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मोतियाबिंद दृष्टि को प्रभावित करने वाली एक सामान्य बीमारी है जिससे पीड़ित होने पर मरीज को वस्तुएं साफ-साफ देखने में परेशानी होती है। नेशनल ब्लाइंडनेस एंड विजुअल इम्पेयरमेंट सर्वे इंडिया 2015-19 के अनुसार, मोतियाबिंद 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में अंधेपन का प्रमुख कारण है। 40-60 वर्ष के आयु वर्ग में लगभग 93% अंधेपन और 96.2% विजुअल इम्पेयरमेंट के मामलों को समय पर सही उपचार के साथ रोका जा सकता है।

सर्जरी के बिना मोतियाबिंद का इलाज

मोतियाबिंद का प्राकृतिक इलाज संभव नहीं है। जीवनशैली में बदलाव लाकर इसे ठीक नहीं किया जा सकता है। विशेषज्ञ डॉक्टर के अनुसार, बाजार में अभी तक ऐसी कोई दवा या आई ड्रॉप उपलब्ध नहीं है जिससे मोतियाबिंद को ठीक किया जा सके।

हालाँकि, कुछ खास प्रकार की दवाएं और आई ड्रॉप मौजूद हैं जिनकी मदद से मोतियाबिंद के लक्षणों में हल्का-फुल्का सुधार किया जा सकता है। इलाज के नॉन सर्जिकल माध्यम से मोतियाबिंद के लक्षणों को कम और सर्जरी की तारीख को आगे बढ़ाया जा सकता है। लेकिन अंतत इस बीमारी का इलाज केवल सर्जरी से ही संभव है।

सर्जरी से मोतियाबिंद का इलाज

अनुपचारित मोतियाबिंद और अपवर्तक त्रुटियां अंधेपन का प्रमुख कारण हैं। मध्यम या गंभीर दृष्टि समस्याओं वाले 1 अरब लोगों में लगभग 94 मिलियन मोतियाबिंद से पीड़ित हैं। मोतियाबिंद के कारण अंधे होने वाले लोगों की संख्या वैश्विक स्तर पर प्रति वर्ष 1 मिलियन बढ़ रही है। दुनिया भर में हर साल लगभग 10 मिलियन मोतियाबिंद की सर्जरी की जाती है। 10 में से 9 रोगी मोतियाबिंद सर्जरी करवाकर 20/40 या उससे बेहतर दृष्टि प्राप्त कर सकते हैं।

मोतियाबिंद की सर्जरी को कई तरह से किया जाता है जिसमें माइक्रो इंसीजन या रेगुलर फैको कैटरैक्ट सर्जरी, रोबोटिक फेम्टोसेकेंड कैटरैक्ट सर्जरी और एक्स्ट्राकैप्सूलर कैटरैक्ट एक्सट्रैक्शन शामिल हैं। इन तीनों ही सर्जिकल प्रक्रियाओं के दौरान नेत्र सर्जन आँख से खराब लेंस को बाहर निकालकर उसकी जगह एक नया कृत्रिम लेंस लगा देते हैं। लेकिन इन प्रक्रियों के दौरान सर्जन अलग-अलग मेडिकल उपकरणों का इस्तेमाल करते हैं।

मोतियाबिंद का बेस्ट सर्जिकल इलाज क्या है?

जैसा कि हमने आपको ऊपर ही बताया कि मोतियाबिंद की सर्जरी को कई प्रकार से किया जाता है। अब अगर सवाल यह उठता है कि मोतियाबिंद का बेस्ट इलाज क्या है तो बेस्ट को परिभाषित करने के अनेकों कारक होते हैं जैसे कि:-

  1. सर्जरी को कैसे पूरा किया जाता है?
  2. सर्जरी के दौरान मरीज को क्या परेशानियाँ होती या नहीं होती हैं?
  3. सर्जरी को पूरा होने में कितना समय लगता है?
  4. सर्जरी के बाद मरीज को हॉस्पिटल में कितने समय तक रुकने की आवश्यकता होती है?
  5. सर्जरी के कितने दिनों के बाद से मरीज अपने दैनिक जीवन के कामों को शुरू कर सकते हैं?
  6. सर्जरी के बाद मरीज को पूरी तरह से ठीक होने में कितना समय लगता है?
  7. सर्जरी के दौरान या बाद में जटिलताओं का कितना खतरा होता है?
  8. सर्जरी का ओवरऑल कितना खर्च आता है?

ऊपर दिए गए बिंदुओं के आधार पर इस बात का फैसला किया जा सकता है कि मोतियाबिंद का बेस्ट सर्जिकल इलाज क्या है। ऊपर बताई गई बातों के आधार पर रोबोटिक यानी फेम्टोसेकेंड कैटरैक्ट सर्जरी को मोतियाबिंद का बेस्ट इलाज माना जाता है।

मोतियाबिंद की रोबोटिक सर्जरी के निम्नलिखत फायदे हैं:-

01. कट और टाँके नहीं आते हैं

मोतियाबिंद की रोबोटिक सर्जरी के दौरान कट और टाँके नहीं आते हैं। इस सर्जरी के दौरान नेत्र सर्जन अल्ट्रासाउंड वेव्स की मदद से खराब लेंस को तोड़कर बाहर निकाल देते हैं और उसके बाद एक नए कृत्रिम लेंस को इम्प्लांट कर देते हैं।

02. दर्द और ब्लीडिंग नहीं होती है

मोतियाबिंद की रोबोटिक सर्जरी को शुरू करने से पहले सर्जन मरीज को एनेस्थीसिया देते हैं जिससे सर्जरी के दौरान होने वाले दर्द का खतरा ख़त्म हो जाता है। साथ ही, इस सर्जरी के दौरान ब्लीडिंग भी नहीं होती है। अगर आप दर्द या ब्लीडिंग का सामना किए बिना मोतियाबिंद का इलाज पाना चाहते हैं तो रोबोटिक सर्जरी आपके लिए सबसे बेहतर विकल्प है।

03. एक दिन की प्रक्रिया है

मोतियाबिंद की रोबोटिक सर्जरी को मोतियाबिंद की लेजर सर्जरी के नाम से भी जाना जाता है। यह एक दिन की प्रक्रिया है जिसे पूरा होने में लगभग 10-20 मिनट का समय लगता है। सर्जरी खत्म होने के बाद मरीज को हॉस्पिटल में रुकने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।

 

आमतौर पर सर्जरी खत्म होने के कुछ ही घंटों के बाद सर्जन आवश्यक दवाएं और आई ड्रॉप निर्धारित करके मरीज को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर देते हैं।

04. जटिलताओं का खतरा शून्य होता है

मोतियाबिंद की रोबोटिक सर्जरी के दौरान सर्जन की मानवीय भूमिका बहुत कम हो जाती है। यह सर्जरी लगभग पूर्ण रूप से कंप्यूटर की देखरेख में पूरी होती है। इसलिए सर्जरी के दौरान या बाद में जटिलताओं का खतरा खत्म हो जाता है। इस सर्जरी की सफलता दर लगभग 100% प्रतिशत है। इसलिए आपको ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है।

05. रिकवरी जल्दी होती है

मोतियाबिंद की रोबोटिक सर्जरी के दौरान कट और टाँके नहीं आने, ब्लीडिंग नहीं होने और जख्म नहीं बनने के कारण मरीज की रिकवरी बहुत जल्दी होती है। इस सर्जरी के मात्र एक सप्ताह बाद से मरीज अपने दैनिक जीवन के कामों को दोबारा शुरू कर सकते हैं। हालाँकि, मोतियाबिंद की रोबोटिक सर्जरी के बाद मरीज को पूरी तरह से ठीक होने में लगभग 3-4 सप्ताह का समय लगता है।

06. बेस्ट और परमानेंट रिजल्ट आता है

मोतियाबिंद की रोबोटिक सर्जरी के कुछ ही घंटों के बाद मरीज को तेज और साफ दृष्टि आ जाती है। लेकिन कुछ लोगों को साफ दृष्टि आने में 1-2 दिन का समय लग सकता है। इस सर्जरी का रिजल्ट बेस्ट और परमानेंट होता है। मोतियाबिंद की सर्जरी के बाद मरीज को किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं होती है।

 

अगर आप हमेशा के लिए मोतियाबिंद से छुटकारा पाना चाहते हैं तो रोबोटिक सर्जरी आपके लिए एक बेहतर विकल्प है।

प्रिस्टीन केयर से मोतियाबिंद की रोबोटिक सर्जरी कराएं

भारत में हर साल लगभग 65 लाख मोतियाबिंद की सर्जरी की जाती है। मोतियाबिंद की सर्जरी का सबसे पहला विवरण एक भारतीय चिकित्सक सुश्रुत ने 5वीं शताब्दी ईसा पूर्व के आसपास दिया था। मोतियाबिंद के प्रति लोगों के बीच जागरूकता और एडवांस सर्जरी के कारण 2010 के बाद से भारत में विजुअल इम्पेयरमेंट से पीड़ित लोगों की अतिरिक्त संख्या 62 मिलियन से घटकर 34 मिलियन हो गई है।

 

अगर आप मोतियाबिंद से पीड़ित हैं और अपने शहर या उसके आसपास के टॉप रेटेड क्लिनिक में अपनी बीमारी का बेस्ट इलाज पाना चाहते हैं तो प्रिस्टीन केयर से संपर्क करें। हमारी क्लिनिक में मोतियाबिंद का इलाज रोबोटिक सर्जरी से किया जाता है। इस सर्जरी को अनुभवी, कुशल और विश्वसनीय नेत्र सर्जन के द्वारा पूरा किया जाता है। हमारे सर्जन को मोतियाबिंद की गहरी समझ और इसके मॉडर्न सर्जरी में महारत हासिल है।

 

इसे पढ़ें:- मोतियाबिंद की सर्जरी में कितना खर्च आता है?

