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आंखें वो खिड़की हैं जिनकी मदद से आप इस दुनिया की खूबसूरती को देखते और अनुभव करते हैं। आंखें जीवन का एक बेहद अनमोल हिस्सा हैं। इसलिए इनकी देखरेख करना आवश्यक है। जरा सी भी लापरवाही आंखो में कई बिमारियों का कारण बन सकती है। मोतियाबिंद Cataract In Hindi भी इन्ही बीमारियों में से एक है।

मोतियाबिंद से पीड़ित होने पर आंख की लेंस में धुंधलापन छा जाता है जिसके कारण आपको चीजें साफ दिखाई नहीं देती हैं। मोतियाबिंद दुनिया भर में अंधेपन का सबसे मुख्य कारण है। मोतियाबिंद के बाद काला मोतियाबिंद का नाम आता है। आमतौर पर मोतियाबिंद की शिकायत लगभग 50 की उम्र में या उसके बाद शुरू होती है, लेकिन यह ढेरों कारणों से किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है।

विशेषज्ञ का मानना है कि पूरी दुनिया में अभी मोतियाबिंद से पीड़ित लोगों की संख्या लगभग 3 करोड़ है। मोतियाबिंद Cataract Means In Hindi से संबंधित उचित जानकारी और सही इलाज ही आपको इस बीमारी से बचा सकता है। प्रिस्टीन केयर के इस खास ब्लॉग में आज हम आपको मोतियाबिंद से संबंधित सभी आवश्यक बातों के बारे में विस्तार से बताने वाले हैं।

Table of Contents

मोतियाबिंद क्या है — Motiyabind Kya Hai Cataract In Hindi

मोतियाबिंद को अंग्रेजी में कैटरैक्ट (Cataract in Hindi) कहा जाता है। यह आंखों से संबंधित एक बहुत ही आम बीमारी है। इस बीमारी से पीड़ित होने की स्थिति में आंखों के लेंस पर एक तरह का धुंधलापन छा जाता है। इस धुंधलापन का कारण प्रोटीन क्लम्प होता है।

अगर आपके मन में यह सवाल आता है कि Motiyabind Kya Hai तो आपको ज्यादा टेंशन लेने की जरूरत नहीं है। यह बीमारी प्रोटीन क्लम्प बनने के कारण होती है। प्रोटीन क्लम्प बनने के कारण लेंस में धुंधलापन छा जाता है जिसके कारण आंख में जाने वाली रौशनी रेटिना तक पूर्ण रूप से नहीं जा पाती है।

नतीजतन, आपको वस्तुएं धुंधली दिखाई देती हैं। आंख में लेंस, रेटिना, कॉर्निया और ऑप्टिक नर्व मौजूद होते हैं जो आपको चीजों को साफ-साफ देखने में मदद करते हैं। आंखों में जाने वाली रौशनी कॉर्निया से होते हुए प्यूपिल तक जाती है और फिर लेंस से होते हुए रेटिना पर केंद्रित होती है।

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उसके बाद, ऑप्टिक नर्व उस रौशनी को सिग्नल में बदलकर दिमाग तक ले जाता है, फिर आप किसी वस्तु को देखते हैं। लेकिन लेंस में धुंधलापन होने के कारण आंख में जाने वाली रौशनी पूरी तरह रेटिना या ऑप्टिक नर्व तक नहीं जा पाती है और अंतत आपको वस्तुएं धुंधली दिखाई देती हैं।

मोतियाबिंद बहुत धीमी गति से विकसित होता है। यह आपकी दृष्टि यानी देखने की क्षमता को प्रभावित करता है। यह समस्या एक या दोनों आंखों को प्रभावित कर सकती है। लेकिन यह आवश्यक नहीं है कि दोनों आंखों में एक समय पर एक जैसा ही प्रभाव छोड़े।

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आमतौर पर यह दोनों आंखों को अलग-अलग तरीके से प्रभावित करता है। विशेषज्ञ का कहना है की मोतियाबिंद ज्यादातर 50 वर्ष या इससे अधिक उम्र के लोगों को होता है। दुनिया के हर एक कोने में लोग इस बीमारी से ग्रसित हैं। इसके लक्षणों को अनुभव करने के बाद तुरंत आंख के डॉक्टर से मिलकर बात करनी चाहिए। लंबे समय तक इसे नजरअंदाज करना खतरनाक साबित हो सकता है।

