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आंखें हमारे शरीर की सबसे नाज़ुक अंगों में से एक हैं। अगर इनकी सही से देखभाल न की जाए तो जीवन भर के लिए परेशानियां खड़ी हो सकती हैं। काफी लोग अपनी आंखों पर उतना ध्यान नहीं देते हैं जितना की उन्हें देना चाहिए। यही कारण है की एक उम्र यानी 50-60 वर्ष के बाद वे आंखों की गंभीर बीमारियों से पीड़ित हो जाते हैं। काला मोतियाबिंद भी आंखों में होने वाली गंभीर बीमारियों में से एक है। शोध के अनुसार, भारत में चालीस वर्ष से अधिक उम्र के लगभग एक करोड़ या उससे भी अधिक लोग काला मोतियाबिंद से पीड़ित हैं। इस बीमारी का समय पर सही इलाज नहीं कराने पर आगे जाकर यह अंधेपन का कारण भी बन सकता है। इस बीमारी से बचने के लिए नियमित रूप से आंखों की जांच और इलाज कराना, पोषक तत्वों को अपने डाइट में शामिल करना और साथ ही साथ लाइफस्टाइल में सकारात्मक बदलाव लाना जरूरी है।

काला मोतियाबिंद क्या है?

काला मोतियाबिंद को काला मोतिया या ग्लूकोमा के नाम से भी जाना जाता है। काला मोतियाबिंद के ज्यादातर मामलों में कोई भी लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। यही कारण है की इसे अंधेपन का प्रमुख कारण माना जाता है। काला मोतियाबिंद आंखों की ऑप्टिक नर्व पर दबाव डालता है जिसके कारण उसे बहुत नुकसान पहुंचता है। ऑप्टिक नर्व पर लगातार दबाव पड़ने की वजह से यह नष्ट भी हो सकता है। ऑप्टिक नर्व पर पड़ने वाले इस दबाव को इंट्राऑकुलर प्रेशर (Intraocular Pressure) कहा जाता है। ऑप्टिक नर्व का काम सूचनाओं या किसी भी चीज की इमेज (चित्र) को मस्तिष्क तक पहुंचाना है। लेकिन जब इसपर प्रेशर पड़ता है तो यह अपना काम ठीक तरह से नहीं कर पाता है। इतना ही नहीं, विशेषज्ञ का यह भी मानना है की अगर लंबे समय तक इसपर दबाव पड़ता रहा तो आगे जाकर यह संपूर्ण अंधेपन का कारण भी बन सकता है। काला मोतियाबिंद पूरी दुनिया में अंधेपन का दूसरा सबसे बड़ा कारण माना जाता है।

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काला मोतियाबिंद के कारण एक बार जब आंख की रौशनी चली जाती है तो फिर उसे इलाज या किसी भी दूसरी विधि से वापस नहीं लाया जा सकता है। इसलिए यह आवश्यक है की आप अपने आंखों की नियमित रूप से जांच करवाते रहें। ताकि आंखो पर पड़ने वाले दवाब का शुरुआत में पता लगाकर समय पर उसका सही इलाज किया जा सके। अगर काला मोतियाबिंद की जानकारी इसकी शुरूआती स्टेज में ही हो जाए तो इस बीमारी का इलाज कर आंखों की रौशनी को जाने से बचाया जा सकता है। ज्यादातर मामलों में काला मोतियाबिंद की शिकायत बूढ़े लोगों में देखने को मिलती है, लेकिन यह बीमारी किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है।       

काला मोतियाबिंद का आयुर्वेदिक इलाज 

काला मोतियाबिंद का इलाज करने के ढेरों उपाय मौजूद हैं जिनकी मदद से इस बीमारी का इलाज बहुत ही आसानी से किया जा सकता है। अगर काला मोतियाबिंद अपनी शुरूआती स्टेज में है तो इसका इलाज आयुर्वेदिक औषधियों की मदद से भी किया जा सकता है। विशेषज्ञ का मानना है की काला मोतियाबिंद की शुरुआत में भीमसेनी कपूर को स्त्री के दूध में घोल कर लगाने से इस बीमारी के लक्षणों में कमी आने एवं इस बीमारी के ठीक होने की संभावना बढ़ जाती है। अगर आप भी काला मोतियाबिंद से परेशान हैं और घर बैठे इस बीमारी से छुटकारा पाना चाहते हैं तो इस विधि का इस्तेमाल कर सकते हैं। 

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हलके बड़े मोती का 3 ग्राम चूर्ण और 12 ग्राम काले सुरमे को एक दूसरे के साथ अच्छी तरह से मिलाएं। जब यह अच्छी तरह से घुल जाए तो इसे एक साफ बॉटल में रख दें और रोजाना सोते समय सुरमा की तरह इसे अपनी आंखों में लगाएं। कुछ दिनों तक ऐसा करने से काला मोतियाबिंद की शिकायत दूर हो जाती है। अगर इसके इस्तेमाल को लेकर आपको किसी तरह की कोई परेशानी है तो आप आयुर्वेद के डॉक्टर से मिलकर इस बारे में बात करनी चाहिए। 

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लाहौरी नमक, समुद्री फेन, काली मिर्च और छोटी पीपल आदि सभी को 10 ग्राम की मात्रा में लें। फिर इसके बाद इन्हे 200 ग्राम काले सुरमा और 500 मिलीलीटर गुलाब अर्क या सौंफ अर्क में इस तरह से मिलाएं की सारा अर्क उसमें अच्छी तरह से सोख ले। इसके बाद आप रोजाना इसे कुछ सप्ताह तक अपनी आंखों में लगाएं। इसके अलावा, आप 10 ग्राम गिलोय का रस, 1 ग्राम शहद और 1 ग्राम सेंधा नमक को बारीक पीस कर इसे सुरमा की तरह रोजाना अपनी आंखों में लगाएं। कुछ दिनों तक लगातार इस मिश्रण का इस्तेमाल करने से काला मोतियाबिंद की समस्या खत्म हो जाती है।   

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आंखों में लगाने वाली आयुर्वेदिक औषधियों के साथ साथ जड़ी बूटियों का सेवन भी काला मोतियाबिंद में बहुत फायदेमंद माना जाता है। बिना गुठली वाले 500 ग्राम सूखे आंवला, 500 ग्राम भृंगराज का संपूर्ण पौधा, 100 ग्राम बाल हरीतकी, 200 ग्राम सूखे गोरखमुंडी पुष्प और 200 ग्राम श्वेत पुनर्नवा की जड़ को मिलाकर इनका बारीक चूर्ण तैयार करें। इसके बाद इस चूर्ण को अच्छी तरह से काले पत्थर के खरल में 250 मिलीलीटर अमरलता का रस और 100 मिलीलीटर मेहंदी के पन्नों के रस में अच्छी तरह से मिलाएं। अच्छी तरह से मिलाने के बाद शुद्ध भल्लातक का 25 ग्राम कपड़छान चूर्ण को मिलाकर कड़ाही में तब तक गर्म करें जबतक की यह अच्छी तरह से सुख न जाए। सूखने के बाद इसे छान कर कांच के बर्तन में सुरक्षित तरह से रख दें। फिर अपनी शक्ति और स्थिति के अनुसार इस मिश्रण के दो से चार ग्राम की मात्रा को ताजा गोमूत्र के साथ खाली पेट सुबह और शाम सेवन करें। ऐसा करने से आपके आंखों की परेशानी बहुत ही आसानी से दूर हो सकती है। 

इस ब्लॉग में दी गई किसी भी विधि का इस्तेमाल करने से पहले एक बार डॉक्टर से अवश्य मिलें और अपनी समस्या के बारे में उन्हें बताएं। वे आपकी आंखों की स्थिति को देखने के बाद आपको इलाज का सबसे सटीक तरीका बताएंगे। साथ ही अगर आप किसी भी आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर से इस बारे में जरूर बात करें। कई बार काला मोतियाबिंद की समस्या को दूर करने की नियत से आयुर्वेदिक औषधियों का इस्तेमाल करने के बाद कुछ मरीजों में साइड इफेक्ट्स भी देखे गए हैं। इसलिए यह जरूरी है की आप इलाज के किसी भी तरीके का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर से उनकी राय अवश्य लें।     

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डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है| अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें|