टॉन्सिल (Tonsil) के कारण, लक्षण, बचाव और इलाज - Tonsil Surgery

14 वर्षीय इमरान  के गले में दर्द उठने लगा और लार टपकने लगा जिसके कारण इमरान के पिता ‘सोहेल’ काफी ज्यादा परेशान हो गए। उन्होंने तुरंत इमरान को किसी अच्छे ENT डॉक्टर को दिखाने का निर्णय लिया, जिसके बाद सोहेल ‘Pristyn Care’ के वरिष्ठ डॉ. अनुपमा से मिलें। सोहेल और डॉक्टर अनुपमा के बीच कुछ बातें हुईं फिर डॉक्टर को इस बात का अनुभव हुआ कि इमरान को टॉन्सिलाइटिस (Tonsillitis) की समस्या हो सकती है। 

हमारे गले के पीछे टिश्यू (Tissue) की दो नर्म गांठ होती है, जिन्हें टॉन्सिल (Tonsil) कहते हैं। इनका मुख्य कार्य शरीर को इंफेक्शन से बचाना है। इंफेक्शन के संपर्क में आने के कारण इनमें सूजन की समस्या हो सकती है और इनके आकार में बदलाव हो सकता है। ‘टॉन्सिल’ लिंफेटिक सिस्टम (Lymphatic System) में पाए जाते हैं। टॉन्सिल (Tonsil) शरीर में इंफेक्शन से लड़ता है लेकिन इन्हें निकाल देने पर शरीर में कोई बुरा असर देखने को नहीं मिलता है। इनके निकल जाने के बाद भी शरीर इंफेक्शन को लेकर उतना ही संवेदनशील होता है जितना इनके रहने पर। वैसे तो टॉन्सिल्स 2 से 2.5 सेंटीमीटर तक के हो सकते हैं लेकिन यौवन के समय इनका आकार ज्यादा होता है। बाद में इनका आकार कम होने लगता है।“

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टॉन्सिलाइटिस क्या है — What is Tonsillitis in Hindi

जब सोहेल ने डॉक्टर से टॉन्सिलाइटिस के बारे में पूछा तो डॉक्टर अनुपमा समझाती हैं, “टॉन्सिल्स मुख्य रूप से हमारे शरीर में मौजूद संक्रमण के खिलाफ लड़ाई लड़ते हैं। लेकिन जब टॉन्सिल्स खुद संक्रमित हो जाते हैं तो उसे टॉन्सिलाइटिस (Tonsillitis) कहा जाता है। यह समस्या छोटी उम्र के बच्चों में अधिक देखी जाती है। 5 वर्ष से लेकर 15 वर्ष की आयु तक के बच्चों में टॉन्सिलाइटिस ज्यादा होता है। टॉन्सिलाइटिस के कई कारण और लक्षण हो सकते हैं। लेकिन ज्यादातर टॉन्सिल्स बैक्टीरिया (Bacteria) और वायरस (Virus) की वजह से संक्रमित होते हैं। टॉन्सिलाइटिस होने पर गले में खराश हो जाती है। स्ट्रेप थ्रोट (Strep Throat) से शुरू हुए टॉन्सिलाइटिस का इलाज नहीं कराया जाए तो और भी कई बीमारियां हो सकती है। “

टॉन्सिलाइटिस के प्रकार Types of Tonsillitis in Hindi

  1. एक्यूट टॉन्सिलाइटिस (Acute Tonsillitis) – जब टॉन्सिल में एक खास किस्म के वायरस का अटैक होता है तो टॉन्सिल संक्रमित हो जाता है और बुखार, सूजन और गले में खराश की समस्या होती है। एक्यूट टॉन्सिलाइटिस में टॉन्सिल्स सफेद या भूरे रंग की परत भी बना लेते हैं।
  2. क्रॉनिक टॉन्सिलाइटिस (Chronic Tonsillitis) – अगर एक्यूट टॉन्सिलाइटिस बार-बार हो जाए तो क्रॉनिक टॉन्सिलाइटिस भी हो सकता है।
  3. एक्यूट मोनोन्यूक्लिओसिस (Acute Mononucleosis) – यह टॉन्सिलाइटिस एपस्टीन बर्र वायरस (Epstein Barr) के कारण होता है। इसके होने पर बुखार, गले में खराश, सूजन, गले में लाल चकत्ते और थकावट होती है।
  4. पेरिटोन्सिलर फोड़ा (Peritonsillar Abscess) – टॉन्सिल्स से बहुत दिनों तक संक्रमित रहने पर मवाद की स्थिति हो सकती है। टॉन्सिल्स में मवाद बनने पर यह फोड़े को जन्म दे सकता है। टॉन्सिल में फोड़े बनने पर इन्हें तुरंत सुखा देने चाहिए।
  5. स्ट्रेप थ्रोट (Strep Throat) – यह टॉन्सिलाइटिस स्ट्रेप्टोकोकस बैक्टीरिया (Streptococcus) से संक्रमित होने पर होता है। इससे गले में खराश और शरीर में बुखार हो जाता है। इसके अलावा बंद गले की शिकायत हो सकती है।
  6. टॉन्सिल स्टोन (Tonsil Stone) टॉन्सिल्स के संक्रमित हो जाने पर टिश्यू कभी-कभी गांठ बना लेते हैं। इसे टॉन्सिल स्टोन कहते हैं। इसे टॉन्सिलोइथ्स (Tonsiloiths) भी कहा जाता है। 

टॉन्सिलाइटिस के लक्षण Symptoms of Tonsillitis in Hindi 

  • खाना निगलने में परेशानी होना।
  • गले में खराश और सूजन।
  • टॉन्सिल्स में सूजन होना।
  • टॉन्सिल्स के रंग में बदलाव। इनमें सफेद, भूरे या लाल रंग के धब्बे होना।
  • छोटे बच्चों में टॉन्सिलाइटिस होने पर पेट दर्द होना।
  • सांसो का बदबूदार होना।
  • टॉन्सिलाइटिस होने पर आवाज में बदलाव हो सकता है। आवाज धीमी और भारी हो सकती है।
  • गले में मौजूद मुलायम ग्रंथि यानी लिंफ नोड (Lymph Nodes) बढ़ने लगती है।
  • सिर दर्द।

उन बच्चों को भी टॉन्सिलाइटिस हो सकता है जो बोलने में असमर्थ होते हैं। ऐसे बच्चों को टॉन्सिलाइटिस होने पर कुछ इस तरह के लक्षण नजर आते हैं-

  • हर वक्त चिड़चिड़ा रहना।
  • कुछ भी खाने से मना करना।
  • खाना खिलाते समय लार टपकना क्योंकि उन्हें निगलने में परेशानी होती है।
  • हल्का बुखार होना।

डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए When to See Doctor

अगर निम्न लक्षण नजर आते हैं तो डॉक्टर से मिलें-

  • भोजन निगलने में दर्द या रुकावट होना।
  • गले में दो दिनों तक खराश होना।
  • कमजोरी, चिड़चिड़ापन या थकान होना।

अगर बच्चा कुछ ऐसे लक्षण दिखा रहा है तो तुरंत डॉक्टर से मिलें-

  • लार टपकना।
  • सांस लेने में तकलीफ।

टॉन्सिलाइटिस के कारण — Causes of Tonsillitis in Hindi

बैक्टीरिया या वायरस जब आक्रमण करते हैं तो सबसे पहले टॉन्सिल ही बचाव करना शुरू करते हैं। जिसके कारण कभी कभी वे खुद संक्रमित हो जाते हैं। टॉन्सिलाइटिस ज्यादातर वायरस की चपेट में आने से होता है। लेकिन कभी-कभी बैक्टीरिया भी इसका कारण बनते हैं। टॉन्सिलाइटिस के ज्यादातर मामले स्ट्रेप थ्रोट (Strep Throat) के कारण भी होते हैं। टॉन्सिलाइटिस जल्दी फैलने वाला रोग है। यह दूसरों को भी संक्रमित कर सकता है।

  • वायरल टॉन्सिलाइटिस (Viral Tonsillitis) – कुछ वायरस हैं जिनसे टॉन्सिल्स संक्रमित हो सकते हैं
  • इन्फ्लूएंजा (Influenza) इसे फ्लू के नाम से भी जाना जाता है।
  • एडिनोवायरस (Adenovirus) यह गले में खराश और सर्दी का कारन बनता है। 
  • रेस्पिरेटरी सिंकश्यल वायरस (Respiratory Syncytial Virus) यह सांस लेने में रुकावट डालता है। इस वायरस से श्वास पथ संक्रमित होता है।
  • राइनोवायरस (Rhinovirus) इससे संक्रमित होने पर सर्दी भी होती है।
  • कोरोना वायरस (Coronavirus) यह वायरस बहुत कम देखा जाता है। इससे संक्रमित होने पर सिवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (SARS)  की समस्या हो सकती है। SARS एक श्वास रोग (Respiratory Disease) है।

अन्य सामान्य वायरस जिनसे टॉन्सिल संक्रमित होता है:-

  • हर्पीस सिम्पलेक्स वायरस (Herpes Simplex Virus) 
  • एपस्टीन बर्र वायरस (Epstein Barr Virus) 
  • साइटोमेगालो वायरस (Cytomegalo Virus)

टॉन्सिलाइटिस के बैक्टीरियल कारण  (Bacterial Tonsillitis)

टॉन्सिलाइटिस के ज्यादातर कारण स्ट्रेप्टोकोकस (Streptococcus) बैक्टीरिया की वजह से होते हैं। इसके अलावा भी कुछ बैक्टीरिया है जो Tonsil को प्रभावित करते हैं-

  • क्लैमाइडिया निमोनिया (Chlamydia Pneumonia) 
  • नेसीरिया गोनोर्र्होई (Neisseria Gonorrhoeae) 
  • बोर्डेटेला परटूसिस (Bordetella Pertussis)
  • माइकोप्लाज्मा निमोनिया (Mycoplasma Pneumonia)]
  • फ्यूजो बैक्टीरियम एसपी (Fusobacterium SP) 
  • स्टेफिलोकोकस ऑरियस (Staphylococcus Aureus)

टॉन्सिलाइटिस से बचाव — Prevention From Tonsillitis in Hindi

टॉन्सिलाइटिस ज्यादातर संक्रमित वायरस और बैक्टीरिया की चपेट में आने से होती है। हाइजीन को बेहतर बनाना, टॉन्सिलाइटिस में सबसे अच्छा बचाव है। नीचे बताई गई बातों को ध्यानपूर्वक पढ़ें और इन्हें अपनाएं-

  • टॉन्सिलाइटिस रोगी से हाथ न मिलाएं और उनके सामान को न छूएं। 
  • खाना खाने से पहले और शौच के बाद साबुन से हाथ धोएं।
  • टॉन्सिलाइटिस का पता लगने के बाद अपने ब्रश और साबुन बदल लें।
  • बच्चे को टॉन्सिलाइटिस हो गया है तो उसे स्कूल ना भेजें। कुछ दिन तक घर में ही रखें और उसके छींकने से पहले उसका नाक और मुंह रुमाल से ढंक दें।

टॉन्सिलाइटिस की जांच Test of Tonsillitis in Hindi

जब सोहेल ने डॉक्टर अनुपमा को इमरान के लक्षण बताए तो डॉक्टर ने इमरान के गले की जांच की। इस दौरान सोहेल के पूछने पर डॉक्टर ने उन्हें Tonsillitis Test की कई प्रक्रियाओं को समझाया।

  • टॉन्सिलाइटिस की जांच के लिए डॉक्टर एक लाइट वाली ट्यूब के माध्यम से आपके गले के अंदर देखते हैं, साथ ही नाक और कान की भी जांच करते हैं। 
  • स्कार्लेटिना बुखार (Scarlatina Fever) की भी जांच होती है। इसमें शरीर में लाल चकत्ते पड़ने लगते हैं। 
  • लिंफ नोड्स  (Lymph Nodes) की जांच की जाती है क्योंकि यह गले को छूकर जाती है।
  • स्टेथोस्कोप (Stethoscope) के माध्यम से सांस सुनी जाती है। 
  • प्लीहा एक अंग है जो हमारे पेट में मौजूद होता है, टॉन्सिलाइटिस में जलन होने पर प्लीहा (Spleen) की भी जांच की जाती है।

कंपलीट ब्लड काउंट टेस्ट — Complete Blood Count Test (CBC)

इस टेस्ट के दौरान डॉक्टर खून की जांच करते हैं। इस प्रक्रिया के जरिए शरीर में रक्त कोशिकाओं की मौजूदगी और उनकी संख्या का पता लगाया जाता है। यह टेस्ट करने के बाद, टॉन्सिलाइटिस वायरल है या बैक्टीरियल? इसका पता चलता है। स्ट्रैप थ्रोट की समस्या होने पर CBC टेस्ट नहीं करवाया जाता है। स्ट्रैप थ्रोट का लैब टेस्ट होने के बाद रिजल्ट नेगेटिव आता है तो कंप्लीट ब्लड काउंट टेस्ट कराने की जरूरत पड़ती है।

