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पुरुषों की तुलना में महिलाएं कहीं न कहीं अधिक व्यस्त होती हैं। उन्हें घर से लेकर ऑफिस तक, हर जगह के कामों के बीच संतुलन बनाए रखना होता है। इन सभी कामों के बीच में वे खुद की सेहत और स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं पर ध्यान देना भूल जाती हैं। यही कारण है उन्हें हमेशा किसी न किसी प्रकार की छोटी-बड़ी परेशानीयां होती रहती हैं। पीसीओएस भी उन्हीं में से एक है। शोध से इस बात की पुष्टि हुई है कि लगभग हर पांच में से एक महिला पीसीओएस से पीड़ित होती है। शुरुआत में महिलाएं इसके लक्षणों को अनदेखा करती हैं। इसलिए आगे जाकर कई बार यह गंभीर रूप भी ले लेता है।         

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पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम महिलाओं को होने वाली एक बीमारी है जिससे पीड़ित होने पर महिलाओं के प्रजनन काल में हार्मोन असंतुलन देखने को मिलता है। पीसीओएस से प्रभावित महिलाओं के शरीर में एंड्रोजन का स्तर बढ़ जाता है और ओवरीज में एक से ज्यादा सिस्ट बन जाते हैं। आमतौर पर यह समस्या मोटापा या आनुवांशिक कारणों से होती है। तनाव या अवसाद (Tension or Depression) भी इसका मुख्य कारण बन सकते हैं। पीसीओएस 14-40 वर्ष तक की महिलाओं को प्रभावित कर सकता है। 

इससे पीड़ित होने पर महिलाएं अनियमित मासिक धर्म, बाल झड़ने, सिर में दर्द, चेहरे पर मुहांसे, पेट में दर्द और वजन बढ़ने जैसी समस्याओं को अनुभव कर सकती हैं। पीसीओएस का इलाज करने के ढेरों तरीके मौजूद हैं, लेकिन इस ब्लॉग के माध्यम से आज हम आपको उन ख़ास आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों के बारे में बताने वाले हैं जिनकी मदद से आप घर बैठे अपनी समस्या से छुटकारा पा सकती हैं। अगर आप पीसीओएस से परेशान हैं तो यह ब्लॉग आपके लिए खास महत्वपूर्ण है।  

पीसीओएस में शतावरी फायदेमंद होता है 

पीसीओएस में शतावरी काफी फायदेमंद होता है। इसमें विटामिन ए, बी 1, बी 2, सी, ई, आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस, खनिज और फोलिक एसिड भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। यही कारण है कि शतावरी एंटीऑक्सीडेंट का एक बेहतरीन स्रोत माना जाता है। यह महिलाओं की प्रजनन प्रणाली (Reproductive System) की रक्षा करने के साथ-साथ डायबिटीज विरोधी गुणों के कारण होने वाले इंसुलिन की संवेदनशीलता को भी बेहतर और नियमित बनाने में मदद करता है। इतना ही नहीं, शतावरी एक ऐसा आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है जो पीसीओएस का प्रभावशाली तरीके से इलाज करने के साथ-साथ महिलाओं की प्रजनन क्षमता को भी बेहतर बनाने में मदद करता है। 

शिलाजीत पीसीओएस के लक्षणों को कम करता है 

आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों में शिलाजीत का नाम काफी मशहूर है। शिलाजीत का इस्तेमाल ढेरों समस्याओं को दूर करने के लिए किया जाता है। उन्ही में से एक पीसीओएस भी है। जो महिलाएं पीसीओएस से परेशान हैं वे आयुर्वेदिक डॉक्टर से परामर्श करने के बाद शिलाजीत का सेवन कर सकती हैं। शिलाजीत बहुत ही प्रभावशाली रूप से पीसीओएस के लक्षणों को कम करता है। शिलाजीत एंटीइंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होता है जो इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने का काम करते हैं। जिसके कारण महिलाओं की प्रजनन प्रणाली फिर से पहले की तरह मजबूत और बेहतर हो जाती है। 

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पीसीओएस से पीड़ित होने कि स्थिति में महिलाओं को हेवी ब्लीडिंग होती है, जिसके कारण उनके शरीर में आयरन की कमी हो जाती है। लेकिन शिलाजीत का सेवन आयरन की कमी को पूरा भी करता है। अगर आपको पीसीओएस के कारण ढेरों समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है तो आप किसी भी अनुभवी आयुर्वेदिक डॉक्टर से परामर्श करने के बाद शिलाजीत का सेवन कर सकती हैं। यह आपकी तकलीफों को काफी हद तक कम कर सकता है।       

हल्दी से पीसीओएस को दूर किया जा सकता है 

हल्दी ढेरों गुणों से भरपूर है और इसका इस्तेमाल तरह-तरह की परेशानियों और बीमारियों को कम एवं दूर करने के लिए किया जाता है। हल्दी का इस्तेमाल खाना बनाने से लेकर, सौंदर्य उत्पादों (Beauty Products) का निर्माण करने और आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों का निर्माण करने के लिए भी किया जाता है। यह महिलाओं की इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने के साथ-साथ उनकी प्रजनन प्रणाली को बेहतर बनाता है और पीसीओएस के लक्षणों को बहुत ही प्रभावशाली तरीके से दूर करने में मदद करता है। हल्दी की मदद से पीसीओएस और इससे जुडी सस्याओं को बहुत ही आसानी से खत्म किया जा सकता है।  

पीसीओएस में गुडूची का इस्तेमाल 

गुडूची को गिलोय के नाम से भी जाना जाता है। पीसीओएस के आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों में गुडुची का नाम भी शामिल है। यह शरीर में ब्लड शुगर को रेगुलेट (Regulate) करने का काम करता है। यह महिलाओं के इम्यूम सिस्टम को मजबूत बनाने के साथ-साथ उनमें यौनरुचि (Sexual Desire) बढ़ाने का काम भी करता है। कई बार पीसीओएस से पीड़ित होने पर सेक्स के प्रति महिलाओं की रुचि खत्म हो जाती है। ऐसे में गुडुची का इस्तेमाल फायदेमंद साबित हो सकता है।     

पीसीओएस में नीम बहुत फायदेमंद होता है 

नीम में ढेरों औषधीय गुण पाए जाते हैं जिसमें एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटीडायबिटिक शामिल हैं। हल्दी की तरह ही नीम का इस्तेमाल भी ढेरों तरह के उत्पादों का निर्माण करने के लिए किया जाता है। नीम त्वचा के लिए बहुत ही बेहतरीन माना जाता है। पीसीओएस से पीड़ित होने पर महिलाओं के चेहरे पर बाल और मुहांसे आने लगते हैं। इन सबसे बचने के लिए नीम का इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन ध्यान रहे कि ऊपर बताए गए किसी भी आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर से परामर्श करना आवश्यक है। डॉक्टर की निगरानी में ही किसी भी दवा का सेवन करना चाहिए। अपने मन मुताबिक़ किसी भी चीज का सेवन आपके लिए फायदेमंद होने के बजाय नुकसानदायक साबित हो सकता है।    

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अगर ऊपर बताए गए आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों का इस्तेमाल करने के बाद भी आपको कोई फायदा दिखाई न दे तो फिर आपको तुरंत स्त्री रोग विशेषज्ञ से मिलकर इस बारे में विस्तार से बात करनी चाहिए। पूर्ण रूप से आयुर्वेद पर निर्भर रहना भी ठीक नहीं है। पीसीओएस का समय पर सटीक इलाज आवश्यक है, क्योंकि यह आगे जाकर मासिक धर्म की अनियमितता और बांझपन जैसी दूसरी गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है। पीसीओएस से छुटकारा पाने के लिए आप प्रिस्टीन केट=यर से संपर्क कर सकती हैं। हमारे पास देश के सबसे बेहतरीन और अनुभवी स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं जो आपकी समस्या को बहुत ही कम समय में हमेशा के लिए खत्म कर सकती हैं। 

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डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है| अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें|