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कार्पल टनल सिंड्रोम क्या है?

कार्पल टनल सिंड्रोम एक सामान्य बीमारी है जिसे माध्यिका तंत्रिका संपीडन के नाम से भी जाना जाता है। इस बीमारी से पीड़ित होने की स्थिति में मीडियन नर्व पर दबाव पड़ता है जिसके कारण मरीज को हाथ में सुन्नता और झनझनाहट महसूस होती है। मीडियन नर्व एक खास प्रकार की नस है जो कलाई से लेकर कंधे तक जाती है। यह नस कार्पल टनल के जरिए हाथ में प्रवेश करती है। मीडियन नर्व हाथ के काम करने की क्रिया को नियंत्रित करने के साथ-साथ किसी भी वस्तु को महसूस करने की क्षमता प्रदान करना है। लेकिन जब किसी कारण कार्पल टनल में सूजन पैदा होती है तो मीडियन नर्व पर दबाव पड़ता है जिसकी वजह से यह दब जाता है। इसी स्थिति को मेडिकल की भाषा में कार्पल टनल सिंड्रोम कहा जाता है।
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All Insurances Accepted

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No-Cost EMI

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1-day Hospitalization

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भिवंडी में कार्पल टनल सिंड्रोम उपचार के लिए न्यूरोलॉजिस्ट

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    Dr. Chintan Rohit Hegde (3SiPehhFNp)

    Dr. Chintan Rohit Hegde

    MBBS, MS-Orthopedics
    11 Yrs.Exp.

    4.6/5

    11 + Years

    Mumbai

    Orthopedic Surgeon

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    6366-370-261
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    उपचार

    निदान

    कार्पल टनल सिंड्रोम का निदान करने के लिए डॉक्टर निम्न परीक्षण कर सकता है:

    • लक्षणों को देखना – डॉक्टर रोगी से उसके लक्षणों के बारे में पूछेगा, जैसे – किन-किन उँगलियों में लक्षण नजर आते हैं, क्या काम करते वक्त नजर आते हैं इत्यादि।
    • फिजिकल एग्जाम – रोगी की उंगलियां चीजों को महसूस कर सकती हैं या नहीं, इसका परीक्षण किया जाएगा। साथ ही, प्रभावित हाथ की मांसपेशियों में ताकत का परीक्षण किया जा सकता है। डॉक्टर आपकी कलाई मोड़ सकता है, नस पर टैप सकता है और दबाव बना सकता है।
    • एक्स-रे – डॉक्टर प्रभावित कलाई का एक्स-रे कराने की सलाह दे सकता है। यह टेस्ट कार्पल टनल सिंड्रोम के निदान में ज्यादा सहायक नहीं है, लेकिन कलाई में फ्रैक्चर या गठिया का पता लगाने के लिए किया जा सकता है।
    • इलेक्ट्रोमोग्राफी – इस टेस्ट की मदद से मांसपेशी में उत्पन्न हो रहे छोटे इलेक्ट्रिकल डिस्चार्ज का पता लगाया जाता है। यह टेस्ट उन मांसपेशियों में क्षति की पहचान कर सकता है जो मीडियन नर्व द्वारा नियंत्रित की जाती हैं।
    • नर्व कंडक्शन स्टडी – इस टेस्ट में मीडियन नर्व के माध्यम से एक छोटा इलेक्ट्रिक शॉक दिया जाता है। इससे पता चलता है कि कार्पल टनल में इलेक्ट्रिकल इम्पल्स धीमा है या नहीं। यदि इलेक्ट्रिकल इम्पल्स सामान्य से ज्यादा धीमा है तो इसका मतलब मीडियन नर्व क्षतिग्रस्त है।

    सर्जरी

    कार्पल टनल सिंड्रोम का निदान करने के लिए डॉक्टर निम्न परीक्षण कर सकता है:

    • लक्षणों को देखना – डॉक्टर रोगी से उसके लक्षणों के बारे में पूछेगा, जैसे – किन-किन उँगलियों में लक्षण नजर आते हैं, क्या काम करते वक्त नजर आते हैं इत्यादि।
    • फिजिकल एग्जाम – रोगी की उंगलियां चीजों को महसूस कर सकती हैं या नहीं, इसका परीक्षण किया जाएगा। साथ ही, प्रभावित हाथ की मांसपेशियों में ताकत का परीक्षण किया जा सकता है। डॉक्टर आपकी कलाई मोड़ सकता है, नस पर टैप सकता है और दबाव बना सकता है।
    • एक्स-रे – डॉक्टर प्रभावित कलाई का एक्स-रे कराने की सलाह दे सकता है। यह टेस्ट कार्पल टनल सिंड्रोम के निदान में ज्यादा सहायक नहीं है, लेकिन कलाई में फ्रैक्चर या गठिया का पता लगाने के लिए किया जा सकता है।
    • इलेक्ट्रोमोग्राफी – इस टेस्ट की मदद से मांसपेशी में उत्पन्न हो रहे छोटे इलेक्ट्रिकल डिस्चार्ज का पता लगाया जाता है। यह टेस्ट उन मांसपेशियों में क्षति की पहचान कर सकता है जो मीडियन नर्व द्वारा नियंत्रित की जाती हैं।
    • नर्व कंडक्शन स्टडी – इस टेस्ट में मीडियन नर्व के माध्यम से एक छोटा इलेक्ट्रिक शॉक दिया जाता है। इससे पता चलता है कि कार्पल टनल में इलेक्ट्रिकल इम्पल्स धीमा है या नहीं। यदि इलेक्ट्रिकल इम्पल्स सामान्य से ज्यादा धीमा है तो इसका मतलब मीडियन नर्व क्षतिग्रस्त है।

    कार्पल टनल रिलीज के दौरान मीडियन नर्व में दबाव डाल रहे लिगामेंट को काटना शामिल है। आमतौर पर इस प्रक्रिया को दो तकनीकों से किया जा सकता है:

    • ओपन सर्जरी – इस प्रक्रिया में सर्जन कलाई के पास लगभग 2 इंच लंबा चीरा लगाता है। फिर कार्पल लिगामेंट को काटकर हटा देता है और कार्पल टनल को बड़ा करता है।
    • एंडोस्कोपिक सर्जरी – सर्जन हाथ या कलाई में कुछ छोटे चीरे लगाएगा। उन चीरों के माध्यम से एंडोस्कोप और सर्जिकल उपकरणों को शरीर में डाला जाता है। इसके बाद मीडियन नर्व पर दबाव डाल रहे लिगामेंट को काट दिया जाता है।

    एंडोस्कोप में एक छोटा कैमरा लगा होता है जो कार्पल टनल के अंदर देखने में मदद करता है। इस प्रक्रिया में किसी लंबे चीरे की आवश्यकता नहीं होती है।

    कार्पल टनल सिंड्रोम के इलाज के लिए प्रिस्टीन केयर को क्यों चुनें?

    भारत में सर्वश्रेष्ठ सर्जिकल अनुभव

    01.

    कार्पल टनल सिंड्रोम के लिए आधुनिक इलाज

    कार्पल टनल सिंड्रोम के आधुनिक इलाज के लिए हम विश्व के सबसे सुरक्षित और सर्वश्रेष्ठ तकनीक का प्रयोग करते हैं, जिसमें प्रक्रिया की शुरुआत नैदानिक परीक्षण और परामर्श सत्र के साथ होती है।

    02.

    विशेषज्ञों का साथ

    प्रिस्टीन केयर में हमारे पास हड्डियों के सर्जन की एक विशेष टीम है, जो कार्पल टनल सिंड्रोम के इलाज के लिए प्रशिक्षित और अनुभव से परिपूर्ण है। वह सभी सर्जन अपनी अच्छी सफलता दर के लिए जाने जाते हैं।

    03.

    आधुनिक तकनीक के साथ मेडिकल सहायता

    कार्पल टनल सिंड्रोम के ऑपरेशन से पहले होने वाली सभी चिकित्सीय जांच में रोगी को हर प्रकार की मेडिकल सहायता दी जाती है। हमारे क्लीनिकों में कार्पल टनल सिंड्रोम का इलाज आधुनिक तकनीक के माध्यम से होता है, जो USFDA के द्वारा प्रमाणित है।

    04.

    प्रक्रिया के बाद की देखभाल

    हम कार्पल टनल सिंड्रोम के बाद सर्जन के साथ निःशुल्क परामर्श का विकल्प भी प्रदान करते हैं, ताकि प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद रोगी जल्द से जल्द अपने दैनिक जीवन में फिर से वापस आ जाए।

    अधिकांश पूछे जाने वाले प्रश्न

    कार्पल टनल सिंड्रोम के लिए कौन सा सर्जिकल उपचार बेहतर है?

    कार्पल टनल सिंड्रोम की एंडोस्कोपिक सर्जरी आपके लिए एक बेहतर विकल्प हो सकती है। चूंकि यह ओपन सर्जरी की तुलना में कम इनवेसिव है, मरीज कम दर्द के साथ तेजी से ठीक हो जाते हैं।

    कार्पल टनल सर्जरी में किस एनेस्थीसिया का उपयोग होता है?

    कार्पल टनल रिलीज के दौरान जनरल एनेस्थीसिया, लोकल एनेस्थीसिया, इंट्रावेनस रीजनल एनेस्थीसिया या पेरीफेरल नर्व ब्लॉक का उपयोग किया जा सकता है। आमतौर पर लोकल एनेस्थीसिया का इस्तेमाल होता है।

    Bhiwandi में कार्पल टनल सिंड्रोम का सबसे अच्छा इलाज कहां होता है?

    Bhiwandi में Pristyn Care के ओर्थोपेडिक डॉक्टर कार्पल टनल सिंड्रोम का सबसे अच्छा इलाज करते हैं। रोगी के लक्षणों को समझने के बाद उचित निदान किया जाता है, और फिर स्थिति के अनुसार इलाज के सबसे बेहतर विकल्प का चयन किया जाता है।

    कार्पल टनल रिलीज के बाद क्या मैं अपनी उँगलियों का उपयोग कर पाउँगा/पाऊँगी?

    सर्जरी के बाद, आपकी कलाई या हाथ पर 1-2 सप्ताह के लिए पट्टी बांध दी जाती है। इस दौरान आपको अपनी उंगलियों को हिलाते रहने के लिए कहा जाता है, लेकिन उन उंगलियों से काम करने की मनाही होती है।

    Bhiwandi में कार्पल टनल सिंड्रोम सर्जरी में कितना खर्च आता है?

    कार्पल टनल सर्जरी की लागत स्थिति की गंभीरता और सर्जरी के प्रकार पर निर्भर करती है। इसके अलावा, एनेस्थीसिया, हॉस्पिटल स्टे, पोस्ट-सर्जरी केयर सहित अन्य कारक भी खर्च को प्रभावित करते हैं। यदि आप Bhiwandi में कार्पल टनल रिलीज सर्जरी का अनुमति खर्च जानना चाहते हैं तो हमें फ़ोन करें।

    कार्पल टनल सर्जरी के कितने दिन बाद घर जा सकते हैं?

    यदि सर्जरी के दौरान लोकल एनेस्थीसिया का इस्तेमाल हुआ है तो अधिकाँश रोगी उसी दिन घर जा सकते हैं। यदि जनरल एनेस्थीसिया का इस्तेमाल हुआ है तो आपको हॉस्पिटल में रुकना पड़ सकता है। साथ ही यदि आप इंश्योरेंस का लाभ उठाना चाहते हैं तो आपको १ दिन अस्प्त्ताल में रुकना अनिवार्य हो जाता है|

    क्या कार्पल टनल सर्जरी के बाद घाव में संक्रमण हो सकता है?

    आमतौर पर नहीं होता है। यदि रोगी घाव का ख्याल नहीं रखता है और समय-समय पर दवाओं का सेवन नहीं करता है तो संक्रमण हो सकता है।

    कार्पल टनल रिलीज के बाद कितने दिनों तक दर्द रहता है?

    यह रोगी की स्थिति पर निर्भर करता है। आमतौर पर डॉक्टर कुछ दवाइयां देते हैं, इससे दर्द मालूम नहीं पड़ता है। यदि आपको असहनीय दर्द होता है तो आप अपने डॉक्टर से सलाह लें।

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    Dr. Chintan Rohit Hegde
    11 Years Experience Overall
    Last Updated : April 17, 2024

    कार्पल टनल सिंड्रोम के लिए नॉन-सर्जिकल थेरेपी

    यदि शुरुआत में ही स्थिति का निदान हो जाता है और लक्षण गंभीर नहीं होते हैं, तो डॉक्टर नॉन-सर्जिकल उपचार की सलाह दे सकता है। कार्पल टनल सिंड्रोम के नॉन-सर्जिकल विकल्प और उपचार में शामिल हैं:

    • कलाई की पट्टी (wrist splint) – स्पलिंट को पहनने से सोते समय कलाई स्थिर रहती है और आप दर्द से बच सकते हैं। यह हाथ की झुनझुनी और सुन्नता को दूर करने में मददगार साबित हो सकती है।
    • कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स (Corticosteroids) – लक्षणों को कम करने के लिए कॉर्टिकोस्टेरॉइड इंजेक्शन दिए जा सकते हैं। इंजेक्शन देने के दौरान डॉक्टर अल्ट्रासाउंड की मदद ले सकता है।
    • नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (NSAIDs) – यह एक प्रकार की दवाइयां हैं जो दर्द को कम करने में सहायक हो सकती है। हालांकि, यह दवाइयां स्थिति में कोई सुधार लाती हैं या नहीं, इसका कोई प्रमाण मौजूद नहीं है।

    यदि स्थिति गंभीर है तो नॉन-सर्जिकल उपचार फायदेमंद नहीं होते हैं। हालांकि, यदि किन्हीं कारणों से रोगी सर्जरी के लिए फिट नहीं है तो फिलहाल नॉन-सर्जिकल विकल्प आजमाए जाते हैं।

    कार्पल टनल सर्जरी से पहले की तैयारी

    • यदि आप किसी तरह की दवाओं का सेवन करते हैं तो डॉक्टर को बताएं।
    • सर्जरी के एक सप्ताह पहले से किसी भी प्रकार का ब्लड थिनर न लें।
    • सर्जरी के 6-12 घंटा पहले से खाना न खाएं।
    • सर्जरी से पहले आपको रक्त परीक्षण या इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी) करवाना पड़ सकता है।
    • आपको सर्जरी के बाद घर जाने के लिए मदद की जरूरत पड़ सकती है, इसलिए अपने साथ किसी व्यक्ति को हॉस्पिटल ले आएं।

    कार्पल टनल सर्जरी के बाद रिकवरी

    सर्जरी के बाद रोगी के हांथ में बहुत सारी पट्टियाँ बांधी जाती हैं। लगभग 1-2 सप्ताह बाद टांका हटाने के लिए डॉक्टर आपको हॉस्पिटल बुला सकता है।

    सर्जरी के बाद लगभग 3 महीने तक प्रभावित हांथ से भारी चीजें न उठाएं। यदि आपके प्रमुख हाथ (जिस हाथ का आप अधिक उपयोग करते हैं) की सर्जरी हुई है तो काम पर लौटने में 6 सप्ताह का समय लग सकता है। यदि दूसरे हाथ में सर्जरी हुई है तो डॉक्टर से पूछकर जल्दी ही अपने काम पर लौट सकते हैं।

    रिकवरी पीरियड के दौरान स्मोकिंग करने से बचें। यह हीलिंग प्रक्रिया को धीमा कर सकता है। यदि आपकी एंडोस्कोपिक सर्जरी हुई है तो आप जल्दी रिकवर हो सकते हैं। जटिलताओं का खतरा भी कम रहता है।

    कार्पल टनल सिंड्रोम के लक्षणों को सहन करना अच्छा विचार नहीं है। समय के साथ लक्षण बढ़ते जाते हैं और जटिलताओं का खतरा भी बढ़ जाता है। आप Bhiwandi की Pristyn Care क्लीनिक में कार्पल टनल का सबसे बेहतरीन इलाज करवा सकते हैं। हमारे अनुभवी ओर्थोपेडिक सर्जन मिनिमल इनवेसिव प्रक्रिया (इंडोस्कोपिक तकनीक) से कार्पल टनल सिंड्रोम का इलाज करते हैं।

    इलाज के दौरान किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करने पड़े, इसके लिए हम आपको कई तरह की सुविधाएं प्रदान करते हैं। हम फ्री फॉलो-अप की सुविधा देते हैं, ताकि मरीज हमारे डॉक्टर की देख रेख में तेजी से ठीक हो सके।

    Bhiwandi में कार्पल टनल सिंड्रोम का सबसे अच्छा उपचार पाने के लिए अभी अपॉइंटमेंट बुक करें। अधिक जानने के लिए आप हमें फोन कर सकते हैं।

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