मोतियाबिंद के प्रकार — Types Of Cataracts In Hindi

आमतौर पर मोतियाबिंद की शिकायत उम्र बढ़ने के बाद होती है, लेकिन जरूरी नहीं है की हमेशा ऐसा ही हो। इस बीमारी की समस्या आनुवंशिक कारणों, आंखों पर चोट लगने या दूसरे कई अन्य कारणों से हो सकती है। मोतियाबिंद कई प्रकार के होते हैं और यह काफी हद तक इस बात पर निर्भर करता है की यह किस प्रकार का है और कितनी तेजी से विकास कर रहा है।

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मोतियाबिंद के कई प्रकार होते हैं लेकिन इन सभी की स्थिति में “आंखों के लेंसों में धुंधलापन छाना” कॉमन फैक्टर है। जैसे-जैसे मोतियाबिंद का आकार बढ़ता है वैसे-वैसे लेंस का धुंधलापन भी बढ़ता है तथा चीजों को देखने में परेशानी भी बढ़ती है। मोतियाबिंद के निम्नलिखित प्रकार होते हैं।

न्यूक्लिअर कैटरैक्ट (Nuclear Cataract)

यह लेंस के बीच में विकसित होता है और न्यूक्लियस या केंद्र को पीले या भूरे रंग का बना देता है। इस प्रकार के मोतियाबिंद को न्यूक्लियर स्क्लेरोटिक मोतियाबिंद (Nuclear Sclerotic Cataract) भी कहा जाता है।

कॉर्टिकल कैटरैक्ट (Cortical Cataract)

यह मोतियाबिंद, कील के आकार का होता है जो न्यूक्लियस के किनारों के चारों तरफ फैला होता है। इस तरह के मोतियाबिंद से पीड़ित होने पर रात में गाड़ी चलाने, सामान रंगों को पहचानने तथा इस बात को तय करने में परेशानी होती है कि कोई सामान (Object) कितना दूर है।

पोस्टीरियर सबकैप्सूलर कैटरैक्ट (Posterior Subcapsular Cataract)

कॉर्टिकल कैटरैक्ट और न्यूक्लियर कैटरैक्ट की तुलना में पोस्टीरियर सबकैप्सूलर कैटरैक्ट काफी तेजी से विकसित होता है। यह लेंस के पिछले हिस्से को बुरी तरह से प्रभावित करता है। यह लेंस के बिलकुल उस स्थान पर होता है जहां से होते हुए रौशनी लेंस तक पहुंचती है। इस तरह के मोतियाबिंद से पीड़ित होने की स्थिति में आपकी नजदीक देखने की दृष्टि कम हो जाती है। साथ ही, आपको अधिक रौशनी में देख पाना कठिन होता है। तेज रौशनी में आपकी आंखें चौंधिया सकती हैं।

कंजेनिटल कैटरैक्ट (Congenital Cataract)

इस प्रकार का मोतियाबिंद बच्चों में उनके जन्म के समय या उनके जन्म के पहले वर्ष के दौरान विकसित होता है। इस प्रकार का मोतियाबिंद बहुत कम देखने को मिलता है। आमतौर पर यह बीमारी आपके जीन्स से जुड़ी होती है या फिर रूबेला नामक बीमारी के कारण होती है। रूबेला एक बीमारी है जो मां को प्रेगनेंसी के दौरान होती है। 

सेकेंडरी कैटरैक्ट (Secondary Cataract)

सेकेंडरी कैटरैक्ट को माध्यमिक मोतियाबिंद के नाम से भी जाना जाता है। जब किसी अन्य बीमारी के कारण मोतियाबिंद होता है तो उसे सेकेंडरी मोतियाबिंद के नाम से जाना जाता है। इस प्रकार का मोतियाबिंद डायबिटीज या ग्लूकोमा के कारण हो सकता है। इसके अलावा, कुछ खास तरह की दवाओं का सेवन करने के कारण भी यह बीमारी आपको प्रभावित कर सकती है।

ट्रॉमेटिक कैटरैक्ट (Traumatic Cataract)

यह मोतियाबिंद आंखों पर किसी प्रकार का चोट लगने के कारण होता है। अगर आपकी आंखों पर गेंद से चोट लग जाए, आंखें आग की चपेट में आ जाएं तो इस प्रकार के मोतियाबिंद होने का खतरा रहता है।

रेडिएशन कैटरैक्ट (Radiation Cataract)

बिना किसी सुरक्षा के लंबे समय तक धुप में समय बिताने, आंखों का सूरज की अल्ट्रावायलेट किरणों के संपर्क में आने और कैंसर के विकिरण उपचार से गुजरने के बाद रेडिएशन कैटरैक्ट की समस्या पैदा हो सकती है।

मोतियाबिंद के कारण — Motiyabind Kyu Hota Hai

ढेरों ऐसे कारण हैं जो मोतियाबिंद के विकास में बड़ी भूमिका निभाते हैं। अगर आपको पहले ही इनकी सही जानकारी हो जाए तो आप बहुत आसानी से इस बीमारी की रोकथाम कर सकते हैं। अगर आप यह सोच रहे हैं कि Motiyabind Kyu Hota Hai तो हम आपको बता दें कि इसके निम्नलिखित कारण हैं:-

  • मोटापा होना
  • धूम्रपान करना
  • आनुवंशिक कारण 
  • उच्च मायोपिया होना 
  • शराब का सेवन करना
  • हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी 
  • डायबिटीज से पीड़ित होना 
  • हाइपरटेंशन की शिकायत होना 
  • पहले कभी आंखों की सर्जरी कराना 
  • लंबे समय तक कॉर्टिकोस्टेरॉइड दवाओं का सेवन करना 
  • जीवन में पहले कभी आंखों में चोट या सूजन की शिकायत होना
  • कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए स्टैटिन दवाओं का सेवन करना
  • आंखों का सूरज की रौशनी या अन्य स्रोतों से अल्ट्रावायलेट रेडिएशन के संपर्क में आना 

मोतियाबिंद के लक्षण — Cataract Symptoms In Hindi 

मोतियाबिंद के लक्षण Cataract Symptoms In Hindi इस बात की तरफ इशारा करते हैं कि आपको तुरंत एक्शन लेने की आवश्यकता है। उम्र के साथ अगर आपको कम एवं धुंधला दिखाई देने लगे तो इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। आपकी दृष्टि का धुंधलापन इस बात की तरफ इशारा करता है कि आप मोतियाबिंद से पीड़ित हो सकते हैं।

मोतियाबिंद कोई गंभीर या खतरनाक बीमारी नहीं है और इसके कुछ मुख्य लक्षण भी नहीं होते हैं। मोतियाबिंद के निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं:-

  • रात में कम दिखाई देना
  • दृष्टि का धीमा और धुंधला होना
  • अधिक रौशनी में आंखें चौंधियाना
  • रौशनी के प्रति संवेदनशीलता होना
  • रंगों की पहचान करने में दिक्कत आना
  • चश्मे के नंबर में अचानक बदलाव आना 
  • रौशनी के चारों तरफ धुंधला गोला दिखाई देना
  • दो वस्तुओं में ओवरलैपिंग दिखाई देना यानी डबल विजन होना
  • रात के समय ड्राइविंग या दूसरे दैनिक जीवन के कामों को करने में परेशानी होना 
  • उन सभी कामों को करने में परेशानी होना जिसमें रौशनी की आवश्यकता होती है

अगर आप ऊपर दिए गए किसी भी लक्षण को खुद में अनुभव करते हैं तो बिना देरी किए डॉक्टर से परामर्श करें। समय पर सही इलाज की मदद से मोतियाबिंद को बहुत आसानी से दूर किया जा सकता है।

मोतियाबिंद का निदान — Diagnosis Of Cataract In Hindi

मोतियाबिंद का निदान करने के लिए डॉक्टर आपकी आंखों का विस्तृत जांच करते हैं। इस प्रक्रिया के दौरान आपकी आंखों के दबाव को मापने के लिए डॉक्टर अलग-अलग दूरी और टोनोमेट्री से दृष्टि की जांच करते हैं। आंखों के दबाव का परीक्षण करने के लिए डॉक्टर हवा के पफ का भी उपयोग करते हैं। साथ ही, आपके आंखों की प्यूपिल को बड़ा करने के लिए डॉक्टर दवा की कुछ बूंदों को आंखों में डालते हैं।

आगे पढ़ें: मोतियाबिंद ऑपरेशन से पहले किन बातों का ध्यान रखें?

ऐसा करने से आपके ऑप्टिक नर्व और रेटिना की जांच करने में डॉक्टर को काफी आसानी होती है। साथ ही, इस बात का भी पता लगाया जा सकता है कि आंखों में पहले कोई चोट तो नहीं लगी है। इसके अलावा, मोतियाबिंद की जांच करने के लिए डॉक्टर रौशनी के प्रति आपकी संवेदनशीलता और रंग को पहचानने की क्षमता की भी जांच करते हैं। जांच के बाद ही मोतियाबिंद की गंभीरता को पहचानने में मदद मिलती है।

मोतियाबिंद का इलाज — Cataract Treatment In Hindi

आपके आंखों की जांच करने तथा मोतियाबिंद की स्थिति को देखने एवं समझने के बाद डॉक्टर इलाज के माध्यम का चुनाव करते हैं। विशेषज्ञ का मानना है कि मोतियाबिंद को ठीक करने के लिए अभी तक बाजार में कोई भी दवा या आई ड्रॉप उपलब्ध नहीं है। इस बीमारी का एकमात्र इलाज सर्जरी है।

आगे पढ़ें: मोतियाबिंद का ऑपरेशन कब कराना चाहिए?

आमतौर पर मोतियाबिंद बहुत धीमी गति से विकसित होता है जिसके कारण आपकी आंखों को अधिक नुकसान भी नहीं पहुंचता है। इसलिए आप सर्जरी के लिए समय ले सकते हैं। लेकिन अगर आपको डायबिटीज की समस्या है तो फिर आपको मोतियाबिंद की सर्जरी जल्द से जल्द करानी चाहिए। कुछ मामलों में मोतियांबिंद अंधेपन का कारण भी बन सकता है। मोतियाबिंद की सर्जरी Cataract Surgery In Hindi को निम्नलिखित तरीकों से किया जा सकता है:-

मोतियाबिंद की सामान्य सर्जिकल प्रक्रिया

इस प्रक्रिया के दौरान डॉक्टर आंख के प्राकृतिक लेंस को हटाकर उसकी जगह पर एक कृत्रिम लेंस लगा देते हैं। इस कृत्रिम लेंस को इंट्रा ऑक्युलर लेंस (IOL) कहा जाता है। सर्जरी खत्म होने के बाद आपकी दृष्टि ठीक हो जाती है तथा आपको साफ-साफ दिखाई देने लगता है। लेकिन जिस काम में तेज दृष्टि की जरूरत होती है उसके लिए आपको चश्मे की आवश्यकता पड़ सकती है।

पिछले कुछ सालों में मोतियाबिंद की सर्जरी रिस्टेरोटीव से रिफ्रैक्टिव सर्जरी में परिवर्तित हो गई है। इसका मतलब यह हुआ की अब मोतियाबिंद के इलाज के साथ-साथ चश्मे पर निर्भरता भी लगभग खत्म हो चुका है। मॉडर्न मेडिकल इंस्ट्रूमेंट द्वारा मोतियाबिंद की सर्जरी के दौरान लगाए जाने वाले कट का आकार घटकर काफी छोटा हो गया है।

मोतियाबिंद की सर्जरी एक दिन की प्रक्रिया है। इसलिए सर्जरी खत्म होने के बाद मरीज को हॉस्पिटल में रुकने की आवश्यकता नहीं होती है। सर्जरी की प्रक्रिया शुरू करने से पहले डॉक्टर लोकल अनेस्थिसिया से आपकी आंखों को सुन्न कर देते हैं जिसकी वजह से सर्जरी के दौरान होने वाले दर्द का खतरा खत्म हो जाता है।

एक्स्ट्राकैप्सुलर कैटरैक्ट एक्सट्रैक्शन

इस प्रक्रिया के दौरान डॉक्टर खराब लेंस को अल्ट्रासाउंड तरंगों से तोड़ कर उसे एक मेडिकल इंस्ट्रूमेंट के द्वारा बाहर निकाल देते हैं। एक्स्ट्राकैप्सुलर कैटरैक्ट एक्सट्रैक्शन सर्जरी के दौरान सामान्य लेंस कैप्सूल के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की जाती है। इसके अलावा, मोतियाबिंद की समस्या को ठीक करने के लिए इंस्ट्राकैप्सूलर कैटरैक्ट एक्सट्रैक्शन का भी इस्तेमाल किया जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान लेंस और लेंस कैप्सूल दोनों को ही बहार निकाल दिया जाता है, लेकिन इस तकनीक का इस्तेमाल अब बहुत ही कम किया जाता है।

माइक्रो इंसीजन या रेगुलर फैको कैटरैक्ट सर्जरी 

इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए फोरसेप्स या मुड़ी हुई नीडल की सहायता ली जाती है। माइक्रो इंसीजन या रेगुलर फैको कैटरैक्ट सर्जरी के दौरान वैक्यूम का इस्तेमाल करके बेकार लेंस को बाहर निकाल दिया जाता है। इस सर्जरी के दौरान जिस इंट्रा ओकुलर लेंस को सेट किया जाता है वह लंबे समय तक स्टेबल नहीं रहा पता है। इसलिए बाद में फिर से परेशानियां होने की संभावना होती है।

रोबोटिक या फेम्टोसेकेंड कैटरैक्ट सर्जरी

यह मोतियाबिंद की सर्जरी का सबसे आधुनिक और विकसित तरीका है। माइक्रोइंसीजन सर्जरी की कमियों को दूर करने के लिए इस सर्जरी को विकसित किया गया है। रोबोटिक या फेम्टोसेकेंड कैटरैक्ट सर्जरी के दौरान लेजर बीम का इस्तेमाल किया जाता है। दूसरी सर्जिकल प्रक्रियाओं की तुलना में रोबोटिक या फेम्टोसेकेंड कैटरैक्ट सर्जरी ज्यादा महंगा है तथा इसमें समय भी अधिक लगता है। इस सर्जरी का रिजल्ट बेहतर आता है। इस प्रक्रिया लेजर का इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए सर्जरी के दौरान टांके नहीं आते हैं।

निष्कर्ष — Conclusion 

आमतौर पर मोतियाबिंद को खत्म करने के लिए लेजर सर्जरी का इस्तेमाल किया जाता है। क्योंकि यह बहुत ही सुरक्षित और सफल प्रक्रिया है तथा इसकी सफलता दर काफी अधिक है। ज्यातर मामलों में सर्जरी वाले दिन ही मरीज हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होकर घर चले जाते हैं। मोतियाबिंद दैनिक जीवन के कामों को पूरा करने में परेशानियां पैदा करता है। साथ ही, लंबे समय तक इसे नजरअंदाज करने या इसका उचित इलाज नहीं कराने पर यह अंधेपन का कारण भी बन सकता है।

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अगर आपको मोतियाबिंद है तो आप प्रिस्टीन केयर से संपर्क कर सकते हैं। हमारे पास देश के सबसे बेहतरीन नेत्र रोग विशेषज्ञ हैं जो मॉडर्न मेडिकल इंस्ट्रूमेंट्स से मोतियाबिंद की सर्जरी करते हैं। इस सर्जरी के दौरान आपको जरा भी दर्द या दूसरी किसी तरह की परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता है। यह मोतियाबिंद का बेस्ट और परमानेंट इलाज है। इसके बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए आप हमसे अभी संपर्क कर सकते हैं।

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डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है| अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें|