वर्तमान समय में बांझपन के मामलों में वृद्धि देखी गई है, जिसके कारण बांझपन के लिए आधुनिक उपचारों में भी वृद्धि हुई है। आईसीएसआई प्रक्रिया को बांझपन, मुख्यतः पुरुष बांझपन के एडवांस इलाज के रूप में देखा जाता है। आईसीएसआई को मुख्य रूप से आईवीएफ का हिस्सा भी माना जाता है। जब हम इस इलाज की सफलता दर की बात करते हैं, तो यह 80% से 85% तक है, जो इसे न्यूनतम जटिलताओं के साथ गर्भ धारण करने का उत्तम विकल्प बनाता है। प्रिस्टीन केयर में हम किफायती कीमतों पर उन्नत आईसीएसआई इलाज प्रदान करते हैं। हमारे फर्टिलिटी विशेषज्ञों के साथ अपना मुफ्त परामर्श अभी बुक करें।
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आईसीएसआई को मेडिकल भाषा में इंट्रासाइटोप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शन कहा जाता है। यह एक आईवीएफ की प्रक्रिया है, जो पुरुषों में बांझपन या इनफर्टिलिटी के इलाज के लिए डॉक्टरों के द्वारा सुझाया जाता है। इस इलाज की प्रक्रिया में निषेचन या फर्टिलाइजेशन की प्रक्रिया के दौरान जीवित शुक्राणु को महिला के अंडों में इंजेक्ट किया जाता है। पारंपरिक आईवीएफ में फर्टिलाइजेशन के लिए पेट्री डिश में महिला के अंडे के बगल में हजारों शुक्राणु रखे जाते हैं, लेकिन आईसीएसआई में शुक्राणु को सीधे महिला के गर्भ में इंजेक्शन के द्वारा डाल दिया जाता है। ऐसा करने से फर्टिलाइजेशन होने की संभावना बढ़ जाती है।
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आईसीएसई के निदान की प्रक्रिया लगभग आईवीएफ की तरह है। इस परीक्षण के द्वारा प्रजनन विशेषज्ञों को बांझपन के कारणों को अच्छे से समझने में सहायता मिलेगी जो इस स्वास्थ्य समस्या को दूर करने में आपकी सहायता कर सकते हैं। आईसीएसआई के इलाज से पहले सबसे अधिक किए जाने वाले परीक्षण कुछ इस प्रकार हैं:
यदि आप इस इलाज से सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपको कुछ बातों का सख्ती से पालन करना होगा। इन बातों का पालन करने से गर्भधारण करने की संभावना बढ़ जाएगी। नीचे आईसीएसआई के लिए तैयारी के कुछ सुझाव दिए गए हैं, जिनका आप भी पालन कर सकते हैं:
आमतौर पर आईवीएफ के उपचार में, महिला को उनके अंडाशय को उत्तेजित करने वाली दवाएं दी जाती हैं, जो अंडे के उत्पादन करने की क्षमता को बढ़ा देती है। उसी समय, डॉक्टर अंडों के विकास पर नज़र रखते है। आईसीएसआई प्रक्रिया तब की जाती है जब अंडे परिपक्व हो जाते हैं और अंडाशय से निकाले जाने के लिए तैयार होते हैं। प्रक्रिया को करने के लिए निम्नलिखित क्रम का पालन किया जाता है:
इस चरण में पुरुष से शुक्राणु का नमूना मांगा जाता है। हो सकता है कि डॉक्टर उन नमूने के लिए आपको एक कप या फिर कोई डिब्बी दे। कुछ मामलों में डॉक्टर सर्जरी के द्वारा शुक्राणु निकालते हैं। कुछ मामलों में जमे हुए शुक्राणु के नमूनों का भी उपयोग किया जाता है।
इसके साथ ही, एक महीन सुई और अल्ट्रासाउंड जांच की मदद से एक महिला के अंडाशय से कई अंडे निकाले जाते हैं। जिसके द्वारा इस प्रक्रिया को आगे ले जाया जाएगा।
सैंपल से शुक्राणु को निकालने के बाद फर्टिलिटी विशेषज्ञ एक शुक्राणु को साफ करके अलग कर लेते हैं। इसके पश्चात, शुक्राणु को अंडों में इंजेक्ट करने के लिए एक पतली और खोखली सुई का उपयोग किया जाता है। शुक्राणु को फर्टिलाइज होने और भ्रूण बनने में 24 घंटे तक का समय लग सकता है।
दूसरे चरण के बाद, भ्रूण को छह दिन के लिए निगरानी में रखा जाता है। इस समय के दौरान, डॉक्टर भ्रूण के विकास की निगरानी करते हैं। यह कदम डॉक्टरों को स्वास्थ्य और सबसे व्यवहार्य भ्रूण चुनने में मदद करता है।
फर्टिलाइजेशन के 2-5 दिनों के अंदर एम्ब्र्यो ट्रांसफर या भ्रूण का स्थानांतरण हो जाता है। विकासात्मक अवस्था में पहुंचने पर, एक या दो एम्ब्र्यो का चयन किया जाता है और अल्ट्रासाउंड-निर्देशित कैथेटर की सहायता से महिला के गर्भाशय में इसका प्रवेश करा दिया जाता है।
इस पूरी प्रक्रिया का आखरी चरण गर्भावस्था का परीक्षण है। इस परीक्षण को करने की अवधी एम्ब्र्यो ट्रांसफर के 2 सप्ताह बाद होती है और इसमें एचसीजी रक्त परीक्षण शामिल होता है।
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आईसीएसआई की प्रक्रिया के बाद फर्टिलिटी विशेषज्ञ सफल फर्टिलाइजेशन की जांच के लिए प्रयोगशाला में निषेचित अंडों का निरीक्षण करते हैं। पांच से छह दिनों के बाद, एक स्वस्थ निषेचित अंडा बहुत सारे कोशिकाओं में विभाजित हो जाते हैं और एक ब्लास्टोसिस्ट बनाता है। आपके स्वास्थ्य सेवा प्रदाता ब्लास्टोसिस्ट के आकार और कोशिकाओं के स्वास्थ्य की जांच कर इस बात का पता लगा सकते हैं कि वह महिला कब गर्भधारण कर सकती हैं।
एम्ब्र्यो ट्रांसफर की प्रक्रिया प्रथम चरण के पांचवें या छठे दिन होती है। कुछ मामलों में यह ट्रांसफर महीने या वर्षों तक बाधित हो जाती है। आपका डॉक्टर आपके साथ आपके एम्ब्र्यो ट्रांसफर के समय पर चर्चा करेंगे। आपके स्वास्थ्य सेवा प्रदाता अल्ट्रासाउंड तकनीक का उपयोग करते हुए, आपकी योनि में एक कैथेटर (लंबी, पतली ट्यूब) डालेंगे और भ्रूण का आपके गर्भाशय में प्रवेश कराएंगे। गर्भ धारण करने के लिए भ्रूण/एम्ब्र्यो को आपके गर्भाशय में प्रत्यारोपित (संलग्न) करने की आवश्यकता होती है। आपके फर्टिलिटी विशेषज्ञ गर्भावस्था के परीक्षण करने के लिए कम से कम दो सप्ताह की प्रतीक्षा करने का सुझाव देते हैं।
आईसीएसआई प्रक्रिया के बहुत सारे लाभ है। यही कारण है कि यह पुरुष बांझपन के लिए पसंदीदा इलाज के रूप में आईसीएसआई को सबसे पहले चुना जाता है। नीचे कुछ लाभ के बारे में बताया गया है, जो इस इलाज को सर्वश्रेष्ठ इलाज बनाता है।
इन मामलों में आईसीएसआई का सुझाव दिया जाता है –
नहीं, आईसीएसआई प्रक्रिया दर्दनाक नहीं है। इसके साथ साथ रोगियों को प्रक्रिया के दौरान या बाद में किसी भी प्रकार के असुविधा का अनुभव नहीं होता है।
आईसीएसआई की प्रक्रिया को पूरा होने में चार से छह सप्ताह के बीच का समय लग सकता है। मरीजों को इस दौरान कई बार अस्पताल या फर्टिलिटी क्लिनिक परामर्श के लिए जाना पड़ सकता है।
भारत में आईसीएसआई के इलाज के लिए आपको रु 2,40,000 रुपये से लेकर रु 2,50,000 तक खर्च करना पड़ सकता है। हालांकि, लागत कई कारकों के आधार पर निर्भर करती है, जिसमें आपके द्वारा इलाज के लिए चुने गए शहर, डॉक्टर का अनुभव, परीक्षणों की लागत, रोगी की आयु, रोगी की समग्र स्वास्थ्य स्थिति, बीमारी और बांझपन का कारण शामिल है।
जैसा हमने कई ऑपरेशन में देखा है कि जटिलताएं उत्पन्न होना आम है। आईसीएसआई की भी जटिलताएं हैं। नीचे कुछ जोखिम और जटिलताओं के बारे में बताया गया है –
इस संबंध में आईसीएसआई प्रक्रिया में आईवीएफ के समान ही समस्या होती है। बच्चे के विकास में कुछ समस्या आ सकती है, लेकिन आईसीएसआई प्रक्रिया नैसर्गिक प्रक्रिया है, जिसके कारण इस इलाज की सफलता दर ज्यादा अच्छी है।
आईसीएसआई के इलाज की सफलता दर काफी अधिक है। इस प्रक्रिया में 10 में से 8 अंडे निषेचित होते हैं, जो इस प्रक्रिया की सफलता दर को 80 से 85% तक बनाते हैं।
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