थ्रोट स्वैब टेस्ट Throat Swab Test

इस टेस्ट में मरीज के गले को कोमल रुई से पोंछ कर संक्रमित पदार्थ देखे जाते हैं और इस रुई का लैब टेस्ट भी कराया जाता है। इस टेस्ट का रिजल्ट कुछ घंटों में आ जाता है। इसे पूरी तरह से परखने के लिए इसका दूसरा लैब टेस्ट कराया जा सकता है जिसमें 1 से 2 दिन का समय लगता है। 

यदि रिजल्ट पॉजिटिव है तो बैक्टीरियल टॉन्सिलाइटिस है। रिजल्ट के निगेटिव आने पर वायरल टॉन्सिलाइटिस हो सकता है। ऐसे में और भी कई दूसरे टेस्ट कराने पड़ते है।

टॉन्सिलाइटिस का इलाज Treatment of Tonsillitis in Hindi

डॉक्टर टॉन्सिलाइटिस के कारणों को जानने के बाद इलाज शुरू कर देते हैं। टॉन्सिलाइटिस वायरल हो या बैक्टीरियल, दोनों ही केस में देखभाल करना जरूरी है। वायरल टॉन्सिलाइटिस होने पर डॉक्टर एंटीबायोटिक दवाइयों का डोज नहीं बल्कि घर में आराम करने करने की सलाह देते हैं। ऐसे केस में एंटीबायोटिक दवाइयों का असर कम होता है। वायरल टॉन्सिलाइटिस होने पर नीचे बताए गए तरीकों से रोगी की देखभाल करने पर 5 से 10 दिन में आराम मिलता है।

  1. समय-समय पर पानी पीते रहे। इंफेक्शन से लड़ने के लिए शरीर का हाइड्रेटेड रहना जरूरी है। नारियल पानी भी ले सकते हैं।
  2. रात के समय पर्याप्त नींद लेनी चाहिए। दिन में भी ज्यादा से ज्यादा आराम करना फायदेमंद होगा।
  3. तैलीय, चिपचिपा और मसालेदार खाना न खाएं। पीने के लिए गुनगुना पानी ही इस्तेमाल करें। 
  4. गुनगुने पानी में नमक मिलाकर दिन में दो बार गरारे करें। इससे गले का इंफेक्शन दूर होगा। ध्यान रखें कि गरारे के बाद पानी पेट में ना जाए।
  5. गर्मी में टॉन्सिलाइटिस होने पर खास ध्यान देना चाहिए। हमेशा सामान्य तापमान में ही समय गुजारें और गर्म जगहों पर ना जाएं। 
  6. अधिक खट्टे पदार्थ का सेवन न करें। सिगरेट और अन्य प्रकार के धुंए से दूर रहें। धुंए से गले में जलन की समस्या हो सकती है।
  7. सर्दी, जुकाम, बुखार होने पर आम दवाइयां दी जाती है। यदि रोगी बच्चा है तो एस्पिरिन (Aspirin) दवाई बिल्कुल ना दें। इससे रे सिंड्रोम (Ray Syndrome) हो सकता है।

एंटीबायोटिक का प्रयोग — Uses of Antibiotic in Hindi

बैक्टीरियल टॉन्सिलाइटिस होने पर एंटीबायोटिक दवाइयां दी जाती है। बैक्टीरियल टॉन्सिलाइटिस का इलाज एंटीबायोटिक दवाइयों की मदद से 10 दिन में पूरा किया जा सकता है। 

अगर दवाइयों का कोर्स खत्म होने के पहले ही मरीज पूरी तरह से स्वस्थ हो जाए, तब भी बचा हुआ डोज उसे लेना चाहिए। कोर्स को बीच में छोड़ने से टॉन्सिलाइटिस दोबारा हो सकता है। कंपलीट कोर्स ना करने का सबसे बड़ा खतरा किडनी पर पड़ता है। इससे किडनी में सूजन हो सकती है।

टॉन्सिलाइटिस के लिए टॉन्सिल्लेक्टोमी सर्जरी — Tonsillectomy For Tonsillitis in Hindi

टॉन्सिलाइटिस से छुटकारा पाने के लिए सर्जरी करवाई जाती है। टॉन्सिलाइटिस की सर्जरी को टॉन्सिल्लेक्टोमी कहते हैं।

कब की जाती है टॉन्सिल्लेक्टोमी — When Tonsillectomy is Performed

क्रोनिक टॉन्सिलाइटिस या बैक्टीरियल टॉन्सिलाइटिस होने पर Tonsil की सर्जरी की जाती है। बार-बार टॉन्सिलाइटिस होने पर भी सर्जरी जरूरी हो जाती है। इसके अलावा टॉन्सिलाइटिस से कुछ ऐसी समस्याएं हो जाती है जिन्हें कंट्रोल करना मुश्किल होता है जो निम्नलिखित हैं। 

  • एंटीबायोटिक दवाइयों के सेवन के बाद भी Tonsils में पस और फोड़ा बन जाए तो।
  • सांस लेने में लगातार समस्या होने पर।
  • खाना खाते वक्त गले में तेज दर्द होना जिसकी वजह से खाना-पीना मुश्किल हो जाता है।

टॉन्सिल्लेक्टोमी की प्रक्रिया — Procedure of Tonsillectomy in Hindi

टॉन्सिल्लेक्टोमी सर्जरी आधे घंटे से लेकर 1 घंटे तक चलती है। बेहोशी की दवा (एनेस्थीसिया) दे कर सर्जरी शुरू की जाती है। इसमें रोगी के टॉन्सिल को स्केलपेल (चाकू जैसा सर्जिकल हथियार) की मदद से निकाल दिया जाता है। सर्जरी के बाद सामान्य होने पर घर जाने की इजाजत दी जा सकती है।

टॉन्सिल्लेक्टोमी के बाद की प्रक्रिया — Procedure After Tonsillectomy in Hindi

टॉन्सिल्लेक्टोमी के बाद लगभग 10 दिन के अंदर मरीज पूरी तरह से स्वस्थ हो जाता है। सर्जरी के तुरंत बाद गले में तेज दर्द हो सकता है। इसके अलावा कान या जबड़े में भी दर्द हो सकता है। दर्द कम करने के लिए डॉक्टर की बताई गयी दवाएं लें। सर्जरी के बाद दस दिन तक पूरी तरह से आराम करें। सर्जरी के बाद 2 दिन तक सिर्फ दूध से बनी चीजों का सेवन करना चाहिए। ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थ लेने से फायदा होगा। 

सर्जरी के बाद लार या नाक से ब्लीडिंग हो सकती है। हल्का बुखार भी हो सकता है। शरीर का तापमान 102 से अधिक होने पर या अधिक खून निकलने पर तुरंत डॉक्टर से बात करें।

Tonsillitis टेस्ट के बाद डॉक्टर अनुपमा ने सोहेल से कहा, “परेशान होने की जरूरत नहीं है। आपके बच्चे को वायरल टॉन्सिलाइटिस हुई है। ऐसा कहकर डॉक्टर कुछ दवाइयों के नाम लिखती हैं और उन दवाइयों का सेवन करने को कहती हैं।”

“मैं डॉक्टर का शुक्रगुजार हूं  कि उन्होंने बिना सर्जरी के ही मेरे इमरान का इलाज कर दिया। अब इमरान पूरी तरह से स्वस्थ है।” ऐसा सोहेल कहते हैं।

अगर आप भी टॉन्सिलाइटिस का इलाज करवाना चाहते हैं तो ‘Pristyn Care’ अच्छा विकल्प है।

टॉन्सिलाइटिस के इलाज के लिए Pristyn Care ही क्यों – Why Pristyn Care For Tonsillitis Treatment in Hindi

प्रशिक्षित डॉक्टर की टीम – टॉन्सिलाइटिस के इलाज के लिए हमारे पास एक्सपीरियंस्ड (Experienced) डॉक्टर की टीम है, जो ट्रीटमेंट के दौरान रोगी का पूरा ख्याल रखते हैं। रोगी की स्थिति के अनुसार ही डॉक्टर इलाज करते हैं। 

एडवांस टेक्नोलॉजी से होती है प्रक्रिया – टॉन्सिल्लेक्टोमी की प्रक्रिया के लिए हमारे डॉक्टर एडवांस टेक्नोलॉजी (Advanced Technology) का इस्तेमाल करते हैं जिससे इलाज आसान हो जाती है।

अपने शहर में करा सकते हैं ट्रीटमेंट – हमारे डॉक्टर भारत के 20 से ज्यादा शहरों में मौजूद हैं। इसलिए ट्रीटमेंट के लिए आपको ज्यादा दूर जाने की आवश्यकता नहीं होगी।

फ्री फॉलो अप – हम अपने मरीजों को फ्री फॉलो अप (Follow up) की सुविधा भी प्रदान करते हैं। इसके साथ मरीज के आने जाने का खर्चा भी हम ही उठाते हैं।

इंश्योरेंस की सुविधा – हमारी इंश्योरेंस (Insurance) टीम के जरिये आप टॉन्सिलाइटिस का इलाज 100% तक की छूट पर करा सकते हैं।

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डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है| अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें|