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प्रेगनेंसी एक ऐसा खूबसूरत एहसास है जिसकी खबर सुनते ही हर घर परिवार में खुशियों का माहौल बन जाता है। यह हर शादी-शुदा पुरुष या महिला के जीवन के सबसे खूबसूरत पलों में से एक होता है। हर महिला और पुरुष कि यह दिली ख्वाहिश होती है कि वह एक दिन मां और पिता बनने का सुख प्राप्त करें। प्रेगनेंसी नौ महीने कि एक लंबी प्रक्रिया है जिसके दौरान एक गर्भवती महिला अपने अंदर ढेरों बदलावों को देखती है। कुछ बदलाव को हम प्रेगनेंसी के लक्षण के रूप में देखते हैं और कुछ को किसी बीमारी या समस्या के लक्षण के रूप में। 

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प्रेगनेंसी के दौरान एक महिला को अपने खान पान और जीवनशैली को लेकर बहुत ही सावधान रहने कि आवश्यकता होती है। क्योंकि ज़रा सी भी लापरवाही के कारण उनके सामने कई तरह कि बीमारियां और परेशानियां पैदा हो सकती हैं। इन्ही में से एक बीमारी डायबिटीज की है। डायबिटीज एक गंभीर मेडिकल कंडीशन है। इसकी स्थिति में शरीर खून में मौजूद शुगर को अच्छी तरह से कंट्रोल नहीं कर पाता है। क्योंकि इसके पास आवश्यकता अनुसार इन्सुलिन की मात्रा नहीं होती है। 

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डायबिटीज प्रेगनेंसी में सबसे कॉमन और जटिल समस्या है जो लगभग 3.3% जीवित जन्मों (Live Births) में लगभग 3.3% का प्रतिनिधित्व करती है। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है की एक महिला प्रेगनेंसी के दौरान कौन सी डायबिटीज से पीड़ित है, बहुत से ऐसे तरीके मौजूद हैं जिसका उपयोग डॉक्टर या महिला द्वारा करने के बाद प्रेगनेंसी को पूरी तरह से स्वस्थ और सुरक्षित रखा जा सकता है।              

प्रेगनेंसी में डायबिटीज की संभावित जटिलताएं — Possible Complications Of Diabetes In Pregnancy In Hindi — Pregnancy Me Diabetes Se Hone Wali Pareshani 

जो महिलाएं प्रेगनेंसी से पहले ही डायबिटीज से पीड़ित होती हैं उन्हें सबसे अधिक जटिलताओं का सामना करना पड़ता है। प्रेगनेंसी के दौरान डायबिटीज की निम्नलिखित संभावित जटिलताएं होती हैं।   

  • ज्यादा बार इंसुलिन शॉट्स की आवश्यकता होना — Need for insulin shots more often
  • ब्लड ग्लूकोज (रक्त शर्करा) का लेवल कम होना — Low blood glucose levels (if left untreated, can be life-threatening)
  • हाई ब्लड ग्लूकोज के कारण कीटोएसिडोसिस की समस्या होना — Ketoacidosis from high levels of blood glucose (if left untreated, can be life-threatening)

प्रेगनेंसी में शिशु पर डायबिटीज की जटिलताओं में निम्निलिखित चीजें शामिल हैं:-

जन्म दोष — Birth Defects In Hindi 

जो महिलाएं प्रेगनेंसी के दौरान डायबिटीस से पीड़ित होती हैं उनके बच्चों में जन्म दोष पाए जाना एक आम बात है। कुछ जन्म दोष इतने गंभीर होते हैं कि उनके कारण कई बार बच्चा मरा हुआ भी पैदा हो सकता है। आमतौर पर जन्म दोष प्रेगनेंसी कि पहली तिमाही के दौरान देखा जाता है। डायबिटीज से पीड़ित महिलाएं जिस बच्चे को जन्म देती हैं उसके दिल, ब्लड वेसेल्स, दिमाग, स्पाइन, यूरिनरी सिस्टम, किडनी और पाचन तंत्र में जन्म दोष पाए जाते हैं।       

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स्टिलबर्थ — Stillbirth In Hindi 

डायबिटीज से पीड़ित प्रेगनेंट महिलाओं में स्टिलबर्थ अधिक आम है। गर्भावस्था में डायबिटीज से पीड़ित होने पर महिला के शरीर में ढेरों समस्याएं जैसे कि हाई ब्लड प्रेशर, ब्लड सर्कुलेशन सही से नहीं होना और डैमेज्ड ब्लड वेसेल्स आदि पैदा हो जाती हैं जिसके कारण गर्भ में शिशु का विकास बहुत ही धीमी गति से होता है। गर्भावस्था में डायबिटीज होने कि वजह से अधिक स्टिलबर्थ होता है, इस बात के सही कारण का अभी तक पता नहीं लगाया जा सका है। लेकिन गर्भवती महिलाओं में ब्लड ग्लूकोज पर सही तरह से कंट्रोल नहीं होने और ब्लड वेसेल्स में बदलाव आने के कारण स्टिलबर्थ का खतरा अवश्य बढ़ जाता है। (इसे पढ़ें: प्रेग्नेंसी में कैसे सोना चाहिए — How To Sleep During Pregnancy)

प्रीक्लेम्पसिया — Preeclampsia In Hindi

जो महिलाएं प्रेगनेंसी के दौरान टाइप 1 या टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित होती हैं उन्हें प्रीक्लेम्पसिया होने का खतरा सबसे अधिक होता है। इस समस्या के खतरे को कम करने के लिए डॉक्टर गर्भवती महिलाओं को उनकी प्रेगनेंसी के पहले तिमाही से लेकर डिलीवरी होने तक लो-डोज एस्पिरिन (low-dose aspirin) लेने का सुझाव देते हैं। 

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मैक्रोसोमिया — Macrosomia In Hindi

जन्म लेने के बाद जब बच्चे का आकार नार्मल आकार से काफी ज्यादा होता है तो इस स्थिति को मेडिकल कि भाषा में मैक्रोसोमिया कहा जाता है। गर्भ में बच्चे को मिलने वाले सभी आवश्यक पोषक तत्व सीधे माँ के खून से आते हैं। अगर मां के खून में शुगर कि मात्रा बहुत ज्यादा होती है तो अधिक ग्लूकोज का इस्तेमाल करने के लिए शिशु का पैंक्रियाज ज्यादा से ज्यादा इन्सुलिन का निर्माण कर सकता है। जिसके कारण शिशु बहुत बड़ा हो जाता है। (इसे पढ़ें: प्रेग्नेंसी में ब्लीडिंग रोकने के घरेलू उपाय)

बर्थ इन्जरी — Birth Injury In Hindi

शिशु का आकार बड़ा होने के कारण उसे बर्थ इन्जरी हो सकती है। जिसके कारण जन्म के दौरान परेशानियां खड़ी हो सकती हैं। इसलिए डिलीवरी से पहले ही आपको डॉक्टर से मिलकर इसकी तैयारी कर लेनी चाहिए। ताकि शिशु की डिलीवरी के दौरान उसे या आपको किसी तरह की कोई परेशानी न हो।   

सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्या — Respiratory Problems Such As Trouble Breathing In Hindi

शिशु के शरीर में अधिक मात्रा में इन्सुलिन और ग्लूकोज होने के कारण शिशु के फेफड़ों का पूर्ण रूप से विकास नहीं हो पाता है। जिसके कारण उसे सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याएं हो सकती है। जिन बच्चों का जन्म 37 सप्ताह से पहले होता है उनमें यह समस्या सबसे अधिक पाई जाती है।     

हाइपोग्लाइसीमिया — Hypoglycemia In Hindi

जब किसी प्रेगनेंट महिला के ग्लूकोज का स्तर उसकी प्रेगनेंसी के दौरान लंबे समय तक काफी हाई यानी की ज्यादा रहता है तो उसकी वजह से बच्चे के खून में अधिक मात्रा में इन्सुलिन का निर्माण हो जाता है। जिसके कारण डिलीवरी के बाद बच्चे के ब्लड ग्लूकोज का स्तर कम हो सकता है। 

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डिलीवरी के बाद, शिशु में इंसुलिन का स्तर अधिक बना रह सकता है, लेकिन उसे मां से ग्लूकोज नहीं मिलता है। इसी कारण नवजात शिशुओं में ग्लूकोज का स्तर काफी कम होता है। जन्म के तुरंत बाद, शिशु के ब्लड में ग्लूकोज की जांच की जाती है। अगर यह बहुत कम होता है तो इंट्रावेनस थेरेपी (Intravenous Therapy) के जरिए शिशु के शरीर में ग्लूकोज चढ़ाया जाता है।    

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जिन महिलाओं को जेस्टेशनल डायबिटीज होता है उन्हें जीवन में आगे जाकर टाइप 2 डायबिटीज और अगली प्रेगनेंसी के दौरान जेस्टेशनल डायबिटीज होने की अधिक संभावना होती है। अगर आप जेस्टेशनल डायबिटीज से पीड़ित हैं तो अपने शिशु को जन्म देने के कुछ महीनों के बाद तथा शिशु की डिलीवरी के हर तीन साल बाद आपको अपनी जांच करानी चाहिए। 

प्रेगनेंसी में डायबिटीज से कैसे बचें — How To Avoid Diabetes During Pregnancy In Hindi — Pregnancy Me Diabetes Se Kaise Bache 

प्रेगनेंसी में सभी तरह के डायबिटीज को नहीं रोका जा सकता है। आमतौर पर टाइप 1 डायबिटीज की समस्या महिला को उसकी युवावस्था में ही शुरू हो जाती है। लेकिन लाइफस्टाइल में सकारात्मक बदलाव लाकर टाइप 2 डायबिटीज की रोकथाम बहुत आसानी से की जा सकती है। अगर आपका वजन अधिक है या आप मोटापे से पीड़ित हैं तो अपना वजन कम कर आप टाइप 2 डायबिटीज के खतरे को भी काफी हद तक खत्म कर सकती हैं। 

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हेल्दी खान पान का सेवन तथा सुबह या शाम में हल्का फूलका व्यायाम करके भी आप प्रेगनेंसी के दौरान टाइप 2 डायबिटीज की रोकथाम कर सकती हैं। लेकिन अगर आपको डायबिटीज है या फिर होने का खतरा है तो आपको सबसे पहले स्त्री रोग विशेषज्ञ से मिलना चाहिए। वे आपकी जांच करने के बाद आपकी समस्या को उसकी शुरूआती स्टेज में रोकथाम कर आपकी प्रेगनेंसी को स्वस्थ बनाने में पूर्ण रूप से आपकी मदद कर सकती हैं।  

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