homeopathic-medicine-for-cataract-in-hindi

मोतियाबिंद से पीड़ित होने कि स्थिति में आपकी आंख का लेंस धुंधला हो जाता है, जिसके कारण आपके देखने कि क्षमता में कमी आ जाती है। जब आंखों में प्रोटीन के गुच्छे (Clump) बनने लगते हैं तो लेंस साफ चित्र को रेटिना तक नहीं ले पाता है जिसके कारण मोतियाबिंद कि समस्या शुरू होती है। रेटिना का काम लेंस से संकेतों में आने वाली रौशनी को परिवर्तित करना है। यह इन संकेतों को ऑप्टिक तंत्रिका नर्व तक भेजता है, जो आगे उन्हें मस्तिष्क तक लेकर जाता है। आमतौर पर मोतियाबिंद की समस्या एक उम्र यानि की 40-50 वर्ष के बाद होती है। लेकिन आंखों पर किसी प्रकार का चोट लगने के कारण यह समस्या किसी को कभी भी हो सकती है।            

इसे पढ़ें: मोतियाबिंद का ऑपरेशन कब करवाना चाहिए?

आमतौर पर मोतियाबिंद बहुत धीरे धीरे विकसित होता है तथा यह एक या दोनों आंखों को प्रभावित कर सकता है। ज्यादातर मामलों में यह बीमारी उम्र ढलने यानी कि 50 वर्ष कि आयु के बाद होती है। इसके खास लक्षणों में रात में कम दिखाई देना, बार कॉन्टेक्ट लेंस या चश्मा बदलने कि आवश्यकता पड़ना, एक आंख से कई दृध्य दिखाई पड़ना यानि कि डबल विजन होना, रंग का धुंधला दिखाई देना, रंगों को पहचानने में परेशानी होना, धुप, हेड लाइट, लालटेन या तेज रौशनी में आंखे चौंधियाना आदि शामिल हैं।       

इसे पढ़ें: काला मोतियाबिंद का आयुर्वेदिक इलाज

डायबिटीज जैसी दूसरी और बीमारियों से पीड़ित होने कि स्थिति में मोतियाबिंद होने का खतरा अधिक होता है। शराब पीना, सिगरेट पीना, दूसरी नशीली चीजों का सेवन करना, पराबैंगनी किरणों में लंबे समय तक रहने या आंखों में चोट लगने के कारण भी मोतियाबिंद होने कि संभावना बढ़ जाती है। मोतियाबिंद का सबसे बेहतरीन इलाज सर्जरी है। लेकिन होमियोपैथी में नेचुरल दवाएं जैसे कि सिनेरारिआ मरीतिमा को आई ड्रॉप के रूप में इस्तेमाल कर मोतियाबिंद के शुरूआती चरण में इसका इलाज बहुत आसानी से किया जा सकता है।        

मोतियाबिंद की होम्योपैथिक दवाएं 

होमियोपैथी में आंखों से संबंधित स्थितियों का इलाज करने के लिए हर व्यक्ति के लिए अलग अलग दवा होती है। डॉक्टर मोतियाबिंद के चरण और लक्षणों को ध्यान में रखते हुए दवाएं और आईड्रॉप्स निर्धारित करते हैं। नॉर्थ अमेरिकन जनरल ऑफ होम्योपैथी ने 2010 में एक अध्ययन प्रकाशित किया था। इस शोध में 295 मरीजों ने हिस्सा लिया था और इसमें से 100 मरीजों को शोधकर्ताओं ने लगभग तीन महीने तक होमियोपैथी दवाओं का सेवन करने का सुझाव दिया। तीन महीने के बाद शोधकर्ताओं ने पाया कि 58% मरीजों कि दृष्टि पहले से काफी बेहतर हो गई थी। इस अध्ययन से यह बात साबित होती है कि सही समय पर होमियोपैथी दवाओं कि मदद से मोतियाबिंद कि समस्या को ठीक किया जा सकता है। 

सिनेरिया मरिटिमा 

सिनेरिया मरिटिमा को डस्टी मिलर के नाम से भी जाना जाता है। इस दवा का इस्तेमाल खासकर कॉर्निया से संबंधित स्थितियां जैसे कि नजर कमजोर होना या मोतियाबिंद का इलाज करने के लिए किया जाता है। इस दवा का इस्तेमाल बुढ़ापे में होने वाले मोतियाबिंद या ट्रॉमेटिक मोतियाबिंद का इलाज करने के लिए भी किया जा सकता है। जब आंख पर किसी प्रकार का चोट लगने के कारण मोतियाबिंद कि समस्या पैदा होती है तो उसे ट्रॉमेटिक मोतियाबिंद के नाम से जाना जाता है।    

इसे भी पढ़ें: एसीएल सर्जरी से जुड़ी सभी जरूरी बातें   

कैल्केरिया फ्लोरिका

कैल्केरिया फ्लोरिका को सामान्य तौर पर फ्लोराइड ऑफ लाइम के नाम से भी जाना जाता है। यह दवा मोतियाबिंद कि समस्या को बहुत ही प्रभावशाली तरीके से ठीक करती है। इतना ही नहीं, इस दवा कि मदद से वैरिकोज वेंस, थायरॉयड, और हड्डियों में कुपोषण का इलाज भी किया जा सकता है। इन सब के अलावा, इस दवा के इस्तेमाल से ढेरों लक्षणों को कम एवं ठीक किया जा सकता है। 

इसे भी पढ़ें: मोतियाबिंद लेंस की क्या कीमत होती है?

जैसे की स्किन पर टाइट मास का उभरना जिसमें पस बन जाता है, फ़्लिकटैनुलर कैराटाइटिस यानि कॉर्निया में सूजन होना, तेज रौशनी से आंखें चौंधियाना, कंजक्टिवाइटिस की समस्या होना, कॉर्निया पर धब्बे पड़ना, कानों में पस बनना, कुछ भी समझ में नहीं आना या किसी भी चीज में ध्यान नहीं लगा पाना आदि। मौसम बदलने या इनपर ध्यान नहीं देने के कारण ये लक्षण और गंभीर हो जाते हैं। लेकिन गर्मी का मौसम आने या किसी गर्म चीज के इस्तेमाल से इन लक्षणों में सुधार आता है।             

यूफ्रेसिया ऑफिसिनैलिस 

यूफ्रेसिया ऑफिसिनैलिस को आई ब्राइट के नाम से भी जाना जाता है। यह दवा उन लोगों के लिए सबसे अधिक फायदेमंद होती है जिन्हे खुली हवा में आने पर बेहतर महसूस होता है। इस दवा की मदद से आंखों के कंजंक्टिपल झिल्ली में मौजूद सूजन को कम किया जा सकता है, खासकर तब जब सूजन के कारण आंखों से अधिक पानी आता हो। ये दवा ढेरों लक्षणों को दूर करने में मददगार होती है। इसमें आंखों से बहुत पानी गिरना, सूजन के कारण सर में दर्द होना, जलन के साथ आंखों से पानी आना, नाक और आंखों की श्लेष्मा झिल्लियों में सूजन होना आदि शामिल हैं। 

आगे पढ़ें: कार्पल टनल सिंड्रोम के कारण, लक्षण और उपचार

विशेषज्ञ का मानना है कि गर्मी के मौसम में, तेज हवा के संपर्क में आने या शाम के समय घर में रहने से ऊपर बताए गए सभी लक्षणों की कंडीशन बिगड़ती है। जबकि अंधेरे में ज्यादा समय बिताने और कॉफी पीने से इन लक्षणों में सुधार आता है। अगर आप मोतियाबिंद की समस्या से परेशान हैं तो डॉक्टर से परामर्श करने के बाद यूफ्रेसिया ऑफिसिनैलिस का इस्तेमाल कर सकते हैं।

कास्टिकम 

कास्टिकम को हेनेमन टिंक्चरा एक्रिस सीने कली के नाम से भी जाना जाता है। यह दवा उन लोगों के लिए सबसे अधिक प्रभावशाली और फायदेमंद होती है जिन लोगों को किसी बीमारी या बहुत ज्यादा चिंता करने के कारण वजन घट जाता है। यह दवा तंत्रिका तंत्र में बदलाव के कारण जन्मे मोतियाबिंद को कम करने में मदद करती है। इसके अलावा, कास्टिकम दवा और भी ढ़ेरों लक्षणों को कम करने में मदद करती है।

इसे पढ़ें: मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद परहेज

इसमें आंखों में अल्सर होना, आंखों की आईलिड में सूजन होना, आंखों में गहरे धब्बे पड़ना, चीजों को साफ तौर पर देखने में परेशानी होना, ऊपरी पलकों का नीचे की और झुकना, ठंडी जगहों पर जाने पर आंखों की मांसपेशियों में लकवा जैसा महसूस होना और खांसी की वजह से कूल्हों में दर्द होना आदि शामिल है। विशेषज्ञ का कहना है की ठंडी और सुखी हवा, ठंडे और साफ मौसम में ये लक्षण और गंभीर हो जाते हैं। लेकिन गर्म मौसम, नमी वाले इलाकों में कुछ समय तक रहने पर इन लक्षणों में सुधार आ जाता है। 

साइलीसिया टेर्रा

साइलीसिया टेर्रा को सामान्य रूप से सिलिका के नाम से भी जाना जाता है। यह होम्योपैथिक दवा उन लोगों के लिए सबसे प्रभावशाली और लाभकारी है जिन्हे ज्यादा ठंड लगती है और शरीर को गर्म रखने के लिए अधिक से अधिक गर्म कपड़ों की जरूरत पड़ती हैं तथा सर्दी के मौसम में इनके हाथ पैर अधिक ठंडे हो जाते हैं। मुख्य तौर पर इस दवा का इस्तेमाल आंखों में बैक्टीरियल इंफेक्शन और आंसू पैदा करने वाली नालिकाओं में मौजूद सूजन को कम करने के लिए किया जाता है। साथ ही साथ यह दवा ढेरों लक्षणों को कम करने के लिए भी किया जाता है।

इसे भी पढ़ें: ओफ्थाकेयर आई ड्रॉप्स के फायदे और नुकसान

इन लक्षणों में रौशनी के कारण आंखों में तेज दर्द होना, पढ़ते समय ऐसा महसूस होना जैसे शब्द चल रहे हैं, साफ दिखाई नहीं देना, रौशनी में धुंधलापन होना, ट्रॉमेटिक चोट लगने की वजह से कॉर्निया में फोड़ा होना, कॉर्निया में छेद करने वाला अल्सर होना, आंख के ऐंगल्स का प्रभावित होना, ऑफिस में काम करने (बंद जगह में रहने) वालों में मोतियाबिंद की शिकायत होना, आंखों में केराइटिस इंफेक्शन के बाद आंखों के साफ टिशूज में सूजन आना, इरिटिस और इरिडोकोरोइडिटिस यानी आइरिस और कोरोइड में सूजन के साथ साथ आंखों के अगले हिस्से में पस बनना आदि शामिल हैं।          

सल्फर 

सल्फर को ब्रिमस्टेन के नाम से भी जाना जाता है। यह दवा उन लोगों के लिए सबसे अधिक फायदेमंद है जो हमेशा परेशान रहते हैं और बहस करते हैं। यह दवा कॉर्निया में दृष्टि और धुंधलेपन को कम करके मोतियाबिंद को ठीक करने में मदद करती है। इस दवा की मदद से दूसरे और भी ढेरों लक्षणों को ठीक किया जा सकता है जिसमें पलकों में दर्द होना, आंख का फड़कना, रात में कम या बिलकुल भी दिखाई नहीं देना, आंखों में सूखापन होना, सूखेपन के कारण दर्द होना, आंखों से बहुत ज्यादा पानी गिरना, आंखों में सफ़ेद धब्बे पड़ना, तेज रौशनी या धुप में देखने में परेशानी होना, सूजन के कारण आंखों में लालीपन आना, आंख में सूखेपन के कारण पुतलियों में दर्द होना, आंखों और पलकों में खुजली एवं जलन महसूस होना आदि शामिल हैं। 

इसे भी पढ़ें: मोतियाबिंद के कारण, लक्षण और इलाज

अगर आप ऊपर बताए गए किसी भी लक्षण से परेशान हैं तो डॉक्टर से परामर्श करने के बाद सल्फर दवा का सेवन कर सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे की बिना डॉक्टर की सलाह के इस दवा का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। अपने मन मुताबिक इसका इस्तेमाल आपके लिए खतरनाक साबित हो सकता है।          

कोनियम मैकुलेटम 

कोनियम मैकुलेटम का सामान्य नाम पॉइजन हेमलॉक है। यह दवा उन लोगों के लिए बहुत फायदेमंद मानी जाती है जो वृद्ध हैं तथा साथ ही मानसिक और शारीरिक कमजोरी एवं कंपन से ग्रस्त हैं। इस दवा की मदद से ढेरों लक्षणों को ठीक किया जा सकता है जैसे की फोटोफोबिया यानी रौशनी से परेशानी होना, आंखों में सूजन होना, कॉर्निया में गोल फफोले होना जिसमें पस भरा होता है, नजर कमजोर होना और खासकर आर्टिफिशियल लाइट में, आंखें बंद करने पर पसीना होना, आंखों में घर्षण या अल्सर के कारण फोटोफोबिया का गंभीर रूप लेना, कॉर्निया में सूजन की समस्या होना और कंजंक्टिवाइटिस होना। 

इसे पढ़ें: प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल, फायदे और नुकसान

ऊपर बताए गए सभी लक्षण महावारी के दौरान और पहले, बिस्तर पर लेटने, बिस्तर से उठने, करवट बदलने, मानसिक या शारीरिक थकान होने पर गंभीर रूप ले लेते हैं। लेकिन अंधेरे में, दबाव डालने पर और हाथ पैरों को ढीला करके नीचे छोड़ने पर इन लक्षणों में काफी हद तक सुधार आता है। कोनियम मैकुलेटम दवा के प्रभाव की जांच करने के लिए  शोधकर्ताओं ने 43 ऐसे मरीजों पर अध्ययन किया जिनकी आंखों में काले धब्बे, आंखों में चित्रों की परछाईं, आइरिस के हिस्से में परछाईं और चीजों को साफ तौर पर देखने में परेशानी होती थी। 

इसे भी पढ़ें: पीआरपी थेरेपी — प्रक्रिया, फायदे और नुकसान

इन सभी मरीजों को उम्र के आधार पर दो भागों में बांटा गया और फिर दोनों समूहों को एक से चार महीने तक अलग-अलग समय तक कोनियम मैकुलेटम दवा दी गई। अध्ययन खत्म होने के बाद इन मरीजों के देखने की क्षमता और पूर्ण अधरे रूप से विकसित हुए मोतियाबिंद में काफी हद तक सुधार देखा गया। इस अध्ययन में कहा गया कि कोनियम मैकुलेटम अधूरे मोतियाबिंद यानी इमैच्योर कैटरैक्ट (Immature Cataract) के इलाज में बहुत ही लाभकारी दवा है। इस दवा कि मदद से मोतियाबिंद को उसकी शुरूआती स्टेज में बहुत ही आसानी से इलाज किया जा सकता है।                   

फॉस्फोरस

यह दवा उन लोगों पर सबसे प्रभावशाली तरीके से काम करती है जिनकी स्किन पतली होती है, छाती चौड़ी नहीं होती है और कमजोरी काफी ज्यादा होती है। ऐसे लोग अचानक से बेहोश हो जाते हैं और इनको काफी पसीना आता है और दर्द भी होता है। फॉस्फोरस मोतियाबिंद के इलाज कि एक बेहद ही प्रभावशाली दवा है। यह दवा आंखों पर पड़े काले धब्बों को भी कम करने का काम करती है। इसका इस्तेमाल ढ़ेरों लक्षणों का इलाज करने के लिए किया जाता है। 

इसे भी पढ़ें: स्तन लिफ्ट सर्जरी — उपचार, प्रक्रिया, जोखिम, फायदे, नुकसान और लागत

इनमें आंखों में थकान होना, ग्लूकोमा कि शिकायत होना, आंखों में धूल या मिट्टी जाने जैसा एहसास होना, आंखों में खिंचाव महसूस होना, लाल अक्षर दिखना, तम्बाकू का सेवन करने से आंखें कमजोर होना, बूढ़े लोगों कि आंखों में रेखाएं और घाव दिखाई देना, ऑप्टिक नसों के टिशूज को नुकसान पहुंचना, ऐसी चीजों का दिखाई देना जो नहीं हैं, आंखों कि ऑर्बिटल हड्डियों में दर्द होना आदि शामिल हैं। मौसम बदलने, मानसिक या शारीरिक थकान होने, दर्द वाले हिस्से या बाईं करवट सोने तथा गर्म चीज खाने या पीने से ये सभी लक्षण गंभीर रूप ले लेते हैं। अंधेरे में, दाईं ओर लेटने, ठंडी चीजों को खाने पीने, ठंडे पानी से नहाने और खुली या ठंडी हवा में जाने पर ये लक्षण ठीक हो जाते हैं।                 

टेलुरियम मेटालिकम 

टेलुरियम मेटालिकम को मैटल टेलुरियम के नाम से भी जाना जाता है। यह दवा उन लोगों के लिए सबसे अधिक फायदेमंद होती है जिनकी कमर बहुत संवेदनशील होती है। ऐसे लोगों को पूरे शरीर में साइटिका कि वजह से दर्द महसूस होता है। यह दवा मोतियाबिंद कि समस्या को ठीक करने के साथ साथ उसकी वजह से आंखों में हुए घावों को भी ठीक करती है। इस दवा कि मदद से और भी ढ़ेरों लक्षणों को ठीक किया जा सकता है जैसे कि आंखों में खुजली और सूजन होना और पलकों का भारी होना आदि। ये सभी लक्षण घर्षण, ठंडे मौसम, रात में आराम करने, हंसने, खांसने या दर्द वाले हिस्से कि तरह करवट लेकर सोने से बढ़ जाते हैं।     

इसे पढ़ें: पाइल्स में सिटकॉम फोर्टे का इस्तेमाल, फायदे और नुकसान

मोतियाबिंद जैसी गंभीर समस्या का होम्योपैथिक दवाओं द्वारा इलाज करने के दौरान आपको अपने खान पान का भी खास ध्यान रखना चाहिए। अगर आप चाहते हैं तो होमियोपैथिक दवा ठीक तरह से काम करे तो आपको कुछ चीजों का खास ध्यान देने कि जरूरत है जैसे कि आपको वह काम करना चाहिए जिसमें आपको मजा आता हो। क्योंकि ऐसा करने से आपका तनाव काम होता है। साथ ही अपने कमरे का तापमान अपनी सुविधा के अनुसार रखना चाहिए। मानसिक थकान से बचना चाहिए और किसी भी आदत या काम में बहुत ज्यादा लिप्त होने से बचना भी चाहिए। ऐसा करने से मोतियाबिंद कि होम्योपैथिक दवाएं इस बीमारी को काफी जल्दी ठीक करने में मदद करती हैं।       

मोतियाबिंद के होमियोपैथिक इलाज के साइड इफेक्ट्स

मोतियाबिंद का इलाज करने के लिए इस्तेमाल कि जाने वाली होमियोपैथिक दवाओं को प्राकृतिक तत्वों से तैयार किया जाता है। आमतौर पर होमियोपैथिक दवाओं का कोई भी साइड इफेक्ट्स नहीं होता है। लेकिन फिर भी इन दवाओं का इस्तेमाल होम्योपैथिक डॉक्टर से परामर्श करने के बाद ही करना चाहिए। क्योंकि हर दवा हर मरीज के लिए ठीक नहीं होती है। मोतियाबिंद कि समस्या को दूर करने कि नियत से होमियोपैथ दवाओं कि अधिक खुराक लेने पर आपको ढेरों साइड इफेक्ट्स यानी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए यह जरूरी है कि आप इन दवाओं का सेवन होमियोपैथी डॉक्टर कि निगरानी में ही करें।         

होम्योपैथी दवाओं से मोतियाबिंद ठीक नहीं होने पर क्या करें?

जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया है कि मोतियाबिंद को उसकी शुरूआती स्टेज में ही होमियोपैथी या दूसरी दवाओं कि मदद से ठीक किया जा सकता है। मोतियाबिंद के विकसित होने के बाद दवा से उसका इलाज करना संभव नहीं है। इस स्थिति में सर्जरी ही एकमात्र उपाय बचता है। सर्जरी कि मदद से मोतियाबिंद को बहुत ही आसानी से ठीक किया जा सकता है।    

इसे पढ़ें: पाइल्स लेजर सर्जरी: इस तकनीक से मिलेगा पाइल्स से राहत

मोतियाबिंद की सर्जरी मुख्य तौर पर दो तरह से की जाती है। एक पारंपरिक तरीके से और दूसरा लेजर सर्जरी सर्जरी के जरिए। दोनों ही सर्जरी के बाद रिजल्ट लगभग एक जैसा ही आता है। दोनों ही सर्जिकल प्रक्रियाओं के बाद धुंधली और खराब लेंस को बाहर निकालकर उसकी जगह पर एक कृत्रिम लेंस (Artificial Lens) को लगा दिया जाता है। इन दोनों सर्जिकल प्रक्रियाओं के बीच खास फर्क यही है इनके दौरान किस प्रकार के उपकरण का इस्तेमाल किया जाता है। आपके मोतियाबिंद की सर्जरी के दौरान डॉक्टर आपकी आंख में चीरा लगाने के लिए ब्लेड (Scalpel) या लेजर (Laser) का इस्तेमाल करते हैं। 

इसे पढ़ें: बोटोक्स इंजेक्शन का इस्तेमाल, फायदे और नुकसान

मोतियाबिंद की पारंपरिक सर्जरी – पारंपरिक मोतियाबिंद सर्जरी को फेकोएमल्सिफिकेशन (Phacoemulsification) के नाम से भी जाना जाता है। इस सर्जिकल प्रक्रिया के दौरान सर्जन ब्लेड की मदद से कॉर्निया में एक छोटा सा कट यानी चीरा लगाते हैं ताकि दूसरे उपकरण उस लेंस के संपर्क में जा सकें जो प्यूपिल के पीछे है। इसके बाद सर्जन लेंस कैप्सूल में एक गोलाकार कट लगाते हैं और फिर उसके बाद एक कलम-आकार का उपकरण उसके अंदर डालते हैं जो साउंड वेव्स की मदद खराब लेंस के छोटे छोटे टुकड़े कर देता है। इसके बाद डॉक्टर सक्शन मशीन की मदद से इसे आंख से बाहर निकाल देते हैं। 

इसे भी पढ़ें: क्विनोआ क्या है — इसके प्रकार, इस्तेमाल, फायदे और नुकसान

जब धुंधला लेंस आंख से बाहर निकाल दिया जाता है तब सर्जन कृत्रिम लेंस (Artificial Lens) जिसे इंट्राऑकुलर लेंस (Intraocular Lens – IOL) के नाम से भी जाना जाता है, को लगा देते हैं। पारंपरिक सर्जरी के दौरान लगाया गया कट बहुत ही छोटा होता है इसलिए सर्जन वहां खुद ही ठीक होने वाली लिक्विड (Sel-sealing) लगा देते हैं। इस सर्जरी के बाद आपको टांकों की जरूरत नहीं पड़ती है। 

मोतियाबिंद की लेजर सर्जरी – लेजर सर्जरी में खासकर सबसे मॉडर्न और अडवांस्ड फेम्टोसेकेंड-लेजर-असिस्टेड मोतियाबिंद की सर्जरी और पारंपरिक सर्जरी की सर्जिकल प्रक्रिया लगभग एक जैसी है। मोतियाबिंद की लेजर सर्जरी के दौरान सर्जन कॉर्निया में पहले और फिर उसके बाद लेंस में एक छोटा सा कट लगाते हैं। उसके बाद एक मशीन को डालकर खराब लेंस के छोटे छोटे टुकड़े करने के बाद उसे बाहर निकल कर उसकी जगह पर एक नए इंट्राऑकुलर लेंस को सेट कर देते हैं। 

इसे भी पढ़ें: वैरीकोसेल के कारण, लक्षण और योग द्वारा इलाज

मोतियाबिंद की लेजर सर्जरी के दौरान कट लगाने के लिए सर्जन ब्लेड (Scalpel) की जगह लेजर का इस्तेमाल करते हैं। साउंड वेव्स की जगह लेजर की मदद से भी खराब लेंस के छोटे छोटे टुकड़े किए जा सकते हैं। पारंपरिक सर्जरी के कट की तरह ही लेजर सर्जरी के दौरान लगाए गए कट को भी टांकों की जरूरत नहीं पड़ती है। इसे भी बंद करने के लिए खुद से ही ठीक होने वाली लिक्विड (Self-sealing) का इस्तेमाल किया जाता है। 

आमतौर पर लेजर सर्जरी का इस्तेमाल करने की सलाह बहुत ही खास स्थितियों में दी जाती है। नहीं तो ज्यादातर पारंपरिक सर्जरी का ही चुनाव एवं इस्तेमाल किया जाता है। अगर आपको एस्टिग्मेटिज्म है तो आपके नेत्र रोग विशेषज्ञ लेजर सर्जरी द्वारा मोतियाबिंद का ऑपरेशन करने की सलाह देते हैं। क्योंकि मोतियाबिंद का इलाज करते समय आपके एस्टीग्मटिज को भी ठीक किया जा सकता है। 

इसे भी पढ़ें: हाइड्रोसील के कारण, लक्षण और घरेलू इलाज

साथ ही, अगर आप प्रीमियम इंट्राऑकुलर लेंस जैसे की मल्टीफोकल लेंस का चुनाव करते हैं तो आपको लेजर सर्जरी के साथ साथ अपग्रेडेड लेंस का प्रस्ताव भी दिया जा सकता है। ऐसा इसलिए नहीं है क्योंकि प्रीमियम इंट्राऑकुलर लेंस बहुत महंगे होते हैं, बल्कि ऐसा इसलिए है क्योंकि लेजर सर्जरी सर्जन को इस प्रकार के लेन्सेस को परफेक्ट तरीके से लगाने (इंम्प्लांट) में मदद करता है। साथ ही साथ यह आपकी आंख को सही तरह से रौशनी को रिफ्रेक्ट करने और पास तथा दूर की चीजों को बहुत ही आसानी से साफ साफ देखने में भी मदद करता है।     

मोतियाबिंद के इलाज के दोनों ही तरीके सही और सुरक्षित हैं। लेकिन आमतौर पर इलाज के माध्यम का चुनाव करने से पहले डॉक्टर आपकी बीमारी की स्थिति की जांच करते हैं और फिर उसके बाद ही पारंपरिक या लेजर सर्जरी का चुनाव करते हैं। अगर आपको मोतियाबिंद की शिकायत है तो आप सबसे पहले एक नेत्र रोग विशेषज्ञ से मिलें और अपने आंख की जांच कराएं। जांच करने के बाद डॉक्टर इस बात का फैसला करने में आपकी मदद कर सकते हैं की आपके लिए कौन सी सर्जरी और लेंस सबसे बेस्ट हैं। 

प्रिस्टीन केयर और मोतियाबिंद का परमानेंट इलाज 

अगर आप सभी दवाओं का इस्तेमाल करके थक चुके हैं तो प्रिस्टीन केयर से संपर्क करें। हमारे पास देश के सबसे बेहतरीन नेत्र रोग विशेषज्ञ हैं जिन्होंने मोतियाबिंद कि लेजर सर्जरी में महारत हासिल कर ली है। ये मोतियाबिंद कि समस्या को लेजर सर्जरी कि मदद से मात्र कुछ ही मिनटों में हमेशा के लिए ठीक कर सकते हैं। इस सर्जिकल प्रक्रिया के दौरान आपको जरा भी दर्द या तकलीफ का सामना नहीं करना पड़ता है। 

मोतियाबिंद का बेस्ट इलाज करने के अलावा, मोतियाबिंद की सर्जरी के दिन हम आपको कैब फैसिलिटी देते हैं जो सर्जरी के दिन आपको घर से हॉस्पिटल और सर्जरी के बाद हॉस्पिटल से घर वापस छोड़ती है। आपके हॉस्पिटल पहुंचने से पहले आपके लिए हमारी टीम की तरफ से एक केयर बड्डी मौजूद रहता है जो इलाज से जुड़े सभी पेपरवर्क को पूरा करता है। साथ ही इलाज के बाद जब तक आप हॉस्पिटल में रूकते हैं, केयर बड्डी आपकी देखरेख और सभी जरूरी चीजों का ख्याल रखता है। हॉस्पिटल में आपको किसी भी चीज कि कोई टेंशन नहीं लेनी पड़ती है क्योंकि केयर बड्डी हमेशा आपके साथ रहता है।  

इसे पढ़ें: जीरोडॉल एसपी टैबलेट: इस्तेमाल, फायदे और नुकसान

दूसरे हॉस्पिटल कि तुलना में हम मोतियाबिंद का लेजर सर्जरी द्वारा इलाज बहुत कम खर्चे में करते हैं। साथ ही साथ हमारे हॉस्पिटल में जीरो ईएमआई की सुविधा भी उपलब्ध है। हम अपने मरीजों को सभी डायग्नोस्टिक टेस्ट पर 30% तक की छूट, गोपनीय परामर्श, डीलक्स रूम की सुविधा और सर्जरी के बाद फ्री फॉलो-अप्स की सुविधा भी देते हैं। साथ ही आप 100% इंश्योरेंस भी क्लेम कर सकते हैं। अगर आप बहुत ही आसानी से मोतियाबिंद से हमेशा के लिए मुक्ति पाना चाहते हैं तो अभी हमारे नेत्र रोग विशेषज्ञ से संपर्क कर सकते हैं।  

और पढ़ें

डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है| अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें|

Top Doctors
All Doctors
online dot green डॉक्टर उपलब्ध
Dr. Kiran Dua (f99T3BwhIM)

Dr. Kiran Dua

MBBS, MD-Obs & Gynae

₹3000₹1500परामर्श शुल्क

star icon

5.0/5

medikit icon

47 Years Experience Overall

online dot green डॉक्टर उपलब्ध
Dr. Pradeep Dutta (iG42qSEAJL)

Dr. Pradeep Dutta

MBBS, Diploma in Radio Diagnosis & MD-TB & Respiratory Diseases

star icon

4.5/5

medikit icon

46 Years Experience Overall

online dot green डॉक्टर उपलब्ध
Dr. Bhagat Singh Rajput (2tBWrJPbYX)

Dr. Bhagat Singh Rajput

MBBS, D.Ortho

₹8000₹4000परामर्श शुल्क

star icon

4.5/5

medikit icon

44 Years Experience Overall

online dot green डॉक्टर उपलब्ध
Dr. Khushwant Singh  (Fr0tBMgrvN)

Dr. Khushwant Singh

MBBS - Family Physician

₹1000₹500परामर्श शुल्क

star icon

5.0/5

medikit icon

43 Years Experience Overall

online dot green डॉक्टर उपलब्ध
Dr. Uma Challa (O3RA9o3QVo)

Dr. Uma Challa

MBBS, MD-Obs & Gynae

₹1200₹600परामर्श शुल्क

star icon

5.0/5

medikit icon

41 Years Experience Overall

online dot green डॉक्टर उपलब्ध
Dr. Mohammad Ali  (RlvgvzsJGX)

Dr. Mohammad Ali

MBBS, D.Ortho

₹800₹400परामर्श शुल्क

star icon

4.5/5

medikit icon

41 Years Experience Overall

online dot green डॉक्टर उपलब्ध
Dr. Mallavalli Surendranath (uWxdbb3vgA)

Dr. Mallavalli Surendranath

MBBS, MD-Pediatrics

₹700₹350परामर्श शुल्क

star icon

4.5/5

medikit icon

40 Years Experience Overall

online dot green डॉक्टर उपलब्ध
Dr. Krishna Mothukuri (ivz0C93SIb)

Dr. Krishna Mothukuri

MBBS, Diploma in Child Health

₹2000₹1000परामर्श शुल्क

star icon

4.5/5

medikit icon

40 Years Experience Overall

online dot green डॉक्टर उपलब्ध
Dr. Sunil Sobti (xB7DYO7QZ3)

Dr. Sunil Sobti

MBBS, MD-General Medicine

₹3000₹1500परामर्श शुल्क

star icon

4.5/5

medikit icon

39 Years Experience Overall

online dot green डॉक्टर उपलब्ध
Dr. Vishakha Munjal (sAbaXrS9ph)

Dr. Vishakha Munjal

MBBS, MD-Obs & Gynae

₹8000₹4000परामर्श शुल्क

star icon

5.0/5

medikit icon

39 Years Experience Overall