सर्जरी की पूरी प्रक्रिया को कंप्लीट होने में लगभग 10-20 मिनट का समय लगता है। इस पूरी सर्जरी को लेजर की मदद से किया जाता है जिसके कारण मरीज को कट या टांके नहीं आते हैं और ब्लीडिंग तथा दर्द भी नहीं होता है। लेसिक सर्जरी के दौरान साइड इफेक्ट्स या जटिलताओं की संभावना लगभग न के बराबर होती है।

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मायोपिया की लेसिक सर्जरी एक दिन की प्रक्रिया है, इसलिए सर्जरी ख़त्म होने के बाद मरीज को हॉस्पिटलाइजेशन की आवश्यकता भी नहीं पड़ती है। सर्जरी खत्म होने के कुछ ही घंटों के बाद मरीज को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया जाता है। लेसिक सर्जरी के तुरंत बाद से ही मरीज को दूर की चीजें साफ दिखाई देने लगती हैं। इतना ही नहीं, मायोपिया की लेसिक सर्जरी के मात्र दो दिन बाद से मरीज अपने दैनिक जीवन के कामों को फिर से शुरू भी कर सकते हैं, लेकिन कुछ बातों का खास ध्यान रखने की आवश्यकता होती है। लेसिक सर्जरी मायोपिया का सबसे बेस्ट इलाज माना जाता है। अगर आपको मायोपिया की शिकायत है तो एक अनुभवी नेत्र रोग विशेषज्ञ से परामर्श करने के बाद लेसिक सर्जरी का चुनाव करना चाहिए।

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प्रिस्टीन केयर में मायोपिया का लेजर इलाज किया जाता है

प्रिस्टीन केयर क्लिनिक में मायोपिया, हाइपरमेट्रोपिया या एस्टिग्मेटिज्म का इलाज लेजर सर्जरी से किया जाता है। हमारे क्लिनिक में इस सर्जरी को बहुत ही अनुभवी और कुशल नेत्र रोग विशेषज्ञ की देखरेख में पूरा किया जाता है। हमारे नेत्र सर्जन को मायोपिया की गहरी समझ और लेसिक सर्जरी में महारत हासिल है। ये सर्जन अब तक मायोपिया की हजारों सफल लेसिक सर्जरी कर चुके हैं। दूसरे क्लिनिक या हॉस्पिटल की तुलना में हमारे प्रिस्टीन केयर क्लिनिक में मायोपिया की लेसिक सर्जरी को बहुत ही कम खर्च में किया जाता है। इतना ही नहीं, कम से कम खर्च में मायोपिया का बेस्ट इलाज करने के साथ-साथ हम अपने मरीज़ों को और भी ढेरों सुविधाएं प्रदान करते हैं जिसमें मायोपिया की लेसिक सर्जरी वाले दिन फ्री पिकअप और ड्रॉप, सभी डायग्नोस्टिक टेस्ट पर 30% छूट और सर्जरी के बाद फ्री फॉलो-अप्स आदि शामिल हैं। हमारे क्लिनिक में मायोपिया का लेजर इलाज कराने के निम्नलिखित फायदे हैं।

  • दर्द नहीं होता है
  • टांके नहीं आते हैं
  • रिकवरी जल्दी होती है
  • 10-20 मिनट की प्रक्रिया है
  • 48 घंटे के अंदर मरीज फिट
  • सभी बीमा कवर किए जाते हैं
  • बहुत ही प्रभावशाली इलाज है
  • उसी दिन इलाज और डिस्चार्ज
  • मॉडर्न और एडवांस ट्रीटमेंट है
  • संक्षिप्त और सुरक्षित प्रक्रिया है
  • कोई एडवांस पेमेंट नहीं होता है
  • तुरंत इंश्योरेंस कवर किए जाते हैं
  • अनुभवी और कुशल नेत्र सर्जन हैं
  • डीलक्स रूम की सुविधा उपलब्ध है
  • 100% इंश्योरेंस क्लेम कर सकते हैं
  • कुछ ही घंटों में बेहतर रिजल्ट आता है
  • गोपनीय परामर्श की सुविधा उपलब्ध है
  • सभी डायग्नोस्टिक टेस्ट पर 30% छूट है
  • जटिलताओं की संभावना लगभग शून्य है
  • हॉस्पिटलाइजेशन की आवश्यकता नहीं है
  • बीमा अधिकारियों के पीछे भागने की जरूरत नहीं
  • इसके बाद चश्मे या कॉन्टेक्ट लेंस की जरूरत नहीं
  • दृष्टि में परिवर्तन होने पर सर्जरी दोबारा किया जा सकता है
  • प्रिस्टीन टीम अस्पताल से जुड़े सभी पेपरवर्क पूरा करती है

अगर आप मायोपिया से पीड़ित हैं और कम से कम खर्च में इसका बेस्ट इलाज कराना चाहते हैं तो आपको प्रिस्टीन केयर से संपर्क करना चाहिए। हमारे विश्वसनीय सर्जन अपने सालों के अनुभव और मॉडर्न मेडिकल टेक्नोलॉजी की मदद से आपकी बीमारी को मात्र कुछ ही घंटों में हमेशा के लिए दूर कर सकते हैं।

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डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है| अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें|

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