 

हमारी क्लिनिक में मोतियाबिंद का कॉस्ट इफेक्टिव रोबोटिक सर्जरी करने के साथ-साथ मरीजों को अनेकों सेवाएं भी प्रदान की जाती हैं। हमारी सुविधाओं में सर्जरी वाले दिन फ्री पिकअप और ड्रॉप, सर्जरी से पहले की जाने वाली सभी जांचों पर 30% तक की छूट और सर्जरी के बाद सर्जन के साथ कुछ दिनों तक फ्री फॉलो-अप्स मीटिंग आदि शामिल है।

 

इन सबके अलावा भी हमारी क्लिनिक में अनेकों सुविधाएं हैं जिसमें इंश्योरेंस से सर्जरी के खर्च को कवर करना और जीरो कॉस्ट ईएमआई शामिल हैं। साथ ही, आप 100% इंश्योरेंस भी क्लेम कर सकते हैं।

मोतियाबिंद से जुड़े कुछ तथ्य:-

  1. मोतियाबिंद की सर्जरी के दौरान आंखों के लेंस को बदल दिया जाता है।
  2. मोतियाबिंद एक या दोनों आंखों में हो सकता है, लेकिन यह एक आंख से दूसरी आंख में नहीं फैलता है।
  3. मोतियाबिंद की सर्जरी के बाद मोतियाबिंद वापस नहीं आता है, क्योंकि प्राकृतिक लेंस को कृत्रिम लेंस से बदल दिया जाता है।
  4. मोतियाबिंद एक प्रतिवर्ती स्थिति नहीं है। नेत्र लेंस पर जमा प्रोटीन स्थायी होता है और इसे हटाया नहीं जा सकता। मोतियाबिंद सर्जरी के कुछ जोखिम हैं, लेकिन उन्हें एक अनुभवी और कुशल सर्जन के द्वारा कम किया जा सकता है।
  5. मोतियाबिंद सर्जरी से किसी प्रकार का दर्द नहीं होता है, क्योंकि इस प्रक्रिया से पहले मरीज को बेहोश कर दिया जाता है।

 

मोतियाबिंद सर्जरी के लिए ऐसी कोई शर्त नहीं है कि आपको कब इसकी सर्जरी करानी है। लेकिन प्रारंभिक उपचार प्राप्त करना बेहतर है, क्योंकि इससे सर्जरी की अवधि और ठीक होने में लगने वाला समय कम हो जाता है। इसके अलावा, आप परिपक्व/अति अपरिपक्व मोतियाबिंद के साथ होने वाली महत्वपूर्ण दृश्य हानि से बचते हैं।

निष्कर्ष

मोतियाबिंद ज्यादातर मामलों में उम्र से संबंधित होता है। हालांकि, यह आंखों के आघात, दीर्घकालिक मधुमेह, कॉर्टिकोस्टेरॉइड दवाओं या विकिरण उपचार वाले लोगों में उत्पन्न हो सकता है। एम्स द्वारा किए गए शोध से पता चला है कि कई कारणों से महिलाओं में मोतियाबिंद होने का खतरा 69 फीसदी ज्यादा होता है। भारत में मोतियाबिंद से पीड़ित लोगों की संख्या पिछले एक दशक में 1.2 करोड़ से बढ़कर 4.8 लाख हो गई है।

 

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बिना सर्जरी के मोतियाबिंद का इलाज संभव नहीं है। इस बीमारी का एकमात्र इलाज सर्जरी है। अगर आप खुद में मोतियाबिंद के लक्षणों को देखते हैं या इस बीमारी से पीड़ित हैं तो जल्द से जल्द एक विशेषज्ञ डॉक्टर से मिलकर मोतियाबिंद का विस्तृत जाँच और इलाज कराना चाहिए।

 

मोतियाबिंद के लक्षणों को नजरअंदाज या इसकी इलाज में देरी करना अंधेपन का कारण बन सकता है। इसलिए बिना देरी किए समय पर इस बीमारी का उचित इलाज कराना आवश्यक है।

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डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है| अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें|